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कैसे सँभालूँ इस टूटे दिल को?

कैसे सँभालूँ इस टूटे दिल को?

नौजवान पूछते हैं

कैसे सँभालूँ इस टूटे दिल को?

“हम छः महीने से डेटिंग कर रहे थे और पाँच साल से अच्छे दोस्त थे। पर अब वह मुझसे नाता तोड़ देना चाहता था, मगर उसमें यह कहने की हिम्मत नहीं थी। उसने बस बात करना बंद कर दिया। मैं कुछ न कर सकी। मेरा दिल टूटकर रह गया। मैं खुद से यही पूछती, ‘मैंने ऐसा क्या गलत कर दिया?’”—रेशमा। *

नाता टूटने से आपका खुशियों भरा दामन आँसुओं से भीग सकता है। जय और शिखा की बात लीजिए जिन्होंने दो साल तक डेटिंग की। इस दौरान वे एक-दूसरे के बहुत करीब आ गए। सारा-सारा दिन जय, शिखा को फोन पर प्यार-मुहब्बत से भरे संदेश भेजता रहता। यह दिखाने के लिए कि वह उसके बारे में कितना सोचता है, मौके-बेमौके वह तोहफे लाता था। शिखा कहती है: “जय मेरी बातें ध्यान से सुनता और मुझे समझने की पूरी कोशिश करता। . . . वह हमेशा मुझे सर-आँखों पर बिठाता।”

जल्द ही वे शादी के सपने बुनने लगे और सोचने लगे कि पति-पत्नी के रूप में वे अपनी दुनिया कहाँ बसाएँगे। जय ने यहाँ तक दर्शाया कि बहुत जल्द वह मेरे घर शादी की बात करने आनेवाला है। मगर अचानक एक दिन उसने यह रिश्‍ता तोड़ दिया! शिखा टूटकर चूर हो गयी! हालाँकि वह अपने रोज़मर्रा के काम करती रही, पर सबकुछ एक मशीन की तरह बेसुध होकर। वह कहती है: “मैं तन-मन से पूरी तरह थक चुकी थी।” *

दर्द क्यों होता है

अगर आप शिखा के जैसे हालात से गुज़र रही हैं तो शायद आप भी यह सोचें, ‘क्या मैं कभी इस दर्द से उबर पाऊँगी?’ (भजन 38:6) आपका ऐसा महसूस करना लाज़िमी है। रिश्‍ता टूटने का दर्द सहना, एक इंसान की ज़िंदगी का सबसे भयानक अनुभव हो सकता है। कुछ लोग तो यहाँ तक कहते हैं कि ऐसे में एक इंसान ज़िंदा लाश बनकर रह जाता है। अगर आपके साथ ऐसा हुआ है, तो आपको शायद ऐसी या दूसरी भावनाएँ आ घेरें जैसे कि नीचे बताया गया है:

इनकार। ‘सबकुछ खत्म हो गया? नहीं, ऐसा नहीं हो सकता। एक-दो दिन में वह अपना मन ज़रूर बदल लेगा।

गुस्सा। ‘वह मेरे साथ ऐसा कैसे कर सकता है? मैं उसे छोड़ूँगी नहीं।’

निराशा। ‘मैं किसी का प्यार पाने के लायक नहीं। मुझसे कभी कोई प्यार नहीं करेगा।’

मान लेना। ‘मैं ज़रूर सँभल जाऊँगी। ज़ख्म तो लगा है, मगर भर जाएगा।’

खुशी की बात यह है कि आप उस मुकाम तक पहुँच सकती हैं जहाँ आप हकीकत को मान लें। पर आपको उस मुकाम तक पहुँचने में कितना वक्‍त लगेगा, यह कई बातों पर निर्भर करता है। जैसे, आपका रिश्‍ता कितना पुराना था और कितना गहरा। मगर इस दौरान, आप अपने टूटे दिल को कैसे सँभाल सकती हैं?

उबरना

कहते हैं, वक्‍त बड़े-से-बड़ा ज़ख्म भर देता है। लेकिन जब दिल टूटता है, तो शायद ये शब्द खोखले नज़र आएँ। ऐसा इसलिए क्योंकि घाव भरने के लिए सिर्फ वक्‍त काफी नहीं, कुछ और भी कदम उठाने की ज़रूरत होती है। मिसाल के लिए, जब चोट लगती है, तो माना कि वह समय के गुज़रते ठीक हो जाती है, मगर उस वक्‍त दर्द ज़रूर होता है। इसलिए खून को बहने से रोकना और दर्द से राहत पाना ज़रूरी होता है। उसे संक्रमण से भी बचाना पड़ता है। यही बात टूटे रिश्‍ते के बारे में भी सच है। अभी दर्द होगा। मगर कुछ कदम उठाकर आप उस दर्द को कम कर सकती हैं और दिल में कड़वाहट का संक्रमण फैलने से बचा सकती हैं। वक्‍त अपना काम करेगा, मगर ज़ख्म भरने के लिए आप क्या कर सकती हैं? इन्हें आज़माइए।

रोकर गुबार निकाल लीजिए। जी-भर कर रो लेने में कोई बुराई नहीं। बाइबल भी कहती है “रोने का समय” है यहाँ तक कि “छाती पीटने का समय” है। (सभोपदेशक 3:1, 4) आँसू बहाना कमज़ोरी की निशानी नहीं है। एक बार एक बहादुर योद्धा दाविद जब दुख में तड़प रहा था, तब उसने कहा: “मैं अपनी खाट आंसुओं से भिगोता हूं; प्रति रात मेरा बिछौना भीगता है।”—भजन 6:6.

