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कहानी 47

चोर पकड़ा गया

चोर पकड़ा गया

क्या आप तसवीर देखकर बता सकते हैं कि यह आदमी अपने तंबू में क्या गाड़ रहा है? जी हाँ, एक सुंदर कपड़ा, सोने की ईंट और चाँदी के कुछ टुकड़े। पर ये सब वह लाया कहाँ से? ये सब वह यरीहो शहर से लूटकर लाया है। लेकिन क्या आपको याद है कि यरीहो शहर की चीज़ों का क्या करना था?

इस्राएलियों को यरीहो शहर से मिली सोने-चाँदी की चीज़ें यहोवा के खज़ाने में जमा करनी थीं और बाकी चीज़ों को जला देना था। इसका मतलब, इस आदमी ने परमेश्‍वर का कहना नहीं माना। जो चीज़ें परमेश्‍वर को देनी थीं, वह उसने अपने पास रख लीं। उसने परमेश्‍वर की चीज़ों की चोरी की। इस आदमी का नाम आकान है। और उसके साथ जो लोग दिखायी दे रहे हैं, वे उसके ही घर के लोग हैं। पता है इसके बाद क्या हुआ?

एक दिन यहोशू ने कुछ इस्राएली आदमियों को ऐ शहर पर हमला करने के लिए भेजा। लेकिन इस्राएली लड़ाई में हार गए। कुछ मारे गए और बाकी भाग खड़े हुए। यह सुनकर यहोशू बहुत दुःखी हुआ। वह ज़मीन पर गिरकर यहोवा से प्रार्थना करने लगा: ‘हे यहोवा, तू ने हमारे साथ ऐसा क्यों होने दिया?’

यहोवा ने उससे कहा: ‘उठ, खड़ा हो जा! मैंने ऐसा इसलिए होने दिया, क्योंकि इस्राएलियों ने मेरे खिलाफ पाप किया है। जिन चीज़ों को जला देना चाहिए था या जिन्हें मेरे तंबू में जमा करना चाहिए था, उनमें से कुछ चीज़ें उन्होंने अपने पास रख ली हैं। उन्होंने एक खूबसूरत कपड़ा और सोना-चाँदी चुराया है। मैं तब तक तुम लोगों की मदद नहीं करूँगा, जब तक तुम उस सामान को और उस आदमी को जिसने उसे चुराया है, खत्म नहीं कर दोगे।’ लेकिन भला यहोशू कैसे उस चोर का पता लगाता? यहोवा ने कहा कि वह यहोशू को बताएगा कि चोर कौन है।

यहोशू ने सारे इस्राएलियों को इकट्ठा किया। यहोवा ने उनमें से आकान को चुना। तब आकान ने कहा: ‘मैंने पाप किया है। दरअसल मुझे यरीहो शहर में एक बहुत ही सुंदर कपड़ा, एक सोने की ईंट और चाँदी के कुछ टुकड़े मिले थे। उन्हें देखकर मुझे लालच आ गया और मैंने उन्हें ले लिया। वह सारा सामान मैंने अपने तंबू में गाड़ दिया है।’

तब वह सारा सामान आकान के तंबू से निकालकर यहोशू के पास लाया गया। फिर यहोशू ने आकान से कहा: ‘तुमने ऐसा क्यों किया? तुम्हारी वजह से हमारे ऊपर कितनी बड़ी मुसीबत आयी है। अब यहोवा तुम पर मुसीबत लाएगा!’ इसके बाद, सारे इस्राएलियों ने आकान और उसके परिवार को पत्थरों से इतना मारा कि वे मर गए। फिर इस्राएली ऐ शहर के लोगों से दोबारा लड़ने गए। इस बार यहोवा ने अपने लोगों की, यानी इस्राएलियों की मदद की और वे लड़ाई जीत गए।

इस कहानी से आपने क्या सीखा? यही कि हमें वह चीज़ कभी नहीं लेनी चाहिए, जो हमारी ना हो।