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कहानी 116

हमेशा जीने के लिए हमें क्या करना होगा

हमेशा जीने के लिए हमें क्या करना होगा

क्या आप बता सकते हैं, यह छोटी लड़की और इसके दोस्त कौन-सी किताब पढ़ रहे हैं? जी हाँ, यह वही किताब है जो आप पढ़ रहे हैं—बाइबल कहानियों की मेरी मनपसंद किताब। और वे वही कहानी पढ़ रहे हैं, जो आप पढ़ रहे हैं—“हमेशा जीने के लिए हमें क्या करना होगा।”

मालूम है वे क्या सीख रहे हैं? यही कि हमेशा जीने के लिए हमें सबसे पहले यहोवा और यीशु मसीह के बारे में जानना होगा। बाइबल कहती है: ‘हमेशा तक ज़िंदा रहने के लिए सच्चे परमेश्‍वर और उसके बेटे यीशु मसीह, जिसे उसने धरती पर भेजा था, दोनों के बारे में जानना ज़रूरी है।’

हम यहोवा परमेश्‍वर और उसके बेटे यीशु के बारे में कैसे सीख सकते हैं? एक तरीका है, बाइबल कहानियों की मेरी मनपसंद किताब शुरू से लेकर आखिर तक पढ़ना। यह हमें यहोवा और यीशु के बारे में कितना कुछ बताती है, है ना? और उन्होंने जो-जो काम किए हैं और आगे जो करनेवाले हैं, उनके बारे में भी बहुत कुछ बताती है। लेकिन इस किताब को पढ़ना ही काफी नहीं है, हमें और भी कुछ करने की ज़रूरत है।

क्या आपको तसवीर में एक और किताब दिखायी दे रही है? वह बाइबल है। किसी से कहिए कि वह आपको बाइबल के वे हिस्से पढ़कर सुनाए, जहाँ से इस किताब की कहानियाँ ली गयी हैं। बाइबल हमें इस बारे में पूरी जानकारी देती है कि हम कैसे यहोवा की सही तरीके से सेवा कर सकते हैं और हमेशा की ज़िंदगी पा सकते हैं। इसलिए हमें बाइबल की बातें सीखने की आदत डालनी चाहिए।

लेकिन यहोवा परमेश्‍वर और यीशु मसीह के बारे में सिर्फ सीखने से काम नहीं चलेगा। क्योंकि ऐसा भी हो सकता है कि एक इंसान के पास उनके बारे में बहुत सारी जानकारी हो, लेकिन फिर भी उसे हमेशा की ज़िंदगी न मिले। तो फिर, हमेशा की ज़िंदगी पाने के लिए हमें और क्या करना होगा?

हमें सीखी हुई बातों के मुताबिक काम करना होगा। क्या आपको यहूदा इस्करियोती याद है? वह उन 12 चेलों में से एक था, जिन्हें यीशु ने अपना प्रेरित चुना था। यहूदा को यहोवा और यीशु के बारे में बहुत कुछ मालूम था। फिर भी उसने क्या किया? वह लालची बन गया और चाँदी के 30 सिक्कों के लिए उसने यीशु को धोखे से पकड़वा दिया। इसलिए यहूदा को हमेशा की ज़िंदगी नहीं मिलेगी।

क्या आपको गेहजी याद है, जिसके बारे में हमने कहानी नंबर 69 में पढ़ा था? उसने उन कीमती कपड़ों और पैसों का लालच किया, जो उसके नहीं थे। उन्हें पाने के लिए उसने झूठ भी बोला। लेकिन उसकी यह करतूत यहोवा की आँखों से छिप नहीं पायी। यहोवा ने उसे सज़ा दी। अगर हम यहोवा की बातें नहीं मानेंगे, तो वह हमें भी सज़ा देगा।

लेकिन बहुत-से अच्छे लोग भी थे, जो हमेशा यहोवा का कहा मानते थे। क्यों न हम उनकी तरह बनने की कोशिश करें? जैसे, छोटा शमूएल हमारे लिए कितनी अच्छी मिसाल है। याद है, कहानी नंबर 55 में हमने पढ़ा था कि जब उसने यहोवा के तंबू में सेवा करनी शुरू की थी, तब वह सिर्फ चार-पाँच साल का था। इसलिए आपकी उम्र चाहे जितनी भी हो, यहोवा की सेवा करने के लिए आप छोटे नहीं हैं।

लेकिन एक इंसान की मिसाल पर हम सब चलना चाहेंगे, वह है यीशु मसीह। हमने कहानी नंबर 87 में पढ़ा था कि जब वह छोटा था, तो वह मंदिर में लोगों से स्वर्ग में रहनेवाले अपने पिता के बारे में बात कर रहा था। आइए हम उसकी तरह बनने की कोशिश करें और जितना हो सके लोगों को अपने सच्चे परमेश्‍वर यहोवा और उसके बेटे यीशु मसीह के बारे में बताएँ। अगर हम ऐसा करेंगे, तो हम धरती पर फिरदौस में हमेशा ज़िंदा रह सकेंगे।