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भाग 5

बाबेल की गुलामी से लेकर यरूशलेम की दीवार फिर से बनाए जाने तक

बाबेल की गुलामी से लेकर यरूशलेम की दीवार फिर से बनाए जाने तक

इस्राएलियों के लिए बाबुल की गुलामी में रहना आसान नहीं था। वहाँ उनसे बहुत-से ऐसे काम करने के लिए कहा गया, जो यहोवा के नियम के खिलाफ थे। लेकिन उन्होंने वे गलत काम नहीं किए, बल्कि यहोवा की बात मानते रहे। शद्रक, मेशक और अबेदनगो को आग के भट्ठे में डाला गया, लेकिन परमेश्‍वर ने उन्हें उसमें से ज़िंदा बाहर निकाला। बाद में, जब मादी और फारसी लोगों ने बाबुल को अपने कब्ज़े में कर लिया, तब दानिय्येल को शेरों की माँद में फेंका गया। लेकिन परमेश्‍वर ने शेरों के मुँह बंद करके उसे भी बचा लिया।

इस सब के बाद, फारस के राजा कुस्रू ने इस्राएलियों को गुलामी से आज़ाद कर दिया। उन्हें बाबुल में आए 70 साल हो गए थे। अब वे अपने देश वापस जाने के लिए आज़ाद थे। यरूशलेम पहुँचने के बाद उन्होंने कई काम किए, जैसे कि उन्होंने यहोवा के मंदिर को दोबारा बनाना शुरू किया। मगर जल्द ही दुश्‍मनों ने उनका काम रोक दिया। इसलिए मंदिर बनाने में उन्हें 22 साल लग गए।

इसके बाद हम एज्रा के बारे में पढ़ेंगे, जिसने यरूशलेम आकर मंदिर को सुंदर बनाने का काम किया। यह काम, मंदिर बना लेने के करीब 47 साल बाद हुआ। इसके 13 साल बाद, नहेमायाह ने आकर यरूशलेम की टूटी दीवार बनाने में मदद की। भाग 5 में 152 साल का इतिहास दिया गया है।

 

इस भाग में

कहानी 77

वे मूरत के आगे नहीं झुके

क्या परमेश्‍वर इन तीन आज्ञाकारी जवानों को आग की धधकती भट्ठी से बचाएगा?

कहानी 78

दीवार पर हाथ से लिखे शब्द

दानियेल नबी उन चार शब्दों का रहस्य समझाता है

कहानी 79

दानियेल शेरों की माँद में

दानियेल को मौत का सजा सुनायी गयी, पर क्या वह खुद को सजा से बचा सकता था?

कहानी 80

बाबेल से आज़ाद

फारस के राजा कुसरू ने जब बाबेल पर कब्ज़ा किया तो उसने एक भविष्यवाणी पूरी की और अब वह एक और भविष्यवाणी पूरी करता है

कहानी 81

उन्होंने यहोवा पर भरोसा रखा

इसराएली परमेश्‍वर की आज्ञा मानने के लिए इंसान का कानून तोड़ देते हैं। क्या परमेश्‍वर उन्हें आशीष देगा?

कहानी 82

मोर्दकै और एस्तेर

रानी वशती बहुत खूबसूरत थी, लेकिन राजा क्षयर्ष उसकी जगह एस्तेर को अपनी क्यों रानी बनाता है?

कहानी 83

यरूशलेम की दीवार

दीवार बनाते वक्‍त काम करने वालों को दिन और रात अपनी तलवारें और भाले तैयार रखने थे