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क्या ज़िंदगी की डोर ऊपरवाले के हाथ में है?

क्या ज़िंदगी की डोर ऊपरवाले के हाथ में है?

बाइबल क्या कहती है?

क्या ज़िंदगी की डोर ऊपरवाले के हाथ में है?

बहुत-से लोगों का मानना है कि उनकी ज़िंदगी और उनका भविष्य एक अलौकिक शक्‍ति ने पहले से मुकर्रर कर दिया है। उनका कहना है कि ऊपरवाले ने उनकी ज़िंदगी की किताब पहले से ही लिख दी है और जन्म से लेकर मौत तक वे उसी के मुताबिक चलते हैं। और दलील देते हैं कि ‘इसमें ताज्जुब नहीं क्योंकि वह तो सर्वशक्‍तिमान और सर्वज्ञानी है। उसे हमारे बीते कल, आज और भविष्य के बारे में एक-एक बात की खबर है।’

इस बारे में आपका क्या खयाल है? क्या परमेश्‍वर वाकई हमारी ज़िंदगी और भविष्य पहले से मुकर्रर कर देता है? दूसरी तरफ, क्या परमेश्‍वर ने हमें आज़ाद मरज़ी दी है या यह सिर्फ कहने की बात है? इस बारे में बाइबल क्या कहती है?

भविष्य जानने की काबिलीयत का इस्तेमाल सिर्फ ज़रूरत में

बाइबल साफ बताती है कि परमेश्‍वर भविष्य जानने या देखने की काबिलीयत रखता है। यशायाह 46:10 कहता है कि वह “अन्त की बात आदि से” जानता है। यहाँ तक कि उसने कई भविष्यवाणियाँ इंसानों से लिखवायीं। (2 पतरस 1:21) और ये भविष्यवाणियाँ हमेशा सच हुई हैं, क्योंकि परमेश्‍वर में ऐसी बुद्धि और ताकत है कि वह भविष्यवाणी की हर छोटी-से-छोटी बात पूरी करा सकता है। इससे हमें पता चलता है कि परमेश्‍वर घटनाओं को न सिर्फ पहले से जान लेता है, बल्कि अगर वह चाहे तो उन घटनाओं को लिखवा भी सकता है। तो क्या इसका मतलब यह है कि परमेश्‍वर ने हर इंसान का भविष्य भी लिखा है, यहाँ तक कि वह कुल संख्या भी कि कितने लोगों का उद्धार होगा? बाइबल के मुताबिक यह सही नहीं है।

बाइबल सिखाती है कि परमेश्‍वर हर मामले में अपनी इस काबिलीयत का इस्तेमाल नहीं करता। मिसाल के लिए, परमेश्‍वर ने भविष्यवाणी की है कि जब इस दुष्ट संसार का विनाश होगा, तब धर्मी लोगों की एक “बड़ी भीड़” बच निकलेगी। (प्रकाशितवाक्य 7:9,14) गौर कीजिए, परमेश्‍वर ने यह नहीं बताया है कि उस बड़ी भीड़ में कितने लोग होंगे। वह क्यों? क्योंकि उसने बचनेवाले इंसानों की गिनती निर्धारित नहीं की है। परमेश्‍वर एक बड़े परिवार के पिता की तरह है, जो अपने हर बच्चे से प्यार करता है। और उसे पता है कि उसके कुछ बच्चे ज़रूर उसके प्यार का जवाब प्यार से देंगे। मगर वे कौन और कितने होंगे उनके बारे में उसने पहले से कोई बात नहीं लिखी है।

अब आइए भविष्य जानने और लिखने की उसकी काबिलीयत के इस्तेमाल की तुलना उसकी ताकत के इस्तेमाल से करें। हम जानते हैं परमेश्‍वर सर्वशक्‍तिमान है, इसलिए उसके पास असीम सामर्थ्य है। (भजन 91:1; यशायाह 40:26,28) मगर क्या वह अपनी इस सामर्थ्य का इस्तेमाल कहीं भी बिना सोचे-समझे करता है? जी नहीं। प्राचीन इसराएल के दुश्‍मन बाबुल की बात लीजिए। यहोवा ने बाबुल पर अपनी ताकत का इस्तेमाल तब तक नहीं किया, जब तक कि उसका सही वक्‍त नहीं आ गया। यहोवा ने कहा: “[मैं] मौन साधे अपने को रोकता रहा।” (यशायाह 42:14) जी हाँ, भविष्य जानने और लिखने की उसकी काबिलीयत के इस्तेमाल के बारे में भी यही बात सच है। वह इसका इस्तेमाल हम इंसानों के मामले में नहीं करता। और ऐसा इसलिए, क्योंकि उसने हमें आज़ाद मरज़ी दी है, जिसमें वह दखल नहीं देना चाहता।

परमेश्‍वर अपनी इस काबिलीयत का इस्तेमाल सीमित तरीके से करता है, तो क्या इसका मतलब, उसमें कोई खोट है? जी नहीं। सच पूछिए तो इससे उसकी महानता ज़ाहिर होती है। और इसकी वजह से हम उसके और करीब आ जाते हैं, क्योंकि हम समझ लेते हैं कि वह विश्‍व पर अपनी हुकूमत अपने ज्ञान और ताकत के बलबूते नहीं, बल्कि प्यार और आदर से करता है।

दूसरी तरफ, अगर परमेश्‍वर हर बात पहले से तय कर देता है, जिसमें आज तक हुई भयंकर दुर्घटनाएँ और नीच काम शामिल हैं तो क्या इन सारी तकलीफों के लिए परमेश्‍वर ही कसूरवार नहीं? इससे हम समझ सकते हैं कि पहले से भविष्य लिख देनेवाली शिक्षा से परमेश्‍वर का आदर नहीं, बल्कि अपमान होता है। इससे यह ज़ाहिर होगा कि परमेश्‍वर बहुत ही बेरहम, अन्यायी और पत्थरदिल है, जो बाइबल के मुताबिक सरासर गलत है।—व्यवस्थाविवरण 32:4.

