महान शिक्षक से सीखिए

बाइबल में ही सबसे बढ़िया सिद्धांत दिए गए हैं। बच्चे किसी इंसान की बातें नहीं बल्कि स्वर्ग में रहनेवाले अपने पिता यहोवा की बातें जान सकते हैं।

अपने बच्चों की ज़रूरतें समझिए

यह किताब इसलिए तैयार की गयी है ताकि बच्चों और उनके साथ जो लोग यह किताब पढ़ेंगे, उनके बीच अहम विषयों पर खुलकर और अच्छी बातचीत हो सके।

अध्याय 1

यीशु क्यों महान शिक्षक था

यीशु ने क्या बातें सिखायीं? और उसकी शिक्षाएँ किसकी तरफ से थीं?

अध्याय 2

प्यार करनेवाले परमेश्वर की चिट्ठी

परमेश्वर की चिट्ठी दरअसल एक किताब है जो बाकी सभी किताबों से बहुत अनमोल है।

अध्याय 3

सबकुछ किसने बनाया?

चिड़ियों को किसने बनाया? किसने उन्हें गाना सिखाया? किसने हरी-हरी घास बनायी? आपको किसने बनाया?

अध्याय 4

परमेश्वर का एक नाम है

हम सभी का अपना-अपना एक नाम है। क्या आपको पता है कि परमेश्वर का नाम क्या है? उसका नाम जानना क्यों ज़रूरी है?

अध्याय 5

‘यह मेरा बेटा है’

किस वजह से यीशु दूसरों से अलग और खास था?

अध्याय 6

महान शिक्षक ने दूसरों की सेवा की

जब कोई आपके लिए अच्छा काम करता है तो आपको कैसा लगता है? आपको खुशी होती है, है ना? हम सभी को खुशी होती है। यह बात महान शिक्षक यीशु भी जानता था।

अध्याय 7

कहना मानने से सुरक्षा होती है

बच्चे बड़ों से बहुत कुछ सीख सकते हैं। और जब परमेश्वर हमसे कोई काम करने को कहता है, तो हम यकीन रख सकते हैं कि वह हमें कभी कोई गलत काम करने के लिए नहीं कहेगा।

अध्याय 8

परमेश्वर हम सबसे बड़ा है

जो हमसे बड़े हैं, उनमें से कुछ अच्छे हैं तो कुछ बुरे हैं।

अध्याय 9

बहकावे में मत आइए

अगर कोई आपसे कुछ गलत काम करने को कहता है, तो आपको क्या करना चाहिए?

अध्याय 10

यीशु, दुष्ट स्वर्गदूतों से ज़्यादा ताकतवर

हमें दुष्ट स्वर्गदूतों से डरना नहीं चाहिए मगर हमें खबरदार रहना है कि वे हमें बेवकूफ न बना दें।

अध्याय 11

परमेश्वर के स्वर्गदूतों से मदद

परमेश्वर के स्वर्गदूत उन लोगों की मदद करते हैं जो यहोवा से प्यार करते हैं और उसकी सेवा करते हैं।

अध्याय 12

यीशु ने हमें प्रार्थना करना सिखाया

चाहे दिन हो या रात, आप परमेश्वर से किसी भी वक्‍त प्रार्थना कर सकते हैं और वह आपकी सुनेगा।

अध्याय 13

यीशु के चेले

वे किस तरह के लोग थे?

अध्याय 14

दूसरों को माफ क्यों करें

यीशु ने एक कहानी सुनायी यह सिखाने के लिए कि दूसरों को माफ करना बहुत ज़रूरी है।

अध्याय 15

दया दिखाने का सबक

दयालु सामरी की कहानी से सीखिए।

अध्याय 16

सबसे ज़रूरी क्या है?

हम परमेश्वर की नज़र में अमीर कैसे हो सकते हैं?

अध्याय 17

खुशी का राज़

महान शिक्षक खुश रहने का राज़ बताता है।

अध्याय 18

क्या आपको धन्यवाद कहना याद रहता है?

आप दस कोढ़ियों की मिसाल से कुछ सीख सकते हैं।

अध्याय 19

क्या लड़ाई करना अच्छी बात है?

अगर बात बढ़ने लगती है, तो आपको क्या करना चाहिए?

अध्याय 20

क्या आप हमेशा पहले नंबर पर आना चाहते हैं?

इस बारे में जब यीशु के चेलों में बहस हुई तो उसने उनसे क्या कहा?

अध्याय 21

क्या हमें डींग मारनी चाहिए?

यीशु एक फरीसी और कर-वसूलनेवाले की कहानी सुनाता है।

अध्याय 22

क्यों हमें झूठ नहीं बोलना चाहिए

देखिए कि यहोवा ने हनन्याह और सफीरा के साथ क्या किया।

अध्याय 23

लोग बीमार क्यों होते हैं

क्या कभी ऐसा वक्‍त आएगा जब लोग फिर कभी बीमार नहीं पड़ेंगे?

अध्याय 24

कभी चोरी मत करना!

