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आप अपनी याददाश्‍त बढ़ा सकते हैं!

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आप अपनी याददाश्‍त बढ़ा सकते हैं!

“याददाश्‍त की वजह से हमारी ज़िंदगी रंगीन हो जाती है। अगर याददाश्‍त न होती तो हर सुबह हम अपने लिए ही अजनबी होते, आइना भी हमारी पहचान न करा पाता। सबकुछ एक नए सिरे से शुरू करना पड़ता। किसी भी बात का बीते हुए कल और वर्तमान से कोई नाता न होता। न तो हम गुज़रे कल से कुछ सीख सकते, न ही भविष्य की कोई तैयारी कर पाते।” —“दिमाग के रहस्य।” (अँग्रेज़ी)

ऐसा क्यों होता है कि कुछ पंछी वह जगह महीनों बाद भी याद रखते हैं, जहाँ उन्होंने सर्दियों के लिए अपना दाना जमा करके रखा था और गिलहरियों को वह जगह याद रहती है, जहाँ उन्होंने अखरोट गाड़ा था, लेकिन हम इंसान यह भी भूल जाते हैं कि घंटे भर पहले हमने अपनी चाबी कहाँ रखी थी? बहुत-से लोग अपनी बुरी याददाश्‍त का रोना रोते हैं। माना कि इंसानी दिमाग असिद्ध है, मगर उसमें सीखने और याद रखने की कमाल की काबिलीयत है! बस, हमें इस काबिलीयत का बेहतरीन ढंग से इस्तेमाल करने की ज़रूरत है।

कमाल की काबिलीयत!

हमारे दिमाग का वज़न 1.4 किलोग्राम होता है और आकार देखा जाए तो एक छोटे फल चकोतरे की तरह होता है। फिर भी, इसमें करीब 100 अरब तंत्रिका कोशिकाएँ होती हैं। इन तंत्रिकाओं का जाल दिमाग में बहुत जटिल तरीके से फैला होता है। सिर्फ एक तंत्रिका कोशिका 1,00,000 दूसरी तंत्रिकाओं से जुड़ी होती है। इन तंत्रिकाओं के जाल की वजह से दिमाग में दुनिया भर की जानकारी इकट्ठा करने और उसे सुरक्षित रखने की काबिलीयत होती है। अब हमारे सामने चुनौती यह होती है कि सुरक्षित रखी जानकारी को फिर से याद कैसे करें, लेकिन कुछ लोग इस मामले में बड़े माहिर होते हैं, फिर ज़रूरी नहीं कि सब-के-सब पढ़े-लिखे हों।

उदाहरण के लिए, पश्‍चिम अफ्रीका में अनपढ़ आदिवासियों की एक जाति अपने गाँव की कई पीढ़ियों के लोगों के नाम एक-एक करके बड़ी आसानी से बोल जाती है। इन आदिवासियों को ग्रीओ कहा जाता है। एक अमरीकी लेखक अलिक्स हेली को अपनी किताब रूट्‌स के लिए पुलत्ज़र इनाम मिला था। इसे लिखने में इन आदिवासियों ने उसकी मदद की थी, जिसकी वजह से वह गांबिया देश में रहनेवाले अपने पूर्वजों की छः पीढ़ियों का पता लगा पाया। हेली कहता है: “अफ्रीका के इन ग्रीओ आदिवासियों का मैं बड़ा कर्ज़दार हूँ। इनके मामले में कहा जाता है कि जब एक ग्रीओ आदिवासी मरता है, तो उसके साथ-साथ मानो पूरा-का-पूरा पुस्तकालय दफन हो जाता है। यह बात बिलकुल सच भी है।”

एक और मिसाल इटली के प्रसिद्ध संगीत आयोजक आरटूरो टॉस्कानीनी की लीजिए। उन्‍नीस की उम्र में ही उसका कमाल का हुनर लोगों के “सामने” आया। उसे एक ओपरा पेश करने के लिए किसी और संगीत आयोजक के बदले बुलाया गया था। मानना पड़ेगा कि कमज़ोर आँखों के बावजूद अपनी याददाश्‍त के बूते उसने आइडा नाम का पूरा ओपरा आयोजित किया!

