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अध्याय ग्यारह

अपने घराने में शान्ति बनाए रखिए

अपने घराने में शान्ति बनाए रखिए

१. कौन-सी कुछ बातें परिवारों में विभाजन का कारण बन सकती हैं?

सुखी हैं वे जो उन परिवारों से हैं जिनमें प्रेम, सहानुभूति, और शान्ति है। आशा करते हैं कि आपका परिवार ऐसा ही है। दुःख की बात है कि अनगिनत परिवार इस विवरण पर पूरे नहीं बैठते और एक-न-एक कारण से विभाजित हैं। कौन-सी बात घरानों को विभाजित करती है? इस अध्याय में हम तीन बातों पर चर्चा करेंगे। कुछ परिवारों में, सभी सदस्यों का धर्म एक नहीं होता। दूसरों में, बच्चों के जैविक माता-पिता शायद एक न हों। और दूसरों में, प्रतीत होता है कि जीविका कमाने का संघर्ष या और भौतिक वस्तुओं का मोह परिवार के सदस्यों को अलग कर देता है। फिर भी, जो परिस्थितियाँ एक घराने को विभाजित कर देती हैं वे शायद दूसरे को प्रभावित न करें। किस बात से फ़र्क पड़ता है?

२. पारिवारिक जीवन में मार्गदर्शन के लिए कुछ लोग कहाँ देखते हैं, लेकिन ऐसे मार्गदर्शन का सर्वोत्तम स्रोत क्या है?

दृष्टिकोण एक तत्व है। यदि आप सचमुच दूसरे व्यक्‍ति का दृष्टिकोण समझने की कोशिश करते हैं, तो इसकी संभावना अधिक है कि आप देख पाएँगे कि एक संयुक्‍त घराने को कैसे सुरक्षित रखें। दूसरा तत्व है आपके मार्गदर्शन का स्रोत। अनेक लोग सहकर्मियों, पड़ोसियों, समाचार-पत्रों के स्तंभ-लेखकों, या अन्य मानव मार्गदर्शकों की सलाह पर चलते हैं। लेकिन, कुछ लोगों ने पता लगाया है कि परमेश्‍वर का वचन उनकी स्थिति के बारे में क्या कहता है, और फिर जो उन्होंने सीखा उस पर अमल किया। ऐसा करना एक परिवार को घराने में शान्ति बनाए रखने में कैसे मदद दे सकता है?—२ तीमुथियुस ३:१६, १७.

यदि आपके पति का धर्म भिन्‍न है

३. (क) भिन्‍न धर्म के व्यक्‍ति से विवाह करने के सम्बन्ध में बाइबल की सलाह क्या है? (ख) यदि एक विवाह-साथी विश्‍वासी है और दूसरा नहीं, तो कौन-से कुछ मूल सिद्धान्त लागू होते हैं?

बाइबल भिन्‍न धार्मिक विश्‍वास के व्यक्‍ति के साथ विवाह करने के विरुद्ध कड़ी सलाह देती है। (व्यवस्थाविवरण ७:३, ४; १ कुरिन्थियों ७:३९) परन्तु, हो सकता है कि आपने अपने विवाह के बाद बाइबल से सत्य सीखा है लेकिन आपके पति ने नहीं सीखा। तब क्या? निःसंदेह, विवाह-वचन फिर भी मान्य हैं। (१ कुरिन्थियों ७:१०) बाइबल विवाह बंधन के स्थायित्व पर बल देती है और विवाहित लोगों को प्रोत्साहित करती है कि अपने मतभेदों से दूर भागने के बजाय स्वयं मतभेदों को दूर भगाएँ। (इफिसियों ५:२८-३१; तीतुस २:४, ५) लेकिन, यदि आपका पति बाइबल के धर्म का पालन करने के लिए आपका कड़ा विरोध करता है, तब क्या? वह शायद आपको कलीसिया सभाओं में जाने से रोकने की कोशिश करे, या वह शायद कहे कि वह नहीं चाहता कि उसकी पत्नी घर-घर जाकर धर्म के बारे में बात करे। आप क्या करेंगी?

४. यदि उसके पति का धर्म भिन्‍न है, तो एक पत्नी किस रीति से समानुभूति दिखा सकती है?

