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कहानी 42

गधा बातें करने लगा

गधा बातें करने लगा

क्या आपने कभी किसी गधे को बातें करते सुना है? आप शायद कहें, ‘नहीं, मैंने तो नहीं सुना। और वैसे भी जानवर कहाँ बात करते हैं।’ मगर बाइबल एक ऐसे गधे के बारे में बताती है, जिसने बातें की थीं। लेकिन यह कैसे हो सकता है? चलिए देखते हैं।

इस्राएली कनान देश पर कब्ज़ा करने के लिए बिलकुल तैयार थे। जब यह खबर मोआब देश के राजा बालाक तक पहुँची, तो वह डर गया। इसलिए उसने एक चालाक आदमी, बिलाम को बुलवा भेजा, ताकि वह जाकर इस्राएलियों को श्राप दे। राजा ने यह भी कहलाया कि इस काम के लिए वह उसे ढेर सारा पैसा इनाम में देगा। इतने बड़े इनाम के बारे में सुनकर बिलाम फौरन अपने गधे पर सवार हुआ और राजा बालाक से मिलने निकल पड़ा।

लेकिन यहोवा नहीं चाहता था कि बिलाम इस्राएलियों को श्राप दे। इसलिए परमेश्‍वर ने बिलाम को रोकने के लिए अपना एक स्वर्गदूत भेजा। स्वर्गदूत एक लंबी तलवार लेकर बिलाम के रास्ते में आकर खड़ा हो गया। बिलाम को स्वर्गदूत दिखायी नहीं दे रहा था, लेकिन उसके गधे ने देख लिया। इसलिए गधा बार-बार स्वर्गदूत से बचकर निकलने की कोशिश करता। लेकिन जब उससे ऐसा नहीं हुआ, तो वह रास्ते में ही बैठ गया। इस पर बिलाम को गधे पर बड़ा गुस्सा आया और वह उसे डंडे से दनादन मारने लगा।

फिर यहोवा ने ऐसा चमत्कार किया, जिससे बिलाम ने अपने गधे को यह बोलते सुना: ‘तुम मुझे क्यों मार रहे हो? मैंने तुम्हारा क्या बिगाड़ा है?’

इस पर बिलाम ने कहा: ‘तू ने क्या मुझे बेवकूफ समझ रखा है? अगर मेरे पास तलवार होती, तो मैं अभी इसी वक्‍त तुझे मार डालता!’

इस पर गधे ने बिलाम से पूछा: ‘क्या मैंने तुम्हारे साथ पहले कभी ऐसा किया है?’

बिलाम ने कहा: ‘नहीं।’

तब यहोवा ने एक चमत्कार किया जिससे बिलाम को वह स्वर्गदूत दिखायी देने लगा, जो तलवार लिए रास्ते में खड़ा था। स्वर्गदूत ने बिलाम से कहा: ‘तुमने अपने गधे को क्यों मारा? तुम्हारा रास्ता रोके तो मैं खड़ा हूँ, ताकि तुम इस्राएलियों को श्राप देने न जा सको। अगर तुम्हारा गधा मुझे देखकर रास्ते से हट न जाता, तो मैंने तुम्हें कब का मार दिया होता और तुम्हारे गधे को छोड़ देता।’

बिलाम ने स्वर्गदूत से कहा: ‘मुझसे बड़ी भूल हो गयी है। मुझे बिलकुल नहीं मालूम था कि आप रास्ते में खड़े हैं।’ इसके बाद, स्वर्गदूत ने बिलाम को जाने दिया और बिलाम बालाक के पास पहुँचा। इतना सब होने के बाद भी बिलाम अपनी हरकतों से बाज़ नहीं आया। उसने इस्राएलियों को तीन बार श्राप देने की कोशिश की। मगर हर बार उसके मुँह से आशीर्वाद ही निकला। भला कैसे? आखिर यहोवा जो इस्राएलियों के साथ था।