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पोर्नोग्राफी—सिर्फ एक मनबहलाव या इसमें कोई खतरा है?

पोर्नोग्राफी—सिर्फ एक मनबहलाव या इसमें कोई खतरा है?

बाइबल का दृष्टिकोण

पोर्नोग्राफी—सिर्फ एक मनबहलाव या इसमें कोई खतरा है?

सन्‌ 1850 के आस-पास जब पुरातत्वविज्ञानियों ने प्राचीन शहर पॉम्पेई के खंडहरों की खुदाई की, तो वहाँ से मिली चीज़ों को देखकर उनके होश उड़ गए। बहुत-सी सुंदर लेप-चित्रों और कलाकृतियों के अलावा, उनमें लैंगिक कामों को खुलकर दिखानेवाले अनेक चित्र और मूर्तियाँ थीं। बेहयाई और बेहूदगी के उस दृश्‍य से घिन खाकर अधिकारियों ने उन्हें गुप्त म्यूज़ियम में रख दिया। उन्होंने उन नग्न कलाकृतियों को एक खास वर्ग में डालते हुए उसे एक नाम दिया, “पोर्नोग्राफी।” यह यूनानी शब्द पॉर्नी और ग्राफोस से लिया गया है, जिसका मतलब है, “वेश्‍याओं के बारे में लिखना।” आज पोर्नोग्राफी का मतलब है, किताबों, तसवीरों, मूर्तियों, फिल्मों वगैरह में कामुक कार्यों के बारे में बताना या दिखाना, जिसका मकसद होता है लैंगिक इच्छाओं को जगाना।

इन दिनों, पोर्नोग्राफी दुनिया के कोने-कोने में फैल गयी है। ऐसा लगता है कि आज समाज के ज़्यादातर लोग इसे बुरा नहीं मानते। एक समय था, जब पोर्नोग्राफी सिर्फ बदनाम सिनेमाघरों और वेश्‍यावृत्ति की जगहों में पाया जाता था, मगर अब इसने कई समाजों में अपनी एक खास और ऊँची जगह बना ली है। अमरीका को ही लीजिए, वह अकेले हर साल अश्‍लील तसवीरें और जानकारी तैयार करने में करीब 500 अरब रुपयों से भी ज़्यादा खर्च करता है!

इसे पसंद करनेवाले कुछ लोगों का कहना है कि अश्‍लील साहित्य और तसवीरें देखने से बेमज़ा शादी-शुदा ज़िंदगी में रंग भर जाता है। एक लेखिका कहती है: “यह हमारे खयालों को उत्तेजित करती है। यह लैंगिक संबंधों का मज़ा लेने के बारे में हिदायतें देती है।” दूसरे दावा करते हैं कि इससे लैंगिक मामलों के बारे में साफ-साफ और खुलकर बात करने का हौसला मिलता है। लेखिका वेन्डी मकैलरॉय दावा करती है कि “पोर्नोग्राफी से स्त्रियों को फायदा होता है।”

लेकिन सभी लोग इससे सहमत नहीं होते। अकसर देखा गया है कि पोर्नोग्राफी की वजह से तरह-तरह के खतरनाक अंजाम हुए हैं और लोगों में गलत रवैए पैदा हुए हैं। कुछ लोगों का कहना है कि पोर्नोग्राफी की वजह से, बच्चों और स्त्रियों के साथ बलात्कार, साथ ही दूसरी कई तरह की हिंसाएँ होती हैं। कई लोगों की हत्या करनेवाला एक बदनाम खूनी, टॆड बन्डी कबूल करता है कि उसे “क्रूर और भयंकर किस्म की पोर्नोग्राफी देखने की हवस थी।” वह कहता है: “जब एक इंसान को ऐसी हवस होती है, तो उसे अपनी इस स्थिति का एहसास नहीं होता और वह भाँप नहीं पाता कि यह कितनी गंभीर समस्या है। . . . लेकिन उसकी यही दिलचस्पी . . . आगे जाकर उसे ऐसे लैंगिक काम करने के लिए उकसाती है जिसमें हिंसा शामिल होती है। मैं एक बार फिर कहता हूँ कि ऐसी हवस बस दो-चार दिन में पैदा नहीं होती बल्कि यह धीरे-धीरे बढ़ती है।”

पोर्नोग्राफी को लेकर इस तरह की बहस चलती रही है, साथ ही हर कहीं इसके साहित्य की भरमार है। तो यह देखते हुए शायद आप सोचें, ‘क्या बाइबल इस मामले में कुछ रोशनी डालती है?’

