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आलंकारिक प्रश्‍न

आलंकारिक प्रश्‍न

यह प्रश्‍न इसलिए नहीं पूछा जाता कि सामनेवाला उसका जवाब दे, लेकिन इसलिए पूछा जाता है ताकि किसी बात पर ज़ोर दे सके, सुननेवाले को सोचने पर मजबूर कर सके, किसी अहम मुद्दे पर उसका ध्यान खींच सके या उसे किसी मामले पर तर्क करने का बढ़ावा दे सके।

बाइबल में अकसर आलंकारिक (Rhetorical) प्रश्‍न इस्तेमाल हुए हैं क्योंकि यह सिखाने का एक बेहतरीन तरीका है। यहोवा बीते समय में अपने लोगों को सुधारने के लिए उनसे इस तरह के प्रश्‍न पूछता था। (यश 40:18, 21, 25; यिर्म 18:14) यीशु ने भी अहम सच्चाइयों पर ज़ोर देने के लिए आलंकारिक प्रश्‍न पूछे। (लूक 11:11-13) उसने इन प्रश्‍नों से लोगों को सोचने के लिए भी उभारा और कभी-कभी तो उसने एक-साथ कई प्रश्‍न पूछे। (मत 11:7-9) प्रेषित पौलुस ने भी आलंकारिक प्रश्‍नों का बेहतरीन तरीके से इस्तेमाल किया।​—रोम 8:31-34; 1कुर 1:13; 11:22.

अगर एक व्यक्‍ति बाइबल पढ़ते वक्‍त कोई आलंकारिक प्रश्‍न पढ़ता है, तो उसे रुककर यह समझने की कोशिश करनी चाहिए कि वह प्रश्‍न क्यों किया गया है। मिसाल के लिए, जब यीशु ने पूछा कि “तुममें ऐसा कौन है जिसका बेटा अगर उससे रोटी माँगे, तो वह उसे एक पत्थर पकड़ा दे?” तो उसके सवाल का जवाब यही होता, “एक पिता ऐसा करने की सोच भी नहीं सकता।”​—मत 7:9 का अध्ययन नोट देखें।