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उत्पत्ति की किताब

अध्याय

सारांश

  • 1

    • आकाश और पृथ्वी की सृष्टि (1, 2)

    • छ: दिन में पृथ्वी तैयार (3-31)

      • पहला दिन: उजाला; दिन-रात (3-5)

      • दूसरा दिन: खुली जगह (6-8)

      • तीसरा दिन: ज़मीन; पेड़-पौधे (9-13)

      • चौथा दिन: आसमान में ज्योतियाँ (14-19)

      • पाँचवाँ दिन: मछलियाँ और पक्षी (20-23)

      • छठा दिन: जानवर और इंसान (24-31)

  • 2

    • परमेश्‍वर सातवें दिन विश्राम करता है (1-3)

    • यहोवा ने आकाश और पृथ्वी बनायी (4)

    • अदन के बाग में आदमी और औरत (5-25)

      • आदमी मिट्टी से रचा गया (7)

      • ज्ञान के पेड़ से खाने की मनाही (15-17)

      • औरत की सृष्टि (18-25)

  • 3

    • इंसान के पाप की शुरूआत (1-13)

      • पहला झूठ (4, 5)

    • यहोवा बागियों को सज़ा सुनाता है (14-24)

      • औरत के वंश के बारे में भविष्यवाणी (15)

      • अदन से निकाला गया (23, 24)

  • 4

    • कैन और हाबिल (1-16)

    • कैन के वंशज (17-24)

    • शेत और उसका बेटा एनोश (25, 26)

  • 5

    • आदम से नूह तक की वंशावली (1-32)

      • आदम के बेटे-बेटियाँ हुए (4)

      • हनोक परमेश्‍वर के साथ चला (21-24)

  • 6

    • स्वर्गदूतों ने औरतों से शादी की (1-3)

    • नफिलीम पैदा हुए (4)

    • इंसान की बुराई से यहोवा दुखी (5-8)

    • नूह को जहाज़ बनाने का काम मिला (9-16)

    • जलप्रलय का ऐलान (17-22)

  • 7

    • जहाज़ के अंदर जाना (1-10)

    • सारी धरती पर जलप्रलय (11-24)

  • 8

    • जलप्रलय का पानी घटा (1-14)

      • फाख्ता बाहर भेजी गयी (8-12)

    • जहाज़ से बाहर निकलना (15-19)

    • धरती के बारे में परमेश्‍वर का वादा (20-22)

  • 9

    • सभी इंसानों के लिए निर्देश (1-7)

      • खून के बारे में कानून (4-6)

    • मेघ-धनुष का करार (8-17)

    • नूह के वंशजों के बारे में भविष्यवाणियाँ (18-29)

  • 10

    • जातियों की सूची (1-32)

      • येपेत के वंशज (2-5)

      • हाम के वंशज (6-20)

        • यहोवा का विरोधी निमरोद (8-12)

      • शेम के वंशज (21-31)

  • 11

    • बाबेल की मीनार (1-4)

    • यहोवा ने भाषा में गड़बड़ी की (5-9)

    • शेम से अब्राम तक की वंशावली (10-32)

      • तिरह का परिवार (27)

      • अब्राम ने ऊर छोड़ा (31)

  • 12

    • अब्राम हारान से कनान गया (1-9)

      • अब्राम से परमेश्‍वर का वादा (7)

    • अब्राम और सारै, मिस्र में (10-20)

  • 13

    • अब्राम कनान लौटा (1-4)

    • वह और लूत अलग हुए (5-13)

    • उससे दोबारा वादा किया गया (14-18)

  • 14

    • अब्राम ने लूत को छुड़ाया (1-16)

    • मेल्कीसेदेक ने अब्राम को आशीर्वाद दिया (17-24)

  • 15

    • अब्राम के साथ परमेश्‍वर का करार (1-21)

      • 400 साल के ज़ुल्म की भविष्यवाणी (13)

      • अब्राम से दोबारा वादा किया गया (18-21)

  • 16

    • हाजिरा और इश्‍माएल (1-16)

  • 17

    • अब्राहम जातियों का पिता बनेगा (1-8)

      • अब्राम को अब्राहम नाम दिया गया (5)

    • खतने का करार (9-14)

    • सारै को सारा नाम दिया गया (15-17)

    • बेटे इसहाक के जन्म का वादा (18-27)

  • 18

    • अब्राहम के पास 3 स्वर्गदूत आए (1-8)

    • सारा से बेटे का वादा; वह हँसी (9-15)

    • सदोम के लिए अब्राहम की फरियाद (16-33)

  • 19

    • लूत के पास स्वर्गदूत आए (1-11)

    • शहर छोड़ने के लिए कहा गया (12-22)

    • सदोम और अमोरा का नाश (23-29)

      • लूत की पत्नी नमक का खंभा बनी (26)

    • लूत और उसकी बेटियाँ (30-38)

      • मोआब और अम्मोन की शुरूआत (37, 38)

  • 20

    • सारा को अबीमेलेक से छुड़ाया गया (1-18)

  • 21

    • इसहाक का जन्म (1-7)

    • इश्‍माएल ने उसकी खिल्ली उड़ायी (8, 9)

    • हाजिरा और इश्‍माएल भेज दिए गए (10-21)

    • अबीमेलेक के साथ अब्राहम का करार (22-34)

  • 22

    • इसहाक की बलि करने के लिए कहा गया (1-19)

      • अब्राहम के वंश के ज़रिए आशीष (15-18)

    • रिबका का परिवार (20-24)

  • 23

    • सारा की मौत और उसकी कब्र (1-20)

