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यहोशू की किताब

अध्याय

सारांश

  • 1

    • यहोवा ने यहोशू की हिम्मत बाँधी (1-9)

      • कानून धीमी आवाज़ में पढ़ना (8)

    • यरदन पार करने की तैयारियाँ (10-18)

  • 2

    • यहोशू ने दो जासूस यरीहो भेजे (1-3)

    • राहाब ने जासूसों को छिपाया (4-7)

    • राहाब से किया वादा (8-21क)

      • लाल रस्सी एक निशानी (18)

    • जासूस, यहोशू के पास लौट आए (21ख-24)

  • 3

    • इसराएल ने यरदन पार की (1-17)

  • 4

    • ये पत्थर याद दिलाएँगे (1-24)

  • 5

    • गिलगाल में खतना (1-9)

    • फसह मनाया गया; मन्‍ना मिलना बंद (10-12)

    • यहोवा की सेना का प्रधान (13-15)

  • 6

    • यरीहो की शहरपनाह का गिरना (1-21)

    • राहाब और उसका परिवार बख्शा गया (22-27)

  • 7

    • ऐ में इसराएल की हार (1-5)

    • यहोशू की प्रार्थना (6-9)

    • पाप की वजह से हार हुई (10-15)

    • आकान का परदाफाश; मार डाला गया (16-26)

  • 8

    • यहोशू, ऐ के खिलाफ घात बिठाता है (1-13)

    • ऐ पर कब्ज़ा (14-29)

    • एबाल पहाड़ पर कानून पढ़ा गया (30-35)

  • 9

    • होशियार गिबोनियों ने शांति चाही (1-15)

    • उनकी चाल का परदाफाश (16-21)

    • वे लकड़ियाँ बीनेंगे और पानी भरेंगे (22-27)

  • 10

    • इसराएल ने गिबोन की रक्षा की (1-7)

    • यहोवा इसराएल की तरफ से लड़ा (8-15)

      • भागते दुश्‍मनों पर ओले बरसे (11)

      • सूरज थम गया (12-14)

    • हमला करनेवाले पाँच राजा मारे गए (16-28)

    • दक्षिणी शहरों पर कब्ज़ा (29-43)

  • 11

    • उत्तरी शहरों पर कब्ज़ा (1-15)

    • यहोशू ने इलाके जीते (16-23)

  • 12

    • यरदन के पूरब में राजाओं की हार (1-6)

    • यरदन के पश्‍चिम में राजाओं की हार (7-24)

  • 13

    • देश पर कब्ज़ा करना अब भी बाकी (1-7)

    • यरदन के पूर्वी इलाके का बँटवारा (8-14)

    • रूबेन की विरासत (15-23)

    • गाद की विरासत (24-28)

    • पूरब में मनश्‍शे की विरासत (29-32)

    • यहोवा लेवियों की विरासत (33)

  • 14

    • यरदन के पश्‍चिमी इलाके का बँटवारा (1-5)

    • कालेब को हेब्रोन मिला (6-15)

  • 15

    • यहूदा की विरासत (1-12)

    • कालेब की बेटी को इलाका मिला (13-19)

    • यहूदा के शहर (20-63)

  • 16

    • यूसुफ के वंशजों की विरासत (1-4)

    • एप्रैम की विरासत (5-10)

  • 17

    • पश्‍चिम में मनश्‍शे की विरासत (1-13)

    • यूसुफ के वंशजों को और ज़मीन मिली (14-18)

  • 18

    • बाकी ज़मीन का बँटवारा शीलो में (1-10)

    • बिन्यामीन की विरासत (11-28)

  • 19

    • शिमोन की विरासत (1-9)

    • जबूलून की विरासत (10-16)

    • इस्साकार की विरासत (17-23)

    • आशेर की विरासत (24-31)

    • नप्ताली की विरासत (32-39)

    • दान की विरासत (40-48)

    • यहोशू की विरासत (49-51)

  • 20

    • शरण नगर (1-9)

  • 21

    • लेवियों को दिए शहर (1-42)

      • हारून के वंशजों को (9-19)

      • बाकी कहातियों को (20-26)

      • गेरशोनियों को (27-33)

      • मरारियों को (34-40)

    • यहोवा के वादे पूरे हुए (43-45)

  • 22

    • पूरब से आए गोत्र घर लौटे (1-8)

    • यरदन के पास वेदी बनी (9-12)

    • वेदी का मकसद समझाया गया (13-29)

    • झगड़ा निपटाया गया (30-34)

  • 23

    • अगुवों को यहोशू के आखिरी शब्द (1-16)

      • यहोवा का एक भी वादा बिना पूरा हुए नहीं रहा (14)

  • 24

    • यहोशू ने इसराएल का इतिहास दोहराया (1-13)

    • यहोवा की सेवा करने का बढ़ावा दिया (14-24)

      • “मैंने और मेरे घराने ने ठान लिया है कि हम यहोवा की सेवा करेंगे” (15)

    • इसराएल के साथ यहोशू का करार (25-28)

    • यहोशू की मौत और उसे दफनाना (29-31)

    • यूसुफ की हड्डियाँ शेकेम में दफनायीं (32)

    • एलिआज़र की मौत और उसे दफनाना (33)