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कहानी 91

यीशु की लाजवाब शिक्षाएँ

यीशु की लाजवाब शिक्षाएँ

देखिए यहाँ यीशु गलील के एक पहाड़ पर लोगों को अच्छी-अच्छी बातें सिखा रहा है। जो लोग उसके पास बैठे हैं, वे उसके चेले हैं। यीशु ने 12 लोगों को अपने सबसे खास चेले बनने के लिए चुना और उन्हें अपना प्रेरित ठहराया। क्या आपको उनके नाम मालूम हैं?

वे थे, शमौन पतरस और उसका भाई, अन्द्रियास। याकूब और यूहन्‍ना, ये दोनों भी भाई-भाई थे। दो और प्रेरितों के नाम याकूब और शमौन थे। और हाँ, दो प्रेरितों के नाम यहूदा भी थे। एक को यहूदा इस्करियोती और दूसरे को तद्दै के नाम से बुलाया जाता था। बाकियों के नाम थे, फिलिप्पुस, नतनएल (जिसे बरतुलमै भी कहा जाता था), मत्ती और थोमा।

सामरिया से वापस आने के बाद यीशु गलील में पहली बार लोगों को सिखाने लगा। वह लोगों को बताता था: ‘स्वर्ग का राज्य बहुत जल्द आनेवाला है।’ स्वर्ग का राज्य? वह क्या है? यह परमेश्‍वर की सचमुच की एक सरकार है। इस राज्य का राजा यीशु है। वह स्वर्ग से राज करेगा और धरती पर शांति लाएगा। तब परमेश्‍वर का राज्य पूरी धरती को एक खूबसूरत बगीचा, यानी फिरदौस बना देगा।

यीशु यहाँ लोगों को परमेश्‍वर के राज्य के बारे में सिखा रहा है। उसने उन्हें बताया: ‘तुम्हें इस तरह प्रार्थना करनी चाहिए, हे स्वर्ग में रहनेवाले हमारे पिता, आपके नाम की जयजयकार हो। आपका राज्य आए। आपकी मरज़ी जैसे स्वर्ग में पूरी होती है, वैसे धरती पर भी पूरी हो।’ यीशु की सिखायी इस प्रार्थना को आज कई लोग ‘प्रभु की प्रार्थना’ कहते हैं। क्या आपको यह पूरी प्रार्थना याद है?

यीशु ने लोगों को यह भी सिखाया कि उन्हें एक-दूसरे के साथ कैसे पेश आना चाहिए। उसने कहा: ‘जैसा तुम चाहते हो कि लोग तुम्हारे साथ करें, वैसा ही तुम्हें उनके साथ करना चाहिए।’ जब दूसरे आपसे प्यार से बोलते हैं और आपके साथ अच्छा व्यवहार करते हैं, तो क्या आपको अच्छा नहीं लगता? इसलिए यीशु के कहने का मतलब था कि हमें भी दूसरों के साथ ऐसा ही व्यवहार करना चाहिए। ज़रा सोचिए, जब फिरदौस में सभी लोग इस तरह प्यार से मिल-जुलकर रहेंगे, तो कितना अच्छा होगा, है ना?