इस तरह की महारत हमें हैरत में डाल देती है। मगर इसमें ताज्जुब नहीं कि बहुत-से लोगों में याद रखने की ऐसी ज़बरदस्त काबिलीयत होती है, जिसका उन्हें खुद भी अंदाज़ा नहीं होता। क्या आप अपनी याददाश्‍त बढ़ाना चाहते हैं?

अपनी याददाश्‍त बढ़ाना

याददाश्‍त में तीन बातें शामिल हैं: जानकारी लेना, उसे जमा करके रखना और बाहर निकालना। आपका दिमाग जब कोई जानकारी लेता है, तो उसे वह अपने अंदर जमा कर लेता है। ज़रूरत पड़ने पर वह जानकारी याद आ जाती है। याददाश्‍त में कमज़ोरी तब आती है, जब इन तीनों में से किसी एक में गड़बड़ी हो जाए।

हमारी याददाश्‍त कई तरीके से काम करती है, जैसे संवेदी याददाश्‍त, थोड़े-समय की याददाश्‍त और लंबे-समय की याददाश्‍त। हमारी इंद्रियों के ज़रिए, जैसे सूँघने, छूने और देखने से जो जानकारी हमारे दिमाग तक पहुँचती है, उसे संवेदी याददाश्‍त कहा जाता है। थोड़े-समय की याददाश्‍त को कार्य-स्मृति भी कहा जाता है, जिसमें जानकारी कुछ समय के लिए रहती है। मसलन, हम आँकड़ों को अपने दिमाग में गिन लेते हैं। टेलीफोन नंबर याद रखते हैं या फिर कुछ पढ़ते या सुनते वक्‍त उस बात का शुरुआती हिस्सा याद रख पाते हैं। लेकिन जैसा कि हम जानते हैं, थोड़े-समय की याददाश्‍त से कुछ खास फायदे नहीं होते।

अगर आप कोई जानकारी हमेशा के लिए याद रखना चाहते हैं, तो उसका लंबे-समय की याददाश्‍त में जमा होना ज़रूरी है। आप उसे वहाँ कैसे जमा कर सकते हैं? नीचे दिए कुछ सिद्धांत मददगार हो सकते हैं।

दिलचस्पी जो विषय आप याद रखना चाहते हैं, उसमें दिलचस्पी लीजिए और खुद को याद दिलाइए कि आप उसे क्यों सीख रहे हैं। आपने खुद अपनी ज़िंदगी में देखा है कि जब किसी बात में आपकी भावनाएँ शामिल होती हैं, तो वह आपको हमेशा याद रहती है। यह सिद्धांत हमारे बाइबल विद्यार्थियों के लिए काफी मददगार साबित हो सकता है। जब वे दो मकसदों से बाइबल पढ़ते हैं पहला, परमेश्‍वर के करीब आने के लिए और दूसरा, औरों को सिखाने के लिए, तब उनकी याददाश्‍त काफी हद तक बढ़ जाती है।—नीतिवचन 7:3; 2 तीमुथियुस 3:16.

ध्यान दिमाग के रहस्य (अँग्रेज़ी) किताब के मुताबिक “‘याददाश्‍त में कमज़ोरी’ ज़्यादातर ध्यान भटकने की वजह से होती है।” तो क्या बात आपकी मदद कर सकती है, जिससे कि आपका ध्यान न भटके? दिलचस्पी लीजिए और जहाँ मुमकिन हो नोट्‌स भी लिखिए। नोट्‌स लिखने से हम एक चित्त होकर सुन पाते हैं, साथ ही हमें अपने नोट्‌स पर दोबारा गौर करने का मौका मिलता है।

समझ नीतिवचन 4:7 (NHT) कहता है: “समझ को अवश्‍य प्राप्त कर।” अगर आपको कोई बात या जानकारी समझ में नहीं आती, तो आप उसे याद भी नहीं रख पाएँगे। क्योंकि अगर हमें किसी विषय की सही समझ न हो तो हम दो विषयों के बीच ताल-मेल नहीं बिठा पाएँगे और उसकी पूरी तसवीर नहीं मिल पाएगी। उदाहरण के लिए, जब यंत्र विज्ञान का विद्यार्थी यह बात समझ लेता है कि इंजन कैसे काम करता है, तो उसे इंजन के बारे में सारी जानकारी अच्छी तरह से याद रह पाएगी।

