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कहानी 97

यीशु एक राजा के तौर पर आया

यीशु एक राजा के तौर पर आया

दो अंधे भिखारियों की आँखें खोलने के कुछ समय बाद, यीशु यरूशलेम के पास एक छोटे-से गाँव में आया। उसने अपने दो चेलों से कहा: ‘गाँव में जाओ, वहाँ तुम्हें एक गधे का बच्चा मिलेगा। उसे खोलकर मेरे पास ले आओ।’

जब उसके चेले गधे को उसके पास लाए, तो यीशु उस पर सवार होकर यरूशलेम गया, जो बस थोड़ी ही दूर था। जब वह शहर के पास पहुँचा, तो एक बड़ी भीड़ उसका स्वागत करने के लिए आयी। कई लोगों ने कुरते के ऊपर पहने जानेवाले कपड़े उतारकर सड़क पर बिछा दिए। दूसरों ने खजूर की डालियाँ तोड़कर सड़क पर बिछा दीं। फिर वे ज़ोर-ज़ोर से कहने लगे: ‘धन्य है वह राजा, जो यहोवा के नाम से आता है!’

पुराने ज़माने में इस्राएल में जो भी नया राजा बनता था, वह गधे पर सवार होकर यरूशलेम आता था। यीशु ने भी वही किया। और लोगों ने जिस तरह उसका स्वागत किया, उससे उन्होंने दिखाया कि वे यीशु को अपना राजा मानते हैं। लेकिन सब ऐसा नहीं मानते थे। यह हम कैसे कह सकते हैं? यह जानने के लिए आइए देखें कि जब यीशु मंदिर गया, तो उसके साथ क्या हुआ।

मंदिर में यीशु ने कई अंधों और लूले-लंगड़ों को ठीक किया। जब छोटे-छोटे बच्चों ने यह देखा, तो वे यीशु की जयजयकार करने लगे। यह सुनकर याजकों को बहुत गुस्सा आया। उन्होंने यीशु से कहा: ‘सुना ये बच्चे क्या कह रहे हैं?’

यीशु ने कहा: ‘हाँ, सुना। और ये ठीक ही तो कह रहे हैं। क्या तुमने बाइबल में कभी यह नहीं पढ़ा: “परमेश्‍वर छोटे बच्चों के मुँह से जयजयकार करवाएगा”?’ यह सुनकर याजकों की बोलती बंद हो गयी और बच्चे परमेश्‍वर के राजा की जयजयकार करते रहे।

आप भी उन बच्चों की तरह बनना चाहेंगे ना? आज शायद कुछ लोग हमें परमेश्‍वर के राज्य के बारे में बोलने से रोकें। लेकिन हम चुप नहीं रहेंगे। हम लोगों को बताते रहेंगे कि यीशु सबके लिए क्या-क्या बढ़िया काम करनेवाला है।

जब यीशु धरती पर था, तब उसके राज करने का समय नहीं आया था। तो यह समय कब आएगा? यही तो यीशु के चेले जानना चाहते थे। इस बारे में हम अगली कहानी में पढ़ेंगे।