इस जानकारी को छोड़ दें

विषय-सूची को छोड़ दें

उनका आखिरी आसरा

उनका आखिरी आसरा

उनका आखिरी आसरा

स्पेन में सजग होइए! लेखक द्वारा

पूरी दुनिया में पेड़-पौधों और जानवरों के लुप्त होने का खतरा बढ़ता जा रहा है। कुछ वैज्ञानिकों का अनुमान है कि हर साल तकरीबन हज़ारों प्रजातियाँ लुप्त हो जाती हैं। मगर खुशी की बात है कि पर्वत मालाएँ पेड़-पौधों और जानवरों का आसरा हैं, जहाँ ये दूर-दूर तक फलते-फूलते और आबाद रहते हैं। लेकिन अफसोस कि इन गढ़ों में भी प्रदूषण और इंसानी घुसपैठ से खतरा पैदा हो गया है। और यह खतरा सबसे ज़्यादा यूरोप में मँडरा रहा है जो धरती का बहुत घनी आबादीवाला देश है।

फ्राँस को स्पेन से विभाजित करनेवाली पायर्नीज़ पर्वत मालाओं में बहुत-से राष्ट्रीय उद्यान हैं जो वहाँ की वनस्पति और जीव-जंतुओं को पनाह देते हैं। इन जगहों में घूमने आए लोगों को वे प्रजातियाँ देखने को मिलती हैं जो लुप्त होती जा रही हैं और जिनके लिए यह आखिरी आसरा है। आइए देखें कि इन उद्यानों में कैसी नायाब चीज़ें मौजूद हैं।

ज़िंदगी और मौत से जूझती प्रजातियाँ

फूल। दुनिया के कुछ सबसे खूबसूरत जंगली फूल 1,500 मीटर की ऊँचाई पर उगते हैं। जैसे स्नो जेन्शियन्स और ट्रम्पेट जेन्शियन्स (1), इन फूलों की पत्तियाँ चटकीले नीले रंग की होती हैं। ये पहाड़ों की ढलानों पर जहाँ पेड़ नहीं उगते, ऐसे खिले रहते हैं मानो कालीन बिछाया गया हो। ढलान से नीचे की तरफ बीच-पेड़ों के मध्य लुप्त होते लेडीज़-स्लिपर ऑर्किड (2) का बाग अब भी खिल रहा है। प्रकृति से प्यार करनेवाले सैंकड़ों सैलानी हर साल यह बाग देखने आते हैं। इन नायाब फूलों को कोई नुकसान न पहुँचाए या उखाड़ न फेंके इसलिए उस जंगल की देख-रेख करनेवाले दिन में 14 घंटे उस पर नज़र रखते हैं।

तितलियाँ। पहाड़ों पर अनछुए घास के मैदानों में भारी तादाद में जंगली फूल उगते हैं जो रंग-बिरंगी तितलियों का बसेरा हैं। इनमें से एक है बड़ी अपोलो तितली (3), जिसके पंखों पर चटकीले लाल रंग के छल्ले होते हैं। यह काँटेंदार झाड़ियों पर मँडराती रहती है। यहाँ लाइकेनीडे जाति की ब्लू और कॉपर तितलियाँ (4) भी छोटे-छोटे फूलों से मिलने आती हैं। इनके अलावा, पेंटेड-लेडी और टोरटॉइज़-शैल तितलियाँ ऊँची ढलानों पर गश्‍त लगाती रहती हैं।

जानवर। एक वक्‍त था जब बहुत-से बड़े-बड़े स्तनधारी जानवर यूरोप महाद्वीप में दूर-दूर तक बेखौफ घूमते-फिरते थे। मगर उनमें से कुछेक का इस हद तक शिकार किया गया कि उनकी जातियाँ लुप्त होने की कगार पर आ गयी हैं। उनमें से बचे हुए कुछ भेड़िये, भालू, जंगली बिल्लियाँ (5) जंगली भैंसे, साँभर, पहाड़ी बकरियाँ (6) आज पहाड़ों की चोटियों में या दूर उत्तर में देखी जा सकती हैं। पायर्नीज़ पहाड़ियों के सुरक्षित आशियाने में रहनेवाले इन शानदार जानवरों को देखकर अंदाज़ा लगाया जा सकता है कि एक ज़माने में वहाँ अनगिनत जानवरों का बसेरा रहा होगा। कुछ सैलानी सोचते हैं कि न जाने आनेवाले समय में इन बचे हुए प्राणियों का क्या हश्र होगा।

हम भरोसा रख सकते हैं कि इस दुनिया का रचनाकार यहोवा इन पहाड़ियों में रहनेवाले जंगली जानवरों की परवाह करेगा, क्योंकि “पहाड़ों की चोटियां भी उसी की हैं।” (भजन 95:4) एक भजन में परमेश्‍वर ने कहा: “वन के सारे जीवजन्तु और हजारों पहाड़ों के जानवर मेरे ही हैं। पहाड़ों के सब पक्षियों को मैं जानता हूं।” (भजन 50:10, 11) धरती और उस पर रहनेवाले जीव-जंतुओं के लिए यहोवा की ऐसी परवाह देखकर हमें यकीन हो जाता है कि वह पहाड़ों के जानवरों को पूरी तरह लुप्त नहीं होने देगा। (g  3/09)

[पेज 21 पर तसवीरें]

1 ट्रम्पेट जेन्शियन्स

2 लेडीज़-स्लिपर ऑर्किड

3 अपोलो तितली

4 कॉपर तितलियाँ

5 जंगली बिल्लियाँ

6 पहाड़ी बकरियाँ

[चित्र का श्रेय]

La Cuniacha