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मैं दूसरों को अपने विश्‍वास के बारे में बताने से क्यों डरता हूँ?

मैं दूसरों को अपने विश्‍वास के बारे में बताने से क्यों डरता हूँ?

नौजवान पूछते हैं

मैं दूसरों को अपने विश्‍वास के बारे में बताने से क्यों डरता हूँ?

“स्कूल में मुझे अपने विश्‍वास के बारे में बात करने के कितने ही बेहतरीन मौके मिले। मगर मैंने उन्हें हाथ से जाने दिया।”—केलब। *

“एक दिन मेरी टीचर ने क्लास में पूछा कि विकासवाद के बारे में हम क्या सोचते हैं। मुझे पता था कि अपने विश्‍वास के बारे में बताने का इससे सुनहरा मौका मुझे फिर कभी नहीं मिलेगा। लेकिन डर के मारे मेरे हाथ-पैर फूल गए और मेरी बोलती बंद हो गयी। बाद में मेरा ज़मीर मुझे कचोटने लगा।”—जैस्मिन।

अगर आप एक मसीही जवान हैं, तो आपने शायद केलब और जैस्मिन की तरह महसूस किया होगा। उनकी तरह, आप भी बाइबल की सच्चाइयों से प्यार करते और उनके बारे में दूसरों को बताना चाहते हैं। पर शायद डर की वजह से आपकी ज़बान पर ताला लग जाता है। मगर घबराइए मत, आप हिम्मत जुटा सकते हैं। कैसे? हर साल जब आप नयी क्लास में जाते हैं, तो नीचे बताए कदम उठाइए:

1. अपने डर को कागज़ पर उतारिए। जब भी आप दूसरों को अपने विश्‍वास के बारे में बताने की सोचें, तो हो सकता है कि आप सबसे बुरे अंजाम के बारे में कल्पना करने लगें। लेकिन कई बार अगर आप उन बातों को लिख लें जिनसे आपको डर लगता है, तो आप अपने डर पर काबू पा सकते हैं।

नीचे दिया वाक्य पूरा कीजिए।

◼ अगर मैंने स्कूल में अपने विश्‍वास के बारे में बताया, तो यह हो सकता है:

.....

आपको शायद यह जानकर तसल्ली मिले कि आपकी तरह और भी कई मसीही जवान हैं, जिन्हें इस तरह का डर सताता है। उदाहरण के लिए, 14 साल के क्रिस्टफर ने कहा: “मुझे इस बात से डर लगता है कि बच्चे मेरा मज़ाक उड़ाएँगे और सबमें ढिंढोरा पीटेंगे कि मैं बहुत अजीबो-गरीब हूँ।” केलब, जिसका ज़िक्र लेख की शुरूआत में किया गया है, कहता है: “मुझे तो बस यही फिक्र रहती है कि अगर किसी ने मुझसे कोई ऐसा सवाल पूछ लिया जिसका जवाब मुझे नहीं मालूम, तो मैं क्या करूँगा।”

2. चुनौती स्वीकार कीजिए। क्या आपका डर बेबुनियाद है? ज़रूरी नहीं! ऐशली कहती है: “कुछ बच्चों ने मेरे विश्‍वास में दिलचस्पी दिखाने का नाटक किया। पर बाद में, वे मेरी कही बातों को तोड़-मरोड़कर मेरी बुराई करने लगे। यही नहीं, वे दूसरों के सामने मुझे चिढ़ाने भी लगे।” सत्रह साल की निकोल कहती है: “एक लड़के ने अपनी बाइबल की एक आयत मेरी बाइबल से मिलायी और पाया कि दोनों में अलग-अलग शब्द इस्तेमाल किए गए हैं। इस पर उसने कहा कि मेरी बाइबल में फेरबदल की गयी है। यह सुनकर मैं सकपका गयी! मुझे कुछ नहीं सूझा कि मैं क्या जवाब दूँ।” *

माना कि इस तरह के हालात में पड़ना काफी डरावना हो सकता है। मगर इनसे भागिए मत! इसके बजाय, इन्हें मसीही ज़िंदगी में आनेवाली आम चुनौती के तौर पर स्वीकार कीजिए। (2 तीमुथियुस 3:12) तेरह साल का मैथ्यू बताता है: “यीशु ने कहा था कि उसके चेलों पर ज़ुल्म ढाए जाएँगे। इसलिए हम यह उम्मीद नहीं कर सकते कि हर कोई हमें पसंद करेगा या हमारा विश्‍वास मानेगा।”—यूहन्‍ना 15:20.