फैसला आपके हाथ में

अपने सेवक मूसा के ज़रिए परमेश्‍वर ने इसराएल जाति से कहा: “मैं ने जीवन और मरण, . . . तुम्हारे आगे रखा है; इसलिये तू जीवन ही को अपना ले, . . . परमेश्‍वर यहोवा से प्रेम करो, और उसकी बात मानो, और उस से लिपटे रहो; क्योंकि तेरा जीवन और दीर्घजीवन यही है।” (व्यवस्थाविवरण 30:19,20) क्या इस आयत का मतलब है कि परमेश्‍वर ने हरेक इसराएली का आनेवाला कल तय कर दिया था कि कौन उसे प्यार करेगा और जीवन पाएगा या उसे ठुकरा देगा और मौत के मुँह में जाएगा? अगर ऐसा है तो उसकी कही बात के कोई मायने नहीं रह जाते और उसकी बातें झूठी हैं। क्या आपको लगता है कि जो परमेश्‍वर “न्याय से प्रीति रखता” और प्रेम का साक्षात रूप है वह कभी इस तरह का घटिया काम करेगा?—भजन 37:28; 1 यूहन्‍ना 4:8.

परमेश्‍वर ने अपने सेवकों से गुज़ारिश की थी कि वे ज़िंदगी को चुन लें। उसकी यह बात आज हमारे लिए और भी मायने रखती है। क्यों, क्योंकि बाइबल की पूरी होती भविष्यवाणियाँ ज़ाहिर करती हैं कि इस संसार का अंत तुरंत होनेवाला है। (मत्ती 24:3-9; 2 तीमुथियुस 3:1-5) तो फिर हम कैसे जीवन को चुन सकते हैं? ठीक उसी तरह जिस तरह प्राचीन इसराएलियों ने चुना था।

आप कैसे “जीवन” को चुन सकते हैं

हम “यहोवा से प्रेम” करने, ‘उसकी बात मानने’ और उससे ‘लिपटे रहने’ के ज़रिए जीवन को चुन सकते हैं। यह सब तभी मुमकिन होगा जब हम परमेश्‍वर को एक शख्स के तौर पर जानें और समझें कि वह हमसे क्या चाहता है। अपनी प्रार्थना में यीशु मसीह ने परमेश्‍वर से कहा: “अनन्त जीवन यह है, कि वे तुझ अद्वैत सच्चे परमेश्‍वर को और यीशु मसीह को, जिसे तू ने भेजा है, जानें।”यूहन्‍ना 17:3.

यह बेशकीमती ज्ञान हमें परमेश्‍वर के पवित्र वचन बाइबल से मिल सकता है। (यूहन्‍ना 17:17; 2 तीमुथियुस 3:16) वाकई परमेश्‍वर की तरफ से मिला यह आध्यात्मिक तोहफा इस बात का सबूत है कि परमेश्‍वर ने हमारा भविष्य मुकर्रर नहीं किया है। इसके बजाय वह चाहता है कि हम उसके वचन में दी जानकारी के आधार पर सही चुनाव करें।—यशायाह 48:17,18.

बाइबल के ज़रिए दरअसल परमेश्‍वर हमसे यूँ कह रहा है: ‘इंसानों और धरती के लिए मेरा यह मकसद है और आपको हमेशा की जिंदगी पाने के लिए ऐसा करना चाहिए। अब यह आप पर है कि आप मेरी बात मानेंगे या ठुकराएँ।’ जी हाँ, परमेश्‍वर के पास भविष्य लिखने की काबिलीयत है, लेकिन इसके बावजूद वह हमारी आज़ाद मरज़ी का आदर करते हुए उसमें दखल नहीं देता। तो क्या आप ‘परमेश्‍वर की बात मानने और उससे लिपटे रहने’ के ज़रिए जीवन को चुनेंगे? (g 2/09)

क्या आपने कभी सोचा है?

◼ परमेश्‍वर भविष्य जानने की अपनी काबिलीयत का किस हद तक इस्तेमाल करता है?—व्यवस्थाविवरण 30:19,20; यशायाह 46:10.

◼ परमेश्‍वर क्यों इंसान का भविष्य नहीं लिखता, जिसमें उस पर आनेवाली मुसीबतें भी शामिल हैं?—व्यवस्थाविवरण 32:4.

◼ हमारा भविष्य किस बात पर निर्भर करता है?—यूहन्‍ना 17:3.

[पेज 28 पर बड़े अक्षरों में लेख की खास बात]

बाइबल सिखाती है कि परमेश्‍वर भविष्य लिखने की अपनी काबिलीयत का हर मामले में इस्तेमाल नहीं करता