अपने आपसे पूछिए, ‘मेरा पति ऐसा क्यों महसूस करता है?’ (नीतिवचन १६:२०, २३) यदि उसे वास्तव में यह नहीं समझ आता कि आप क्या कर रही हैं, तो वह शायद आपके बारे में चिन्ता करे। या उस पर शायद रिश्‍तेदारों की ओर से दबाव हो, क्योंकि अब आप अमुक प्रथाओं में हिस्सा नहीं लेतीं जो उनके लिए महत्त्वपूर्ण हैं। “घर में अकेले, मैं ने त्यागा हुआ महसूस किया,” एक पति ने कहा। इस पुरुष को लगा कि वह एक धर्म के हाथ अपनी पत्नी को खो रहा था। फिर भी घमंड ने उसे यह स्वीकार करने से रोका कि उसे अकेलापन खल रहा था। आपके पति को शायद इस आश्‍वासन की ज़रूरत हो कि यहोवा के प्रति आपके प्रेम का यह अर्थ नहीं कि अब आप अपने पति को पहले से कम प्रेम करती हैं। निश्‍चित ही उसके साथ समय बिताइए।

५. जिस पत्नी के पति का धर्म भिन्‍न है उसे कैसा संतुलन रखना चाहिए?

लेकिन, यदि आप स्थिति को बुद्धिमानी के साथ संभालने जा रही हैं, तो एक इससे भी महत्त्वपूर्ण बात पर विचार किया जाना चाहिए। परमेश्‍वर का वचन पत्नियों से आग्रह करता है: “जैसा प्रभु में उचित है, वैसा ही अपने अपने पति के आधीन रहो।” (कुलुस्सियों ३:१८) अतः, यह स्वतंत्रता की आत्मा के विरुद्ध चिताता है। इसके साथ-साथ, “जैसा प्रभु में उचित है” कहने के द्वारा, यह शास्त्रवचन सूचित करता है कि अपने पति के प्रति अधीनता में प्रभु के प्रति अधीनता को भी ध्यान में रखा जाना चाहिए। एक संतुलन की ज़रूरत है।

६. एक मसीही पत्नी को कौन-से सिद्धान्त मन में रखने चाहिए?

एक मसीही के लिए, कलीसिया सभाओं में उपस्थित होना और अपने बाइबल-आधारित विश्‍वास के बारे में दूसरों को साक्षी देना सच्ची उपासना के महत्त्वपूर्ण पहलू हैं जिनकी उपेक्षा नहीं की जानी है। (रोमियों १०:९, १०, १४; इब्रानियों १०:२४, २५) फिर, यदि एक मनुष्य आपको परमेश्‍वर की एक सुनिश्‍चित माँग को पूरा न करने का सीधा आदेश देता, तो आप क्या करतीं? यीशु मसीह के प्रेरितों ने घोषित किया: “मनुष्यों की आज्ञा से बढ़कर परमेश्‍वर की आज्ञा का पालन करना ही कर्तव्य कर्म है।” (प्रेरितों ५:२९) उनका उदाहरण एक सिद्धान्त के रूप में जीवन की अनेक स्थितियों में लागू होता है। क्या यहोवा के प्रति प्रेम आपको प्रेरित करेगा कि उसे वह भक्‍ति दें जो उचित ही उसे दी जानी चाहिए? साथ ही, क्या आपके पति के प्रति आपका प्रेम और आदर आपको यह भक्‍ति एक ऐसी रीति से करने की कोशिश करने के लिए प्रेरणा देगा जो आपके पति को स्वीकार्य है?—मत्ती ४:१०; १ यूहन्‍ना ५:३.

७. एक मसीही पत्नी का क्या दृढ़-निश्‍चय होना चाहिए?

यीशु ने बताया कि यह हमेशा संभव नहीं होता। उसने चिताया कि सच्ची उपासना के विरोध के कारण, कुछ परिवारों के विश्‍वासी सदस्य कटा-कटा महसूस करते, मानो उनके और बाक़ी के परिवार के बीच एक तलवार चल गयी हो। (मत्ती १०:३४-३६) जापान में एक स्त्री ने इसका अनुभव किया। उसके पति ने ११ साल उसका विरोध किया। वह कठोरता से उसके साथ दुर्व्यवहार करता था और प्रायः उसे घर के बाहर बंद कर देता था। लेकिन वह यत्न करती रही। मसीही कलीसिया में मित्रों ने उसकी मदद की। वह निरन्तर प्रार्थना करती रही और उसने १ पतरस २:२० से काफ़ी प्रोत्साहन प्राप्त किया। यह मसीही स्त्री विश्‍वस्त थी कि यदि वह दृढ़ रही, तो किसी दिन उसका पति उसके साथ मिलकर यहोवा की सेवा करेगा। और ऐसा ही हुआ।

८, ९. अपने पति के सामने अनावश्‍यक बाधाएँ नहीं डालने के लिए एक पत्नी को कैसे व्यवहार करना चाहिए?

