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मुझे सोशल नेटवर्क के बारे में क्या पता होना चाहिए?—भाग 1

मुझे सोशल नेटवर्क के बारे में क्या पता होना चाहिए?—भाग 1

नौजवान पूछते हैं

मुझे सोशल नेटवर्क के बारे में क्या पता होना चाहिए?—भाग 1

“मेरे कुछ दोस्त दूसरे देशों में रहते हैं और उनके संपर्क में रहने का सबसे बढ़िया तरीका है, सोशल नेटवर्क। कमाल है ना, इतनी दूर होते हुए भी हम एक-दूसरे से बात कर पाते हैं!—सुरभी, 17 साल। *

“मेरे खयाल से सोशल नेटवर्क समय की बरबादी है। यह उनके लिए है जो लोगों से मिलने-जुलने में आलस करते हैं। पक्की दोस्ती तभी कायम हो सकती है, जब आमने-सामने मिलकर बातचीत की जाए।”—गौरव, 19 साल।

सोशल नेटवर्क के बारे में ऊपर जो राय बतायी गयी हैं, उनमें से आप किससे सहमत हैं? आप चाहे जो भी राय रखते हों, सच तो यह है कि आज सोशल नेटवर्क ज़ोर पकड़ता जा रहा है। * इन आँकड़ों पर गौर कीजिए: रेडियो को 5 करोड़ लोगों तक पहुँचने में 38 साल लगे, टेलीविज़न को 13 साल और इंटरनेट को 4 साल। सोशल नेटवर्क की एक वेब साईट है फेसबुक। लेकिन हाल ही के बस 12 महीनों के दौरान, सोशल नेटवर्क की एक वेब साईट, फेसबुक का इस्तेमाल करनेवालों की गिनती में 20 करोड़ का इज़ाफा हुआ!

आपके मुताबिक नीचे दिया गया वाक्य सही है या गलत; निशान लगाइए:

सोशल नेटवर्क का सबसे ज़्यादा इस्तेमाल किशोर बच्चे करते हैं। ___ सही ___ गलत

जवाब: गलत। सोशल नेटवर्क की सबसे जानी-मानी साइट का इस्तेमाल करनेवालों में करीब दो तिहाई लोग, 25 साल या उससे ज़्यादा उम्र के हैं। सन्‌ 2009 में जिन लोगों ने इस साइट पर खाता खोला उनमें से ज़्यादातर की उम्र 55 के ऊपर थी।

लेकिन लाखों नौजवान भी सोशल नेटवर्क का इस्तेमाल करते हैं और कुछ तो बातचीत के लिए यही तरीका पसंद करते हैं। जेसिका नाम की एक लड़की कहती है, “मैंने अपना खाता निष्क्रिय कर दिया था, लेकिन फिर उसे दोबारा खोल दिया क्योंकि फोन पर मुझसे कोई बात ही नहीं करता था। अगर हम सोशल नेटवर्क पर ना हों, तो जैसे लोग हमें भूल ही जाते हैं!”

लोग सोशल नेटवर्क को इतना पसंद क्यों करते हैं? जवाब साफ है: इंसानों में एक-दूसरे से बातचीत करने की जन्मजात इच्छा होती है और सोशल नेटवर्क यही ज़रूरत पूरी करता है। आइए देखें कि क्या बात कई लोगों को इसकी ओर खींचती है।

1. सुविधा।

“दोस्तों की खोज-खबर रखना वैसे तो बहुत मुश्‍किल होता है, लेकिन जब वे सभी एक ही साइट पर आ जाते हैं तो यह आसान हो जाता है।”—लीना, 20 साल।

“अगर मैं साइट पर अपने विचार लिख दूँ, तो यह ऐसा है मानो मैंने अपने सभी दोस्तों को एक साथ ई-मेल भेज दिया हो।”—कामना, 20 साल।

2. साथी।

“लोग हमेशा मुझे अपने दोस्तों की लिस्ट में शामिल होने का न्यौता भेजते रहते हैं, लेकिन मैंने खाता खोला ही नहीं है इसलिए मैं उनका न्यौता भी कबूल नहीं कर पाती।”—नैना, 22 साल।

“जब मैं लोगों से कहती हूँ कि मैंने खाता ना खोलने का फैसला किया है, तो उनके चेहरे पर एक प्रश्‍न चिन्ह-सा आ जाता है, मानो कहना चाहते हों, ‘आखिर क्यों? बात क्या है?’”—हिमानी, 18 साल।

