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कहानी 77

वे मूरत के आगे नहीं झुके

वे मूरत के आगे नहीं झुके

क्या आप इन तीन जवानों को पहचानते हैं? ये हैं, शद्रक, मेशक और अबेदनगो। जी हाँ, दानिय्येल के वही दोस्त, जिन्होंने वह खाना खाने से मना कर दिया था, जो उनके लिए अच्छा नहीं था। अब ये बड़े हो गए हैं। पर वे ऐसे क्यों खड़े हैं, जबकि उनके पीछे सारे लोग उस बड़ी मूरत के सामने सिर झुकाए हुए हैं? आखिर बात क्या है?

क्या आपको वे दस आज्ञाएँ याद हैं, जो खुद यहोवा ने लिखी थीं? उनमें से पहली आज्ञा थी: ‘तुम मुझे छोड़ किसी दूसरे ईश्‍वर की उपासना मत करना।’ यही आज्ञा मानते हुए शद्रक, मेशक और अबेदनगो ने उस मूरत के आगे सिर नहीं झुकाया। जबकि ऐसा करना उनके लिए आसान नहीं था।

यह मूरत बाबुल के राजा, नबूकदनेस्सर ने खड़ी करवायी थी। उसने वहाँ के बड़े-बड़े लोगों को बुलाया, ताकि वे आकर इस मूरत के आगे सिर झुकाएँ और इसकी पूजा करें। उसने सब से कहा: ‘जब तुम तुरही, वीणा और दूसरे बाजों की आवाज़ सुनो, तो इस सोने की मूरत के आगे झुकना और इसकी पूजा करना। जो कोई ऐसा नहीं करेगा, उसे उसी वक्‍त आग के धधकते भट्ठे में फेंक दिया जाएगा।’

जब राजा नबूकदनेस्सर को पता चला कि शद्रक, मेशक और अबेदनगो मूरत के आगे नहीं झुके, तो उसे बड़ा गुस्सा आया। उसने फौरन तीनों को अपने सामने बुलाया। उसने उन्हें एक और मौका दिया। लेकिन उन जवानों को यहोवा पर पूरा भरोसा था। इसलिए उन्होंने नबूकदनेस्सर से कहा: ‘हम जिस परमेश्‍वर की सेवा करते हैं, वह हमें बचा सकता है। और अगर वह हमें नहीं बचाता, तब भी हम तुम्हारी सोने की मूरत के आगे हरगिज़ नहीं झुकेंगे।’

यह सुनकर नबूकदनेस्सर का गुस्सा और भड़क उठा। आग का एक भट्ठा पास ही था। नबूकदनेस्सर ने हुक्म दिया: ‘इस भट्ठे को सात गुना और गरम करो!’ फिर उसने अपने सबसे शक्‍तिशाली सैनिकों से कहा कि वे शद्रक, मेशक और अबेदनगो को बाँधकर भट्ठे में फेंक दें। भट्ठा इतना गरम था कि वे शक्‍तिशाली सैनिक उसकी आँच से ही जलकर मर गए। लेकिन उन तीन जवानों का क्या हुआ, जिनको उन्होंने आग में फेंका था?

जब राजा ने भट्ठे में देखा, तो वह डर गया। उसने पूछा, ‘क्या हमने तीन लोगों को बाँधकर धधकते भट्ठे में नहीं फेंका था?’

सेवकों ने जवाब दिया: ‘हाँ, हमने तीन लोगों को बाँधकर फेंका था।’

तब राजा ने कहा: ‘मगर भट्ठे में तो चार लोग दिखायी दे रहे हैं। और वे बँधे हुए नहीं हैं, बल्कि खुले घूम रहे हैं। वे जल भी नहीं रहे हैं। चौथा आदमी तो कोई देवता लग रहा है।’ फिर राजा ने भट्ठे के दरवाज़े के पास जाकर ज़ोर से पुकारा: ‘हे शद्रक! मेशक! अबेदनगो! जहान के सबसे बड़े परमेश्‍वर के सेवको, बाहर आ जाओ!’

जब वे भट्ठे से बाहर निकले, तो सब ने देखा कि उनका बाल भी बाँका नहीं हुआ। फिर राजा ने कहा: ‘शद्रक, मेशक और अबेदनगो के परमेश्‍वर की जयजयकार हो! उसने अपने स्वर्गदूत को भेजकर इन तीनों को बचा लिया, क्योंकि ये अपने परमेश्‍वर के सिवा किसी और देवता की उपासना करने के लिए तैयार नहीं हैं।’

यहोवा के नियमों पर चलने की क्या ही बढ़िया मिसाल! क्या हमें भी उनके जैसा नहीं बनना चाहिए?