अपने साथी की मनोवृत्ति को प्रभावित करने के लिए आप अनेक व्यावहारिक कार्य कर सकती हैं। उदाहरण के लिए, यदि आपका पति आपके धर्म का विरोध करता है, तो अन्य क्षेत्रों में उसे शिक़ायत के उचित कारण मत दीजिए। घर को साफ़ रखिए। अपने व्यक्‍तिगत रूप की देखभाल कीजिए। बहुतायत में प्रेम और मूल्यांकन की अभिव्यक्‍तियाँ कीजिए। आलोचना करने के बजाय, समर्थन दीजिए। दिखाइए कि मुखियापन के लिए आप उसकी ओर देखती हैं। यदि आपको लागता है कि आपके साथ अन्याय किया गया है तो बदला मत लीजिए। (१ पतरस २:२१, २३) मानव अपरिपूर्णता को मत भूलिए, और यदि एक विवाद उठता है तो नम्रतापूर्वक पहले आप क्षमा माँगिए।—इफिसियों ४:२६.

सभाओं में आपकी उपस्थिति को उसे देर से भोजन देने का कारण मत बनने दीजिए। साथ ही, आप शायद मसीही सेवकाई में उस समय हिस्सा लेने का चुनाव करें जब आपका पति घर में नहीं होता है। जब पति नहीं सुनना चाहता, तो एक मसीही पत्नी के लिए यह बुद्धिमानी की बात है कि उसे प्रचार न करे। इसके बजाय, वह प्रेरित पतरस की सलाह को मानती है: “हे पत्नियो, तुम भी अपने पति के आधीन रहो। इसलिये कि यदि इन में से कोई ऐसे हों जो वचन को न मानते हों, तौभी तुम्हारे भय सहित चालचलन को देखकर बिना वचन के अपनी अपनी पत्नी के चालचलन के द्वारा खिंच जाएं।” (१ पतरस ३:१, २) मसीही पत्नियाँ परमेश्‍वर की आत्मा के फलों को और पूर्ण रीति से प्रदर्शित करने के लिए कार्य करती हैं।—गलतियों ५:२२, २३.

जब पत्नी एक सक्रिय मसीही नहीं है

१०. यदि पत्नी का धर्म भिन्‍न है, तो एक विश्‍वासी पति को उसके साथ कैसे व्यवहार करना चाहिए?

१० यदि पति सक्रिय मसीही है और पत्नी नहीं, तब क्या? बाइबल ऐसी स्थितियों के लिए मार्गदर्शन देती है। वह कहती है: “यदि किसी भाई की पत्नी विश्‍वास न रखती हो, और उसके साथ रहने से प्रसन्‍न हो, तो वह उसे न छोड़े।” (१ कुरिन्थियों ७:१२) वह पतियों को यह प्रबोधन भी देती है: “अपनी अपनी पत्नी से प्रेम रखो।”—कुलुस्सियों ३:१९.

११. यदि पत्नी एक सक्रिय मसीही नहीं है, तो एक पति कैसे समझदारी दिखा सकता है और व्यवहार-कुशलता से अपनी पत्नी पर मुखियापन चला सकता है?

