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अध्याय 2

क्या आप सचमुच “परमेश्वर के करीब” आ सकते हैं?

क्या आप सचमुच “परमेश्वर के करीब” आ सकते हैं?

1, 2. (क) बहुतों को क्या बात नामुमकिन लग सकती है, मगर बाइबल हमें क्या आश्वासन देती है? (ख) इब्राहीम किसके साथ करीबी रिश्ता कायम कर सका और क्यों?

आपको कैसा लगेगा अगर आकाश और धरती का बनानेवाला आपके बारे में कहे, “यह मेरा दोस्त है”? बहुतों को यह बात शायद नामुमकिन लगे। वे सोचें कि भला अदना-सा इंसान, यहोवा परमेश्वर का दोस्त कैसे बन सकता है? मगर, बाइबल हमें आश्वासन देती है कि हम सचमुच परमेश्वर के साथ करीबी रिश्ता कायम कर सकते हैं।

2 प्राचीनकाल के इब्राहीम का, परमेश्वर के साथ ऐसा ही करीबी रिश्ता था। यहोवा ने इब्राहीम को ‘मेरा मित्र’ कहा। (यशायाह 41:8, NHT) जी हाँ यहोवा, इब्राहीम को अपना करीबी दोस्त मानता था। परमेश्वर ने इब्राहीम को अपना दोस्त इसलिए स्वीकार किया, क्योंकि उसने “परमेश्वर पर विश्वास किया।” (याकूब 2:23, NHT) आज भी, यहोवा ऐसे मौकों की तलाश में रहता है कि वह कैसे अपने उन सेवकों के लिए “स्नेह” दिखाए जो प्रेम की खातिर उसकी सेवा करते हैं। (व्यवस्थाविवरण 10:15) उसका वचन उकसाता है: “परमेश्वर के करीब आओ, और वह तुम्हारे करीब आएगा।” (याकूब 4:8, NW) इन शब्दों में हमें न सिर्फ एक न्यौता दिया गया है, बल्कि हमसे एक वादा भी किया गया है।

3. यहोवा हमें क्या न्यौता देता है, और उसके साथ-साथ क्या वादा करता है?

3 यहोवा हमें अपने पास आने का न्यौता देता है। वह खुशी-खुशी हमें अपने दोस्तों के रूप में स्वीकार करने को तैयार है। साथ ही, वह वादा करता है कि अगर हम उसके पास आने के लिए कदम उठाएँगे, तो वह भी हमारे करीब आने के लिए कदम उठाएगा। इस तरह हम सचमुच एक अनमोल रिश्ता कायम कर पाएँगे, यहोवा हमारा करीबी दोस्त होगा। एक करीबी दोस्त को ही हम अपने दिल का भेद बताते हैं।—भजन 25:14. *

4. एक करीबी दोस्त कैसा होता है, और यहोवा कैसे अपने करीब आनेवालों के लिए ऐसा ही दोस्त साबित होता है?

4 क्या आपका ऐसा कोई करीबी दोस्त है जिससे आप अपने दिल की बात कह सकते हैं? ऐसा दोस्त वह होता है जिसे आपकी परवाह हो। जिस पर आपको भरोसा होता है, क्योंकि उसने वफादार होने का सबूत दिया है। जिसके साथ अपनी खुशियाँ बाँटने से आपकी खुशियाँ दुगुनी हो जाती हैं। जब आप दुःखी होते हैं तब वह एक हमदर्द बनकर आपकी बातें सुनता है और इससे आपके दिल का बोझ हल्का हो जाता है। चाहे कोई और आपको समझे या न समझे, वह ज़रूर समझता है। ठीक वैसे ही, जब आप परमेश्वर के करीब आते हैं तो आप पाते हैं कि वह एक लाजवाब दोस्त है, जो सचमुच आपकी कदर करता है, सच्चे दिल से आपकी परवाह करता है और आपको पूरी तरह समझता है। (भजन 103:14; 1 पतरस 5:7) आप पूरे भरोसे के साथ उसे अपने दिल का हाल बता सकते हैं, क्योंकि आप जानते हैं कि वह वफादार के साथ वफादारी से पेश आता है। लेकिन, यहोवा के साथ नज़दीकी रिश्ते की यह आशीष हमें इसलिए हासिल हो सकी है, क्योंकि उसने खुद यह मुमकिन बनाया है।

यहोवा ने रास्ता खोल दिया है

5. यहोवा ने क्या किया जिससे हमारे लिए उसके करीब आना मुमकिन हो सका है?

