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अध्याय 5

सृजने की शक्‍ति—‘आकाश और पृथ्वी का कर्ता’

सृजने की शक्‍ति—‘आकाश और पृथ्वी का कर्ता’

1, 2. सूरज से यहोवा की सृजने की शक्ति कैसे दिखायी देती है?

क्या आप कभी सर्दियों की रात में आग तापने के लिए खड़े हुए हैं? आपने अपने हाथ आग से सही दूरी पर रखे होंगे। जब आप आग के थोड़ा नज़दीक जाते होंगे, तो उसकी तपिश बरदाश्त नहीं होती होगी। और जब आप थोड़ा पीछे हटने लगे, तो आपकी पीठ पर लगनेवाली रात की ठंडी हवा से आप ठिठुरने लगे होंगे।

2 दिन के वक्‍त ऐसी ही एक “आग” हमारे शरीर को गरमी पहुँचाती है। यह “आग” लगभग 15 करोड़ किलोमीटर दूर जल रही है! * वह आग है, सूरज। सोचिए तो सूरज में कितनी ऊर्जा होगी कि आप इतनी दूरी से उसकी गरमी महसूस कर सकते हैं! हमारी धरती परमाणु ऊर्जा के उस धधकते भट्ठे से बिलकुल सही दूरी पर अपनी कक्षा में चक्कर लगाती है। अगर यह सूरज के थोड़ा भी पास होती तो इसका सारा पानी भाप बनकर उड़ जाता; वहीं अगर थोड़ी दूर होती तो सारा पानी जमकर बर्फ बन जाता। दोनों हालात में हमारे ग्रह पर जीवन का कायम रहना नामुमकिन होता। सूरज की धूप, धरती पर जीवन के लिए बेहद ज़रूरी है। सूरज जब यह धूप पैदा करता है, तो इससे कोई प्रदूषण नहीं होता, ना ही कोई और नुकसान। और खिली हुई धूप से मिलनेवाले सुख के तो वाह, क्या कहने!—सभोपदेशक 11:7.

यहोवा ने ही “सूर्य और चन्द्रमा को . . . स्थिर किया है”

3. सूरज किस अहम सच्चाई का सबूत देता है?

3 हालाँकि इंसान की ज़िंदगी सूरज पर निर्भर है, फिर भी बहुत-से लोग इसकी कदर नहीं करते। इसलिए, सूरज हमें जो सिखा सकता है, उसे वे सीखने से चूक जाते हैं। यहोवा के बारे में बाइबल कहती है: “सूर्य और चन्द्रमा को तू ने स्थिर किया है।” (भजन 74:16) जी हाँ, सूरज ‘आकाश और पृथ्वी के कर्त्ता’ यहोवा को सम्मान दिलाता है। (भजन 19:1; 146:6) यह आकाश के उन अनगिनित पिंडों में से एक है, जो यहोवा की सृजने की असीम शक्ति के बारे में हमें सिखाते हैं। आइए हम इन पिंडों की और उसके बाद अपनी पृथ्वी और इस पर फलने-फूलनेवाले जीवन की नज़दीकी से जाँच करें।

“अपनी आंखें ऊपर उठाकर देखो”

4, 5. (क) सूरज में कितनी ऊर्जा है, और यह कितना बड़ा है? (ख) दूसरे तारों के मुकाबले सूरज का आकार कैसा है?

4 आप शायद जानते होंगे कि हमारा सूरज एक तारा है। रात में हम जिन तारों को देखते हैं उनसे यह कई गुना बड़ा नज़र आता है, क्योंकि सूरज उन तारों के मुकाबले हमारी धरती के काफी नज़दीक है। इसमें कितनी ऊर्जा है? सूरज के केंद्र का तापमान लगभग 1 करोड़ 50 लाख सेंटीग्रेड है। अगर आप सूरज के केंद्र से सुई की नोक के आकार का टुकड़ा लें और इस धरती पर रखें, तो आप इसके आस-पास 140 किलोमीटर के दायरे में खड़े नहीं हो सकते! हर सेकंड, सूरज इतनी ऊर्जा पैदा करता है जितनी करोड़ों न्यूक्लियर बमों के फटने से निकलती है।