११ यदि आप एक ऐसी पत्नी के पति हैं जिसका धर्म आपके धर्म से भिन्‍न है, तो इस बात पर ख़ासकर ध्यान दीजिए कि अपनी पत्नी को आदर दिखाएँ और उसकी भावनाओं का ध्यान रखें। एक वयस्क होने के नाते, वह इस योग्य है कि उसे अपने धार्मिक विश्‍वासों को मानने के लिए कुछ हद तक स्वतंत्रता दी जाए, यद्यपि आप उनसे सहमत नहीं हैं। जब पहली बार आप उससे अपने धर्म के बारे में बात करते हैं, तो अपेक्षा मत कीजिए कि वह कोई नयी बात अपनाने के लिए अपने पुराने विश्‍वासों को त्याग दे। एकदम से यह कहने के बजाय कि जिन प्रथाओं को वह और उसका परिवार एक लम्बे अरसे से प्रिय समझते आए हैं वे झूठी हैं, उसके साथ धैर्यपूर्वक शास्त्र में से तर्क करने का प्रयास कीजिए। यदि आप कलीसिया की गतिविधियों में बहुत समय लगाते हैं, तो हो सकता है कि वह उपेक्षित महसूस करती है। वह शायद यहोवा की सेवा करने के आपके प्रयासों का विरोध करे, लेकिन मूल संदेश शायद इतना ही हो: “मैं आपका अधिक समय चाहती हूँ!” धीरज धरिए। आपकी प्रेममय विचारशीलता से, समय आने पर उसे सच्ची उपासना को अपनाने में मदद मिल सकती है।—कुलुस्सियों ३:१२-१४; १ पतरस ३:८, ९.

बच्चों को प्रशिक्षण देना

१२. यदि पति-पत्नी का धर्म भिन्‍न है, तो भी उनके बच्चों के प्रशिक्षण में शास्त्रीय सिद्धान्तों को कैसे लागू किया जाना चाहिए?

१२ एक ऐसे घराने में जो उपासना में संयुक्‍त नहीं है, कभी-कभी बच्चों का धार्मिक शिक्षण एक वाद-विषय बन जाता है। शास्त्रीय सिद्धान्तों को कैसे लागू किया जाना चाहिए? बाइबल बच्चों को शिक्षा देने की मुख्य ज़िम्मेदारी पिता को सौंपती है, लेकिन माँ की भी एक महत्त्वपूर्ण भूमिका है। (नीतिवचन १:८. उत्पत्ति १८:१९; व्यवस्थाविवरण ११:१८, १९ से तुलना कीजिए।) यदि पिता मसीह के मुखियापन को स्वीकार नहीं करता, तो भी वह परिवार का सिर है।

१३, १४. यदि पति बच्चों को मसीही सभाओं में ले जाने या उनके साथ अध्ययन करने से अपनी पत्नी को रोकता है, तो वह क्या कर सकती है?

१३ यदि माँ बच्चों को धार्मिक बातों में शिक्षा देती है, तो कुछ अविश्‍वासी पिता इसका विरोध नहीं करते। दूसरे करते हैं। यदि आपका पति बच्चों को कलीसिया सभाओं में ले जाने की अनुमति नहीं देता अथवा आपको घर में भी उनके साथ बाइबल का अध्ययन नहीं करने देता, तब क्या? अब आपको कई बाध्यताओं के बीच संतुलन करना है—यहोवा परमेश्‍वर के प्रति, आपके पतिवत्‌ सिर के प्रति, और आपके प्रिय बच्चों के प्रति आपकी बाध्यता। आप इनके बीच सामंजस्य कैसे बिठा सकती हैं?

१४ आप निश्‍चित ही इस विषय में प्रार्थना करेंगी। (फिलिप्पियों ४:६, ७; १ यूहन्‍ना ५:१४) लेकिन अंततः, आप ही को यह फ़ैसला करना है कि कौन-सा मार्ग लें। यदि आप व्यवहार-कुशलता से क़दम उठाती हैं, और अपने पति को यह स्पष्ट कर देती हैं कि आप उसके मुखियापन को चुनौती नहीं दे रही हैं, तो आगे चलकर उसका विरोध शायद कम हो जाए। यदि आपका पति आपको अपने बच्चों को सभाओं में ले जाने या उनके साथ औपचारिक बाइबल अध्ययन करने से रोकता है, तो भी आप उनको सिखा सकती हैं। अपने दैनिक वार्तालाप और अपने अच्छे उदाहरण के द्वारा, यत्नपूर्वक उन्हें कुछ हद तक सिखाने की कोशिश कीजिए कि यहोवा के लिए प्रेम, उसके वचन में विश्‍वास, माता-पिता के लिए आदर—जिसमें उनका पिता सम्मिलित है—दूसरे लोगों के लिए प्रेममय चिन्ता, और परिश्रमी कार्य आदतों के लिए मूल्यांकन दिखाएँ। कुछ समय बाद, पिता शायद अच्छे परिणामों को देखे और हो सकता है कि आपके प्रयासों के महत्त्व का मूल्यांकन करे।—नीतिवचन २३:२४.

