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सादगी का बोलबाल, ज़िंदगी खुशहाल

सादगी का बोलबाल, ज़िंदगी खुशहाल

सादगी का बोलबाल, ज़िंदगी खुशहाल

एक सादी ज़िंदगी जीने से सचमुच बहुत फायदे मिलते हैं। लेकिन इस तरह की ज़िंदगी जीने में क्या शामिल है? सबसे पहले आपको शायद यह जानना होगा कि आपके लिए क्या बातें अहमियत रखती हैं। यह आप कैसे पता कर सकते हैं?

खुद से पूछिए: ‘अब तक मैंने क्या हासिल किया है? मुझे आगे और क्या करना है?’ नीचे दी जगह में अपने मुख्य लक्ष्य लिखिए:

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दुनिया में ज़्यादातर लोग सिर्फ आज के लिए जीते हैं और धन-दौलत बटोरने में ही लगे रहते हैं। मानो वे यह कह रहे हों: “आओ हम खाएँ-पीएँ, क्योंकि कल तो मरना ही है।” (1 कुरिंथियों 15:32) उनकी नज़र में ज़िंदगी का दूसरा नाम है, कमाना और लुटाना। मगर बाइबल इस तरह की सोच को सही नहीं मानती।

यीशु ने एक ऐसे आदमी की कहानी सुनायी जिसने अपने लिए अच्छी-अच्छी चीज़ें जमा की थीं। मगर इससे पहले कि वह उनका मज़ा ले पाता, वह मर गया। यीशु ने आखिर में कहा, “ऐसा ही वह इंसान है जो धन-दौलत बटोरने में लगा रहता है, मगर परमेश्‍वर की नज़र में असल में कंगाल है।” (लूका 12:16-21) क्या उस आदमी का अपनी ज़रूरत के लिए मेहनत करना गलत था? बिलकुल नहीं। मगर उसका सारा ध्यान पैसों और ऐशो-आराम की चीज़ों पर था, उसने परमेश्‍वर के बारे में ज़रा-भी नहीं सोचा। यह गलत था। नतीजा, उसने जिस दौलत के लिए दिन-रात एक कर दिया, वह उसके किसी काम की नहीं रही। कितने अफसोस की बात!—सभोपदेशक 2:17-21; मत्ती 16:26.

इसके उलट, यीशु हमें न्यौता देता है कि हम उस इनाम के लिए काम करें जो हमेशा तक कायम रहेगा। यीशु ने बढ़ावा दिया, “उस खाने के लिए काम मत करो जो मिट जाता है, बल्कि उस खाने के लिए काम करो जो कायम रहता है और हमेशा की ज़िंदगी देता है।” (यूहन्‍ना 6:27) इससे पहले यीशु ने कहा था: “परमेश्‍वर ने दुनिया से इतना ज़्यादा प्यार किया कि उसने अपना इकलौता बेटा दे दिया, ताकि जो कोई उस पर विश्‍वास दिखाता है, वह नाश न किया जाए बल्कि हमेशा की ज़िंदगी पाए।” (यूहन्‍ना 3:16) वाह! क्या ही बढ़िया इनाम!

चिंता से छुटकारा कैसे पाएँ?

यीशु ने कबूल किया कि इंसानों की यह फितरत होती है कि वे अपने खाने-पहनने की बहुत ज़्यादा चिंता करते हैं। इसलिए उसने अपने चेलों को उकसाया: “इस बात की खोज करना बंद करो कि तुम क्या खाओगे और क्या पीओगे, और कशमकश में रहकर चिंता करना बंद करो। क्योंकि इन्हीं सब चीज़ों के पीछे इस दुनिया के लोग दिन-रात भाग रहे हैं, मगर तुम्हारा पिता जानता है कि तुम्हें इन चीज़ों की ज़रूरत है। इसके बजाय, उसके राज की खोज में लगे रहो और ये चीज़ें तुम्हें दे दी जाएँगी।”—लूका 12:29-31.

हिम्मत बँधानेवाले इन शब्दों ने बहुत-से मसीहियों को अपना जीवन सादा करने के लिए उभारा है। मलेशिया में रहनेवाली जूलीयट कहती है: “मेरा काम ऐसा था कि शाम को घर लौटते-लौटते मैं पस्त और निराश महसूस करती थी। इसलिए मैंने और मेरे पति ने यहोवा से प्रार्थना की कि वह हमें अपना जीवन सादा करने में मदद दे। यहोवा ने तुरंत हमारी प्रार्थना का जवाब दिया। एक ही महीने के अंदर मुझे विकलांग बच्चों को पढ़ाने की पार्ट-टाइम नौकरी मिल गयी।” स्टीव, जो ऑस्ट्रेलिया में रहता है, छत बिछाने के काम का ठेकेदार है। उसने अपने काम में फेरबदल की ताकि वह अपने परिवार के साथ आध्यात्मिक कामों में ज़्यादा समय बिता सके। उसकी पत्नी मौरीन कहती है: “स्टीव पहले से ज़्यादा खुश रहता है और हम भी खुश हैं। मुझे और मेरे बच्चों को ऐसी ज़िंदगी पसंद है। वाकई, सादी ज़िंदगी जीने से पूरा परिवार फलता-फूलता है।”

लेकिन अगर आपकी नौकरी चली गयी है और आपका घर भी हाथ से जानेवाला है, तो ऐसे में यीशु की सलाह मानना आसान नहीं होगा। इसके लिए आपको मज़बूत विश्‍वास दिखाना होगा। ज़िंदगी में आध्यात्मिक कामों को अहमियत देने और यहोवा पर भरोसा रखने से आप भी सादी जिंदगी जीने और हर काम को सही जगह देने में कामयाब हो सकेंगे। ऐसा करने से आप “असली ज़िंदगी” यानी परमेश्‍वर की नयी दुनिया में हमेशा की ज़िंदगी हासिल कर पाएँगे। वह वक्‍त कितना लाजवाब होगा जब हर काम से हमें खुशी मिलेगी और हमारी कोई भी मेहनत बेकार नहीं जाएगी।—1 तीमुथियुस 6:17-19; यशायाह 65:21-23.

