इस जानकारी को छोड़ दें

विषय-सूची को छोड़ दें

थिस्सलुनीकियों के नाम पहली चिट्ठी

अध्याय

1 2 3 4 5

सारांश

  • 1

    • नमस्कार (1)

    • थिस्सलुनीकियों के विश्‍वास के लिए धन्यवाद (2-10)

  • 2

    • थिस्सलुनीके में पौलुस का प्रचार काम (1-12)

    • थिस्सलुनीकियों ने संदेश स्वीकार किया (13-16)

    • पौलुस उन्हें देखने के लिए तरसता है (17-20)

  • 3

    • पौलुस एथेन्स में इंतज़ार करते हुए बड़ी चिंता में (1-5)

    • तीमुथियुस की खबर से दिलासा (6-10)

    • थिस्सलुनीकियों के लिए प्रार्थना (11-13)

  • 4

    • नाजायज़ यौन-संबंधों के खिलाफ चेतावनी (1-8)

    • एक-दूसरे से और भी ज़्यादा प्यार करो (9-12)

      • ‘अपने काम से काम रखो’ (11)

    • जो मसीह में मर चुके हैं वे पहले ज़िंदा होंगे (13-18)

  • 5

    • यहोवा का दिन आ रहा है (1-5)

      • “शांति और सुरक्षा है!” (3)

    • जागते रहो, होश-हवास बनाए रखो (6-11)

    • सलाह (12-24)

    • आखिर में नमस्कार (25-28)