3. मीडिया।

“मीडिया लोगों को यह यकीन दिलाने की कोशिश करता है कि अगर आप किसी इलेक्ट्रॉनिक माध्यम से लोगों के संपर्क में नहीं रहते तो आपके कोई दोस्त नहीं होंगे और अगर आपका कोई दोस्त नहीं तो आपकी कोई ज़िंदगी ही नहीं। इसका मतलब यह हुआ कि अगर आप सोशल नेटवर्क पर नहीं हैं, तो आपका कोई वजूद ही नहीं है।”—कटरीना, 18 साल।

4. स्कूल।

“मेरे कई टीचर सोशल नेटवर्क का इस्तेमाल करते हैं। कुछ टीचर वेब साइट पर ही लिख देते हैं कि हमारा अगला टैस्ट कब होगा। या फिर, जब मुझे कुछ पूछना हो, जैसे गणित के किसी सवाल के बारे में, तो मैं अपने टीचर के ‘वॉल’ पर एक संदेश लिख देती हूँ और वे इंटरनेट पर ही उसे हल करने में मेरी मदद कर देते हैं।”—मेघना, 17 साल।

5. काम।

“नौकरी तलाशनेवाले सोशल नेटवर्क के ज़रिए दूसरों से संपर्क करते हैं। कभी-कभी इससे उन्हें नौकरी मिल जाती है।”—आभा, 20 साल।

“मैं अपने काम के लिए सोशल नेटवर्क का इस्तेमाल करता हूँ। इससे मेरे ग्राहक देख पाते हैं कि मैं फिलहाल ग्राफिक डिज़ाइन के किन प्रोजेक्टों पर काम कर रहा हूँ।”—दीप, 21 साल।

क्या आपको सोशल नेटवर्क पर अपना खाता खोलना चाहिए? अगर आप अपने माता-पिता के साथ रहते हैं तो इसका फैसला वे करेंगे। * (नीतिवचन 6:20) अगर वे नहीं चाहते कि आप एक खाता खोलें, तो आपको उनका फैसला मानना चाहिए।—इफिसियों 6:1.

दूसरी तरफ, कुछ माता-पिता अपने समझदार बच्चों को सोशल नेटवर्क का इस्तेमाल करने की इजाज़त देते हैं। लेकिन वे इसके इस्तेमाल पर नज़र भी रखते हैं। अगर आपके माता-पिता भी ऐसा करते हैं तो कहीं आपको ऐसा तो नहीं लगता कि वे आपके निजी मामले में दखल दे रहे हैं? ऐसा बिलकुल मत सोचिए! सोशल नेटवर्क एक बहुत तेज़ औज़ार की तरह है, इसलिए जब आप इसका इस्तेमाल करते हैं तो उनका आपके बारे में फिक्र करना वाजिब है। हकीकत तो यह है कि इंटरनेट की किसी भी साइट की तरह सोशल नेटवर्क साइट के भी कई खतरे हैं। अगर आपके माता-पिता आपको सोशल नेटवर्क पर खाता खोलने देते हैं, तो आप खुद को उन खतरों से कैसे बचा सकते हैं?

ध्यान से “गाड़ी चलाना”

हम इंटरनेट के इस्तेमाल की तुलना कुछ हद तक, गाड़ी चलाने से कर सकते हैं। आपने देखा होगा कि गाड़ी चलाने का लाइसेंस कई लोगों को मिलता है, लेकिन वे सभी ज़िम्मेदार ड्राइवर नहीं होते। गाड़ी चलाते वक्‍त लापरवाही बरतने से कई लोगों के साथ भयानक दुर्घटनाएँ भी हुई हैं।

इंटरनेट का इस्तेमाल करनेवाले भी कुछ ऐसे ही होते हैं। कुछ लोग ध्यान से “चलाते” हैं, तो कुछ लापरवाही से। आपके माता-पिता ने आपको सोशल नेटवर्क पर खाता खोलने दिया है क्योंकि उन्हें यह भरोसा है कि आप इस खतरनाक रस्ते पर ध्यान से गाड़ी चलाएँगे। तो आप कैसे “ड्राइवर” साबित हुए हैं? क्या आपने “खरी बुद्धि और विवेक की रक्षा” की है?—नीतिवचन 3:21.

