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उसकी तरफ दूसरा गाल भी कर दे इसका क्या मतलब है?

उसकी तरफ दूसरा गाल भी कर दे इसका क्या मतलब है?

बाइबल क्या कहती है?

उसकी तरफ दूसरा गाल भी कर दे इसका क्या मतलब है?

अपने मशहूर पहाड़ी उपदेश में यीशु मसीह ने कहा: “जो दुष्ट है उसका मुकाबला मत करो; इसके बजाय, जो कोई तेरे दाएँ गाल पर थप्पड़ मारे, उसकी तरफ दूसरा गाल भी कर दे।”—मत्ती 5:39.

यीशु के कहने का मतलब क्या था? क्या वह मसीहियों से कह रहा था कि वे सिर झुकाकर सारे ज़ुल्म सहते रहें? क्या मसीहियों से यह उम्मीद की जाती है कि वे चुपचाप सब कुछ सहें और बचाव के लिए कानून का सहारा न लें?

यीशु की बात का मतलब क्या था?

यीशु की बात समझने के लिए, पहले हमें यह गौर करना होगा कि उसने यह बात किस माहौल में और किन लोगों से कही। यह सलाह देने से पहले यीशु ने पवित्र शास्त्र में दर्ज़ एक बात कही, जो उसके सुननेवाले अच्छी तरह जानते थे। उसने कहा: “तुम सुन चुके हो कि कहा गया था, ‘आँख के बदले आँख और दाँत के बदले दाँत।’”—मत्ती 5:38.

यीशु ने जो बात कही, वह निर्गमन 21:24 और लैव्यव्यवस्था 24:20 में दर्ज़ है। गौर करने लायक है कि परमेश्‍वर के कानून में “आँख के बदले आँख” की जो सज़ा मुकर्रर की गयी थी, वह तभी दी जाती थी जब अपराधी का मुकद्दमा याजकों और न्यायियों के सामने पेश किया जाता। वे हालात पर गौर करते और देखते कि जुर्म जानबूझकर किया गया है या नहीं, इसके बाद ही सज़ा सुनायी जाती थी।—व्यवस्थाविवरण 19:15-21.

समय के गुज़रते यहूदियों ने इस नियम को तोड़-मरोड़ दिया। उन्‍नीसवीं सदी में एडम क्लार्क ने बाइबल पर एक व्याख्या लिखी, जिसमें उसने कहा: “ऐसा लगता है कि यहूदी आपसी मन-मुटाव या रंजिश की वजह से जब दूसरों को नुकसान पहुँचाते, यहाँ तक कि बदला लेने के लिए खून-खराबे पर उतर आते, तब वे इस कानून [आँख के बदले आँख और दाँत के बदले दाँत] का सहारा लेकर अपने गलत कामों को सही ठहराते थे।” लेकिन शास्त्र में किसी को भी अपनी मरज़ी से बदला लेने का अधिकार नहीं दिया गया है।

पहाड़ी उपदेश में यीशु की यह शिक्षा कि मारनेवाले की “तरफ दूसरा गाल भी कर दे,” इसराएलियों को दिए परमेश्‍वर के नियम से पूरी तरह मेल खाता है क्योंकि दोनों का मकसद या आशय एक ही है। यीशु का यह मतलब नहीं था कि उसके चेलों को अगर एक गाल पर थप्पड़ मारा जाता है, तो उन्हें अपना दूसरा गाल भी फेर देना चाहिए। बाइबल के ज़माने में और आज भी अकसर देखा जाता है कि थप्पड़ का मकसद सिर्फ शारीरिक चोट पहुँचाना नहीं, बल्कि सामनेवाले को नीचा दिखाना होता है, ताकि वह झगड़ा करे।

इससे ज़ाहिर होता है कि यीशु का मतलब था कि अगर कोई व्यक्‍ति किसी को थप्पड़ मारकर या चुभनेवाली बात कहकर झगड़ा करने के लिए उकसाता है, तो सामनेवाले को उससे बदला नहीं लेना चाहिए। अगर वह बदला लेगा तो बुराई का बदला बुराई से देने का क्रूर सिलसिला चलता रहेगा।—रोमियों 12:17.

यीशु की सलाह राजा सुलैमान की कही बात से काफी मिलती-जुलती थी: “मत कह, कि जैसा उस ने मेरे साथ किया वैसा ही मैं भी उसके साथ करूंगा; और उसको उसके काम के अनुसार पलटा दूंगा।” (नीतिवचन 24:29) तो यीशु के चेले इस मायने में अपना दूसरा गाल आगे कर देते हैं कि वे मारनेवाले के उकसाने पर उसकी तरह नहीं बनते, जैसे कि वे उससे “होड़” लगा रहे हों।—गलातियों 5:26.