5 हम पापी इंसान, अपने बलबूते पर कभी परमेश्वर के करीब नहीं आ सकते थे। (भजन 5:4) फिर भी जैसे प्रेरित पौलुस ने लिखा: “परमेश्वर हम पर अपने प्रेम की भलाई इस रीति से प्रगट करता है, कि जब हम पापी ही थे तभी मसीह हमारे लिये मरा।” (रोमियों 5:8) जी हाँ, यहोवा ने यह इंतज़ाम किया कि यीशु “बहुतों की छुड़ौती के लिये अपने प्राण दे।” (मत्ती 20:28) उस छुड़ौती बलिदान पर विश्वास रखने से हमारे लिए परमेश्वर के करीब आना मुमकिन हो सका है। परमेश्वर ने “पहिले . . . हम से प्रेम किया,” इस तरह उसने हमारे साथ दोस्ती का रिश्ता कायम करने की बुनियाद डाली।—1 यूहन्ना 4:19.

6, 7. (क) हम कैसे जानते हैं कि यहोवा कोई गुप्त और अनजाना परमेश्वर नहीं है? (ख) यहोवा ने अपने आपको किन तरीकों से प्रकट किया है?

6 यहोवा ने एक और कदम उठाया है: उसने हम पर अपने आपको प्रकट किया है। किसी भी दोस्ती में, नज़दीकी तब होती है जब दोस्त एक-दूसरे को सही मायनों में जानते हों, एक-दूसरे के गुणों की कदर करते हों और तौर-तरीकों को पसंद करते हों। इसलिए अगर यहोवा ऐसा परमेश्वर होता जिसे कोई नहीं जान सकता और जो गुप्त रहता है, तो हम कभी उसके करीब नहीं आ सकते थे। लेकिन यहोवा अपने आपको छिपाने के बजाय यह चाहता है कि हम उसे जानें। (यशायाह 45:19) यही नहीं, यहोवा ने अपने बारे में जो कुछ बताया है वह जानकारी कोई भी हासिल कर सकता है, जी हाँ वे लोग भी जो दुनिया के दर्जों के मुताबिक नीच समझे जाते हैं।—मत्ती 11:25.

यहोवा ने अपने सृष्टि के कामों और अपने लिखित वचन से खुद को प्रकट किया है

7 यहोवा ने हम पर अपने आपको कैसे प्रकट किया है? उसके सृष्टि के कामों से हमें उसकी शख्सियत के इन गुणों का पता लगता है, जैसे उसकी असीम शक्ति, अथाह बुद्धि और उसका अपार प्रेम। (रोमियों 1:20) मगर सिर्फ सृष्टि के कामों से यहोवा के बारे में पता नहीं लगता। महान ज्ञानदाता होने के नाते, यहोवा ने अपने वचन, बाइबल में लिखवाया है कि वह कैसा परमेश्वर है।

“यहोवा की मनोहरता” निहारना

8. यह क्यों कहा जा सकता है कि बाइबल अपने आप में इस बात का सबूत है कि यहोवा हमसे प्यार करता है?

8 बाइबल अपने आप में यह सबूत है कि यहोवा हमसे प्यार करता है। अपने वचन में, उसने अपना ज़िक्र ऐसे शब्दों में किया है जो हमारी समझ में आते हैं, और यह इस बात का सबूत है कि वह न सिर्फ हमसे प्यार करता है बल्कि चाहता है कि हम उसके बारे में जानें और उससे प्यार करें। इस अनमोल किताब को पढ़ने से हम “यहोवा की मनोहरता” को निहार पाते हैं और यह हमें उसके और करीब आने को उकसाती है। (भजन 90:17) आइए यहोवा के कुछ ऐसे प्यार-भरे तरीके देखें जिनसे उसने अपने वचन में खुद को प्रकट किया है।

