वक्त का सही इस्तेमाल कैसे करूँ?
नौजवान पूछते हैं
वक्त का सही इस्तेमाल कैसे करूँ?
“मैंने किसी को यह मज़ाक करते सुना कि अगर तुम चाहते हो कि रिक्की चार बजे तक फलाँ जगह पर पहुँचे, तो उसे तीन बजे का समय देना होगा। यह सुनकर मैं हिल गया। मुझे एहसास हुआ कि मुझे अपने समय का सही इस्तेमाल करने के लिए और भी मेहनत करनी होगी।”—रिक्की। *
अगर आपसे पूछा जाए, 24 घंटों के अलावा आपको और कितने घंटे चाहिए, तो आपका जवाब क्या होगा? आप उन घंटों में क्या करेंगे?
❑ दोस्तों के साथ घूमेंगे-फिरेंगे
❑ सोएँगे
❑ पढ़ाई करेंगे
❑ कसरत करेंगे
❑ कुछ और काम
अगर हमें एक दिन में कुछ और घंटे मिल जाएँ, तो क्या कहने! मगर ऐसा नहीं होनेवाला। तो फिर आप क्या कर सकते हैं? बहुत-से नौजवानों ने पाया है कि अपने वक्त का सही इस्तेमाल करने से उन्हें वे घंटे मिले हैं, जिनकी उन्हें सख्त ज़रूरत थी। उन्होंने यह भी पाया है कि समय पर काम करने से उनके ऊपर कम दबाव पड़ता है, क्लास में अच्छे नंबर आते हैं और वे अपने मम्मी-पापा का भरोसा जीत पाते हैं। तो आइए देखें कि समय का सही इस्तेमाल करने के लिए आप क्या कर सकते हैं।
पहली चुनौती शेड्यूल बनाना
क्या बात आपको रोक सकती है? क्या शेड्यूल बनाने के खयाल से ही आपको लगता है कि आप समय के पिंजरे में कैद होकर रह जाएँगे? आपको शायद बिना योजना बनाए काम निपटाना पसंद हो। इसलिए आप नहीं चाहते कि आपकी ज़िंदगी घड़ी की टिक-टिक पर चले।
फिर भी शेड्यूल क्यों बनाएँ? राजा सुलैमान ने लिखा: “परिश्रमी की योजनाएं नि:संदेह लाभदायक होती हैं।” (नीतिवचन 21:5, NHT) सुलैमान की ज़िंदगी बहुत व्यस्त थी। वह एक पति, पिता और राजा था। और ज़ाहिर है कि उसके ऊपर ये सारी ज़िम्मेदारियाँ 20 साल की उम्र से पहले आ गयी थीं। इसके बाद, उसकी ज़िंदगी और भी व्यस्त हो गयी होगी। उसी तरह, आप भी शायद अपनी ज़िंदगी में बहुत व्यस्त हों। लेकिन जैसे-जैसे आप बड़े होंगे, वैसे-वैसे आपकी ज़िंदगी में भाग-दौड़ और बढ़ जाएगी। इसलिए अच्छा होगा कि आप आज से ही हर काम समय पर करना सीखें।
आपके हमउम्र क्या कहते हैं: “करीब 6 महीने पहले से मैंने लगातार शेड्यूल बनाना शुरू किया। मैं कामों को आसानी से करना चाहता था और शेड्यूल से ऐसा करने में मुझे मदद मिली।”—जोई।
“कामों की लिस्ट बनाने से मैं उसके मुताबिक चल पाती हूँ। जब मेरे पास ढेर सारा काम रहता है, तो मैं और मम्मी पहले लिख लेते हैं कि हमें क्या-क्या करना है। फिर हम तय करते हैं कि उन कामों को निपटाने के लिए हम एक-दूसरे की मदद कैसे कर सकते हैं।”—मैलरी।
क्या बात आपकी मदद करेगी? मान लीजिए, आप अपने परिवार के साथ कहीं घूमने जा रहे हैं। हर कोई अपना बैग गाड़ी की डिक्की में लापरवाही से फेंकने लगता है। यह देखकर लगता है कि सारा सामान नहीं अँटेगा। ऐसे में आप क्या कर सकते हैं? आप शायद सबकुछ बाहर निकालें और उन्हें दोबारा तरतीब से रखना शुरू करें। पहले बड़े-बड़े सामान, फिर छोटे-छोटे। देखते-ही-देखते सारा सामान डिक्की में आसानी से अँट जाता है।
यही बात आपकी ज़िंदगी के बारे में भी सच है। अगर आप छोटे-मोटे काम पहले करेंगे, तो बड़े और ज़रूरी कामों के लिए आपके पास समय नहीं बचेगा। इसलिए पहले ज़रूरी काम कीजिए, फिर आप पाएँगे कि बाकी कामों के लिए आपके पास वक्त-ही-वक्त है।—फिलिप्पियों 1:10.