अपनी रक्षा करने के बारे में क्या?

दूसरा गाल आगे कर देने का मतलब यह नहीं कि एक मसीही दुश्‍मनों से अपनी हिफाज़त नहीं करेगा। यीशु यह नहीं कह रहा था कि हमें कभी अपनी हिफाज़त नहीं करनी चाहिए, बल्कि उसके कहने का मतलब था कि किसी के भड़काने पर हमें मार-पीट या बदला लेने पर उतारू नहीं हो जाना चाहिए। झगड़े से बचने के लिए जहाँ तक मुमकिन हो वहाँ से निकल जाना ही बेहतर होगा, लेकिन अगर हमें धमकी दी जाती है तो हम अपनी हिफाज़त के लिए कदम उठा सकते हैं और पुलिस की मदद ले सकते हैं।

पहली सदी में, यीशु के चेलों ने इसी सिद्धांत पर चलकर अपने कानूनी अधिकार की रक्षा की। यीशु ने अपने सभी चेलों को प्रचार करने की आज्ञा दी थी और प्रचार करने के अपने इस अधिकार की रक्षा करने के लिए प्रेषित पौलुस ने अपने समय की कानून-व्यवस्था का सहारा लिया। (मत्ती 28:19, 20) उदाहरण के लिए, जब पौलुस अलग-अलग जगहों पर प्रचार करता हुआ फिलिप्पी पहुँचा, तो उसे और उसके साथी सीलास को शहर के अधिकारियों ने गिरफ्तार कर लिया और उन पर कानून तोड़ने का इलज़ाम लगाया।

इसके बाद दोनों को सरेआम कोड़े मारे गए और बिना अदालती कार्यवाही के जेल में डाल दिया गया। लेकिन फिर जैसे ही पौलुस को मौका मिला, उसने एक रोमी नागरिक होने के नाते अपने अधिकार का दावा किया। जब अधिकारियों को इसका पता चला तो उनके पसीने छूट गए और उन्होंने पौलुस और सीलास से मिन्‍नत की कि वे बिना कोई परेशानी खड़ी किए वहाँ से चले जाएँ। इस तरह पौलुस ने “खुशखबरी की पैरवी करने और उसे कानूनी तौर पर मान्यता दिलाने” में एक नमूना पेश किया।—प्रेषितों 16:19-24, 35-40; फिलिप्पियों 1:7.

पौलुस की तरह आज भी यहोवा के साक्षियों को परमेश्‍वर की सेवा करने के अपने हक के लिए कानून का सहारा लेना पड़ा। उन्हें कई बार अदालत का दरवाज़ा खटखटाना पड़ा। ऐसा उन देशों में भी करना पड़ा, जहाँ की सरकार नागरिकों को अपना धर्म मानने की आज़ादी देने का दावा करती है। प्रचार के अलावा, यहोवा के साक्षी तब भी अपनी हिफाज़त के लिए कानून का सहारा लेते हैं, जब उन पर ज़ुल्म ढाए जाते हैं या उनकी सुरक्षा का मामला खड़ा होता है। उस वक्‍त वे मारनेवाले के आगे अपना दूसरा गाल नहीं फेर देते।

इस तरह सच्चे मसीही होने के नाते, साक्षी अपने कानूनी अधिकार पाने के लिए ज़रूरी कदम उठाकर बिलकुल सही करते हैं; हालाँकि वे जानते हैं कि इससे ज़्यादा फायदा नहीं होगा। और यही वजह है कि वे यीशु की तरह इन मामलों को परमेश्‍वर के हाथ में छोड़ देते हैं और भरोसा रखते हैं कि उसे मामले की सही जानकारी है और जब वह न्याय करेगा तब उसका न्याय सिद्ध होगा। (मत्ती 26:51-53; यहूदा 9) सच्चे मसीही हमेशा याद रखते हैं कि बदला लेना यहोवा का काम है।—रोमियों 12:17-19. (g10-E 09)

क्या आपने कभी सोचा है?

● मसीहियों को क्या नहीं करना चाहिए?—रोमियों 12:17.

● क्या बाइबल कानूनी तौर पर अपनी हिफाज़त करने से मना करती है?—फिलिप्पियों 1:7.

● यीशु को अपने पिता पर क्या भरोसा था?—मत्ती 26:51-53.