9. बाइबल की कुछ आयतों की मिसालें दीजिए, जिनमें सीधे-सीधे परमेश्वर के गुणों के बारे में बताया गया है।

9 बाइबल में ऐसी बहुत-सी आयतें हैं जिनमें यहोवा के गुणों के बारे में सीधे-सीधे बताया गया है। कुछ मिसालों पर गौर कीजिए। “यहोवा न्याय से प्रीति रखता” है। (भजन 37:28) “सर्वशक्तिमान परमेश्वर सचमुच महान है।” (अय्यूब 37:23, ईज़ी-टू-रीड वर्शन) “यहोवा . . . विश्वासयोग्य ईश्वर है।” (व्यवस्थाविवरण 7:9) वह “हृदय में बुद्धिमान्‌” है। (अय्यूब 9:4, NHT) वह “दयालु और अनुग्रहकारी, कोप करने में धीरजवन्त, और अति करुणामय और सत्य” है। (निर्गमन 34:6) “हे प्रभु [यहोवा], तू भला और क्षमा करनेवाला है।” (भजन 86:5) और जैसे पिछले अध्याय में बताया गया था, प्रेम उसका एक सबसे बड़ा गुण है, इसलिए कहा गया है: “परमेश्वर प्रेम है।” (1 यूहन्ना 4:8) जब आप इन मनभावने गुणों के बारे में सोचते हैं, तो क्या आप इस बेमिसाल परमेश्वर के करीब आना नहीं चाहते?

यहोवा के करीब आने में बाइबल हमारी मदद करती है

10, 11. (क) यहोवा ने हमें अपनी शख्सियत के बारे में और अच्छी जानकारी देने के लिए अपने वचन में क्या लिखवाया है? (ख) बाइबल में दिए कौन-से किस्से में हम परमेश्वर की शक्ति को काम करता हुआ देख सकते हैं?

10 यहोवा ने अपने गुणों के बारे में बताने के अलावा, अपने वचन में ऐसी ठोस मिसालें भी दर्ज़ करवायी हैं जिनमें उसके ये गुण ज़बरदस्त अंदाज़ में देखने को मिलते हैं। ऐसे वृत्तांत हमारे मन में एक साफ तसवीर खींचते हैं, जिससे हमें उसकी शख्सियत के अलग-अलग पहलू साफ नज़र आते हैं। और इस तरह हम उसके करीब आते हैं। एक मिसाल पर गौर कीजिए।

11 यह पढ़ना एक अलग बात है कि परमेश्वर “अत्यन्त बली है।” (यशायाह 40:26) लेकिन, जब हम यह पढ़ते हैं कि परमेश्वर ने इस्राएल को लाल सागर से कैसे बचाया और 40 साल तक वीराने में उस जाति की कैसे देखभाल की, तो हमें इस वचन के असली मायने समझ में आते हैं। आप मन की आँखों से देख सकते हैं कि हिलोरें मारता सागर कैसे दो भागों में बँटता जा रहा है। आप कल्पना कर सकते हैं कि इस्राएल जाति जो कुल मिलाकर शायद 30,00,000 लोग थे, सागर की सूखी ज़मीन पर चल रहे हैं और उनके दोनों तरफ पानी जमा होकर, बड़ी-बड़ी विशाल दीवारों की तरह खड़ा हुआ है। (निर्गमन 14:21; 15:8) वीराने में परमेश्वर ने कैसे उनकी हिफाज़त और देखभाल की, आप इसका भी सबूत देख सकते हैं। चट्टान से पानी बह निकला। सफेद दानों के रूप में भोजन ज़मीन पर गिरा। (निर्गमन 16:31; गिनती 20:11) यहोवा ने, सिर्फ यह नहीं दिखाया कि उसके पास शक्ति है बल्कि यह कि वह अपने लोगों की खातिर इसका इस्तेमाल भी करता है। क्या यह जानकर हमें तसल्ली नहीं होती कि हमारी प्रार्थनाएँ एक ऐसा शक्तिशाली परमेश्वर सुनता है जो “हमारा शरणस्थान और बल है, संकट में अति सहज से मिलनेवाला सहायक” है?—भजन 46:1.

12. यहोवा कैसे हमें समझ आनेवाली भाषा में अपना रूप “दिखाता” है?