3. फायदे सोचिए। हालात चाहे कितने ही बुरे क्यों न हों, क्या इनसे कभी कुछ अच्छा निकल सकता है? ज़रूर निकल सकता है। इक्कीस साल की एंबर ने यही पाया। वह कहती है: “जो लोग बाइबल की इज़्ज़त नहीं करते, उन्हें अपने विश्‍वास के बारे में बताना टेढ़ी खीर है। लेकिन इससे कम-से-कम यह तो पता चलता है कि विश्‍वास के मामले में हम कितने पानी में हैं।”—रोमियों 12:2.

पहले कदम में बताए हालात पर दोबारा गौर कीजिए। उनसे होनेवाले कम-से-कम दो फायदों के बारे में सोचिए और नीचे लिखिए।

1 .....

2 .....

सुराग: दूसरों को अपने विश्‍वास के बारे में बताने से साथियों का दबाव कैसे कम हो सकता है? इससे आपके आत्म-विश्‍वास पर क्या असर पड़ेगा? यहोवा परमेश्‍वर के बारे में आप कैसा महसूस करेंगे? और खुद यहोवा आपके बारे में कैसा महसूस करेगा?—नीतिवचन 23:15.

4. तैयार रहिए। नीतिवचन 15:28 कहता है: “धर्मी मन में सोचता है कि क्या उत्तर दूं।” आप क्या जवाब देंगे, इसकी तैयारी कीजिए। साथ ही यह भी सोचकर रखिए कि दूसरे क्या-क्या सवाल पूछ सकते हैं। इन सबके बारे में खोजबीन कीजिए। फिर ऐसे जवाब चुनिए, जिन्हें आप आसानी से समझा पाएँ।—पेज 27 पर दिया चार्ट देखिए, “जवाब देने की तैयारी कीजिए।”

5. शुरूआत कीजिए। एक बार जब आप अपने विश्‍वास के बारे में बताने के लिए तैयार हैं, तो आप बातचीत की शुरूआत कैसे कर सकते हैं? इसके कई तरीके हैं। अपने विश्‍वास के बारे में बताना, तैरने के समान है। कुछ लोग धीरे-धीरे पानी में उतरते हैं, जबकि दूसरे सीधे छलाँग लगाते हैं। उसी तरह, आप भी अपने विश्‍वास के बारे में बताने की शुरूआत धीरे-धीरे कर सकते हैं। पहले, धर्म से हटकर किसी और विषय पर बात कीजिए। अगर उसे दिलचस्पी है, तब उसे अपने विश्‍वास के बारे में बताइए। दूसरी तरफ, अगर आपको इस बात की कुछ ज़्यादा ही चिंता है कि कुछ-न-कुछ गड़बड़ हो जाएगी, तो सीधे अपने विश्‍वास के बारे में बात करना शुरू कीजिए। (लूका 12:11, 12) सत्रह साल का ऐंड्रू कहता है: “जब मैं अपने विश्‍वास के बारे में बताने की सोचता हूँ, तो मेरी जान सूख जाती है। लेकिन असल में जब मैं बात करता हूँ, तो यह कई गुना आसान होता है। एक बार जब बातचीत शुरू हो जाती है, तो सबकुछ इतना आसान हो जाता है जितना मैंने कभी सोचा भी नहीं होता।” *

6. समझ से काम लीजिए। ज़ाहिर है कि पानी कम होने पर आप उसमें छलाँग नहीं लगाएँगे। उसी तरह, बेकार की बहस में मत पड़िए। याद रखिए, बोलने का एक समय होता है और चुप रहने का भी। (सभोपदेशक 3:1, 7) यीशु ने भी कई मौकों पर सवाल का जवाब देने से इनकार कर दिया था। (मत्ती 26:62, 63) इसके अलावा, यह सिद्धांत गाँठ बाँध लीजिए: “चतुर मनुष्य विपत्ति को आते देखकर छिप जाता है; परन्तु भोले लोग आगे बढ़कर दण्ड भोगते हैं।”—नीतिवचन 22:3.

इसलिए जब कभी आपको लगे कि बहस छिड़नेवाली है, तो उसमें ‘आगे मत बढ़िए।’ इसके बजाय, सोच-समझकर चंद शब्दों में जवाब दीजिए। उदाहरण के लिए, अगर आपकी क्लास में कोई आपको ताना मारे, ‘तुम सिगरेट क्यों नहीं पीते?’ तो आप सीधे-से कह सकते हैं: ‘क्योंकि मैं अपना शरीर गंदा नहीं करना चाहता।’ फिर वह क्या जवाब देता है, यह सुनने के बाद तय कीजिए कि आप उसे अपने विश्‍वास के बारे में आगे बताएँगे या नहीं।