विचारों का संगठन एक तरह के विचारों या चीज़ों को एक वर्ग में रखिए। मिसाल के तौर पर, घर की चीज़ों की सूची याद रखना तब आसान होगा जब हम उन्हें उनके वर्ग के मुताबिक छाँट लें। जैसे, मीट, सब्ज़ी, फल या ऐसी ही कुछ और चीज़ें। और जानकारी को छोटे-छोटे भागों में बाँटना अच्छा रहता है, जिनमें सिर्फ 5 से 7 चीज़ें शामिल की जानी चाहिए। टेलीफोन नंबरों को दो भागों में बाँटने से उन्हें याद रखना आसान होता है। वर्णमाला के मुताबिक चीज़ों की सूची तैयार करना भी मददगार साबित हो सकता है।

दोहराना या ज़ोर से बोलना आप जो याद रखना चाहते हैं (जैसे विदेशी भाषा के शब्द या मुहावरे) उसे बार-बार ज़ोर से दोहराने से आप अपने दिमाग में जानकारी अच्छी तरह बिठा पाएँगे। ऐसा क्यों कहा जा सकता है? इसकी तीन वजह हैं। पहली, जब हम कोई शब्द ज़ोर से बोलते हैं तो उसे ठीक से बोलने के लिए उस पर ध्यान देना ही पड़ता है। दूसरी, ज़ोर से बोलने की वजह से आपकी टीचर आपकी गलती उसी वक्‍त बता देती है। और तीसरी, जब आप अपनी बात खुद सुनते हैं, तो दिमाग के दूसरे हिस्से भी हरकत में आ जाते हैं।

कल्पना आप जो याद रखना चाहते हैं, दिमाग में उसकी एक तसवीर खींचिए। आप चाहें तो वह तसवीर कागज़ पर उतार सकते हैं। दोहराने की तरह ही कल्पना करने से भी आपके दिमाग के दूसरे हिस्से काम करने लगते हैं। आप जितना ज़्यादा इंद्रियों का इस्तेमाल करेंगे जानकारी उतनी अच्छी तरह से आपके दिमाग में बैठ जाएगी।

संबंध जोड़ना जब आप कोई नयी बात सीखते हैं, तो उसका संबंध उस जानकारी से जोड़िए जो आपको पहले से पता है। नए विचारों को दिमाग में पहले से जमा बातों के साथ जोड़ने का फायदा यह होता है कि जानकारी दिमाग में अच्छी तरह बैठ जाती है और बाद में उसे दोबारा याद करना आसान होता है। उदाहरण के लिए, अगर आप किसी इंसान का नाम याद रखना चाहते हैं तो उसके हुलिए से जुड़ी कोई अनोखी बात या फिर कोई और बात उसके नाम से जोड़ दीजिए, ताकि वह नाम याद रह जाए। आप उसका नाम जितनी हँसनेवाली या बेतुकी बात से जोड़ेंगे, याद रखना उतना ही आसान होगा। चंद शब्दों में कहें तो हम जिन लोगों या बातों को याद रखना चाहते हैं, उनके बारे में सोचना ज़रूरी है।

याददाश्‍त की खोज किताब कहती है: “अगर हम अकसर अपना काम बिना सोचे-समझे करते हैं यानी अपने आस-पास के माहौल और अपने अनुभवों पर गौर नहीं करते, तो ऐसे में ठीक-ठीक यह याद रखना बड़ा मुश्‍किल होगा कि फलाँ समय हम कहाँ थे और हमने क्या किया था।”

पक्का करना कोई भी जानकारी दिमाग में अच्छी तरह जज़्ब होने के लिए समय दीजिए। किसी बात को पक्का करने का एक बढ़िया तरीका है, सीखी हुई बात पर फिर से विचार करना। इसके लिए आप चाहें तो वह जानकारी दूसरों के साथ बाँट सकते हैं। अगर आपको कोई अच्छा अनुभव हुआ हो या आपने बाइबल या बाइबल साहित्य से कुछ हौसला बढ़ानेवाली बात सीखी हो, तो वह दूसरों को भी बताइए। इस तरह दोनों को फायदा होगा, आपके ज़हन में वह बात बैठ जाएगी और आपके दोस्तों का हौसला भी बढ़ेगा। कहा जाता है कि किसी बात को याद रखने लिए उसे बार-बार दोहराना अच्छा है।