अपने स्वास्थ्य का खयाल रखिए। दिल टूटने की वजह से जो ताकत खत्म हो जाती है, कसरत करने और पौष्टिक आहार लेने से उसकी भरपायी की जा सकती है। जैसा कि बाइबल कहती है: “कसरत . . . फायदेमंद होती है।”—1 तीमुथियुस 4:8.

स्वास्थ्य के मामले में आपको किन बातों पर ध्यान देने की ज़रूरत है?

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व्यस्त रहिए। अपने मनपसंद काम करना मत छोड़िए। और खासकर ऐसे वक्‍त में अकेले मत रहिए। (नीतिवचन 18:1) उनके साथ समय बिताइए जो आपकी परवाह करते हैं। वे आपको अच्छी बातों पर सोचने का बढ़ावा देंगे।

व्यस्त रहने के लिए आप क्या लक्ष्य रख सकते हैं?

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परमेश्‍वर से दिल का हाल बयान कीजिए। हो सकता है ऐसा करना आपको मुश्‍किल लगे। रिश्‍ता टूटने पर कुछ लोग शायद यह सोचकर परमेश्‍वर से मुँह मोड़ लें कि परमेश्‍वर ने उन्हें धोखा दिया है। वे शायद कहें: ‘मैंने एक अच्छा साथी पाने के लिए न जाने कितनी प्रार्थनाएँ की थीं, मगर आज मुझे उसका यह सिला मिला!’ (भजन 10:1) क्या हमारा ऐसा सोचना सही होगा कि परमेश्‍वर स्वर्ग में बैठा जोड़ियाँ मिलाता है? नहीं, हरगिज़ नहीं। जब एक व्यक्‍ति रिश्‍ता तोड़ने पर अमादा हो जाता है तो इसके लिए परमेश्‍वर ज़िम्मेदार नहीं होता। हम यहोवा के बारे में जानते हैं कि “उसे तुम्हारी परवाह है।” (1 पतरस 5:7) इसलिए उसके सामने अपनी भावनाएँ उँडेल दीजिए। बाइबल कहती है: “अपनी बिनतियाँ परमेश्‍वर को बताते रहो। और परमेश्‍वर की वह शांति जो हमारी समझने की शक्‍ति से कहीं ऊपर है, मसीह यीशु के ज़रिए तुम्हारे दिल के साथ-साथ तुम्हारे दिमाग की सोचने-समझने की ताकत की हिफाज़त करेगी।”—फिलिप्पियों 4:6, 7.

टूटे दिल का दर्द सहते वक्‍त आप यहोवा से किन खास बातों के लिए गुज़ारिश कर सकते हैं?

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आगे की सोचिए

गम से कुछ हद तक उबरने के बाद शायद अपने पुराने रिश्‍ते के बारे में एक बार फिर गौर करना अच्छा होगा। जब आप ऐसा सोचने की हालत में होते हैं तो नीचे दिए गए सवालों के जवाब लिखने से आपको मदद मिलेगी।

क्या आपको नाता तोड़ने की वजह बतायी गयी थी? अगर हाँ, तो वह वजह लिखिए फिर चाहे वह आपको सही लगे या गलत।

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आपको क्या लगता है दूसरी और कौन-सी वजह हो सकती हैं?

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जब आप गुज़री बातों को याद करती हैं तो क्या आपको लगता है कि आप कुछ ऐसा कर सकती थीं जिसका नतीजा शायद बेहतर होता? अगर हाँ, तो क्या?

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क्या इस अनुभव से यह ज़ाहिर हुआ है कि आपको आध्यात्मिक या भावनात्मक तौर पर और मज़बूत होने की ज़रूरत है?

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आगे को जब आप किसी से रिश्‍ता जोड़ेंगी तो उसमें आप क्या नया करना चाहेंगी?

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माना कि आपने इस रिश्‍ते के बारे में जो सपने बुने थे वे पूरे नहीं हुए। लेकिन याद रखिए: जब आप आँधी-तूफान में घिरी हों तो आपको मूसलाधार बारिश और काले बादल ही दिखायी देंगे। लेकिन आखिरकार बारिश थम जाती है और आसमान साफ हो जाता है। लेख के शुरू में जिन जवानों का ज़िक्र किया गया है वे वक्‍त के गुज़रते अपने गम से उबर पाए। यकीन मानिए आप भी सँभल जाएँगी। (g 2/09)

“नौजवान पूछते हैं” के और भी लेख, वेब साइट www.watchtower.org/ype पर उपलब्ध हैं।

[फुटनोट]

^ इस लेख में नाम बदल दिए गए हैं।

^ हालाँकि यह लेख लड़कियों के नज़रिए से लिखा गया है, मगर इसमें दिए सिद्धांत लड़कों पर भी लागू होते हैं।

इस बारे में सोचिए

◼ टूटे रिश्‍ते से आपने अपने बारे में क्या सीखा?

◼ आपने विपरीत लिंग के लोगों के बारे में क्या सीखा?

◼ जब टूटे रिश्‍ते का गम हावी हो जाए, तो किससे बात करके आप अपना मन हलका कर सकती हैं?

[पेज 24 पर बक्स]

सुझाव

लेख के शुरू में जिस लड़की शिखा का ज़िक्र किया गया, उसने बाइबल आयतों की एक सूची बनायी और उसे अपने पास रख लिया ताकि वह उन्हें ऐसे वक्‍त पर पढ़ सके जब वह बेहद निराश होती है। शिखा की तरह आप भी इस लेख में दी गयी आयतों की सूची बना सकती हैं।

[पेज 23 पर तसवीर]

टूटा रिश्‍ता एक घाव की तरह होता है, जिसमें दर्द तो होता है मगर वक्‍त के गुज़रते भर जाता है