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इस किताब में क्या है

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इस किताब में क्या है

एक व्यक्‍ति जब पहली बार किसी पुस्तकालय में जाता है तो वह किताबें ही किताबें देखकर शायद असमंजस में पड़ जाए। लेकिन थोड़ा समझाए जाने पर कि किताबें किस क्रम में रखी गयी हैं, वह जल्द ही अमुक किताबें ढूँढ़ना सीख लेता है। उसी तरह, बाइबल में कुछ ढूँढ़ना आसान हो जाता है जब आप उसके विषय के क्रम को समझते हैं।

“बाइबल,” यह शब्द यूनानी शब्द बिबलिया से लिया गया है, जिसका अर्थ है “पपीरस खर्रे” या “किताबें।” बाइबल असल में ६६ अलग-अलग किताबों का एक संग्रह है—ऐसा पुस्तकालय, जिसका लेखन कुछ १,६०० सालों तक चला, सा.यु.पू. १५१३ से क़रीब सा.यु. ९८ तक।

पहली ३९ किताबें, बाइबल का लगभग तीन-चौथाई भाग, इब्रानी शास्त्र के नाम से जानी जाती हैं, क्योंकि ये ज़्यादातर उस भाषा में लिखी गयी थीं। इन किताबों को सामान्यतः तीन समूहों में विभाजित किया जा सकता है: (१) ऐतिहासिक, उत्पत्ति से एस्तेर तक, १७ किताबें; (२) काव्यात्मक, अय्यूब से श्रेष्ठगीत तक, ५ किताबें; और (३) भविष्यसूचक, यशायाह से मलाकी तक, १७ किताबें। इब्रानी शास्त्र पृथ्वी और मानवजाति का आरंभिक इतिहास साथ ही प्राचीन इस्राएल जाति के जन्म से सा.यु.पू. पाँचवीं शताब्दी तक का इतिहास देता है।

बाक़ी २७ किताबें मसीही यूनानी शास्त्र के नाम से जानी जाती हैं, क्योंकि वे यूनानी में लिखी गयी थीं, जो उस समय की अंतर्राष्ट्रीय भाषा थी। उनका क्रम मुख्यतः विषय के अनुसार रखा गया है: (१) ५ ऐतिहासिक किताबें—सुसमाचार-पुस्तकें और प्रेरितों की किताब, (२) २१ पत्रियाँ, और (३) प्रकाशितवाक्य। मसीही यूनानी शास्त्र सा.यु. प्रथम शताब्दी में यीशु मसीह और उसके चेलों की शिक्षाओं और कार्यों पर ध्यान केंद्रित करता है।