लघु तकनीक—काफी मददगार

प्राचीन यूनान और रोम में भाषण देनेवाले वक्‍ता लंबे-लंबे भाषण बिना नोट्‌स देखे दे देते थे। वे ऐसा कैसे कर पाते थे? वे लघु तकनीक (निमोनिक) का इस्तेमाल करते थे। यह एक ऐसी तकनीक है जिसकी मदद से जानकारी को दिमाग में लंबे-समय की याददाश्‍तवाले भाग में रखा जा सकता है और ज़रूरत पड़ने पर उसे याद किया जा सकता है।

प्राचीन यूनान के वक्‍ता जिस लघु तकनीक का इस्तेमाल करते थे, उसे लोकाई कहते हैं जिसमें जगह की मदद से बातें याद रखी जाती हैं। सबसे पहले ई.पू. 400 में सीआस द्वीप के रहनेवाले एक यूनानी कवि साइमॉनडीज़ ने इस तकनीक के बारे में बताया। इस तकनीक में विचारों के संगठन, कल्पना या संबंध जोड़ने की तकनीक भी शामिल हैं। जैसे, किसी बात को याद रखने के लिए सड़क का कोई खास पहचान चिन्ह या फिर कमरे या घर की कोई खास वस्तु ध्यान में रखना। लोकाई तकनीक का इस्तेमाल करनेवाले कल्पना की दौड़ लगाते हैं, यानी जानकारी को मन में सिलसिलेवार ढंग से रख लेते हैं। वे जिन बातों को याद रखना चाहते हैं, उन्हें वे किसी खास पहचान चिन्ह या वस्तु के साथ जोड़ देते हैं। और फिर ज़रूरत पड़ने पर वे कल्पना की दौड़ लगाकर फट से उन्हें याद कर लेते हैं।—“कल्पना की दौड़” बक्स देखिए।

हर साल होनेवाले वर्ल्ड मैमरी चैंपियनशिप (विश्‍व में सबसे तेज़ याददाश्‍तवाले) के विजेताओं का जब सर्वे लिया गया, तो पता चला कि उनकी तेज याददाश्‍त, उनकी उम्दा बुद्धि की वजह से नहीं थी। इतना ही नहीं, इसमें भाग लेनेवालों की उम्र 40 से 50 के बीच थी। तो फिर, उनकी तेज़ याददाश्‍त का राज़ क्या था? उनमें से कइयों का कहना है कि उन्होंने लघु तकनीक का बड़ा अच्छा इस्तेमाल किया था।

क्या आप शब्दों की सूची याद रखना चाहते हैं? असरदार तरीके से शब्दों को याद रखने के लिए लघु तकनीक का एक रूप एक्रोनिम (संक्षिप्त नाम) बड़ा कारगर है। एक्रोनिम में अकसर शब्दों के पहले अक्षर या अक्षरों को मिलाकर एक नया शब्द बनाया जाता है। उदाहरण के लिए, मेघधनुष के सात रंगों, बैंजनी, जामुनी, नीला, हरा, पीला, नारंगी और लाल को याद करने के लिए उन रंगों के पहले अक्षर को जोड़कर एक नया शब्द, ‘बैंजानी-हपीनाला’ बनाया जा सकता है। याददाश्‍त बढ़ाने का एक और तरीका है, एक्रोस्टिक तकनीक। प्राचीन इब्री लोगों में इसका काफी इस्तेमाल होता था। मसलन, बाइबल में भजन संहिता किताब के कुछ भजनों की हर आयत या कुछ आयतों का समूह इब्रानी वर्णमाला के मुताबिक सिलसिलेवार ढंग से लिखा गया है। इस तकनीक की वजह से गायक 119वें भजन की 176 आयतें मुँह ज़बानी याद रख पाते थे।