१५. बच्चों की शिक्षा में एक विश्‍वासी पिता की क्या ज़िम्मेदारी है?

१५ यदि आप एक विश्‍वासी पति हैं और आपकी पत्नी विश्‍वासी नहीं, तो आपको “प्रभु की शिक्षा और अनुशासन में” अपने बच्चों का पालन-पोषण करने की ज़िम्मेदारी उठानी है। (इफिसियों ६:४, NHT) जब आप ऐसा करते हैं, तब निःसंदेह आपको अपनी पत्नी के साथ व्यवहार करते समय कृपालु, प्रेममय, और कोमल होना चाहिए।

यदि आपका और आपके माता-पिता का धर्म भिन्‍न है

१६, १७. यदि बच्चे अपने माता-पिता के धर्म से भिन्‍न धर्म अपनाते हैं, तो उन्हें कौन-से बाइबल सिद्धान्त याद रखने चाहिए?

१६ अब यह बात असामान्य नहीं रही कि नाबालिग़ बच्चे भी अपने माता-पिता के धार्मिक विचारों से भिन्‍न धार्मिक विचार अपना लेते हैं। क्या आपने ऐसा किया है? यदि किया है, तो बाइबल आपके लिए सलाह देती है।

१७ परमेश्‍वर का वचन कहता है: “प्रभु में अपने माता-पिता के आज्ञाकारी बनो, क्योंकि यह उचित है। अपनी माता और पिता का आदर कर।” (इफिसियों ६:१, २) इसमें माता-पिता के प्रति हितकर आदर सम्मिलित है। लेकिन, जबकि माता-पिता का आज्ञापालन महत्त्वपूर्ण है, यह सच्चे परमेश्‍वर को ध्यान में रखे बिना नहीं किया जाना चाहिए। जब बच्चा इतना बड़ा हो जाता है कि वह फ़ैसले करना शुरू कर दे, तब उस पर अपने कार्यों का अधिक उत्तरदायित्व आ जाता है। यह लौकिक नियम के सम्बन्ध में ही नहीं, बल्कि ख़ासकर ईश्‍वरीय नियम के सम्बन्ध में भी सही है। “हम में से हर एक परमेश्‍वर को अपना अपना लेखा देगा,” बाइबल कहती है।—रोमियों १४:१२.

१८, १९. यदि बच्चों का धर्म उनके माता-पिता के धर्म से भिन्‍न है, तो वे उनके विश्‍वास को ज़्यादा अच्छी तरह से समझने में अपने माता-पिता की मदद कैसे कर सकते हैं?

१८ यदि आपके विश्‍वास आपको अपने जीवन में परिवर्तन करने के लिए प्रेरित करते हैं, तो अपने माता-पिता के दृष्टिकोण को समझने की कोशिश कीजिए। यदि आप बाइबल शिक्षाओं को सीखने और उन पर अमल करने के कारण, आपसे जो माँग वे करते हैं उसमें अधिक आदरपूर्ण, अधिक आज्ञाकारी, और अधिक परिश्रमी हो जाते हैं, तो संभवतः वे प्रसन्‍न होंगे। लेकिन, यदि आपका नया धर्म आपको उन विश्‍वासों और प्रथाओं को अस्वीकार करने के लिए प्रेरित करता है जो व्यक्‍तिगत रूप से उन्हें प्रिय हैं, तो वे शायद महसूस करें कि आप उस विरासत को ठुकरा रहे हैं जो उन्होंने आपको देनी चाही। यदि जो आप कर रहे हैं वह समुदाय में लोकप्रिय नहीं है अथवा यदि वह ऐसे कार्यों से आपका ध्यान दूर करता है जो उनके विचार से आपको भौतिक रूप से समृद्ध होने में मदद दे सकते हैं, तो वे शायद आपके हित के लिए भी डरें। घमंड भी एक रुकावट हो सकती है। वे शायद महसूस करें कि आप असल में यह कह रहे हैं कि आप सही हैं और वे ग़लत हैं।