इस लेख में हम सोशल नेटवर्क के इस्तेमाल के ऐसे दो पहलुओं पर चर्चा करेंगे, जिस पर ध्यान देना बहुत ज़रूरी है। एक है, आपकी निजी जानकारी और दूसरा, आपका समय। अगले लेख में हम नेकनामी और दोस्तों के चुनाव के बारे में चर्चा करेंगे।

आपकी निजी जानकारी

आप शायद सोचें कि अगर किसी को अपनी निजी जानकारी सुरक्षित रखने की इतनी ही फिक्र है, तो वह सोशल नेटवर्क पर खाता खोलेगा ही क्यों? आखिर सोशल नेटवर्क का मकसद ज़्यादा-से-ज़्यादा लोगों से संपर्क में रहना ही तो है। यह बात सच है; लेकिन अगर हम सावधान न रहें तो बड़ी मुसीबत में पड़ सकते हैं।

इसे समझने के लिए एक उदाहरण लीजिए। सोचिए कि आपके पास नोटों की गड्डियाँ हैं और आप अपने दोस्तों के साथ कहीं जा रहे हैं। क्या आप रास्ते में उन गड्डियों की नुमाइश करते चलेंगे? यह ऐसा है, मानो आप कह रहे हों, ‘आ बैल, मुझे मार!’ जी हाँ, यह तो चोरों को न्यौता देना हुआ! अगर आप अक्लमंद हैं तो नोटों की गड्डियाँ छिपाकर रखेंगे।

मान लीजिए, आपकी निजी जानकारी नोटों की गड्डियाँ हैं। अब नीचे दी सूची को देखिए और उस जानकारी पर निशान लगाइए जो आप किसी अजनबी को हरगिज़ नहीं देंगे।

___ अपने घर का पता

___ अपना ई-मेल पता

___ अपने स्कूल का पता

___ आप कब घर पर रहते हैं

___ कब घर पर कोई नहीं रहता

___ अपनी तसवीरें

___ अपना नज़रिया

___ अपनी पसंद-नापसंद

चाहे आप दुनिया के सबसे मिलनसार और दोस्ताना इंसान क्यों न हों, आप यह ज़रूर मानेंगे कि ऊपर दी सूची में कुछ बातें ऐसी हैं, जो किसी भी ऐरे-गैरे को नहीं बतानी चाहिए। लेकिन अफसोस कि कई किशोर बच्चों और बड़ों ने भी, बिना सोचे-समझे ऐसी जानकारी अजनबियों को दे दी है! आप इस खतरे से कैसे बच सकते हैं?

अगर आपके माता-पिता ने आपको सोशल नेटवर्क पर खाता खोलने दिया है, तो आपको इसकी गोपनीयता की सेटिंग से अच्छी तरह वाकिफ होना चाहिए और उनका इस्तेमाल करना चाहिए। अपनी निजी जानकारी को सुरक्षित रखने के लिए इन वेब साइटों के भरोसे मत रहिए। सच तो यह है कि गोपनीयता के मामले में वेब साइट पर खुद-ब-खुद जो सेटिंग होती हैं, उन्हें अगर आप न बदलें तो ऐसे लोग भी आपका पेज देख सकते हैं और उस पर अपने कमेंट लिख सकते हैं, जिनके बारे में आपने सोचा तक नहीं होगा। इसीलिए अलीशा नाम की एक लड़की ने गोपनीयता की सेटिंग में कुछ फेरबदल की, ताकि उसने अपने पेज पर जो जानकारी दी है वह सिर्फ उसके करीबी दोस्त देख सकें। वह कहती है, “मेरे कुछ दोस्तों के ऐसे दोस्त हैं, जिन्हें मैं नहीं जानती और मैं नहीं चाहती कि ये अजनबी मेरे बारे में पढ़ें।”

चाहे आप सिर्फ अपने करीबी दोस्तों से ही बातचीत करते हों तब भी आपको खबरदार रहना चाहिए। इक्कीस साल की कनिका कहती है, “आपको अपने दोस्तों की राय जानने की लत-सी पड़ सकती है। इस चक्कर में आप अपने बारे में कुछ ज़्यादा ही जानकारी देने लगते हैं, जो दरअसल आपको नहीं देनी चाहिए।”

हमेशा याद रखिए कि इंटरनेट पर कोई भी जानकारी पूरी तरह “गोपनीय” नहीं रहती। क्यों? ग्वेन शुरगन ओकीफ अपनी किताब, साइबरसेफ में कहती हैं: “कई वेब साइट, जानकारी की कॉपियाँ बना लेती हैं . . . हम साइट पर जो लिखते हैं, वह पूरी तरह कभी नहीं मिटता। हमें मान लेना चाहिए कि वह हमेशा के लिए रहेगा क्योंकि इसकी एक कॉपी कहीं-न-कहीं ज़रूर रहेगी। इस सच्चाई से मुँह मोड़ना बेवकूफी होगी।”

