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कुछ लोग क्या मानते हैं?

कुछ लोग क्या मानते हैं?

हिंदुओं

का मानना है कि एक व्यक्‍ति अपने कर्मों का फल भुगतता है। उसने या तो इस जन्म में या पिछले जन्म में कोई पाप किया होगा जिस वजह से उस पर तकलीफें आयी हैं। वे यह भी मानते हैं कि पुनर्जन्म के इस चक्र से मोक्ष या मुक्‍ति पाने के लिए उन्हें दुनिया की मोह-माया छोड़नी होगी।

मुसलमानों

का मानना है कि जो लोग खुदा को नहीं मानते उन पर तकलीफें उनके गुनाहों की वजह से आती हैं। लेकिन जो खुदा को मानते हैं उन पर तकलीफें उनके ईमान को परखने के लिए आती हैं। ध्यान दीजिए कि उत्तर अमरीका के इस्लामिक सोसाइटी के अध्यक्ष, डॉक्टर सैयद सईद ने क्या कहा। वे कहते हैं, हादसे या तकलीफें हमें याद दिलाती हैं कि “हमें हमेशा खुदा की बरकतों के लिए एहसानमंद होना चाहिए और ज़रूरतमंदों की मदद करनी चाहिए।”

यहूदी परंपरा

के मुताबिक एक व्यक्‍ति पर तकलीफें उसके कामों की वजह से आती हैं। कुछ यहूदियों का मानना है कि जिन निर्दोष लोगों ने तकलीफें सही हैं, उनको दोबारा ज़िंदा किया जाएगा और इस तरह उन्हें न्याय मिलेगा। यहूदी धर्म के एक रहस्यवादी विचारधारा के मुताबिक, एक व्यक्‍ति का पुनर्जन्म होता है और हर जन्म में उसे अपने पापों का प्रायश्‍चित करने का मौका मिलता है।

बौद्ध धर्म

के लोगों का मानना है कि एक व्यक्‍ति कई बार जन्म लेता है और दुख झेलता है। यह सिलसिला तब तक जारी रहता है जब तक कि वह अपने बुरे कामों, गलत भावनाओं और इच्छाओं को छोड़ नहीं देता। अगर वह समझदार बने, अच्छे काम करे और अपने मन को साफ रखे, तो उसे निर्वाण प्राप्त होगा। इसका मतलब है, एक ऐसी दशा जिसमें सारी दुख-तकलीफों से मुक्‍ति मिल जाती है।

कन्फ्यूशी धर्म

के लोगों का मानना है कि ज़्यादातर तकलीफें इंसान की नाकामियों और गलतियों की वजह से आती हैं। वे यह भी सिखाते हैं कि एक अच्छी ज़िंदगी जीकर तकलीफें कम की जा सकती हैं, लेकिन बहुत-से मामलों में दुखों की वजह इंसान नहीं अदृश्‍य प्राणी होते हैं। ऐसे में एक इंसान को उसकी किस्मत में जो लिखा है, उसे चुपचाप मान लेना चाहिए।

कुछ आदिवासी धर्मों

में यह माना जाता है कि एक व्यक्‍ति पर तकलीफें इसलिए आती हैं क्योंकि किसी ने उस पर जादू-टोना किया है। उनकी यह धारणा है कि कुछ अदृश्‍य शक्‍तियाँ उनका अच्छा कर सकती हैं या बुरा और अलग-अलग रस्म निभाकर वे उनके बुरे असर को कम कर सकते हैं। उनका मानना है कि जब एक व्यक्‍ति बीमार हो जाता है, तो ओझा उन्हें ऐसी विधियाँ बता सकता है और ऐसी दवाइयाँ दे सकता है, जिससे उन शक्‍तियों के बुरे असर को रोका जा सके।

ईसाइयों

का मानना है कि तकलीफों की शुरूआत तब हुई जब पहले आदमी-औरत ने पाप किया। यही बात बाइबल में उत्पत्ति नाम की किताब में बतायी गयी है। लेकिन ईसाइयों के कई समूहों ने इस शिक्षा में अपने विचार जोड़ दिए हैं। उदाहरण के लिए, कुछ कैथोलिक लोगों का कहना है कि जब किसी पर तकलीफ आती है, तो वह अपनी तकलीफ ‘परमेश्‍वर को अर्पित’ कर सकता है। दूसरे शब्दों में कहें तो वह शायद परमेश्‍वर से बिनती करे कि उसकी तकलीफ से चर्च का भला हो या किसी का उद्धार हो।

ज़्यादा जानने के लिए

jw.org पर क्या ईश्‍वर की नज़र में सब धर्म एक हैं?  वीडियो देखें।