ऐसे चार किरदारों पर गौर कीजिए जिन्होंने वे चीज़ें लीं जो उनकी नहीं थीं।

अध्याय 25

क्या बुरे लोग अच्छे बन सकते हैं?

शाऊल और एक वेश्या की दी मिसालों से हमें इस सवाल का जवाब मिलता है।

अध्याय 26

अच्छे काम करना क्यों मुश्किल है

अगर आप बुरे लोगों के कहने पर कोई काम नहीं करते, तो बदले में वे क्या करेंगे?

अध्याय 27

आपका परमेश्वर कौन है?

लोग बहुत-से ईश्वरों की पूजा करते हैं। आपको क्या करना चाहिए? तीन जवान यहूदी लड़के हमें जानने में मदद देंगे।

अध्याय 28

किसकी बात मानें?

“जो सम्राट का है, वह सम्राट को चुकाओ, मगर जो परमेश्वर का है वह परमेश्वर को।”

अध्याय 29

क्या परमेश्वर सभी पार्टियों से खुश होता है?

क्या आप जानते हैं कि बाइबल कई पार्टियों और जश्नों के बारे में बताती है? हम जान सकते हैं कि यहोवा इन पार्टियों के बारे में क्या सोचता था।

अध्याय 30

डर पर कैसे काबू पाएँ?

महान शिक्षक ने यह नहीं कहा कि यहोवा की सेवा करना हमारे लिए आसान होगा। पर अपनी हिम्मत जुटाने और मदद पाने का एक तरीका है।

अध्याय 31

हमें कौन हिम्मत देता है?

अगर आप कभी उदास हुए या आपने खुद को अकेला महसूस किया, तो आपको क्या करना चाहिए?

अध्याय 32

यीशु को कैसे बचाया गया

जब यीशु बच्चा ही था तब लोगों ने कई बार उसे मार डालने की कोशिश की। जानिए कि यहोवा ने कैसे यीशु की रक्षा की।

अध्याय 33

यीशु हमारी रक्षा कर सकता है

जब वह धरती पर था, तब उसने साबित किया कि वह उनकी रक्षा कर सकता है, जो उससे प्यार करते हैं।

अध्याय 34

मरने पर हमारा क्या होता है?

क्या आपको मौत से या मरे हुओं से डरना चाहिए?

अध्याय 35

हम मौत की नींद से जाग सकते हैं!

परमेश्वर ने यीशु को ऐसी शक्‍ति दी थी कि वह मरे हुए लोगों को, बच्चों को भी, ज़िंदा कर सकता था।

अध्याय 36

किन्हें ज़िंदा किया जाएगा और वे कहाँ रहेंगे?

इस बारे में यीशु ने क्या कहा?

अध्याय 37

परमेश्वर और उसके बेटे को याद करना

यीशु ने अपने चेलों को एक खास तरीका बताया जिसके ज़रिए हम याद कर सकते हैं कि यहोवा और यीशु ने हमारे लिए क्या किया है।

अध्याय 38

हमें यीशु से क्यों प्यार करना चाहिए

उसने अपनी सिद्ध जीवन दे दिया ताकि हमें हमेशा की ज़िंदगी मिले।

अध्याय 39

परमेश्वर अपने बेटे को नहीं भूला

यीशु को दोबारा ज़िंदा किया जाता है।

अध्याय 40

परमेश्वर को कैसे खुश करें

बाइबल में एक बुद्धी भरी सलाह दी गयी है, “हे मेरे बेटे, बुद्धिमान बन और मेरा दिल खुश कर।”

अध्याय 41

परमेश्वर किन बच्चों से खुश होता है

आप कौन-से काम कर सकते हैं जिनसे परमेश्वर को खुशी होगी?

अध्याय 42

हमें काम क्यों करना चाहिए

काम करना, तन और मन दोनों के लिए अच्छा है। हम यह सीख सकते हैं कि हम अपने कास से खुशी कैसे पा सकते हैंष

अध्याय 43

हमारे भाई-बहन कौन हैं?

क्या इनमें वे लोग भी शामिल हैं जो हमारे अपने परिवार के नहीं?

अध्याय 44

दोस्त वही जो परमेश्वर से प्यार करे

“धोखा न खाओ। बुरी संगति अच्छी आदतें बिगाड़ देती हैं।”

अध्याय 45

परमेश्वर का राज क्या है? कैसे दिखाएँ कि हमें इसकी ज़रूरत है

जब यीशु पूरी धरती पर राज करेगा, तो वह बहुत सारे बदलाव लाएगा।

अध्याय 46

पानी से एक बार दुनिया नाश हुई—क्या फिर ऐसा होगा?

नेक लोग धरती में सदा बसे रहेंगे।

अध्याय 47

कैसे कहा जा सकता है कि हर-मगिदोन पास आ गया है

यीशु ने जिन घटनाओं के बारे में बताया था हम उन्हें पूरा होते देख सकते हैं।

अध्याय 48

परमेश्वर की नयी दुनिया में आप जी सकते हैं

इसमें हमेशा जीने के लिए आपको क्या करना होगा?