बाइबल लैंगिक संबंधों के बारे में साफ-साफ बताती है

बाइबल, लैंगिक मामलों के बारे में साफ-साफ और बेझिझक जानकारी देती है। (व्यवस्थाविवरण 24:5; 1 कुरिन्थियों 7:3,4) सुलैमान ने सलाह दी, “अपनी जवानी की पत्नी के साथ आनन्दित रह, . . . उसके स्तन सर्वदा तुझे संतुष्ट रखे।” (नीतिवचन 5:18,19) यहाँ लैंगिक संबंधों के बारे में बिलकुल साफ सलाह और मार्गदर्शन दिया गया है और इनकी हदों के बारे में भी बताया गया है। शादी के बंधन के बाहर किसी पराए के साथ लैंगिक संबंध रखना सख्त मना है। साथ ही, सब प्रकार के घिनौने और विकृत लैंगिक कार्यों की भी बाइबल में साफ मनाही की गयी है।—लैव्यव्यवस्था 18:22,23; 1 कुरिन्थियों 6:9; गलतियों 5:19.

यहाँ तक कि शादी के बंधन में भी, नियंत्रण और आदर दिखाना ज़रूरी है। प्रेरित पौलुस ने लिखा, “विवाह सब में आदर की बात समझी जाए, और बिछौना निष्कलंक रहे।” (इब्रानियों 13:4) तो देखिए पोर्नोग्राफी का मकसद और संदेश, इस सलाह के कितने उलट है।

पोर्नोग्राफी लैंगिक संबंधों के बारे में गलत नज़रिया पैदा करती है

विवाह एक पवित्र बंधन है। इसमें स्त्री-पुरुष के बीच लैंगिक संबंध उनके प्यार का सबूत है जो बहुत ही खूबसूरत और निजी होता है। मगर इसके विपरीत पोर्नोग्राफी, लैंगिक कार्यों की गरिमा को घटाकर इसके बारे में लोगों में गलत धारणा कायम करती है। पोर्नोग्राफी यह दिखाती है कि बेपरवाही और बेहूदगी से किए गए सेक्स उत्तेजक होते हैं और उससे बड़ा आनंद मिलता है। और यह दूसरे की भावनाओं का ज़रा-भी लिहाज़ न करते हुए अपनी हवस पूरी करने पर ज़ोर देती है।

पोर्नोग्राफी में दिखाया जाता है कि स्त्री, पुरुष और बच्चे सिर्फ लैंगिक वासना पूरी करने का एक साधन हैं। एक रिपोर्ट के मुताबिक, “डील-डौल के बिनाह पर ही खूबसूरती मापी जाती है, यह ऐसी चाहत है जिसका हकीकत से कोई लेना-देना नहीं।” एक दूसरी रिपोर्ट कहती है, “स्त्रियों को ऐसे पेश किया जाता है, मानो उसका कोई वजूद नहीं, हमेशा चाहनेवाली/तैयार रहनेवाली, पुरुषों के लिए सिर्फ एक सॆक्स खिलौना है, पैसे या मनोरंजन के लिए अपने कपड़े उतारने और बदन की नुमाइश करने के लिए तैयार है। जब स्त्रियों को इस तरह से दर्शाया जाता है, तो भला उन्हें बराबरी का दर्जा, इज़्ज़त, दया और हमदर्दी कैसे मिल सकती है।”

मगर दूसरी तरफ पौलुस लिखता है, प्रेम “अनुचित व्यवहार कभी नहीं करता। वह स्वार्थी नहीं है।” (1 कुरिन्थियों 13:5, ईज़ी-टू-रीड वर्शन) बाइबल, पुरुषों को सलाह देती है कि वे ‘अपनी पत्नी से अपनी देह के समान प्रेम रखें’ और ‘उसका आदर करें,’ न कि उसे सिर्फ लैंगिक प्यास बुझानेवाला एक साधन समझें। (इफिसियों 5:28; 1 पतरस 3:7) एक इंसान चाहे स्त्री हो या पुरुष, अगर नियमित रूप से दूसरे इंसानों के लैंगिक कामों की गंदी तसवीरें देखता है तो क्या यह अनुचित व्यवहार नहीं है? क्या ऐसा शख्स वाकई आदर और सम्मान दिखा रहा है? प्रेम की भावना बढ़ाने के बजाय पोर्नोग्राफी, लोगों में खुदगर्ज़ी और स्वार्थ की भावना पैदा करती है।