12 यहोवा, एक आत्मा है और उसने हमें अपने बारे में बताने के लिए और भी बहुत कुछ किया है। वह जानता है कि इंसान की नज़र जो देख सकती है उसकी एक हद है, इसलिए आत्मिक दुनिया में देख पाना उसके लिए मुमकिन नहीं। अगर परमेश्वर हमें अपने बारे में आत्मिक भाषा में समझाने की कोशिश करता, तो यह ऐसा होता मानो आप एक जन्म के अंधे को अपने रूप, अपनी आँखों और त्वचा के रंग के बारे में बता रहे हों। ऐसा करने के बजाय, यहोवा बड़े प्यार से हमें ऐसी भाषा में अपना रूप “दिखाता” है जिसे हम आसानी से समझ सकें। कभी-कभी, वह रूपक इस्तेमाल करता है और ऐसी चीज़ों से अपनी उपमा देता है जिन्हें हम जानते हैं। वह कई बार अपना वर्णन ऐसे भी करता है मानो उसके भी हम इंसानों की तरह अंग हों। *

13. यशायाह 40:11 से हमारे मन में कैसी तसवीर उभर आती है और इसका आप पर क्या असर हुआ है?

13 गौर कीजिए कि यशायाह 40:11 (NHT) में यहोवा के बारे में क्या कहा गया है: “वह चरवाहे के समान अपने झुण्ड को चराएगा: वह मेमनों को अपनी बाहों में समेट लेगा और गोद में लिए रहेगा।” यहाँ पर यहोवा की तुलना एक चरवाहे के साथ की गयी है जो मेमनों को “अपनी बाहों” में उठा लेता है। यह दिखाता है कि परमेश्वर अपने लोगों की हिफाज़त करने और उनकी देखभाल करने के काबिल है, उनकी भी जो दूसरों से ज़्यादा कमज़ोर और दुर्बल हैं। उसकी मज़बूत बाँहों में हम सुरक्षित महसूस कर सकते हैं, क्योंकि अगर हम उसके वफादार रहें, तो वह हमें कभी नहीं त्यागेगा। (रोमियों 8:38, 39) महान चरवाहा अपने मेमनों को “गोद” में उठाए चलता है। “गोद” शब्द, कपड़ों के ऊपर पहने लबादे की तह की तरफ इशारा करता है, जिसके अंदर एक चरवाहा कभी-कभी नए जन्मे मेम्ने को लेकर चलता है। इस तरह हमें यह तसल्ली दी गयी है कि यहोवा हमें सीने से लगाए रहता है और बड़ी कोमलता से हमारी परवाह करता है। ऐसे चरवाहे के करीब कौन नहीं आना चाहेगा?

‘पुत्र उसे प्रगट करना चाहता है’

14. यह क्यों कहा जा सकता है कि यहोवा, यीशु के ज़रिए अपने बारे में सबसे निजी जानकारी देता है?

14 अपने वचन में, यहोवा अपने प्यारे बेटे, यीशु के ज़रिए अपने बारे में बहुत निजी जानकारी देता है। परमेश्वर की सोच और उसकी भावनाएँ जितनी अच्छी तरह यीशु ज़ाहिर कर सकता था या उसके बारे में समझा सकता था, कोई और नहीं कर सकता था। और क्यों न हो, वह पहिलौठा पुत्र है जो अपने पिता के साथ-साथ तब से था, जब न तो दूसरे आत्मिक प्राणी बने थे और न ही यह विश्व। (कुलुस्सियों 1:15) यीशु, यहोवा को बहुत ही करीब से जानता था। इसलिए वह कह सका: “कोई नहीं जानता कि पुत्र कौन है केवल पिता और पिता कौन है यह भी कोई नहीं जानता, केवल पुत्र के और वह जिस पर पुत्र उसे प्रगट करना चाहे।” (लूका 10:22) इस धरती पर रहते वक्‍त, यीशु ने दो खास तरीकों से लोगों पर अपने पिता को प्रकट किया।

15, 16. यीशु ने किन दो तरीकों से अपने पिता को हम पर प्रकट किया?

