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कहानी 24

यूसुफ ने ली अपने भाइयों की परीक्षा

यूसुफ ने ली अपने भाइयों की परीक्षा

यूसुफ जानना चाहता था कि क्या उसके भाई अब भी मतलबी और बेरहम हैं। इसलिए उसने अपने भाइयों से कहा: ‘तुम लोग जासूस हो। और हमारे देश की जासूसी करने आए हो।’

यूसुफ के भाइयों ने कहा: ‘नहीं हुज़ूर, हम जासूस नहीं हैं। हम तो सीधे-साधे और ईमानदार लोग हैं। हम सब भाई हैं। दरअसल हम 12 भाई थे। लेकिन एक भाई अब नहीं रहा। और सबसे छोटा भाई घर पर पिताजी के साथ है।’

यूसुफ ने उनकी बातों पर यकीन न करने का नाटक किया। उसने उनमें से एक भाई, शिमोन को जेल में बंद करवाकर, बाकी भाइयों से कहा: ‘मुझे तुम्हारी बातों पर तभी यकीन होगा, जब तुम अपने साथ अपने छोटे भाई को यहाँ लाओगे।’ फिर उसने उन्हें अनाज लेकर वापस कनान जाने दिया।

जब यूसुफ के भाई अपने घर पहुँचे, तो उन्होंने अपने पिता याकूब को सारी बातें कह सुनायीं। उनकी बातें सुनकर याकूब रोने लगा और कहा: ‘मेरा बेटा यूसुफ तो पहले ही नहीं रहा और तुम शिमोन को भी मिस्र में छोड़ आए हो। और अब तुम मेरे सबसे छोटे बेटे, बिन्यामीन को ले जाना चाहते हों? नहीं, मैं ऐसा हरगिज़ नहीं होने दूँगा।’ लेकिन जब अनाज खत्म हो गया, तब याकूब को मजबूर होकर अपने बेटों के साथ बिन्यामीन को भी भेजना पड़ा, ताकि वे जाकर और अनाज ला सकें।

जब वे यूसुफ के पास पहुँचे, तो यूसुफ अपने छोटे भाई बिन्यामीन को देखकर बहुत खुश हुआ। लेकिन यूसुफ के भाइयों ने अब भी उसे नहीं पहचाना। फिर यूसुफ ने अपने 10 सौतेले भाइयों की परीक्षा लेने के लिए एक काम किया। जानते हैं क्या?

यूसुफ ने अपने नौकरों को उनके बोरों में अनाज भरने के लिए कहा। फिर उसने चुपके-से अपना एक चाँदी का कटोरा बिन्यामीन के बोरे में रखवा दिया। इसके बाद, यूसुफ के भाई अनाज लेकर चल दिए। वे थोड़ी ही दूर पहुँचे थे कि यूसुफ ने अपने नौकरों को उनके पीछे भेजा। नौकर जब यूसुफ के भाइयों के पास पहुँचे, तो उन्होंने उनसे पूछा: ‘तुम लोगों ने क्यों हमारे मालिक का चाँदी का कटोरा चुराया है?’

इस पर सारे भाई कहने लगे: ‘कटोरा! हमने कोई कटोरा नहीं चुराया। आप चाहें तो हमारी तलाशी ले सकते हैं। जिस किसी के पास वह कटोरा निकले, उसे आप जान से मार डालना।’

नौकर सबके बोरों की तलाशी लेने लगे और उन्हें बिन्यामीन के बोरे में वह कटोरा मिला। इस तसवीर में भी यही दिखाया गया है। तब नौकरों ने उनसे कहा: ‘तुम सब जा सकते हो, मगर बिन्यामीन को हमारे साथ चलना होगा।’ अब बिन्यामीन के सौतेले भाई क्या करते?

बिन्यामीन को छोड़कर जाने के बजाय, वे सब उसके साथ यूसुफ के घर गए। यूसुफ ने अपने भाइयों से कहा: ‘तुम लोग अपने घर वापस जा सकते हो, मगर बिन्यामीन को मेरा गुलाम बनकर यहाँ रहना पड़ेगा।’

यूसुफ की बात सुनकर यहूदा ने कहा: ‘अगर मैं इसे लिए बिना घर गया तो मेरे पिता की जान चली जाएगी। क्योंकि वे इससे बहुत प्यार करते हैं। इसलिए आप इसके बदले मुझे अपना गुलाम बना लीजिए। लेकिन रहम करके मेरे छोटे भाई को जाने दीजिए।’

इससे यूसुफ जान गया कि उसके भाई बदल गए हैं। अब वे पहले की तरह मतलबी और दिल के बुरे नहीं थे। तो यूसुफ ने फिर क्या किया?