आपका समय

आपकी निजी जानकारी की ही नहीं, बल्कि आपके समय की तुलना भी नोटों की गड्डियों से की जा सकती है। इसका मतलब यह हुआ कि आपको अपना समय भी सोच-समझकर खर्च करना चाहिए। (सभोपदेशक 3:1) इंटरनेट के इस्तेमाल के मामले में यह एक बड़ी चुनौती है, फिर चाहे आप कोई भी साइट इस्तेमाल कर रहे हों। सोशल नेटवर्क की वेब साईटों के बारे में भी यह सच है। *

“मैंने कितनी ही बार कहा होगा, ‘मैं बस एक मिनट के लिए इंटरनेट पर जाऊँगी।’ लेकिन एक घंटे बाद भी मैं उसी से चिपकी रहती हूँ।”आशिमा, 18 साल।

“मुझे लत लग चुकी थी। स्कूल से घर पहुँचने के बाद मैं अपने पोस्ट पर दूसरों की राय पढ़ने और फिर उनके पोस्ट पढ़ने में इंटरनेट पर घंटों बिता देती।”—कंचन, 16 साल।

“मैं अपने फोन से भी सोशल नेटवर्क साइट पर जा सकती थी, सो मैं स्कूल जाते वक्‍त, स्कूल में और स्कूल से लौटते वक्‍त उसी में आँखें गड़ाए रहती और घर पहुँचकर सीधे कंप्यूटर पर बैठ जाती। मुझे मालूम था कि मुझे लत लग चुकी है, फिर भी मैं खुद को रोक न पाती!”—रुक्साना, 17 साल।

अगर आपके माता-पिता ने आपको सोशल नेटवर्क पर जाने की इजाज़त दी है तो यह तय कीजिए कि आपके लिए हर दिन उस पर कितना समय बिताना सही होगा। एक महीने तक यह रिकॉर्ड रखिए कि आपने सोशल नेटवर्क पर कितना समय बिताया। फिर जाँचिए कि आपने जितना समय तय किया था उतना ही समय बिताया या उससे ज़्यादा। यह मत भूलिए कि समय पैसे की तरह है। इसलिए ध्यान रखिए कि कहीं सोशल नेटवर्क आपका “दीवाला” ही न निकाल दे। आखिर ज़िंदगी में और भी कई चीज़ें हैं, जो ज़्यादा अहमियत रखती हैं।—इफिसियों 5:15, 16; फिलिप्पियों 1:10.

कुछ जवानों ने सोशल नेटवर्क पर बिताए समय पर काबू रखने के लिए जो कदम उठाए हैं उन पर गौर कीजिए:

“मैंने अपना खाता ही निष्क्रिय कर दिया। फिर क्या, मेरे पास समय ही समय था! मैं आज़ाद हो गयी! हाल ही में मैंने फिर से अपना खाता खोला है, मगर अब यह बिलकुल मेरे काबू में है। मैं कई दिनों तक अपना खाता चैक ही नहीं करती, कभी-कभी तो मैं उसके बारे में भूल ही जाती हूँ। अब अगर सोशल नेटवर्क मेरे काबू से बाहर हुआ, तो बस, मैं अपना खाता निष्क्रिय कर दूँगी।”—अलीशा, 19 साल।

“मैंने ‘नेटवर्क ब्रेक’ लेना शुरू कर दिया है, यानी मैं कुछ महीनों के लिए अपना खाता निष्क्रिय कर देती हूँ फिर दोबारा उसे खोल देती हूँ। मैं ऐसा तब करती हूँ जब मैं देखती हूँ कि मैं अपना बहुत ज़्यादा समय उसमें ज़ाया करने लगी हूँ। अब मेरा इसके लिए पहले जितना लगाव नहीं रहा। मैं एक मकसद से उसका इस्तेमाल करती हूँ और काम पूरा होने पर उसे बंद कर देती हूँ।”—रिनी, 22 साल।

सबसे अहम मुद्दा

सोशल नेटवर्क के एक और पहलू के बारे में जानना बेहद ज़रूरी है। इसे समझने के लिए नीचे दी तीन बातों में से आपको जो सबसे सही लगे, उस पर ✔ निशान लगाइए।

सोशल नेटवर्क साइट का अहम मकसद है . . .