आपको कौन-से ज़रूरी काम करने हैं?
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इस सूची पर एक बार फिर नज़र दौड़ाइए और जो काम सबसे ज़रूरी हैं, उस हिसाब से उनके आगे नंबर लिखिए। अगर आप पहले बड़े-बड़े काम खत्म कर लें, तो आपको यह देखकर ताज्जुब होगा कि छोटे-छोटे कामों के लिए आपके पास कितना वक्त है। लेकिन अगर आप छोटे काम पहले करेंगे और बड़े बाद में, तो इसका उलटा नतीजा हो सकता है।
आप क्या कर सकते हैं? एक पॉकिट प्लैनर लीजिए (छोटी-सी नोटबुक जिसमें तारीख दी हो और उसके नीचे लिखने की जगह भी)। उस पर लिखिए कि आपको कौन-से ज़रूरी काम करने हैं। या फिर आप नीचे दी किसी भी चीज़ का इस्तेमाल कर सकते हैं:
❑ मोबाइल में दिया कैलेंडर
❑ छोटी-सी डायरी
❑ कंप्यूटर में दिया कैलेंडर
❑ डेस्क कैलेंडर
दूसरी चुनौती शेड्यूल के मुताबिक काम करना
क्या बात आपको रोक सकती है? स्कूल से घर लौटने के बाद, आप शायद थोड़ा आराम करने और सिर्फ कुछ मिनट टी.वी. देखने की सोचें। या फिर आप पढ़ाई करने की सोचें। मगर तभी आपको अपने दोस्त से मैसेज मिलता है कि क्या तुम पिक्चर देखने चलोगे? आप खुद को समझाने लगते हैं, ‘पिक्चर नहीं रुकेगी। लेकिन मेरी पढ़ाई? वह तो रात को भी हो सकती है! वैसे भी मैं कम समय में ज़्यादा अच्छे-से काम कर पाता हूँ।’
फिर भी शेड्यूल के मुताबिक काम क्यों करें? अगर आप ऐसे समय पर पढ़ाई करें, जब आप ज़्यादा ध्यान दे पाते हैं, तो आपके अच्छे नंबर आएँगे। और फिर सोचिए, क्या आप पर पहले से पढ़ाई-लिखाई का भार नहीं है? तो फिर इम्तहान की पढ़ाई आखिरी वक्त के लिए क्यों छोड़ें, जिससे आपका तनाव बढ़ सकता है? यह भी तो सोचिए, अगर आप देर रात तक पढ़ते रहे, तो सुबह आपका क्या हाल होगा? आपकी आँख शायद देर से खुले, आप ज़्यादा तनाव में हों। हो सकता है आपको भागे-भागे स्कूल जाना पड़े और फिर भी देर हो जाए।—नीतिवचन 6:10, 11.
आपके हमउम्र क्या कहते हैं: “मुझे टी.वी देखने, गिटार बजाने और दोस्तों के साथ घूमने-फिरने का बहुत शौक है। इन चीज़ों में कोई बुराई नहीं; लेकिन कभी-कभी ये हमारा सारा समय खा जाती हैं। और फिर ज़रूरी कामों के लिए मुझे हड़बड़ी करनी पड़ती है।”—जूलियन।
क्या बात आपकी मदद करेगी? शेड्यूल में सिर्फ ज़रूरी काम ही नहीं, बल्कि शौक भी शामिल कीजिए। जूलियन कहती है: “जब मुझे यह पता रहता है कि बाद में मुझे मज़ेदार काम करने हैं, तो ज़रूरी काम झटपट निपट जाते हैं।”
एक और नुस्खा: एक बड़ा लक्ष्य रखिए, फिर उसे हासिल करने के लिए छोटे-छोटे लक्ष्य रखिए। सोलह साल का जोई, जिसका ज़िक्र पहले भी किया गया है, कहता है: “मैं पूरे समय का बाइबल टीचर बनना चाहता हूँ। यह लक्ष्य मुझे अपने शेड्यूल पर सख्ती से चलने में मदद देता है, ताकि मैं आगे आनेवाली और भी व्यस्त ज़िंदगी के लिए तैयारी कर सकूँ।”
आप क्या कर सकते हैं? ऐसे कौन-से एक-दो लक्ष्य हैं, जो आप आनेवाले छ: महीनों में हासिल कर सकते हैं?