जी हाँ, आप अपने दिमाग को तालीम देकर अपनी याददाश्‍त बढ़ा सकते हैं। अध्ययन दिखाते हैं कि हमारी याददाश्‍त हमारी माँस-पेशियों की तरह होती है। हम जितना ज़्यादा इनका इस्तेमाल करेंगे वे उतनी ही मज़बूत होंगी, फिर चाहे हम कितने ही बूढ़े क्यों न हो जाएँ।. (g 2/09)

[पेज 15 पर बक्स]

कुछ और सुझाव

◼ नए-नए हुनर, नयी भाषा या कोई साज़ बजाना सीखने के ज़रिए अपनी याददाश्‍त बढ़ाइए।

◼ अपना ध्यान सबसे ज़रूरी चीज़ों पर लगाइए।

◼ लघु तकनीक (निमोनिक) सीखिए।

◼ खूब पानी पीजिए। शरीर में पानी की कमी से दिमाग ठीक से काम नहीं करता।

◼ भरपूर नींद लीजिए। सोते समय, दिमाग सीखी हुई बातों को इकट्ठा करके रखता है।

◼ शांत मन से पढ़ाई-लिखाई कीजिए। तनाव से कॉर्टीसॉल नाम का हारमोन पैदा होता है, जिससे तंत्रिकाओं के संचार में गड़बड़ी आ जाती है।

◼ शराब और धूम्रपान से दूर रहिए। शराब हमारी थोड़े-समय की याददाश्‍त को कमज़ोर कर देती है। इसके अलावा थाइमीन (बी-विटामिन) की मात्रा कम हो जाती है, जो हमारी याददाश्‍त के लिए बहुत ज़रूरी है। धूम्रपान से दिमाग में ऑक्सीजन की कमी हो जाती है। *

[फुटनोट]

^ कंप्यूटर पर प्रकाशित पत्रिका दिमाग और मन (अँग्रेज़ी) में दी जानकारी पर आधारित।

[पेज 14 पर बक्स/तसवीरें]

कल्पना की दौड़

आप खाने-पीने के सामान की बड़ी सूची कैसे याद रख सकते हैं, जिसमें बहुत-सी चीज़ें जैसे, डबल रोटी, अंडे, दूध, मक्खन वगैरह शामिल हैं? लोकाई तकनीक का इस्तेमाल करके आप अपने कमरे में अपने मन में कल्पना की दौड़ लगाइए और उन्हें “देखने” की कोशिश कीजिए।

कल्पना कीजिए कि आराम कुर्सी पर डबल रोटी से बना तकिया है

लैंप के नीचे अंडे सिक रहे हैं

गोल्ड फिश दूधवाले टैंक में तैर रही हैं

टेलीविज़न स्क्रीन पर मक्खन पुता हुआ है

चीज़ों को आप जितनी बेतुकी और हँसनेवाली बातों से जोड़ेंगे, वे याद रखने में उतनी ही आसान होंगी। दुकान पर पहुँचने के बाद एक बार फिर कल्पना की दौड़ लगाइए।

[पेज 16 पर बक्स]

शुक्र मनाइए कि आप भूल जाते हैं!

ज़रा सोचिए, आपकी ज़िंदगी कैसी होती अगर आपको हर छोटी-से-छोटी बात याद रहती। आपका दिमाग भन्‍ना जाता। न्यू सांइटिस्ट पत्रिका एक ऐसी ही स्त्री के बारे में बताती है जिसे अपनी ज़िंदगी में घटी लगभग हरेक बात याद है। वह कहती है, “मुझे पुरानी बातें पल-पल याद आती रहती हैं, जो एक बोझ की तरह होती हैं और ये मुझे बुरी तरह थका देती हैं।” शुक्र है कि हममें से बहुतों की यह समस्या नहीं है क्योंकि इस बारे में अध्ययन करनेवाले मानते हैं, हमारे दिमाग में ऐसी काबिलीयत है कि वह बेकार की या पुरानी बातें दिमाग से उखाड़ फेंकती है। पत्रिका आगे कहती है, “दिमाग का बेहतरीन तरीके से काम करने के लिए बातों का भूलना भी बहुत ज़रूरी है। अगर हम कुछ ज़रूरी बात भूल जाते हैं . . . तो यह दिखाता है कि हमारे दिमाग की दराँती कुछ ज़्यादा ही तेज़ चल रही है।”