अगर आप ऊपर बताए कदम उठाएँगे, तो आप अपने विश्‍वास की “पैरवी करने के लिए हमेशा तैयार” रहेंगे। (1 पतरस 3:15) मगर तैयार रहने का यह मतलब हरगिज़ नहीं कि आपको कभी घबराहट नहीं होगी। फिर भी, अगर आप अपने विश्‍वास के बारे में बताएँ, तो इसके कई फायदे हैं। अठारह साल की आलेना कहती है: “घबराहट के बावजूद अपने विश्‍वास के बारे में बताने से ऐसा महसूस होता है कि आपने कुछ कर दिखाया है। आप अपने डर पर काबू पाते हैं और कहीं कुछ गड़बड़ न हो जाए, इस खतरे का भी सामना कर पाते हैं। और अगर सबकुछ ठीक-ठाक रहा, फिर तो सोने में सुहागा! आपको खुशी होगी कि आपने हिम्मत जुटाकर बात की।” (g 7/09)

“नौजवान पूछते हैं” के और भी लेख, वेब साइट www.watchtower.org/ype पर उपलब्ध हैं

[फुटनोट]

^ इस लेख में कुछ नाम बदल दिए गए हैं।

^ बाइबल के अलग-अलग अनुवादों में अलग-अलग शब्दों का इस्तेमाल हुआ है। इनमें से कुछ अनुवाद, मूल भाषाओं में लिखी बाइबल से काफी मिलते-जुलते हैं।

^ पेज 28 पर बक्स,  “बातचीत शुरू करना” देखिए।

इस बारे में सोचिए

हो सकता है कि आपके स्कूल का कोई साथी ऐसा सोचता हो:

‘मैं जानती हूँ कि तुम एक यहोवा के साक्षी हो। तुम्हें शायद लगे कि मैं तुम्हारा मज़ाक उड़ाऊँगी, मगर सच तो यह है कि मैं तुम्हारी बहुत इज़्ज़त करती हूँ। एक बात पूछूँ, तुम इतना शांत कैसे रह पाते हो, जबकि पूरी दुनिया में मुसीबत-ही-मुसीबत है? यह सब देखकर मुझे तो बहुत डर लगता है। मेरे दिमाग में तरह-तरह के सवाल घूमते रहते हैं। जैसे, क्या बहुत जल्द एक और लड़ाई होनेवाली है? कहीं मेरे मम्मी-पापा का तलाक तो नहीं हो जाएगा? आजकल स्कूल में बच्चे बात-बात पर बंदूक और छुरे निकाल लेते हैं, ऐसे में मैं सोचती हूँ कि क्या आज का दिन मैं सही-सलामत रह पाऊँगी? मेरी ज़िंदगी तो मानो समस्याओं के जाल में उलझी हुई है, लेकिन तुम्हारी ज़िंदगी की गाड़ी तो बड़े आराम से पटरी पर दौड़ रही है। क्या यह तुम्हारे धर्म की वजह से है? मैं कब से इस बारे में तुमसे चर्चा करना चाहती हूँ, लेकिन शुरू करने से डरती हूँ। क्या तुम मेरी मदद करोगे?’

[पेज 28 पर बक्स/तसवीरें]

आपके हमउम्र क्या कहते हैं?

“जब मैं अपने विश्‍वास के बारे में बताती हूँ, तो कुछ बच्चे मेरा मज़ाक उड़ाते हैं। लेकिन जब वे देखते हैं कि उनके चिढ़ाने का मुझ पर कोई असर नहीं होता, तो वे मुझे अकेला छोड़ देते हैं।”—लक्समबर्ग की फ्राँचेस्का।

“अगर आप दूसरों को न बताएँ कि आप एक मसीही हैं, तो आप अपनी मसीही पहचान खो सकते हैं। नतीजा, आप दूसरों की तरह पेश आने लगेंगे। आप उनकी देखा-देखी नहीं कर सकते, बल्कि आपको वैसे ही रहना होगा, जैसे आप हैं।” —अमरीका की समैनथा।

“बचपन में मैं दूसरे बच्चों से अलग नहीं दिखना चाहता था। मगर फिर मैंने इस बात की कदर करना शुरू किया कि मेरे विश्‍वास की वजह से ही मेरी ज़िंदगी सँवरी है। इस एहसास से मेरा आत्म-विश्‍वास बढ़ा है। और मैं जिन बातों पर विश्‍वास करता हूँ, उन पर मुझे नाज़ है।”—न्यू जीलैंड का जेसन।

 [पेज 28 पर बक्स]

बातचीत शुरू करना

“गर्मी की छुट्टियों में तुमने क्या करने की सोची है?” [जवाब जानने के बाद, बताइए कि आप छुट्टियों में परमेश्‍वर की सेवा से जुड़े कौन-से काम करेंगे। जैसे, अधिवेशन में जाना या अपनी सेवा बढ़ाना।]

◼ हाल की कोई खबर बताइए और फिर पूछिए: “क्या तुमने यह खबर सुनी? इस बारे में तुम्हारा क्या खयाल है?”

