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मैं करता भरोसा मज़बूत

मैं करता भरोसा मज़बूत
  1. 1. जैसे पेड़ों की जड़ गहरी

    तेरी बातें उतरें

    मेरे दिल की गहराई में, मिला तब मुझको चैन

    अब जो चाहे हो जाए

    मेरे दिल में ये बातें

    बढ़ावा देती हैं मानो मुझसे कहती हों

    (प्री-कोरस)

    डर मत, बढ़ आगे

    थामे रख याह की बातें।

    (कोरस)

    चाहे जो हो, वचन तेरा

    देता है ताकत सहने की

    मैं करता भरोसा मज़बूत तुझपे ही हे याह।

  2. 2. जब ये जग खीचें मुझे

    सच्चाई की इस राह से

    तू ही है आसरा मेरा हमेशा से

    इत्मीनान से गर सोचें

    लिखी बातों को पढ़के

    दिखाएँगी ये राह हमको मानो कहती हों

    (प्री-कोरस)

    डर मत, बढ़ आगे

    थामे रख याह की बातें

    मुश्‍किलों के आगे जीत

    होगी, हाँ होकर रहेगी

    (कोरस)

    चाहे जो हो, वचन तेरा

    देता है ताकत सहने की

    मैं करता भरोसा मज़बूत तुझपे ही हे याह

    हे याह।

    (प्री-कोरस)

    डर मत, बढ़ आगे

    थामे रख याह की बातें

    मुश्‍किलों के आगे जीत

    होगी, हाँ होकर रहेगी।

    (कोरस)

    चाहे जो हो, वचन तेरा

    देता है ताकत सहने की

    मैं करता भरोसा मज़बूत तुझपे ही हे याह।