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कहानी 98

जैतून पहाड़ पर

जैतून पहाड़ पर

इस तसवीर में यीशु जैतून पहाड़ पर बैठा है। उसके साथ उसके चार प्रेरित हैं। अन्द्रियास और उसका भाई शमौन, याकूब और उसका भाई यूहन्‍ना। पीछे आप यरूशलेम का मंदिर देख सकते हैं।

यीशु को गधे पर सवार होकर यरूशलेम आए दो दिन हो चुके थे। मंगलवार का दिन था। उस दिन सुबह यीशु मंदिर में था। वहाँ याजकों ने यीशु को मार डालने के लिए उसे पकड़ने की कोशिश की। लेकिन लोगों के डर से उन्होंने यीशु को हाथ नहीं लगाया। क्योंकि वे जानते थे कि लोग यीशु को पसंद करते हैं।

यीशु ने उन धर्म-गुरुओं को ‘साँप’ और ‘साँप के बच्चे’ कहा! फिर यीशु ने कहा कि परमेश्‍वर उन्हें उनके बुरे कामों की सज़ा देगा। उसके बाद यीशु जैतून पहाड़ पर आया। वहाँ ये चार प्रेरित उससे सवाल करने लगे। मालूम है उन्होंने यीशु से क्या पूछा?

उन्होंने यीशु से भविष्य के बारे में पूछा। उन्हें मालूम था कि आगे चलकर यीशु धरती पर से सारी बुराइयों को खत्म कर देगा। लेकिन वे जानना चाहते थे कि यह कब होगा। और यीशु कब राजा बनकर आएगा।

यीशु जानता था कि जब वह राजा बनकर आएगा, तो धरती पर उसके चेले उसे देख नहीं पाएँगे। क्योंकि तब वह स्वर्ग में होगा और चेले धरती पर। इसलिए यीशु ने अपने प्रेरितों को बताया कि जब वह स्वर्ग में राजा बनकर राज करेगा, तब धरती पर क्या-क्या होगा।

यीशु ने बताया कि तब बड़ी-बड़ी लड़ाइयाँ होंगी, कई तरह की बीमारियाँ फैलेंगी, लोगों को भूखा रहना पड़ेगा, बुराई बहुत बढ़ जाएगी और बड़े-बड़े भूकंप होंगे। यीशु ने यह भी कहा कि तब परमेश्‍वर के राज्य की खुशखबरी सारी दुनिया में सुनायी जाएगी। क्या आज हम इन बातों को पूरा होते देख रहे हैं? जी हाँ, बिलकुल देख रहे हैं! इसलिए हम यकीन के साथ कह सकते हैं कि यीशु ने स्वर्ग में राज करना शुरू कर दिया है। जल्द ही वह धरती की सारी बुराइयाँ खत्म कर देगा।