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कहानी 37

यहोवा की उपासना के लिए तंबू

यहोवा की उपासना के लिए तंबू

क्या आप बता सकते हैं, इस तसवीर में यह क्या है? यह एक तंबू है, जहाँ यहोवा की उपासना की जाती थी। बाइबल में इसे ‘निवासस्थान’ कहा गया है। इस्राएलियों ने इसे मिस्र से निकलने के एक साल बाद बनाया था। पर क्या आपको मालूम है, इसे बनाने के लिए किसने कहा था? यहोवा ने।

जब मूसा सीनै पहाड़ पर था, तब यहोवा ने उसे बताया कि यह तंबू कैसे बनाया जाना चाहिए। यहोवा ने तंबू को इस तरह बनाने के लिए कहा, जिससे उसका हर हिस्सा अलग किया जा सके। इसका यह फायदा था कि तंबू को आसानी से एक जगह से दूसरी जगह ले जाया जा सकता था। फिर दूसरी जगह पहुँचकर उसे दोबारा जोड़कर खड़ा किया जा सकता था। इसलिए जब इस्राएली जंगल में एक जगह से दूसरी जगह जाते थे, तो वे इस तंबू को अपने साथ ले जाते थे।

क्या आपको तंबू के एक छोर पर छोटा-सा कमरा दिखायी दे रहा है? अगर आप उसमें गौर से देखें तो आपको वहाँ एक बक्सा दिखायी देगा। इसे ‘वाचा का संदूक’ कहते हैं। इसके ऊपर सोने के दो स्वर्गदूत या करूब बनाए गए थे। जानते हैं उस संदूक में क्या रखा था? दो तख्तियाँ जिन परमेश्‍वर की दस आज्ञाएँ लिखी थीं। ये तख्तियाँ दोबारा बनायी गयी थीं, क्योंकि पहलेवाली मूसा ने तोड़ दी थीं। इसके अलावा, उस संदूक में एक बरतन में मन्‍ना भी रखा गया था। आपको मन्‍ना याद है ना?

निवासस्थान में जो लोग सेवा करते थे, उन्हें याजक कहा जाता था। और याजकों में जो सबसे बड़ा होता था, उसे महायाजक कहा जाता था। यहोवा ने मूसा के भाई हारून को महायाजक और उसके बेटों को याजक चुना। पर क्या आपको मालूम है महायाजक क्या काम करता था? वह सब लोगों की तरफ से यहोवा से प्रार्थना करता था।

अब ज़रा तंबू के बड़े कमरे को देखिए। वह छोटे कमरे से दुगना बड़ा था। क्या आपको उसमें एक छोटा बक्सा दिखायी दे रहा है, जिसमें से धुआँ उठ रहा है? यह एक वेदी है, जिस पर याजक खुशबूदार चीज़ यानी धूप जलाते थे। उस कमरे में एक दीवट भी है, जिसमें सात दीपक हैं। वहाँ एक मेज़ भी रखी हुई है, जिस पर 12 रोटियाँ रखी जाती थीं।

निवासस्थान के आँगन में एक बहुत बड़ा-सा कटोरा था, जिसमें पानी भरा रहता था। उसी पानी से याजक अपने हाथ-पैर धोते थे। आँगन में एक बड़ी वेदी भी थी। उस वेदी पर उन जानवरों को जलाया जाता था, जो यहोवा को बलि चढ़ाए जाते थे। यहोवा के इस निवासस्थान के चारों तरफ इस्राएली अपने-अपने तंबू लगाकर रहते थे।