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ऐसा कौन-सा लक्ष्य है, जिसे आप आनेवाले दो सालों में पा सकते हैं? उस लक्ष्य को पाने के लिए आपको अभी से क्या करने की ज़रूरत है?
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तीसरी चुनौती करीने से चीज़ें रखना
क्या बात आपको रोक सकती है? आपको शायद समझ न आए कि करीने से चीज़ें रखने और अपने समय का सही इस्तेमाल करने के बीच क्या नाता है। बल्कि आपको चीज़ें बिखराकर रखना ज़्यादा आसान लगे। आप शायद सोचें, ‘कमरा तो कल भी साफ किया जा सकता है। और अगर नहीं भी किया, तो चलेगा। चीज़ें अगर इधर-उधर पड़ी रहें, तो क्या फर्क पड़ता है?’ क्या वाकई इससे कोई फर्क नहीं पड़ता?
फिर भी आपको चीज़ें करीने से क्यों रखनी चाहिए? अगर चीज़ें अपनी जगह पर होंगी, तो वे आसानी से मिल जाएँगी। उन्हें ढूँढ़ने में न तो आपका वक्त ज़ाया होगा, ना ही आप परेशान होंगे।—1 कुरिंथियों 14:40.
आपके हमउम्र क्या कहते हैं: “कभी-कभी जब मेरे पास अपने कपड़े तह करने का समय नहीं होता, तो उनका ढेर लग जाता है। और पता नहीं कैसे जिस चीज़ की मुझे ज़रूरत पड़ती है, वह उसी ढेर में दब जाती है।”—मैंडी।
“मुझे अपना बटुआ एक हफ्ते तक नहीं मिला। ढ़ूँढ़-ढ़ूँढ़कर मेरा दिमाग खराब हो गया। बाद में वह मुझे अपना कमरा साफ करते वक्त मिला।”—फ्रेंक।
क्या बात आपकी मदद करेगी? जितना जल्द हो सके, चीज़ों को अपनी जगह वापस रख दीजिए। नियमित तौर पर सामान को कायदे से रखिए। इससे उनका ढेर नहीं लगेगा। नतीजा, सफाई झटपट हो जाएगी और चीज़ें ढूँढ़ना भी आसान होगा।
आप क्या कर सकते हैं? करीने से चीज़ें रखने की आदत डालिए। सब चीज़ों को अपनी-अपनी जगह रखिए और फिर देखिए, ज़िंदगी कितनी आसान हो जाती है।
इसलिए काल करे सो आज कर, आज करे सो अब। इस लेख के कौन-से सुझाव आपको सबसे ज़्यादा मददगार लगे?
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मैं ये सुझाव ․․․․․․ हफ्ते इस्तेमाल करूँगा और देखूँगा कि ये मुझे मदद देते हैं या नहीं। (g 6/09)
“नौजवान पूछते हैं” के और भी लेख, वेब साइट www.watchtower.org/ype पर उपलब्ध हैं
[फुटनोट]
^ इस लेख में नाम बदल दिए गए हैं।
इस बारे में सोचिए
◼ अपना भरसक करने के लिए आपको कितने घंटे नींद लेने की ज़रूरत है?
◼ अपना शेड्यूल बनाने में आप किसकी मदद ले सकते हैं?
◼ अगर आपका पहले से एक शेड्यूल है, तो आपको उसमें क्या फेरबदल करने की ज़रूरत है?
[पेज 22 पर तसवीर]
अगर आप पहले छोटी चीज़ें रखें, तो बाकी बड़ी चीज़ें रखने के लिए जगह नहीं रहेगी