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कहानी 41

ताँबे का साँप

ताँबे का साँप

अरे, यहाँ खंभे पर लिपटे साँप को तो देखिए। एकदम असली लग रहा है, है ना? मगर यह असली साँप नहीं है, यह ताँबे का बना है। इस साँप को बनाने के लिए यहोवा ने मूसा से कहा था। जानते हैं क्यों? ताकि लोग उस साँप की तरफ देखें और ज़िंदा रह सकें। लेकिन ज़मीन पर जो साँप दिखायी दे रहे हैं, वे सब असली हैं। उन्होंने लोगों को डसा है, जिससे वे मरने लगे। यह सब कैसे हो गया?

इस्राएली परमेश्‍वर और मूसा की बुराई करने लगे थे। वे शिकायत करने लगे: ‘तुम हमें मिस्र से क्यों निकालकर लाए हो? क्या इसलिए कि हम इस जंगल में मर जाएँ? यहाँ न खाना है, न पानी। और यह मन्‍ना खाते-खाते हम तंग आ चुके हैं।’

क्या मन्‍ना का स्वाद इतना खराब था? जी नहीं। वह खाने में अच्छा था। और वह उन्हें यहोवा के चमत्कार से मिलता था। इतना ही नहीं, पीने के लिए पानी भी उन्हें यहोवा के चमत्कार से मिलता था। परमेश्‍वर हर तरह से उनकी देखभाल करता था। लेकिन इस्राएली, परमेश्‍वर का एहसान मानने के बजाय उसकी बुराई करने लगे। इसलिए यहोवा ने उन्हें सज़ा देने के लिए उनके बीच ज़हरीले साँप भेजे। उन साँपों ने इस्राएलियों को डस लिया जिससे कई लोग मर गए।

आखिर में, लोग मूसा के पास आए और उससे कहने लगे: ‘यहोवा और तुम्हारे खिलाफ बातें करके हमने बहुत बड़ा पाप किया है। लेकिन अब रहम करके हमारी तरफ से यहोवा से प्रार्थना करो कि वह इन साँपों को यहाँ से निकाल दे।’

तब मूसा ने लोगों की तरफ से परमेश्‍वर से प्रार्थना की। इस पर यहोवा ने मूसा से यह ताँबे का साँप बनाकर इस खंभे पर लपेटने के लिए कहा। फिर यहोवा ने कहा कि जिसको भी साँप ने डसा है अगर वह इस ताँबे के साँप की तरफ देखे, तो वह ठीक हो जाएगा। जैसा परमेश्‍वर ने कहा था, मूसा ने वैसा ही किया। और जिन लोगों को साँप ने काटा था, उन्होंने ताँबे के साँप की तरफ देखा और वे ठीक हो गए।

इससे हम एक सबक सीख सकते हैं। हम सब एक तरह से उन इस्राएलियों के जैसे हैं, जिन्हें साँपों ने काटा था। क्योंकि उनकी तरह हम भी एक दिन मर जाएँगे। अगर आप अपने आस-पास के इलाके में गौर करें, तो आप देखेंगे कि लोग बूढ़े होते हैं, बीमार पड़ते हैं और फिर मर जाते हैं। यह सब इसलिए होता है, क्योंकि आदम और हव्वा ने परमेश्‍वर की बात नहीं मानी थी। और हम सब उन्हीं के तो बच्चे हैं। लेकिन यहोवा ने एक रास्ता निकाला है, ताकि हम हमेशा तक ज़िंदा रह सकें। जानते हैं वह रास्ता क्या है?

उसने अपने बेटे, यीशु मसीह को इस धरती पर भेजा। यीशु को एक सूली, यानी लकड़ी के खंभे पर लटकाकर मार डाला गया था। क्योंकि कई लोगों ने सोचा कि वह एक बुरा आदमी है। मगर यहोवा ने हमें बचाने के लिए यीशु को भेजा था। इसलिए अगर हम यीशु की तरफ देखें, यानी उसकी कही बातों को मानें तो हम हमेशा की ज़िंदगी पा सकते हैं। इस बारे में और ज़्यादा हम आगे की कहानियों में सीखेंगे।