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कहानी 105

यीशु के चेलों पर पवित्र शक्‍ति उँडेली गयी

यीशु के चेलों पर पवित्र शक्‍ति उँडेली गयी

यहाँ बैठे सभी लोग यीशु के चेले हैं। उन्होंने उसकी बात मानी और यरूशलेम में ही रुके रहे। एक दिन जब वे सब एक-साथ इकट्ठा थे कि पूरे घर में गड़गड़ाहट होने लगी। ऐसा लग रहा था मानो तूफान आ गया हो। फिर देखते-ही-देखते, हर चेले के सिर पर लौ दिखायी देने लगी। क्या आप सबके सिर पर लौ देख सकते हैं? इस सब का क्या मतलब था?

यह एक चमत्कार था! यीशु स्वर्ग में वापस अपने पिता के साथ था और वहाँ से अपने चेलों के ऊपरमेश्‍वर की पवित्र शक्‍ति उँडेल रहा था। पता है, पवित्र शक्‍ति मिलते ही चेले क्या करने लगे? वे सब अलग-अलग भाषाओं में बोलने लगे।

यरूशलेम के कई लोगों ने भी उस ज़ोरदार गड़गड़ाहट को सुन लिया था। इसलिए यह देखने के लिए कि आखिर हो क्या रहा है, वे दौड़े-दौड़े आए। उनमें से कुछ लोग, दूसरे देशों से यरूशलेम में इस्राएलियों का पिन्तेकुस्त नाम का त्योहार मनाने आए थे। वहाँ जो कुछ हो रहा था उसे देखकर वे दंग रह गए। उन्होंने यीशु के चेलों को उनकी भाषाओं में बात करते सुना! चेले परमेश्‍वर के शानदार कामों के बारे में बता रहे थे।

इस पर दूसरे देशों से आए लोग कहने लगे: ‘ये सब तो गलील के रहनेवाले हैं। फिर ये कैसे इतनी अलग-अलग भाषाओं में बात कर पा रहे हैं। वह भी हमारे देश की भाषा में।’

तब पतरस उन्हें समझाने के लिए खड़ा हुआ। उसने ऊँची आवाज़ में लोगों को बताया कि कैसे यीशु को मार डाला गया और फिर यहोवा ने उसे ज़िंदा कर दिया। पतरस ने कहा: ‘अब यीशु स्वर्ग में परमेश्‍वर के दायीं तरफ बैठा है। उसी ने हम पर पवित्र शक्‍ति उँडेली है, जिसके बारे में उसने वादा किया था। इसी वजह से तुमने ये सारे चमत्कार देखे और सुने।’

जब पतरस ने लोगों से ये बातें कहीं, तो कई लोग यह सोचकर बड़े दुःखी हुए कि यीशु के साथ कितना बुरा सलूक किया गया। उन्होंने पूछा: ‘अब हमें क्या करना चाहिए?’ पतरस ने उनसे कहा: ‘तुम्हें अपने जीने का तरीका बदलना होगा और बपतिस्मा लेना होगा।’ तब उसी दिन करीब 3,000 लोगों ने बपतिस्मा लिया और यीशु के चेले बन गए।