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कहानी 70

योना मछली के पेट में

योना मछली के पेट में

अरे, यह आदमी तो डूब रहा है! और लगता है वह बड़ी-सी मछली उसे निगलनेवाली है! आखिर यह आदमी है कौन? यह योना है। लेकिन यह इस मुसीबत में फँसा कैसे?

योना भी यहोवा परमेश्‍वर का एक नबी था। एलीशा नबी की मौत के कुछ ही समय बाद, यहोवा ने योना से कहा: ‘नीनवे नाम के बड़े शहर को जाओ। वहाँ के लोग बहुत बुरे-बुरे काम कर रहे हैं और मैं चाहता हूँ कि इस बारे में तुम उन लोगों से बात करो।’

लेकिन योना वहाँ जाना नहीं चाहता था। इसलिए उसने भागने की कोशिश की। वह उस नाव पर सवार हो गया, जो नीनवे की उलटी दिशा में जा रही थी। यह बात यहोवा को अच्छी नहीं लगी। इसलिए वह समुंदर में एक बड़ा तूफान लाया। नाव डूबने लगी। इससे नाव चलानेवाले बहुत डर गए और वे अपने-अपने देवता को पुकारने लगे।

तब योना ने उनसे कहा: ‘मैं स्वर्ग और धरती के बनानेवाले परमेश्‍वर, यहोवा की उपासना करता हूँ। उसने मुझे एक काम करने के लिए कहा था। पर मैं उसे करने के बजाय, भाग रहा हूँ।’ इस पर नाविकों ने उससे पूछा: ‘इस तूफान को शांत करने के लिए हमें तुम्हारे साथ क्या करना पड़ेगा?’

योना ने कहा: ‘मुझे समुंदर में फेंक दो, समुंदर शांत हो जाएगा।’ नाव चलानेवाले ऐसा नहीं करना चाहते थे। लेकिन तूफान इतना बढ़ता जा रहा था कि उन्हें मजबूरन योना को समुंदर में फेंकना पड़ा। ऐसा करते ही तूफान थम गया और समुंदर शांत हो गया।

योना जब पानी में डूबने लगा, तो एक बड़ी मछली ने उसे निगल लिया। लेकिन वह मरा नहीं। वह तीन दिन और तीन रात मछली के पेट में रहा। योना को यहोवा की बात न मानने और नीनवे न जाने का बहुत अफसोस हुआ। इसलिए पता है उसने क्या किया?

उसने मदद के लिए यहोवा से प्रार्थना की। यहोवा ने योना की प्रार्थना सुनी और तब मछली ने किनारे पर जाकर योना को उगल दिया। उसके बाद योना नीनवे गया। इस कहानी से हम क्या सीखते हैं? यही कि यहोवा हमसे जो भी काम करने को कहता है, हमें उसे ज़रूर करना चाहिए।

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