  • 24

    • इसहाक के लिए पत्नी ढूँढ़ना (1-58)

    • रिबका, इसहाक से मिलने गयी (59-67)

  • 25

    • अब्राहम की दूसरी शादी (1-6)

    • अब्राहम की मौत (7-11)

    • इश्‍माएल के बेटे (12-18)

    • याकूब और एसाव का जन्म (19-26)

    • एसाव ने अपना अधिकार बेचा (27-34)

  • 26

    • इसहाक और रिबका गरार में (1-11)

      • परमेश्‍वर ने इसहाक से वादा पक्का किया (3-5)

    • कुओं को लेकर झगड़ा (12-25)

    • अबीमेलेक के साथ इसहाक का करार (26-33)

    • एसाव की दो हित्ती पत्नियाँ (34, 35)

  • 27

    • याकूब को मिला आशीर्वाद (1-29)

    • एसाव ने पश्‍चाताप नहीं किया (30-40)

    • याकूब से एसाव की दुश्‍मनी (41-46)

  • 28

    • याकूब को पद्दन-अराम भेजा गया (1-9)

    • बेतेल में याकूब का सपना (10-22)

      • परमेश्‍वर ने याकूब से वादा पक्का किया (13-15)

  • 29

    • याकूब, राहेल से मिला (1-14)

    • उसे राहेल से प्यार हो गया (15-20)

    • लिआ और राहेल से शादी की (21-29)

    • लिआ से चार बेटे हुए: रूबेन, शिमोन, लेवी और यहूदा (30-35)

  • 30

    • बिल्हा से दान और नप्ताली (1-8)

    • जिल्पा से गाद और आशेर (9-13)

    • लिआ से इस्साकार और जबूलून (14-21)

    • राहेल से यूसुफ (22-24)

    • याकूब के जानवर बढ़ गए (25-43)

  • 31

    • याकूब कनान के लिए निकला (1-18)

    • लाबान, याकूब के पास पहुँचा (19-35)

    • लाबान के साथ याकूब का करार (36-55)

  • 32

    • स्वर्गदूत, याकूब से मिले (1, 2)

    • एसाव से मिलने की तैयारी (3-23)

    • याकूब स्वर्गदूत से कुश्‍ती लड़ा (24-32)

      • याकूब को इसराएल नाम दिया गया (28)

  • 33

    • याकूब, एसाव से मिला (1-16)

    • याकूब शेकेम गया (17-20)

  • 34

    • दीना का बलात्कार (1-12)

    • याकूब के बेटों की चाल (13-31)

  • 35

    • याकूब ने मूर्तियाँ फेंकीं (1-4)

    • याकूब बेतेल लौटा (5-15)

    • बिन्यामीन का जन्म; राहेल की मौत (16-20)

    • इसराएल के 12 बेटे (21-26)

    • इसहाक की मौत (27-29)

  • 36

    • एसाव के वंशज (1-30)

    • एदोम के राजा और शेख (31-43)

  • 37

    • यूसुफ के सपने (1-11)

    • यूसुफ से जलनेवाले भाई (12-24)

    • यूसुफ को बेच दिया गया (25-36)

  • 38

    • यहूदा और तामार (1-30)

  • 39

    • यूसुफ, पोतीफर के घर में (1-6)

    • पोतीफर की पत्नी का विरोध किया (7-20)

    • यूसुफ जेल में (21-23)

  • 40

    • कैदियों के सपनों का मतलब (1-19)

      • “सपनों का मतलब सिर्फ परमेश्‍वर समझा सकता है” (8)

    • फिरौन के जन्मदिन की दावत (20-23)

  • 41

    • फिरौन के सपनों का मतलब (1-36)

    • यूसुफ को ऊँचा उठाया गया (37-46क)

    • अनाज बाँटने की ज़िम्मेदारी मिली (46ख-57)

  • 42

    • यूसुफ के भाई मिस्र गए (1-4)

    • यूसुफ उनसे मिला; उन्हें परखा (5-25)

    • उसके भाई याकूब के पास लौटे (26-38)

  • 43

    • यूसुफ के भाई दोबारा मिस्र गए (1-14)

    • यूसुफ उनसे दोबारा मिला (15-23)

    • उनके साथ दावत की (24-34)

  • 44

    • यूसुफ का चाँदी का प्याला (1-17)

    • बिन्यामीन के लिए मिन्‍नत (18-34)

  • 45

    • यूसुफ ने अपनी पहचान बतायी (1-15)

    • उसके भाई याकूब को लाने लौटे (16-28)

  • 46

    • याकूब का घराना मिस्र में बसा (1-7)

    • मिस्र में बसनेवालों के नाम (8-27)

    • यूसुफ, याकूब से गोशेन में मिला (28-34)

  • 47

    • याकूब, फिरौन से मिला (1-12)

    • यूसुफ ने बुद्धिमानी से प्रशासन चलाया (13-26)

    • इसराएल, गोशेन में बस गया (27-31)

  • 48

    • यूसुफ के दो बेटों को आशीर्वाद (1-12)

    • एप्रैम को ज़्यादा आशीर्वाद मिला (13-22)

  • 49

    • याकूब की भविष्यवाणी (1-28)

      • शीलो, यहूदा से निकलेगा (10)

    • अपने दफनाए जाने के बारे में निर्देश (29-32)

    • याकूब की मौत (33)

  • 50

    • यूसुफ ने उसे कनान में दफनाया (1-14)

    • यूसुफ ने उन्हें माफ करने का भरोसा दिलाया (15-21)

    • उसके आखिरी दिन; उसकी मौत (22-26)

      • अपनी हड्डियों के बारे में आज्ञा (25)