१९ इसलिए, यथाशीघ्र यह प्रबन्ध करने की कोशिश कीजिए कि आपके माता-पिता स्थानीय कलीसिया के कुछ प्राचीनों या अन्य प्रौढ़ साक्षियों से मिलें। अपने माता-पिता को प्रोत्साहित कीजिए कि एक राज्यगृह आएँ और स्वयं सुनें कि क्या चर्चा की जाती है और अपनी आँखों से देखें कि यहोवा के साक्षी किस क़िस्म के लोग हैं। कुछ समय बाद, आपके माता-पिता की मनोवृत्ति शायद नरम हो जाए। जब माता-पिता कड़ा विरोध करते हैं, बाइबल साहित्य नष्ट कर देते हैं, और बच्चों को मसीही सभाओं में जाने से रोक देते हैं, तब भी प्रायः कहीं और पढ़ने, संगी मसीहियों से बात करने, और दूसरों को अनौपचारिक रूप से साक्षी देने और उनकी मदद करने के अवसर होते हैं। आप यहोवा से प्रार्थना भी कर सकते हैं। इससे अधिक करने के लिए कुछ युवाओं को तब तक प्रतीक्षा करनी पड़ती है जब तक कि वे इतने बड़े न हो जाएँ कि पारिवारिक घर से बाहर रह सकें। लेकिन, घर पर स्थिति चाहे जो भी हो, ‘अपनी माता और पिता का आदर करना’ मत भूलिए। घर की शान्ति में योग देने के लिए अपना भाग अदा कीजिए। (रोमियों १२:१७, १८) सबसे बढ़कर, परमेश्‍वर के साथ शान्ति का प्रयत्न कीजिए।

एक सौतेला-जनक होने की चुनौती

२०. यदि उनका पिता या माता सौतेली है, तो बच्चों में शायद कैसी भावनाएँ हों?

२० अनेक घरों में वह स्थिति जो सबसे बड़ी चुनौती प्रस्तुत करती है धार्मिक नहीं बल्कि जैविक है। आज अनेक घरानों में ऐसे बच्चे हैं जो एक या दोनों माता-पिता के पिछले विवाहों से हैं। एक ऐसे परिवार में, बच्चे शायद जलन और कुढ़न या संभवतः निष्ठाओं के अंतर्द्वन्द्व का अनुभव करें। फलस्वरूप, जब सौतेला-जनक एक अच्छा पिता या माता होने का निष्कपट प्रयास करता है, तब वे शायद उसे झिड़क दें। कौन-सी बात एक सौतेले-परिवार को सफल होने में मदद दे सकती है?

चाहे सगे जनक हों या सौतेले-जनक, मार्गदर्शन के लिए बाइबल पर भरोसा कीजिए

२१. अपनी ख़ास परिस्थितियों के बावजूद, सौतेले माता-पिताओं को मदद के लिए बाइबल में दिए गए सिद्धान्तों की ओर क्यों देखना चाहिए?

२१ इस बात को समझिए कि ख़ास परिस्थितियों के बावजूद, जिन बाइबल सिद्धान्तों से अन्य घरानों में सफलता मिलती है वे यहाँ भी लागू होते हैं। उन सिद्धान्तों की उपेक्षा करना शायद उस समय के लिए समस्या को सुलझाता प्रतीत हो, लेकिन संभवतः बाद में मनोव्यथा का कारण बनेगा। (भजन १२७:१; नीतिवचन २९:१५) बुद्धि और समझ विकसित कीजिए—दीर्घकालिक लाभों को ध्यान में रखते हुए ईश्‍वरीय सिद्धान्तों को लागू करने की बुद्धि, और यह पहचानने की समझ कि परिवार के सदस्य क्यों अमुक बात कहते और करते हैं। समानुभूति की भी ज़रूरत है।—नीतिवचन १६:२१; २४:३; १ पतरस ३:८.

२२. बच्चों को एक सौतेले-जनक को स्वीकार करना शायद क्यों कठिन लगे?

