दो छोटे सिक्के
1. लाई साथ वो, बस दो छोटे सिक्के,
हर कोई, साथ अपने लाया कई खास तोहफे।
सेह-मी सी वो, मन में सोचा होगा ये:
‘क्या उसे होगा नाज़, मेरे दो छोटे सिक्कों पे?’
(कोरस)
याह की नज़र से,
देखूँ अगर मैं,
है मंज़ूर उसको तोहफा ये।
दिल में है ठाना जो वो खुशी से हम दें,
चाहे हो वो बस दो सिक्के,
दिल से दें!
2. वो दौर है याद, जब था दम और भी मुझ में
वो दिन भी थे क्या!
हो सुबह या शाम, कदम ना रुकते!
जवानी जैसा, वो दमख़म अब ना रहा,
फिर भी यहोवा को
कबूल है मेरा हर एक तोहफा।
(कोरस)
याह की नज़र से,
देखूँ अगर मैं,
है मंज़ूर उसको तोहफा ये।
दिल में है ठाना जो वो खुशी से हम दें,
चाहे हो वो बस दो सिक्के,
दिल से दें!
(खास पंक्तियाँ)
वो झाँके दिल की
गहराइयों में।
हम से भी बेहतर वो जाने हमें,
खूबियाँ वो देखे।
(कोरस)
अ-गर हम देखें
याह की नज़रों से
है मंज़ूर उसको तोहफे ये।
मन में है ठाना जो वो खुशी से हम दें,
चाहे वो हों बस दो सिक्के,
दिल से दें!
याह की नज़रों से देखें हम!