इस जानकारी को छोड़ दें

विषय-सूची को छोड़ दें

पतरस की पहली चिट्ठी

अध्याय

1 2 3 4 5

सारांश

  • 1

    • नमस्कार (1, 2)

    • एक नया जन्म ताकि पक्की आशा मिले (3-12)

    • आज्ञा माननेवाले बच्चों की तरह पवित्र बनो (13-25)

  • 2

    • वचन के लिए ज़बरदस्त भूख पैदा करो (1-3)

    • जीवित पत्थरों से भवन बनता है (4-10)

    • दुनिया में परदेसियों की तरह जीना (11, 12)

    • सही तरह की अधीनता (13-25)

      • मसीह हमारा आदर्श (21)

  • 3

    • पत्नी और पति (1-7)

    • एक-दूसरे का दर्द महसूस करो; शांति की खोज करो (8-12)

    • नेकी की खातिर दुख उठाना (13-22)

      • अपनी आशा की पैरवी करने के लिए तैयार रहो (15)

      • बपतिस्मा और साफ ज़मीर (21)

  • 4

    • मसीह की तरह परमेश्‍वर की मरज़ी पूरी करने के लिए जीओ (1-6)

    • सब बातों का अंत पास आ गया है (7-11)

    • मसीही होने की वजह से दुख उठाना (12-19)

  • 5

    • चरवाहों की तरह परमेश्‍वर के झुंड की देखभाल करो (1-4)

    • नम्र बनो और चौकन्‍ने रहो (5-11)

      • अपनी चिंताओं का बोझ परमेश्‍वर पर डाल दो (7)

      • शैतान गरजते शेर की तरह है (8)

    • आखिरी शब्द (12-14)