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समस्या की जड़

अकसर लोग इसलिए भेदभाव करते हैं क्योंकि उन्हें आधी-अधूरी जानकारी होती है। कुछ उदाहरणों पर गौर कीजिए:

  • कुछ लोगों का मानना है कि तकनीकी काम करना औरतों के बस की बात नहीं, इसलिए वे उन्हें ऐसी नौकरी पर नहीं रखते।

  • कुछ लोगों को लगता है कि अगर वे किसी ऐसे व्यक्‍ति से शादी करें जिसे नीची जाति का माना जाता है, तो वे दूषित हो जाएँगे।

  • कई लोगों को यह गलतफहमी है कि जो लोग देख नहीं सकते या चल-फिर नहीं सकते, वे हमेशा दुखी रहते हैं।

जो लोग ऐसी बातों पर यकीन करते हैं, वे अपनी बात सही साबित करने के लिए शायद कोई किस्सा बताएँ। उन्हें लगता है कि जो लोग उनकी तरह नहीं सोचते, वे नासमझ हैं।

पवित्र शास्त्र की सलाह

“बिना ज्ञान के रहना अच्छा नहीं।”​—नीतिवचन 19:2.

इससे हम क्या सीखते हैं? अगर हमें पूरी बात पता न हो या हम सुनी-सुनायी बातों पर यकीन करें, तो हो सकता है कि हम लोगों के बारे में गलत राय कायम कर लें।

पूरी जानकारी क्यों लें?

अगर हम किसी समाज के लोगों को अच्छी तरह जानने की कोशिश करें, तो हम उनके बारे में फैलायी गयी झूठी बातों पर तुरंत यकीन नहीं करेंगे। साथ ही, अगर हमारे मन में किसी दूसरे समाज के लोगों के बारे में भी कोई गलत धारणा है, तो हम उनके बारे में सच्चाई जानने की कोशिश करेंगे।

आप क्या कर सकते हैं?

याद रखिए:

  • लोग शायद किसी समाज के बारे में बुरा-भला कहें, मगर इसका यह मतलब नहीं कि उस समाज का हर एक व्यक्‍ति वैसा हो।

  • हमें शायद किसी समाज के बारे में सबकुछ न मालूम हो।

  • हर बात पर यकीन नहीं किया जा सकता, इसलिए सच्चाई का पता लगाने की कोशिश कीजिए।