15 पहला, यीशु की शिक्षाओं की मदद से हम उसके पिता को जान सकते हैं। यीशु ने यहोवा का वर्णन जिन शब्दों में किया उससे हमारा दिल गद्‌गद हो उठता है। मसलन, यीशु ने यह समझाने के लिए कि हमारा दयालु परमेश्वर, पश्‍चाताप दिखानेवाले पापियों को फिर से स्वीकार करता है, यहोवा की तुलना एक पिता से की। इस पिता के दिल में अपने उड़ाऊ बेटे को लौटता हुआ देखकर इस कदर प्यार उमड़ आता है कि वह दौड़कर उसे अपने गले से लगा लेता है और बड़े प्यार से चूमता है। (लूका 15:11-24) यीशु ने यहोवा को एक ऐसा परमेश्वर भी बताया जो सही मन के लोगों को अपनी तरफ “खींच” लाता है, क्योंकि वह उनमें से हरेक से प्यार करता है। (यूहन्ना 6:44) यहाँ तक कि उसे एक छोटी-सी गौरैया के ज़मीन पर गिरने का भी पता रहता है। यीशु ने आगे कहा: “डरो नहीं; तुम बहुत गौरैयों से बढ़कर हो।” (मत्ती 10:29, 31) हम ऐसे परवाह करनेवाले परमेश्वर से भला दूर कैसे रह सकते हैं?

16 दूसरा, यीशु की मिसाल हमें दिखाती है कि यहोवा किस तरह का परमेश्वर है। यीशु ने हू-ब-हू अपने पिता की शख्सियत को प्रकट किया, इसलिए वह कह सका: “जिस ने मुझे देखा है उस ने पिता को देखा है।” (यूहन्ना 14:9) इसलिए, जब हम सुसमाचार की किताबों में यीशु के बारे में पढ़ते हैं, उसकी भावनाओं और दूसरों के साथ उसके व्यवहार के बारे में सीखते हैं, तो हम एक तरह से उसके पिता की जीती-जागती तसवीर उसमें देखते हैं। अपने गुणों को हम पर ज़ाहिर करने का यहोवा के पास इससे बेहतर और कोई तरीका नहीं हो सकता था। क्यों?

17. उदाहरण देकर समझाइए कि यहोवा ने अपने बारे में हमें समझाने के लिए क्या किया है।

17 एक उदाहरण लीजिए: मान लीजिए कि आप किसी को यह समझाना चाहते हैं कि कृपा क्या होती है। आप शायद कुछ शब्दों में उसकी परिभाषा दें। लेकिन अगर आप किसी को दूसरों पर कृपा करता हुआ दिखाएँ और कहें, “यह है कृपा की एक मिसाल,” तो “कृपा” शब्द के मायने समझना ज़्यादा आसान हो जाता है। यहोवा ने अपने बारे में हमें समझाने के लिए कुछ ऐसा ही किया है। शब्दों से अपना वर्णन करने के अलावा, उसने अपने बेटे की जीती-जागती मिसाल दी है। यीशु में, हम परमेश्वर के गुणों को साकार रूप में देख पाते हैं। यीशु का वर्णन करनेवाली सुसमाचार की किताबों के ज़रिए, यहोवा दरअसल कह रहा है: “देखो, मैं ऐसा ही हूँ।” इन ईश्वर-प्रेरित लेखों में क्या बताया गया है कि इस धरती पर यीशु कैसा था?

18. यीशु ने शक्ति, न्याय और बुद्धि जैसे गुण किस तरह ज़ाहिर किए?

