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कहानी 45

यरदन नदी को पार करना

यरदन नदी को पार करना

देखिए, इस्राएली यरदन नदी पार कर रहे हैं। लेकिन आप शायद कहें: ‘नदी? यहाँ तो कोई नदी दिखायी नहीं दे रही है। कहीं यहाँ सूखा तो नहीं पड़ा, जिससे नदी का सारा पानी सूख गया?’ जी नहीं, ऐसा कुछ नहीं हुआ है। इस समय तो यहाँ बहुत बारिश होती है। और कुछ ही मिनट पहले यह नदी लबालब भरी थी। मगर अब यह सूख गयी है। और इस्राएली सूखी ज़मीन पर नदी पार कर रहे हैं, ठीक जैसे उन्होंने लाल सागर पार किया था! तो फिर नदी का सारा पानी गया कहाँ? चलिए पता करते हैं।

कनान देश में जाने के लिए इस्राएलियों को यरदन नदी पार करनी थी। जब वे नदी के पास पहुँचे तब यहोवा ने यहोशू के ज़रिए इस्राएलियों से कहा: ‘याजक वाचा का संदूक लेकर सब के आगे-आगे चलें। जैसे ही वे यरदन नदी में पैर रखेंगे, नदी का पानी बहना बंद हो जाएगा।’

तब याजक वाचा का संदूक उठाकर लोगों के आगे-आगे चलने लगे। यरदन नदी बहुत गहरी थी और उसमें पानी भी बड़ी तेज़ी से बह रहा था। लेकिन जैसे ही याजकों ने नदी में पैर रखा, पानी बहना बंद हो गया। यह तो चमत्कार हो गया! जी हाँ, यहोवा ने नदी के पानी को बहुत पहले ही रोक दिया था। इसलिए जल्द ही नदी का पानी सूख गया।

जो याजक वाचा का संदूक उठाए हुए थे, वे सूखी नदी के बीचों-बीच जाकर खड़े हो गए। क्या आप उन्हें इस तसवीर में देख सकते हैं? वे तब तक वहीं खड़े रहे, जब तक कि सारे इस्राएलियों ने यरदन नदी पार नहीं कर ली।

जब सब इस्राएलियों ने नदी पार कर ली, तब यहोवा ने यहोशू के ज़रिए 12 हट्टे-कट्टे आदमियों से कहा: ‘वहाँ जाओ, जहाँ याजक वाचा का संदूक लिए खड़े हैं और वहाँ से 12 पत्थर उठाकर ले आओ। आज रात तुम जहाँ रुकोगे, वहाँ इन पत्थरों का ढेर लगा देना। आगे चलकर जब तुम्हारे बच्चे इन पत्थरों के बारे में पूछेंगे, तब उनसे कहना कि जैसे ही याजक यहोवा के वाचा का संदूक लेकर नदी में उतरे, वैसे ही नदी का पानी बहना बंद हो गया था। इस तरह ये पत्थर तुम्हें इस चमत्कार की याद दिलाते रहेंगे।’ इसके बाद, यहोशू ने नदी में भी उस जगह 12 पत्थर इकट्ठा करके रख दिए, जहाँ याजक खड़े थे।

फिर यहोशू ने वाचा का संदूक उठानेवाले याजकों से कहा: ‘अब तुम लोग भी यरदन के इस पार आ जाओ।’ जैसे ही याजक यरदन के दूसरे किनारे पर पहुँचे, नदी फिर से बहने लगी।