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मैंने जाना कि अन्याय कैसे मिटेगा

मैंने जाना कि अन्याय कैसे मिटेगा

मैं हमेशा से यही चाहती थी कि पूरी दुनिया से अन्याय मिटा दिया जाए और सबको बराबर समझा जाए। इसी वजह से मुझे पूर्वी जर्मनी में जेल में डाल दिया गया था। पर हैरानी की बात है कि वहीं मैंने जाना कि अन्याय कैसे मिटेगा। आइए मैं आपको अपनी कहानी बताती हूँ।

मेरा जन्म 1922 में जर्मनी के हाले शहर में हुआ था। इस शहर का इतिहास करीब 1,200 साल पुराना है। यह शहर बर्लिन से करीब 200 किलोमीटर दूर है। हाले शहर उन शहरों में से एक है, जहाँ के लोगों ने सबसे पहले प्रोटेस्टेंट धर्म को अपनाया था। मेरी बहन कैथे का जन्म 1923 में हुआ। मेरे पापा सेना में थे और मम्मी थिएटर में गाती थीं।

पापा को अन्याय से नफरत थी और उन्हीं को देखकर मेरा मन करने लगा कि मैं दुनिया से अन्याय को मिटा दूँ। जब पापा ने सेना में काम करना छोड़ दिया तो उसके बाद उन्होंने एक दुकान खोली। अकसर जो लोग सामान खरीदने आते थे उनके पास ज़्यादा पैसे नहीं होते थे। इसलिए पापा उन्हें उधार में चीज़ें दे दिया करते थे। इस वजह से उन्हें बहुत नुकसान हुआ और उन्हें दुकान बंद करनी पड़ी। पापा को देखकर मुझे समझ जाना चाहिए था कि अन्याय से लड़ना इतना आसान नहीं है। पर मुझमें जवानी का जोश चढ़ा था। मुझे लगता था कि मैं सबकुछ कर सकती हूँ, मैं दुनिया बदल सकती हूँ और अन्याय को मिटा सकती हूँ।

मुझे संगीत और डांस बहुत पसंद था। मैंने और मेरी बहन कैथे ने मम्मी से ही इस सब के बारे में जाना था। बचपन में हम दोनों बहनें खूब मस्ती करती थीं। हम खेलते-कूदते थे और बहुत मज़े करते थे। लेकिन 1939 में सबकुछ बदल गया।

युद्ध का भयानक मंज़र

स्कूल की पढ़ाई खत्म करने के बाद मैं बैले डांस सीखने लगी। उस दौरान मैंने सीखा कि मैं अपनी भावनाओं को डांस के ज़रिए कैसे ज़ाहिर कर सकती हूँ। मैं पेंटिंग भी करने लगी। सबकुछ अच्छा चल रहा था। मुझे यह सब करने में बहुत मज़ा आ रहा था। लेकिन 1939 में दूसरा विश्‍व युद्ध शुरू हो गया। एक और झटका तब लगा जब 1941 में पापा की टीबी से मौत हो गयी।

जब युद्ध शुरू हुआ तब मैं सिर्फ 17 साल की थी। युद्ध का वह मंज़र बहुत भयानक था। ऐसा लग रहा था मानो दुनिया उलट-पुलट हो गयी है। मैंने देखा जो लोग पहले शांति से रहना पसंद करते थे, वही लोग अब नाज़ी सरकार का साथ दे रहे थे। युद्ध की वजह से चीज़ों की कमी हो गयी थी। लोग मर रहे थे, हर कहीं तबाही मची हुई थी। बमबारी की वजह से हमारा घर बुरी तरह तहस-नहस हो गया था और इस युद्ध में मेरे परिवार के कई लोग मारे गए।

1945 में जब युद्ध खत्म हुआ तब मैं, मम्मी और कैथे हाले शहर में ही थे। तब तक मेरी शादी हो चुकी थी और मेरी एक बेटी भी थी। पर मेरे और मेरे पति के बीच रिश्‍ता उतना अच्छा नहीं था। इसलिए हम अलग-अलग रहने लगे। अब मुझे अपनी बेटी की देखभाल अकेले ही करनी थी और पैसों की भी ज़रूरत थी। इसलिए मैं डांस करने लगी और पेंटिंग भी करने लगी।

युद्ध के बाद जर्मनी चार हिस्सों में बँट गया। हम जहाँ रहते थे उस हिस्से में सोवियत संघ का राज था। यह एक कम्यूनिस्ट सरकार थी और इसके अधीन रहना हमारे लिए बिलकुल नया था। हम जर्मनी के जिस हिस्से में रहते थे, उसे पूर्वी जर्मनी कहा जाता था। पर 1949 में जर्मनी का यह हिस्सा जर्मन लोकतांत्रिक गणराज्य (जी.डी.आर.) बन गया।