२२ यदि आप एक सौतेले-जनक हैं, तो आपको शायद याद हो कि परिवार के एक मित्र के रूप में बच्चे संभवतः आपका स्वागत करते थे। लेकिन जब आप उनके सौतेले-जनक बन गए, तो उनकी मनोवृत्ति शायद बदल गयी हो। उस जैविक जनक को याद करते हुए जो अब उनके साथ नहीं रह रहा है, बच्चों में शायद निष्ठाओं का अंतर्द्वन्द्व चल रहा हो। संभवतः वे महसूस करते हैं कि जो स्नेह उन्हें अनुपस्थित जनक के लिए है उसे आप छीनना चाहते हैं। कभी-कभी, वे शायद रुखाई से आपको याद दिला दें कि आप उनके पिता या उनकी माता नहीं हैं। ऐसे कथन चोट पहुँचाते हैं। फिर भी, ‘अपने मन में उतावली से क्रोधित न हों।’ (सभोपदेशक ७:९) बच्चों की भावनाओं से व्यवहार करने के लिए समझ और समानुभूति की ज़रूरत होती है।

२३. सौतेले बच्चों वाले परिवार में अनुशासन कैसे दिया जा सकता है?

२३ ये गुण अनुशासन देते समय महत्त्वपूर्ण हैं। संगत अनुशासन अत्यावश्‍यक है। (नीतिवचन ६:२०; १३:१) और क्योंकि बच्चे एक जैसे नहीं होते, अनुशासन बच्चों के हिसाब से शायद अलग-अलग हो। कुछ सौतेले-जनक पाते हैं कि कम-से-कम शुरूआत में, यदि पालन-पोषण के इस पहलू को जैविक जनक संभाले तो बेहतर हो। लेकिन, यह अत्यावश्‍यक है कि दोनों जनक अनुशासन पर सहमत हों और उसका समर्थन करें, वे अपनी संतान और सौतेले बच्चे के बीच भेद न करें। (नीतिवचन २४:२३) आज्ञाकारिता महत्त्वपूर्ण है, लेकिन अपरिपूर्णता को ध्यान में रखने की ज़रूरत है। अत्यधिक प्रतिक्रिया मत दिखाइए। प्रेम से अनुशासन दीजिए।—कुलुस्सियों ३:२१.

२४. एक सौतेले परिवार में विपरीत लिंग के सदस्यों के बीच नैतिक समस्याओं से बचने के लिए कौन-सी बात मदद दे सकती है?

२४ मुसीबत रोकने के लिए पारिवारिक चर्चाएँ काफ़ी योग दे सकती हैं। ये परिवार को जीवन में सबसे महत्त्वपूर्ण बातों पर ध्यान केंद्रित रखने में मदद दे सकती हैं। (फिलिप्पियों १:९-११ से तुलना कीजिए।) वे हरेक व्यक्‍ति को यह देखने में भी सहायता दे सकती हैं कि वह पारिवारिक लक्ष्यों की प्राप्ति में कैसे योग दे सकता है। इसके साथ-साथ, परिवार में खुलकर चर्चा करना नैतिक समस्याओं से बचा सकता है। लड़कियों को यह समझने की ज़रूरत है कि अपने सौतेले पिता और यदि कोई सौतेले भाई हैं तो उनके साथ होते समय कैसे कपड़े पहनना और कैसे व्यवहार करना है, और लड़कों को अपनी सौतेली माँ और यदि कोई सौतेली बहनें हैं तो उनके साथ उचित आचरण पर सलाह की ज़रूरत है।—१ थिस्सलुनीकियों ४:३-८.

२५. एक सौतेले परिवार में शान्ति रखने के लिए कौन-से गुण मदद कर सकते हैं?

२५ एक सौतेले-जनक होने की ख़ास चुनौती का सामना करते समय, धीरज धरिए। नए सम्बन्धों को विकसित करने में समय लगता है। उन बच्चों का प्रेम और आदर कमाना जिनके साथ आपका कोई जैविक बंधन नहीं है एक अति कठिन कार्य हो सकता है। लेकिन यह संभव है। एक बुद्धिमान और समझदार हृदय, साथ ही यहोवा को प्रसन्‍न करने की तीव्र इच्छा, एक सौतेले परिवार में शान्ति की कुंजी है। (नीतिवचन १६:२०) ऐसे गुण आपको अन्य स्थितियों से निपटने में भी मदद दे सकते हैं।

क्या भौतिक लक्ष्य आपके घर को विभाजित करते हैं?

२६. भौतिक वस्तुओं के सम्बन्ध में समस्याएँ और मनोवृत्तियाँ किन तरीक़ों से एक परिवार को विभाजित कर सकती हैं?

