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कहानी 21

यूसुफ के भाइयों की नफरत

यूसुफ के भाइयों की नफरत

ज़रा इस लड़के को देखिए, जिसे एक आदमी पकड़े हुए है। बेचारा कितना दुःखी लग रहा है। क्या आप जानते हैं वह कौन है? वह यूसुफ है। उसके भाइयों ने अभी-अभी उसे मिस्र देश जानेवाले आदमियों के हाथों बेच दिया। मिस्र में यूसुफ को गुलाम बनाकर रखा जाएगा। आखिर उसके सौतेले भाइयों ने उसे क्यों बेच दिया? क्योंकि वे यूसुफ से जलते थे। पर किस लिए?

दरअसल उनका पिता याकूब, यूसुफ से सबसे ज़्यादा प्यार करता था। इसलिए उसने यूसुफ को एक सुंदर-सा लंबा कुरता बनवाकर दिया। यह देखकर उसके बड़े भाई उससे जलने लगे और उससे नफरत करने लगे। मगर यूसुफ से नफरत करने की उनके पास एक और वजह थी।

यूसुफ ने दो सपने देखे थे। उन दोनों सपनों में यूसुफ ने देखा कि उसके भाई उसे झुककर सलाम कर रहे हैं। जब यूसुफ ने इन सपनों के बारे में अपने भाइयों को बताया, तो वे उससे और भी नफरत करने लगे।

एक दिन यूसुफ के दसों बड़े भाई किसी दूर जगह पर अपने पिता की भेड़-बकरियाँ चरा रहे थे। तब याकूब ने यूसुफ से कहा कि अपने भाइयों के पास जाओ और देखो कि सबकुछ ठीक-ठाक है कि नहीं। यूसुफ झट-से चल दिया। वह अपने भाइयों के पास पहुँचा भी नहीं था कि उन्होंने उसे दूर से आते देख लिया। तब उनमें से कुछ कहने लगे: ‘चलो आज उसे खत्म ही कर देते हैं!’ लेकिन उनके बड़े भाई रूबेन ने कहा: ‘नहीं-नहीं, ऐसा कुछ मत करना।’ इसलिए उन्होंने यूसुफ को मारा नहीं, बल्कि उसे पकड़कर एक गहरे गड्ढे में डाल दिया। फिर वे बैठकर सोचने लगे कि यूसुफ के साथ क्या किया जाए।

उसी वक्‍त उन्होंने कुछ इश्‍माएली लोगों को वहाँ से जाते देखा। इस पर यहूदा ने अपने भाइयों से कहा: ‘क्यों न हम इसे इश्‍माएलियों के हाथों बेच दें?’ इस बात पर सब राज़ी हो गए और उन्होंने यूसुफ को चाँदी के 20 सिक्कों में बेच दिया। कितने मतलबी थे वे! उन्हें अपने भाई पर ज़रा भी तरस नहीं आया!

लेकिन अब वे जाकर अपने पिता याकूब से क्या कहते? उन्होंने एक बकरा मारा और उसके खून से यूसुफ का पूरा कुरता रंग दिया। फिर वही कुरता लेकर वे अपने पिता के पास आए और कहने लगे: ‘हमें यह कुरता मिला है। देखिए, कहीं यह यूसुफ का तो नहीं?’

याकूब ने देखते ही अपने बेटे का कुरता पहचान लिया। वह रोते हुए कहने लगा: ‘ज़रूर किसी जंगली जानवर ने यूसुफ को मार डाला होगा।’ यूसुफ के भाई तो चाहते ही थे कि उनका पिता ऐसा सोचे। यूसुफ की मौत से याकूब का दिल टूट गया और वह कई दिनों तक यूसुफ की याद में आँसू बहाता रहा। मगर यूसुफ मरा नहीं था, वह तो ज़िंदा था। आइए देखें कि उसे कहाँ ले जाया गया और वहाँ उसके साथ क्या हुआ।