18 यीशु ने परमेश्वर के चार खास गुणों को बहुत ही बढ़िया तरीके से ज़ाहिर किया। उसके पास बीमारी, भूख यहाँ तक कि मौत को मिटाने की शक्ति थी। लेकिन, यीशु ने स्वार्थी इंसानों की तरह अपनी शक्ति का गलत इस्तेमाल नहीं किया, ना ही उसने कभी अपनी चमत्कारी शक्ति को अपने फायदे के लिए या दूसरों को नुकसान पहुँचाने के लिए इस्तेमाल किया। (मत्ती 4:2-4) वह न्याय से प्रेम रखता था। जब उसने देखा कि बेईमान व्यापारी, लोगों को कैसे लूट रहे हैं, तो उसके दिल में धार्मिकता की खातिर क्रोध की ज्वाला भड़क उठी। (मत्ती 21:12, 13) उसने गरीब और कुचले हुओं के साथ निष्पक्षता से व्यवहार किया और ऐसे लोगों को “विश्राम” पाने में मदद दी। (मत्ती 11:4, 5, 28-30) यीशु जो ‘सुलैमान से भी बड़ा था,’ उसकी शिक्षाओं में बेमिसाल बुद्धि नज़र आती थी। (मत्ती 12:42) मगर यीशु ने कभी अपनी बुद्धि का दिखावा नहीं किया। उसके शब्द आम इंसान के दिल तक उतर जाते थे, क्योंकि उसकी शिक्षाएँ स्पष्ट, सरल और व्यावहारिक होती थीं।

19, 20. (क) यीशु कैसे प्रेम की लाजवाब मिसाल था? (ख) जब हम यीशु की मिसाल के बारे में पढ़ते और उसके बारे में सोचते हैं, तो हमें क्या बात ध्यान में रखनी चाहिए?

19 यीशु प्रेम की लाजवाब मिसाल था। अपनी सेवा की शुरूआत से लेकर आखिर तक, उसने प्रेम को इसके हर रूप में ज़ाहिर किया, जिसमें हमदर्दी और करुणा दिखाना भी शामिल था। ऐसा नहीं हो सकता था कि दूसरे तकलीफ में हों और यीशु को उन पर तरस न आए। दूसरों के दुःख-दर्द को समझने की वजह से ही यीशु ने बार-बार उनकी मदद की। (मत्ती 14:14) हालाँकि उसने बीमारों को चंगा किया, भूखों को खाना खिलाया, मगर उसने इससे भी उम्दा तरीके से करुणा ज़ाहिर की। उसने दूसरों को परमेश्वर के उस राज्य की सच्चाई सीखने, उसे स्वीकार करने और उससे प्रेम करने में मदद दी, जो इंसान को सदा की आशीषें दिलाएगा। (मरकुस 6:34; लूका 4:43) और-तो-और, यीशु ने दूसरों की खातिर कुरबान हो जानेवाला प्यार दिखाया और इंसानों की खातिर अपनी जान दे दी।—यूहन्ना 15:13.

20 तो इसमें क्या कोई ताज्जुब की बात है कि हर उम्र और हर वर्ग के लोग इस इंसान की तरफ खिंचे चले आते थे, जिसमें दूसरों के लिए गहरा प्यार और गहरी भावनाएँ थीं? (मरकुस 10:13-16) लेकिन, जब हम यीशु की जीती-जागती मिसाल के बारे में पढ़ते हैं और उस पर ध्यान से सोचते हैं, तो आइए हम हमेशा यह याद रखें कि इस बेटे में हम उसके पिता की साफ तसवीर देख रहे हैं।—इब्रानियों 1:3.

हमारी मदद के लिए अध्ययन की किताब

21, 22. यहोवा की खोज करने का क्या मतलब है, और इसमें अध्ययन की यह किताब हमारी मदद कैसे करती है?

21 अपने वचन में, खुद को इतनी अच्छी तरह ज़ाहिर करने के ज़रिए, यहोवा ने शक की कोई गुंजाइश नहीं छोड़ी कि वह चाहता है कि हम उसके करीब आएँ। मगर, अपने साथ एक अच्छा रिश्ता कायम करने के लिए वह किसी पर ज़ोर-ज़बरदस्ती नहीं करता। यह हमारी ज़िम्मेदारी है कि “जब तक यहोवा मिल सकता है” तब तक हम उसकी खोज करते रहें। (यशायाह 55:6) यहोवा की खोज करने का मतलब है उसके गुणों और तौर-तरीकों को जानना, जो बाइबल में बताए गए हैं। अध्ययन की यह किताब जो आप अभी पढ़ रहे हैं, वह इसी काम में आपकी मदद करने के लिए तैयार की गयी है।