“क्या तुम्हें लगता है कि दुनिया की आर्थिक हालत [या कोई दूसरी समस्या] कभी सुधरेगी? [जवाब के लिए रुकिए।] तुम्हें ऐसा क्यों लगता है?”

“तुम किस धर्म को मानते हो?”

“तुम्हें क्या लगता है, आज से पाँच साल बाद तुम्हारी ज़िंदगी कैसी होगी?” [जवाब जानने के बाद बताइए कि परमेश्‍वर की सेवा में आपने क्या लक्ष्य रखे हैं।]

[पेज 28 पर चार्ट]

(भाग को असल रूप में देखने के लिए प्रकाशन देखिए)

जवाब देने की तैयारी कीजिए इसे काट लीजिए!

सुझाव: इस चार्ट पर अपने मम्मी-पापा और दोस्तों के साथ चर्चा कीजिए। इसे भरिए। फिर सोचिए कि आपकी क्लास के बच्चे और क्या सवाल पूछ सकते हैं।

सवाल जवाब

नैतिकता समलैंगिकता के बारे में मैं समलैंगिक लोगों से

आपकी क्या राय है? नफरत नहीं करता, मगर उनके

चालचलन को मंज़ूरी भी नहीं दे

सकता।

डेटिंग तुम डेट पर क्यों मैंने तय किया है कि जब तक

नहीं जाते? मैं बड़ा और समझदार नहीं हो

जाता, तब तक मैं किसी भी लड़की

से नाता नहीं जोड़ूँगा।

निष्पक्षता तुम झंडे को सलामी मैं जिस देश में

रहता क्यों नहीं देते? हूँ उसकी इज़्ज़त करता हूँ,

लेकिन पूजा नहीं करता।

लहू तुम्हें खून चढ़ाना क्यों क्योंकि बाइबल कहती है

मंज़ूर नहीं? कि लहू से दूर रहो। मगर हम

बगैर खून के इलाज कबूल करते हैं।

और इनमें एड्‌स होने का खतरा भी

नहीं रहता।

चुनाव फलाँ व्यक्‍ति तुम्हारे धर्म का हमें सिखाया गयाहै

है और उसने फलाँ काम किए कि परमेश्‍वर हमसे क्या

हैं। तो तुम क्यों नहीं कर सकते? चाहता है, पर हमें कोई

पट्टी नहीं पढ़ायी गयी है।

हम सबको अपना फैसला खुद

लेना होगा।

सृष्टि तुम विकासवाद में विश्‍वास मैं विकासवाद पर

क्यों नहीं करते? क्यों विश्‍वास करूँ? जबकि

जाने-माने वैज्ञानिक खुद

इससे सहमत नहीं।

अगला सवाल खोजबीन जवाब

नैतिकता क्या इससे तुम 1 कुरिंथियों 6:9, 10; नहीं,

भेद-भाव नहीं नौजवान पूछते हैं— क्योंकि मैं हर

कर रहे होगे? कारगर जवाब, तरह के अनैतिक कामों

भाग 2, अध्याय 28. * के खिलाफ हूँ, फिर

चाहे वह

समलैंगिकता हो या कुछ और।

डेटिंग क्या यह तुम्हारे श्रेष्ठगीत 8:4; जी हाँ। हम

धर्म की वजह नौजवान पूछते एक-दूसरे के साथ

से है? हैं—कारगर जवाब, डेट पर तभी जाते हैं,

भाग 2, अध्याय 1. जब हमारा

शादी करने का इरादा

हो। और मुझे पता है कि मैं

फिलहाल इसके लिए तैयार नहीं!

निष्पक्षता तो इसका मतलब यशायाह 2:4; नहीं।

तुम अपने वतन यूहन्‍ना 13:35; और ना ही दूसरे

के लिए लड़ोगे बाइबल असल में देश में रहनेवाले

भी नहीं? क्या सिखाती है? लाखों यहोवा के साक्षी

पेज 148-151. * इस देश के खिलाफ

हथियार उठाएँगे।

लहू लेकिन अगर प्रेषितों 5:28, 29; .....

क्या यह इब्रानियों 11:6;

दोगलापन नहीं? बाइबल असल में

क्या सिखाती है?

पेज 129-131.

चुनाव तुम्हारी जान ..... .....

पर बन आयी हो

तो? ऐसे में अगर

तुम खून चढ़ा लो,

तो क्या परमेश्‍वर

तुम्हें माफ नहीं करेगा?

सृष्टि ..... ..... .....

[फुटनोट]

^ इन किताबों को यहोवा के साक्षियों ने प्रकाशित किया है।

^ इन किताबों को यहोवा के साक्षियों ने प्रकाशित किया है।

[पेज 22 पर तसवीर]

अपने विश्‍वास के बारे में बताना, तैरने के समान है। आप पानी में या तो धीरे-धीरे उतर सकते हैं, या फिर सीधे छलाँग लगा सकते हैं