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उठूँगी फिर से

उठूँगी फिर से
  1. 1. ये खालीपन अंदर मेरे सहा न जाए।

    गलती का एहसास, हाँ है मुझे।

    रोते हुए दिल को, बहलाऊँ कैसे मैं,

    चाहती हूँ वो हों साथ, जो हैं मेरे।

    (कोरस)

    जो बातें थीं मैंने सीखी, तुझसे यहोवा

    हैं अब भी मेरे दिल में, ज़हन में।

    हाँ चाहे ठोकर खाऊँ, चाहे गिर जाऊँ,

    उठूँगी फिर से।

  2. 2. वो जो करते परवाह मेरी,

    जो करते मुझसे प्यार,

    ऐसे हैं जो याह से करते प्यार।

    तेरा वचन है दीप, जो रौशन करता है वो राह,

    जो मुझको लाएगा तेरे करीब।

    (खास पंक्‍तियाँ)

    जहाँ भी मैं हूँ, जो भी मैं करूँ, याद आता है मुझे,

    है अंत कितना करीब।

    (कोरस)

    हे यहोवा सुन मेरे ये दिल की पुकार,

    बस माँगूँ तुझसे, कर मदद मेरी।

    तू जाने कि चाहे मैं गिर भी जाऊँ,

    उठूँगी फिर से।

    (खास पंक्‍तियाँ)

    हाँ है यहोवा को पता, हो जाती है मुझसे खता।

    वो जाने मेरी खामी और खूबियाँ भी मेरी,

    ढूँढ़े पर वो भलाई ही।

    (कोरस)

    जाऊँगी वापस मैं उस जगह, जहाँ हो याह का प्यार,

    है मेरी जगह, हाँ वहीं।

    और चाहे ठोकर खाऊँ, चाहे गिर जाऊँ, उठूँगी फिर से,

    उठूँगी फिर से।