22 आप देखेंगे कि यह किताब यहोवा के चार खास गुणों: शक्ति, न्याय, बुद्धि और प्रेम के मुताबिक चार अलग-अलग भागों में बाँटी गयी है। हर भाग की शुरूआत में उस गुण का सार दिया गया है। अगले कुछ अध्यायों में चर्चा की गयी है कि यहोवा अलग-अलग तरीकों से कैसे यह गुण ज़ाहिर करता है। इसके अलावा, हर भाग में एक अध्याय दिखाता है कि कैसे यीशु ने यह गुण ज़ाहिर करने में एक मिसाल कायम की और अगला अध्याय यह समझाता है कि हम इस गुण को अपनी ज़िंदगी में कैसे ज़ाहिर कर सकते हैं।

23, 24. (क) “मनन के लिए सवाल” इस खास बक्स के बारे में समझाइए। (ख) मनन कैसे हमें दिनों-दिन परमेश्वर के करीब आने में मदद करता है?

23 इस अध्याय से एक खास बक्स दिया गया है, वह है “मनन के लिए सवाल।” मसलन, पेज 24 पर बक्स देखिए। इसमें दिए शास्त्रवचन और सवाल इस अध्याय की खास बातों को दोहराने के लिए तैयार नहीं किए गए। इसके बजाय, इनकी मदद से आप इस विषय के दूसरे ज़रूरी पहलुओं पर ध्यान लगाकर सोच सकेंगे। आप इस बक्स का अच्छा इस्तेमाल कैसे कर सकते हैं? आयतों का हर हवाला बाइबल से खोलकर ध्यान से पढ़िए। फिर हर हवाले के साथ दिए सवाल पर गौर कीजिए। जवाबों के बारे में गहराई से विचार कीजिए। आप चाहें तो कुछ खोजबीन कर सकते हैं। अपने आप से कुछ और सवाल पूछिए: ‘इस जानकारी से मुझे यहोवा के बारे में क्या पता चलता है? यह मेरी ज़िंदगी पर क्या असर डालता है? मैं इससे दूसरों की मदद कैसे कर सकता हूँ?’

24 इस तरह मनन करने से हमें दिनों-दिन यहोवा के करीब आने में मदद मिलेगी। वह क्यों? बाइबल कहती है कि मनन दिल में किया जाता है। (भजन 19:14) जब हम एहसानमंदी की भावना से परमेश्वर के बारे में सीखी हुई बातों पर मनन करते हैं, तो यह जानकारी हमारे दिल की गहराइयों तक उतर जाती है, जहाँ यह हमारी सोच पर असर करती है, हमारी भावनाओं को झंझोड़ती है और आखिरकार हमें काम करने के लिए उकसाती है। परमेश्वर के लिए हमारा प्रेम और गहरा होता है, फिर यही प्रेम हमें अपने सबसे अज़ीज़ दोस्त, यहोवा को खुश करने के लिए उकसाता है। (1 यूहन्ना 5:3) ऐसा रिश्ता कायम करने के लिए, यहोवा के गुण और उसके मार्गों के बारे में जानना बेहद ज़रूरी है। लेकिन, पहले आइए हम परमेश्वर के स्वभाव के एक पहलू पर चर्चा करें जो उसके करीब आने के लिए हमें विवश करता है। उसकी पवित्रता।

^ पैरा. 3 यहाँ “भेद” के लिए इस्तेमाल हुआ इब्रानी शब्द, आमोस 3:7 में भी पाया जाता है जो कहता है कि प्रभु यहोवा अपने दासों पर अपना “मर्म प्रगट” करेगा, यानी उन्हें पहले से बताएगा कि उसने क्या करने का उद्देश्य किया है।

^ पैरा. 12 मिसाल के लिए, बाइबल परमेश्वर के मुख, उसकी आँखों, उसके कान, नथनों, हाथों और चरणों के बारे में बताती है। (भजन 18:15; 44:3; यशायाह 60:13; मत्ती 4:4; 1 पतरस 3:12) ऐसे लाक्षणिक शब्दों का हमें शाब्दिक अर्थ नहीं निकालना चाहिए, ठीक जैसे हम उन शब्दों का शाब्दिक अर्थ नहीं लेते जहाँ यहोवा को “चट्टान” और “ढाल” कहा गया है।—व्यवस्थाविवरण 32:4; भजन 84:11.