(क)  ___ पैसा बनाना।

(ख) ___ लोगों की जान-पहचान कराना।

(ग)  ___ लोगों का मनोरंजन करना।

सही जवाब क्या है? आप मानें या ना मानें, जवाब है, (क)। सोशल नेटवर्क दरअसल एक बिज़नेस है। इसका मकसद है मुनाफा कमाना, खासकर विज्ञापनों के ज़रिए। और जो विज्ञापन देते हैं, उनको ज़्यादा फायदा तब होता है जब ज़्यादा-से-ज़्यादा लोग सोशल नेटवर्क वेब साइट के सदस्य बनते हैं और उनके पोस्ट ज़्यादा-से-ज़्यादा लोग पढ़ते हैं। ज़ाहिर सी बात है कि कोई जितना समय इंटरनेट पर बिताएगा वह उतने ही ज़्यादा विज्ञापन भी देखेगा।

तो इसका मतलब है कि आप वेब साइट पर जितने ज़्यादा लोगों से संपर्क करेंगे या जितना ज़्यादा समय बिताएँगे, उतना ही ज़्यादा, विज्ञापन देनेवालों और सोशल नेटवर्क वेब साइट चलानेवालों का मुनाफा होगा। इसलिए अगर आप सोशल नेटवर्क का इस्तेमाल करते हैं तो हर कीमत पर अपनी निजी जानकारी को सुरक्षित रखिए और सोच-समझकर अपने समय का इस्तेमाल कीजिए। (g11-E 07)

“नौजवान पूछते हैं” के अगले लेख में . . .

सोशल नेटवर्क का असर आपकी नेकनामी पर और आपके दोस्तों के चुनाव पर होता है। जानिए कैसे।

“नौजवान पूछते हैं” के और भी लेख, वेब साइट www.watchtower.org/ype पर उपलब्ध हैं

[फुटनोट]

^ इस लेख में नाम बदल दिए गए हैं।

^ सोशल नेटवर्क इस तरह की वेब साइट है जिस पर खाता खोलकर एक व्यक्‍ति अपने दोस्तों से बातचीत कर सकता है।

^ सजग होइए! किसी भी तरह की सोशल नेटवर्क साइट को ना तो बढ़ावा देती है, ना ही उसे गलत ठहराती है। मसीहियों को ध्यान रखना चाहिए कि वे इंटरनेट का इस्तेमाल करते वक्‍त बाइबल सिद्धांतों के खिलाफ ना जाएँ।—1 तीमुथियुस 1:5, 19.

^ ज़्यादा जानकारी के लिए, “नौजवान पूछते हैं . . . क्या मुझे इलेक्ट्रॉनिक चीज़ों की लत लग चुकी है?” देखिए, खासकर पेज 18 पर दिया बक्स, “मुझे सोशल नेटवर्क वेब साइट की लत लग चुकी थी।” यह लेख अप्रैल-जून 2011 की सजग होइए! में दिया गया है।

[पेज 15 पर बड़े अक्षरों में लेख की खास बात]

रेडियो को 5 करोड़ लोगों तक पहुँचने में 38 साल लगे

[पेज 15 पर बड़े अक्षरों में लेख की खास बात]

हाल के 1 ही साल में फेसबुक नाम की सोशल नेटवर्क साइट का इस्तेमाल करनेवालों की गिनती में 20 करोड़ का इज़ाफा हुआ है

[पेज 17 पर बक्स]

क्यों ना अपने माता-पिता से पूछें?

इंटरनेट पर अपनी निजी जानकारी सुरक्षित रखने के बारे में अपने माता-पिता से बातचीत कीजिए। कौन-सी बातें निजी रखनी चाहिए और क्यों? कौन-सी जानकारी देना खतरनाक हो सकता है, फिर चाहे वह किसी भी साइट पर दी जाए? साथ ही, अपने माता-पिता से इस बारे में सलाह लीजिए कि आप आमने-सामने बात करने और इंटरनेट पर बातचीत करने के बीच संतुलन कैसे बना सकते हैं। क्या उनके हिसाब से आपको कोई फेरबदल करने की ज़रूरत है?

[पेज 16 पर तसवीर]

सोशल नेटवर्क पर आप जो करते हैं वह उतना गोपनीय नहीं है जितना आप समझते हैं

[पेज 17 पर तसवीर]

समय पैसे की तरह है। अगर आप एक ही जगह पर सब खर्च कर देंगे तो ज़रूरत पड़ने पर आपके पास कुछ नहीं बचेगा