इस मामले में एक और पहलू गौर करने लायक है। जिस तरह गलत किस्म की उत्तेजनाएँ शुरू-शुरू में ज़बरदस्त होती हैं, मगर जल्द ही फीकी और नीरस हो जाती हैं, पोर्नोग्राफी के मामले में भी यह बिलकुल सच है। एक लेखक कहता है, “कुछ समय बाद [पोर्नोग्राफी देखनेवालों] को और भी गंदी और भद्दी तसवीरें देखने की ललक पैदा होती है . . . वे अपने साथियों पर और ज़्यादा बेहूदा तरीके से लैंगिक संबंध रखने का दबाव डालते हैं . . . . इससे वह [खुद] अपने साथी को सच्चा प्यार दिखाने से चूक जाते हैं।” तो क्या आपको लगता है कि पोर्नोग्राफी सिर्फ एक मनबहलाव है और इसमें कोई खतरा नहीं? लेकिन पोर्नोग्राफी से दूर रहने का एक और भी अहम कारण है।

कामुकता के बारे में बाइबल का नज़रिया

हालाँकि बहुत-से लोग सोचते हैं कि लैंगिक कामों का बढ़ावा देनेवाले साहित्य पढ़ने या देखने में कोई हर्ज़ या खतरा नहीं है, मगर बाइबल इससे सहमत नहीं। वह साफ बताती है कि हम जिन बातों से अपना दिमाग भरते हैं और जो काम करते हैं, उनका एक-दूसरे से गहरा ताल्लुक होता है। मसीही शिष्य, याकूब कहता है, “प्रत्येक व्यक्‍ति अपनी ही अभिलाषा से खिंचकर, और फंसकर परीक्षा में पड़ता है। फिर अभिलाषा गर्भवती होकर पाप को जनता है।” (याकूब 1:14,15) यीशु ने कहा: “मैं तुम से यह कहता हूं, कि जो कोई किसी स्त्री पर कुदृष्टि डाले वह अपने मन में उस से व्यभिचार कर चुका।”—मत्ती 5:28.

याकूब और यीशु दोनों ने ठीक ही बताया कि इंसान के मन में जैसी अभिलाषा होती है, वह उसी के मुताबिक काम करता है। दरअसल, वह उन अभिलाषाओं के बारे में लगातार सोचता रहता है और इससे उस पर उनका जुनून सवार हो जाता है। और एक बार जब किसी चीज़ का जुनून सवार हो जाए, तो उस पर काबू पाना लगभग नामुमकिन होता है। आखिर में यही जुनून उसे वह काम करने के लिए मजबूर कर देता है। इसलिए जैसी बातें हम अपने दिलो-दिमाग में भरते हैं, उसका आगे चलकर हमारे कामों पर ज़बरदस्त असर पड़ सकता है।

लैंगिक बातों की सनक परमेश्‍वर की उपासना के लिए भी बाधा खड़ी कर सकती है। इसीलिए पौलुस ने लिखा: “अपने उन अंगों को मार डालो, . . . अर्थात्‌ व्यभिचार, अशुद्धता, दुष्कामना [“लैंगिक भूख,” NW], बुरी लालसा और लोभ को जो मूर्त्ति पूजा के बराबर है।”—कुलुस्सियों 3:5.

