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कहानी 99

एक नया समारोह

एक नया समारोह

जैतून पहाड़ पर अपने चेलों के साथ जाने के दो दिन बाद की बात है। गुरुवार का दिन था। यीशु अपने 12 प्रेरितों के साथ एक ऊपरवाले कमरे में फसह का त्योहार मनाने आया। इस त्योहार में लोग अपने परिवार के साथ कुछ अलग तरह का खाना खाते थे। यहाँ आप जिस आदमी को दरवाज़े से बाहर जाते हुए देख रहे हैं, वह यहूदा इस्करियोती है। वह याजकों को यह बताने जा रहा है कि वे यीशु को कैसे पकड़ सकते हैं।

इसके एक दिन पहले, यहूदा याजकों के पास यह पूछने गया था: ‘अगर यीशु को पकड़ने में मैं आपकी मदद करूँ, तो आप मुझे क्या देंगे?’ याजकों ने कहा: ‘चाँदी के तीस सिक्के।’ इसलिए यहूदा उन लोगों से मिलने जा रहा है, ताकि वह उन्हें यीशु के पास ले आए। कितनी बुरी बात!

यीशु अपने प्रेरितों के साथ फसह का त्योहार मना चुका था और सब लोग खाना भी खा चुके थे। मगर इसके बाद, यीशु ने एक और समारोह की शुरूआत की। उसने अपने प्रेरितों को रोटी दी और कहा: ‘इसे खाओ, क्योंकि इस रोटी का मतलब मेरा शरीर है जो तुम्हारे लिए बलि किया जाएगा।’ फिर उसने एक प्याले में अपने चेलों को अंगूर से बनी शराब दी और उनसे कहा: ‘इसे पीओ, क्योंकि इसका मतलब मेरा खून है, जो तुम्हारे लिए बहाया जाएगा।’ बाइबल इस समारोह को ‘प्रभु का संध्या भोज’ या ‘प्रभु भोज’ कहती है।

इस्राएली फसह का त्योहार उस दिन की याद में मनाते थे, जब मिस्र में परमेश्‍वर का स्वर्गदूत उन्हें कोई नुकसान पहुँचाए बिना उनके घरों के ऊपर से निकल गया था। लेकिन उस स्वर्गदूत ने मिस्रियों के पहले बच्चों को मार डाला था। पर अब यीशु चाहता था कि उसके चेले इस दिन उसे याद करें। और यह भी याद करें कि कैसे उसने उनके लिए अपनी जान दी। इसीलिए उसने उन्हें हर साल इस दिन यह समारोह मनाने के लिए कहा।

‘प्रभु का संध्या भोज’ खत्म होने के बाद, यीशु ने अपने चेलों से कहा कि वे हिम्मत रखें और विश्‍वास में मज़बूत बने रहें। उसके बाद सब ने परमेश्‍वर के लिए गाने गाए और वहाँ से निकल गए। तब तक बहुत रात हो गयी थी, शायद आधी रात बीत चुकी थी। लेकिन वे सब किधर गए? यह हम आगे देखेंगे।