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करते रहो मेहमान-नवाज़ी

करते रहो मेहमान-नवाज़ी
  1. 1. चाहे हो बस नाश्‍ता, चाय या कॉफी

    खेलें-कूदें या हों बस बातें,

    यहोवा ने ही दी हैं ये सारी चीज़ें

    ताकि हम भी सीखें।

    (कोरस)

    करते रहो मेहमान-नवाज़ी

    याह की तरह बनो।

    लोगों में भेद-भाव करना ना कभी

    याह जैसा प्यार अपना हो।

  2. 2. जिस घर में हम हैं रहते वो भी याह ने दिया है

    इसलिए मेहमानों का करना है स्वागत।

    खुले दिल से जब हम देते तो मिलती आशीष

    चलो हम भी सीखें।

    (कोरस)

    करते रहो मेहमान-नवाज़ी

    याह की तरह बनो।

    लोगों में भेद-भाव करना ना कभी

    याह जैसा प्यार अपना हो।

    (खास पंक्‍तियाँ)

    जब आ पड़ती हैं आफतें

    हो जाते हैं निराश।

    ज़रूरतमंदों की परवाह

    करनी है हमें।

    क्यों ना अपने घर में लेकर उन्हें दें पनाह

    याह के जैसे ही।

    (कोरस)

    करते रहो मेहमान-नवाज़ी

    याह की तरह बनो।

    लोगों में भेद-भाव करना ना कभी

    याह जैसा प्यार अपना हो।

    याह जैसा प्यार अपना हो।

    याह जैसा प्यार अपना हो।