पौलुस यहाँ लैंगिक भूख को, लोभ के बराबर का ही दर्जा देता है, जिसका अर्थ है जो आपके पास नहीं है, उसे हासिल करने के पीछे बावला होना। * लोभ की तुलना मूर्ति-पूजा से की गयी है। क्यों? क्योंकि एक लोभी व्यक्‍ति जिस चीज़ की अभिलाषा करता है, उस चीज़ को वह सबसे ज़्यादा अहमियत देता है, परमेश्‍वर से भी ज़्यादा। पोर्नोग्राफी, इंसान में ऐसी चीज़ के लिए वासना भड़काती है जो उसके पास नहीं होती। धर्म के एक लेखक ने लिखा, “आप चाहते हैं कि आपकी ज़िंदगी में भी इसी तरह के लैंगिक काम हों। . . . अपनी काम वासना पूरी करने के सिवाय आपको कुछ और नहीं सूझता, जिन्हें आप कभी शांत नहीं कर सकते। . . . हमें जिस चीज़ की वासना होती है हम उसी की पूजा करने लगते हैं।”

पोर्नोग्राफी भ्रष्ट करती है

बाइबल आग्रह करती है, “जो जो बातें पवित्र हैं, और जो जो बातें सुहावनी हैं, और जो जो बातें मनभावनी हैं, निदान, जो जो सद्‌गुण . . . की बातें हैं उन्हीं पर ध्यान लगाया करो।” (फिलिप्पियों 4:8) जो इंसान, अपनी आँखों और मन को पोर्नोग्राफी से भरता है, वह पौलुस की सलाह को ठुकराता है। पोर्नोग्राफी में बिलकुल शालीनता नहीं क्योंकि यह बड़ी बेहयाई से इंसान के सबसे गुप्त और निजी काम को जनता के सामने उजागर करती है। यह घिनौनी है क्योंकि यह इंसान को एकदम गिरा हुआ और हैवान बना देती है। इसमें प्रेम नहीं क्योंकि यह न तो कोमलता और न ही परवाह दिखाती है। यह सिर्फ स्वार्थ और काम वासना को बढ़ावा देती है।

पोर्नोग्राफी, अनैतिक और कामुक कार्यों को इतना खुलकर और बेशर्मी से प्रदर्शित करती है कि “बुराई से बैर” करने के एक मसीही के इरादे को कमज़ोर कर देती है या फिर उसकी कोशिश को पूरी तरह से नाकाम कर देती है। (आमोस 5:15) यह पाप के काम करने का बढ़ावा देती है और उस प्रोत्साहन के बिलकुल खिलाफ है जो पौलुस ने इफिसियों को दिया था कि “जैसा पवित्र लोगों के योग्य है, वैसा तुम में व्यभिचार, और किसी प्रकार अशुद्ध काम, या लोभ की चर्चा तक न हो। और न निर्लज्जता, . . . न ठट्ठे [“अश्‍लील मज़ाक,” नयी हिन्दी बाइबिल] की, क्योंकि ये बातें सोहती नहीं।”—इफिसियों 5:3,4.

जी हाँ, पोर्नोग्राफी खतरे से खाली नहीं। यह दूसरों का नाजायज़ फायदा उठाना सिखाती है और इंसान की सोच को भ्रष्ट करती है। पति-पत्नी के बीच होनेवाले निजी लैंगिक संबंधों को पोर्नोग्राफी गलत तरीके से और खुलकर किताबों वगैरह में पेश करती है जिससे रिश्‍ते बरबाद हो सकते हैं। यह इंसान के दिमाग में ज़हर घोलती और उसकी आध्यात्मिकता को तबाह कर देती है। यह इंसान को स्वार्थी और लालची बनने के लिए उकसाती है और उसे यह नज़रिया रखना सिखाती है कि दूसरे इंसान उसकी कामुक इच्छा पूरी करने का सिर्फ एक साधन हैं। यह अच्छे काम करने और शुद्ध विवेक हासिल करने के इंसान की कोशिश को नाकाम कर देती है। और सबसे महत्त्वपूर्ण बात, यह परमेश्‍वर के साथ आध्यात्मिक रिश्‍ते में दरार डाल सकती है, यहाँ तक कि उस रिश्‍ते को पूरी तरह तबाह कर सकती है। (इफिसियों 4:17-19) सचमुच, पोर्नोग्राफी ऐसी महामारी है जिससे बचकर रहना चाहिए।—नीतिवचन 4:14,15.(g02 7/8)

[फुटनोट]

^ अपने शादी-शुदा साथी के साथ लैंगिक संबंध रखने की इच्छा बिलकुल सामान्य बात है, मगर पौलुस यहाँ ऐसी लैंगिक भूख की बात नहीं कर रहा।

[पेज 20 पर तसवीर]

पोर्नोग्राफी विपरीत लिंग के बारे में एक व्यक्‍ति का नज़रिया बिगाड़ देती है