कम्यूनिस्ट सरकार का शासन

उन सालों के दौरान मेरी मम्मी बीमार पड़ गयीं और मैं उनकी देखभाल करने लगी। मैं एक सरकारी दफ्तर में भी काम करने लगी। उस दौरान मैं कुछ ऐसे विद्यार्थियों से मिली जो अन्याय के खिलाफ आवाज़ उठा रहे थे। एक बार तो एक नौजवान को विश्‍वविद्यालय में एडमिशन नहीं दिया गया। क्योंकि उसके पिता नाज़ी पार्टी के एक सदस्य थे। मैं उस विद्यार्थी को अच्छी तरह जानती थी। मैंने सोचा, ‘उसके पिता ने जो किया उसकी सज़ा भला यह क्यों भुगते?’ इसलिए मैं उन लोगों का साथ देने लगी जो सरकार के खिलाफ आंदोलन करते थे। एक बार तो मैंने एक सरकारी दफ्तर के बाहर आंदोलन से जुड़े परचे भी लगाए।

मैं एक सेक्रेट्री का काम करती थी और मुझे कई बार ऐसे खत लिखने पड़ते थे जो मुझे सही नहीं लगते थे। एक बार तो जहाँ मैं काम करती थी, वहाँ के लोगों ने पश्‍चिम जर्मनी में रहनेवाले एक बुज़ुर्ग आदमी को फँसाने की कोशिश की। वे उस आदमी के घर कुछ ऐसे पार्सल भेजना चाहते थे जिनसे लगता कि वह कम्यूनिस्ट सरकार का साथ दे रहा है। यह देखकर मुझे बिलकुल भी अच्छा नहीं लगा। इसलिए मैंने वे पार्सल ऑफिस में ही छिपा दिए।

सबसे खतरनाक औरत

जून 1951 की बात है, दो आदमी मेरे दफ्तर आए और उन्होंने मुझसे कहा, “तुम्हें गिरफ्तार किया जाता है।” उन्होंने मुझे पकड़कर रेड औक्स नाम की जेल में डाल दिया। एक साल बाद मुझ पर सरकार के खिलाफ काम करने का इलज़ाम लगाया गया। मुझे पता चला कि एक विद्यार्थी ने खुफिया पुलिस को यह खबर दी थी कि मैं सरकारी दफ्तर के बाहर परचे लगा रही थी। जब मुझे अदालत के सामने पेश किया गया तो मेरी बात किसी ने नहीं सुनी और मुझे सीधे छ: साल की जेल की सज़ा सुना दी गयी। उस दौरान मैं बीमार पड़ गयी और मुझे जेल के अस्पताल में भर्ती किया गया। वहाँ करीब 40 औरतें थीं। जब मैंने उनकी हालत देखी तो मैं एकदम घबरा गयी। मैं दौड़कर दरवाज़े के पास गयी और ज़ोर से दरवाज़ा पीटने लगी।

बाहर खड़े गार्ड ने मुझसे पूछा, “क्या चाहिए?”

मैंने कहा, “मैं यहाँ नहीं रह सकती, मुझे बाहर निकालो! भले ही मुझे किसी दूसरी कोठरी में अकेले डाल दो, पर मैं यहाँ एक पल भी नहीं रह सकती!” पर उस गार्ड ने मेरी नहीं सुनी। फिर मेरी नज़र एक औरत पर गयी। वह दूसरों से बिलकुल अलग नज़र आ रही थी। उसके चेहरे पर अलग ही सुकून था, इसलिए मैं उसके पास जाकर बैठ गयी।

जैसे ही मैं उसके पास बैठी, उसने कहा, “अगर तुम मेरे पास बैठनेवाली हो तो बच के रहना। दूसरों को लगता है कि मैं इस कमरे में सबसे खतरनाक हूँ, क्योंकि मैं एक यहोवा की साक्षी हूँ।”

उस वक्‍त मुझे नहीं पता था कि कम्यूनिस्ट सरकार यहोवा के साक्षियों को अपना दुश्‍मन मानती थी। पर मुझे यह ज़रूर याद था कि जब मैं छोटी थी, तब दो बाइबल विद्यार्थी पापा से मिलने आते थे (यहोवा के साक्षियों को पहले बाइबल विद्यार्थी कहा जाता था।) मैंने पापा को यह भी कहते सुना था कि बाइबल विद्यार्थी जो बताते हैं, सही बताते हैं।

उस औरत का नाम बर्टा ब्रुगेमायर था। मुझे उस औरत से मिलकर इतनी राहत महसूस हुई कि मैं रो पड़ी। मैंने उससे कहा, “प्लीज़ मुझे यहोवा के बारे में बताओ।” उस दिन से हम दोनों साथ में काफी वक्‍त बिताने लगे और बाइबल पर चर्चा करने लगे। मैंने सीखा कि सच्चा परमेश्‍वर यहोवा प्यार का परमेश्‍वर है, उसे न्याय और शांति पसंद है। मुझे यह जानकर भी बहुत अच्छा लगा कि इंसानों ने एक-दूसरे पर राज करके जो भी नुकसान किए हैं, यहोवा वह सब ठीक कर देगा। भजन 37:10, 11 में लिखा है, ‘बस थोड़े ही समय बाद दुष्टों का नामो-निशान मिट जाएगा, मगर दीन लोग धरती के वारिस होंगे और बड़ी शांति के कारण अपार खुशी पाएँगे।’