२६ भौतिक वस्तुओं के सम्बन्ध में समस्याएँ और मनोवृत्तियाँ अनेक तरीक़ों से परिवारों को विभाजित कर सकती हैं। दुःख की बात है कि कुछ परिवार पैसे और अमीर होने—या कम-से-कम थोड़ा और अमीर होने—की इच्छा पर बहस करते रहने के कारण भंग हो जाते हैं। विभाजन शायद तब होने लगें जब दोनों साथी नौकरी करते हैं और “मेरा पैसा, तुम्हारा पैसा” वाली मनोवृत्ति विकसित करते हैं। यदि बहस नहीं होती, तो भी जब दोनों साथी काम करते हैं तब उनकी सारणी शायद ऐसी हो कि उनके पास एक दूसरे के लिए कुछ समय ही न बचे। संसार में यह चलन बढ़ रहा है कि पिता लम्बे-लम्बे समय—महीनों या यहाँ तक कि सालों—तक अपने परिवारों से दूर रहते हैं ताकि वे उतना पैसा कमा सकें जितना कि वे घर पर रहकर कभी नहीं कमा सकते थे। यह बहुत गंभीर समस्याओं का कारण बन सकता है।

२७. कौन-से कुछ सिद्धान्त उस परिवार की मदद कर सकते हैं जो आर्थिक दबाव में है?

२७ इन स्थितियों से निपटने के लिए कोई नियम नहीं लगाए जा सकते, चूँकि अलग-अलग परिवारों को अलग-अलग दबावों और ज़रूरतों से निपटना पड़ता है। फिर भी, बाइबल सलाह मदद कर सकती है। उदाहरण के लिए, नीतिवचन १३:१० सूचित करता है कि ‘सम्मति मानने’ के द्वारा कभी-कभी अनावश्‍यक संघर्ष से बचा जा सकता है। इसमें मात्र अपने ही विचारों को व्यक्‍त करना नहीं, परन्तु सलाह लेना और यह पता लगाना भी सम्मिलित है कि दूसरे व्यक्‍ति का क्या दृष्टिकोण है। इसके अलावा, एक व्यावहारिक बजट बनाना परिवार को एक होकर प्रयास करने में मदद दे सकता है। ख़ासकर जब घर में बच्चे हैं या दूसरों की देखभाल की ज़िम्मेदारी है, तो कभी-कभी यह आवश्‍यक होता है—संभवतः कुछ समय के लिए—कि अतिरिक्‍त ख़र्च उठाने के लिए दोनों साथी घर के बाहर काम करें। जब ऐसी स्थिति होती है, तो पति अपनी पत्नी को आश्‍वस्त कर सकता है कि उसके पास अभी-भी पत्नी के लिए समय है। वह बच्चों के साथ मिलकर प्रेमपूर्वक कुछ काम में हाथ बँटा सकता है जो सामान्यतः वह शायद अकेले ही संभाल लेती।—फिलिप्पियों २:१-४.

२८. यदि उनका पालन किया जाए, तो कौन-से अनुस्मारक एक परिवार को एकता की ओर कार्य करने में मदद देंगे?

२८ लेकिन, यह ध्यान में रखिए कि जबकि इस रीति-व्यवस्था में पैसा एक आवश्‍यकता है, यह सुख नहीं लाता। यह निश्‍चित ही जीवन नहीं देता। (सभोपदेशक ७:१२) वास्तव में, भौतिक वस्तुओं पर अत्यधिक बल देना आध्यात्मिक और नैतिक तबाही का कारण बन सकता है। (१ तीमुथियुस ६:९-१२) कितना बेहतर है कि पहले परमेश्‍वर के राज्य और उसकी धार्मिकता की खोज करें, जिसके साथ यह आश्‍वासन है कि जीवन की ज़रूरतों को प्राप्त करने के हमारे प्रयासों पर उसकी आशिष होगी! (मत्ती ६:२५-३३; इब्रानियों १३:५) आध्यात्मिक हितों को आगे रखने के द्वारा और सबसे पहले परमेश्‍वर के साथ शान्ति का प्रयत्न करने के द्वारा, आप शायद पाएँ कि संभवतः किन्हीं परिस्थितियों से विभाजित होने के बावजूद, आपका घराना एक ऐसा घराना बन जाए जो सबसे महत्त्वपूर्ण बातों में सचमुच संयुक्‍त है।