बाइबल जिस “असली ज़िंदगी” का वादा करती है, क्या आप उस बारे में और जानना चाहते हैं? अगर हाँ, तो कृपया अपने इलाके के यहोवा के साक्षियों से संपर्क कीजिए या फिर इस पत्रिका के पेज 5 पर दिए किसी भी नज़दीकी पते पर उन्हें खत लिखिए। (g10-E 01)

[पेज 31 पर बड़े अक्षरों में लेख की खास बात]

परमेश्‍वर की नयी दुनिया में हर काम हमें खुशी देगा और हमारी मेहनत बेकार नहीं जाएगी

[पेज 30 पर बक्स]

घर के बाहर क्या काम किए जा सकते हैं?

यहाँ कुछ सुझाव दिए गए हैं जो दुनिया के कुछ देशों में बेरोज़गारी के समय काम आ सकते हैं:

● घर की देखभाल करना (जब लोग छुट्टियों पर या बिज़नेस के सिलसिले में घर से बाहर होते हैं और चाहते हैं कि उनके घर की देखरेख की जाए)

● साफ-सफाई का काम: दुकानों में; दफ्तरों में; घर और फ्लैट के बनने के बाद, या उनमें आग लगने के बाद या फिर जब लोग वहाँ से शिफ्ट कर लेते हैं; (दूसरों के घर में) सफाई करना; (दफ्तरों और घरों की खिड़कियाँ) साफ करना

● मरम्मत करना: साइकिल; सभी किस्म के उपकरण

● छोटे-मोटे काम: कैबिनेट, दरवाज़े, बरामदा बनाना; रंगाई करना; बाड़ा लगाना; छत बिछाना

● खेती का काम: फसल लगाना या काटना, फल तोड़ना

● बिल्डिंग के अंदर पेड़-पौधे लगाना और उनकी देखभाल करना: दफ्तरों, बैकों, लॉबी, शॉपिंग सेंटर और ऊँचे-ऊँचे होटल जिनकी छत शीशे की बनी होती है

● बिल्डिंग का रख-रखाव: केयरटेकर, सुपरिन्टेंडेंट (कभी-कभी इन्हें रहने के लिए मुफ्त में क्वार्टर्स भी दिए जाते हैं)

● लकड़ी के फर्श की सफाई और पॉलिश करना, कालीन बिछाना

● अखबार बाँटना, दफ्तरों और घरों में इश्‍तहार या नगरपालिका की तरफ से बिल पहुँचाना

● सामान स्टोर करना और उसे शिफ्ट करना

● पेड़-पौधे लगाना, पेड़ों की छँटाई करना, लॉन की देखरेख करना, लकड़ी काटना

● स्कूल बस चलाना

● तसवीरें खींचना (किसी व्यक्‍ति की और खास कार्यक्रमों के दौरान)

● मछुवारों को चारा बेचना

● एक काम के बदले दूसरा काम करवाना: बिजली का काम करवाने के बदले गाड़ी की मरम्मत करना, प्लंबिंग का काम करवाने के बदले सिलाई का काम करना

ज़्यादा जानकारी के लिए अप्रैल 8, 1996 की सजग होइए! के पेज 3-11 देखिए।

[पेज 31 पर बक्स/तसवीर]

घर बैठे काम करने के सुझाव

अपने मुहल्ले की ज़रूरतों को जानने की कोशिश कीजिए। पड़ोसियों से पूछिए। फिर पहल कीजिए।

● बच्चों की देखरेख करना

● घर पर उगायी गयी सब्ज़ियाँ या फूल बेचना; ठंडा बेचना

● कपड़े सिलना, ऑल्टर करना या उधड़े-फटे कपड़े ठीक करना

● निर्माताओं से ठेके पर काम लेना

● आचार, पापड़ और दूसरे व्यंजन बनाना

● रज़ाइयाँ सिलना, क्रोशे और बुनाई करना; सूती कपड़े, अस्तर या जूट से साज-सज्जा के सामान बनाना, मिट्टी के बरतन बनाना और दूसरी शिल्पकारी करना

● कुर्सी या सोफे की गद्दियाँ बनाना

● हिसाब-किताब का काम करना, टाइपिंग, घर के कंप्यूटर से सेवाएँ उपलब्ध कराना

● अलग-अलग कंपनियों की तरफ से टेलिफोन पर जानकारी देना

● ब्यूटिशन का काम करना

● किराएदार या पेइंग गेस्ट रखना

● विज्ञापनवालों के लिए लिफाफे भरना और उन पर पता लिखना

● कार धोना और पॉलिश करना (ग्राहक आपके घर पर कार लाता है)

● तालों की मरम्मत करना और चाबियाँ बनाना (घर पर दुकान खोलना)

ध्यान दीजिए: इनमें से ज़्यादातर कामों के इश्‍तहार, परचों या पत्रिकाओं में मुफ्त या कम पैसों में दिए जा सकते हैं। और कुछ देशों में इन्हें सुपरमार्केट या सार्वजनिक जगहों के नोटिस बोर्ड पर लगाया जा सकता है।