रिहा होकर पश्‍चिम जर्मनी भागना

मैं जेल में करीब पाँच साल थी और 1956 में मुझे रिहा कर दिया गया। रिहा होने के पाँच दिन बाद मैं जर्मन लोकतांत्रिक गणराज्य से भागकर पश्‍चिम जर्मनी चली गयी। उस वक्‍त मेरी दो बेटियाँ थीं, हैनालोर और सबीन। मैं उन्हें भी अपने साथ ले गयी और हम वहीं रहने लगे। वहाँ मैंने और मेरे पति ने एक-दूसरे से तलाक ले लिया। और वहाँ एक बार फिर मैं साक्षियों से मिली। जब मैं अध्ययन कर रही थी तो मुझे समझ आया कि अगर मैं यहोवा की बात मानना चाहती हूँ तो मुझे अपनी ज़िंदगी में कई फेरबदल करने पड़ेंगे। मैंने ऐसा ही किया। फिर 1958 में मैंने बपतिस्मा ले लिया।

कुछ समय बाद मैंने दूसरी शादी की, लेकिन इस बार एक यहोवा के साक्षी से। मेरे पति का नाम क्लौस मैने था। क्लौस और मेरी शादीशुदा ज़िंदगी बहुत अच्छी रही। हमारे दो बच्चे हैं, बेनजमिन और ताबया। अफसोस की बात है कि 20 साल पहले एक हादसे में क्लौस की मौत हो गयी और तब से मैं अकेली हूँ। पर मैं जानती हूँ कि फिरदौस में मरे हुओं को ज़िंदा किया जाएगा। इस आशा से मुझे बहुत हिम्मत मिलती है। (लूका 23:43; प्रेषितों 24:15) मैं इस बात से भी बहुत खुश हूँ कि आज मेरे चारों बच्चे यहोवा की सेवा कर रहे हैं।

बाइबल का अध्ययन करने की वजह से मैं जान पायी कि सिर्फ यहोवा ही सच्चा इंसाफ दिला सकता है। यहोवा इंसानों से बिलकुल अलग है। वह हमारे हालात बहुत अच्छी तरह जानता है। जो इंसान नहीं देख सकते वह यहोवा देख सकता है। इस बात से मुझे बहुत शांति मिलती है। खासकर जब मैं कोई अन्याय देखती हूँ या खुद मेरे साथ कुछ बुरा होता है। सभोपदेशक 5:8 में लिखा है, “अगर तू अपने ज़िले में किसी ऊँचे अधिकारी को गरीबों पर ज़ुल्म करते देखे और न्याय और सच्चाई का खून करते देखे, तो हैरान मत होना। क्योंकि उसके ऊपर भी कोई है जो उसे देख रहा है। और बड़े-बड़े अधिकारियों के ऊपर भी उनसे बड़े अधिकारी होते हैं।” आयत में लिखा है “उसके ऊपर भी कोई है,” यह कोई और नहीं बल्कि हमारा परमेश्‍वर, हमारा बनानेवाला है। इब्रानियों 4:13 में लिखा है, “हमें जिसको हिसाब देना है उसकी आँखों के सामने सारी चीज़ें खुली और बेपरदा हैं।”

मैंने 90 सालों में क्या सीखा

जर्मनी में रहते हुए मैंने दो सरकारों का शासन देखा। एक नाज़ी सरकार का और दूसरा कम्यूनिस्ट सरकार का। दोनों ही दौर में जीना आसान नहीं था। इससे एक बात साबित होती है कि चाहे कोई भी सरकार हो, एक इंसान दूसरे इंसान पर शासन करने के काबिल नहीं है। बाइबल में साफ लिखा है, “इंसान, इंसान पर हुक्म चलाकर सिर्फ तकलीफें लाया है।”​—सभोपदेशक 8:9.

जब मैं छोटी थी तब मुझे यही लगता था कि इंसान अन्याय मिटा सकते हैं। लेकिन अब मैं जान चुकी हूँ कि सिर्फ हमारा बनानेवाला ही इस दुनिया से अन्याय मिटा सकता है। वह ऐसा बहुत जल्द करेगा। वह दुनिया से दुष्टों को हमेशा के लिए मिटा देगा और फिर अपने बेटे यीशु मसीह को इस धरती पर राज करने का अधिकार देगा। उसका बेटा खुद से ज़्यादा दूसरों के बारे में सोचता है, उनकी परवाह करता है। उसके बारे में बाइबल में लिखा है, “तूने नेकी से प्यार किया और बुराई से नफरत की।” (इब्रानियों 1:9) मैं यहोवा की बहुत शुक्रगुज़ार हूँ कि उसने हमें इतना लाजवाब राजा दिया है, उसके राज में हम हमेशा तक खुशी से जीएँगे!

[तसवीर]

पश्‍चिम जर्मनी में अपनी बेटियों हैनालोर और सबीन के साथ

[तसवीर]

अपने बेटे बेनजमिन और बहू सैंड्रा के साथ