5 सूरज इतना बड़ा है कि इसमें हमारे जैसी 13 लाख से भी ज़्यादा पृथ्वियाँ समा सकती हैं। तो क्या इसका मतलब यह है कि बाकी तारों के मुकाबले सूरज बहुत ही बड़ा तारा है? नहीं, इसके बजाय खगोल-वैज्ञानिक इसे पीला बौना कहते हैं। प्रेरित पौलुस ने लिखा कि “एक तारे से दूसरे तारे के तेज में अन्तर है।” (1 कुरिन्थियों 15:41) पौलुस को शायद इस बात का एहसास नहीं था कि इन ईश्वर-प्रेरित शब्दों में कितनी बड़ी सच्चाई छिपी है। अंतरिक्ष का एक तारा इतना बड़ा है कि अगर उसे सूरज की जगह रखा जाए तो पृथ्वी उस तारे के अंदर होगी। एक और तारा इतना विशाल है कि अगर उसे सूरज की जगह रखा जाए तो शनि ग्रह भी इसके अंदर होगा। गौर कीजिए, शनि ग्रह हमारी धरती से इतना दूर है कि एक अंतरिक्ष यान को वहाँ पहुँचने में चार साल लगे, जबकि उसकी रफ्तार पिस्तौल से निकली गोली से 40 गुना तेज़ थी!

6. बाइबल कैसे दिखाती है कि तारों को गिनना इंसान के बस के बाहर है?

6 तारों के आकार से ज़्यादा उनकी संख्या हमें हैरानी में डाल देती है। दरअसल बाइबल कहती है कि तारे अनगिनित हैं, उन्हें गिनना उतना ही मुश्किल है जितना कि “समुद्र की बालू के किनकों” को। (यिर्मयाह 33:22) आयत के इन शब्दों से यह पता चलता है कि हम अपनी आँखों से जितने तारे देख सकते हैं, उनसे कहीं ज़्यादा तारे असल में मौजूद हैं। और फिर, अगर यिर्मयाह जैसे बाइबल के किसी लेखक ने रात में आकाश के तारों को गिनने की कोशिश की होगी, तो वह सिर्फ तीन हज़ार के करीब तारे गिन पाया होगा, क्योंकि इंसान की आँखें साफ आसमान में इतने ही तारे देख सकती हैं। यह संख्या समुद्र किनारे की बालू का बस मुट्ठी-भर है। जबकि सच तो यह है कि तारों की गिनती भी समुद्र के किनारे पड़ी रेत के कणों की तरह बेहिसाब है। * फिर, कौन उनकी सही गिनती कर सकता है?

“वह . . . उन सब को नाम ले लेकर बुलाता है”

7. (क) हमारी आकाशगंगा में लगभग कितने तारे हैं, और यह संख्या कितनी बड़ी है? (फुटनोट देखिए।) (ख) खगोल-वैज्ञानिक मंदाकिनियों की सही-सही गिनती करना मुश्किल पाते हैं, यह बात गौर करने लायक क्यों है और इससे हमें यहोवा की सृजने की शक्ति के बारे में क्या पता चलता है?

7 यशायाह 40:26 जवाब देता है: “अपनी आंखें ऊपर उठाकर देखो, किस ने इनको सिरजा? वह इन गणों को गिन गिनकर निकालता, उन सब को नाम ले लेकर बुलाता है?” भजन 147:4 कहता है: “वह तारों को गिनता . . . है।” ‘तारों की गिनती’ कितनी है? इसका जवाब देना आसान नहीं। खगोल-वैज्ञानिकों का अनुमान है कि अकेले हमारी मंदाकिनी या आकाशगंगा में 100 अरब से ज़्यादा तारे हैं। * मगर हमारी आकाशगंगा जैसी ढेरों मंदाकिनियाँ हैं और उनमें इससे भी कहीं ज़्यादा तारे पाए जाते हैं। अंतरिक्ष में कुल कितनी मंदाकिनियाँ हैं? कुछ खगोल-वैज्ञानिकों का अनुमान है, 50 अरब। दूसरों का, करीब 125 अरब। जब इंसान मंदाकिनियों की गिनती नहीं कर सकता, तो उनमें से हरेक में मौजूद अरबों तारों की सही-सही गिनती भला कैसे जान सकता है। मगर, यहोवा जानता है कि उनकी गिनती कितनी है। यही नहीं, उसने हर तारे का एक नाम भी रखा है!

8. (क) आप आकाशगंगा की विशालता के बारे में कैसे समझाएँगे? (ख) आकाशीय पिंडों की गति तय करने के लिए यहोवा ने क्या किया है?

8 जब हम दूर-दूर तक फैली इन मंदाकिनियों के बारे में सोचते हैं, तो हमारा दिल विस्मय और श्रद्धा से भर जाता है। अनुमान लगाया गया है कि हमारी आकाशगंगा के एक सिरे से दूसरे सिरे तक पहुँचने में लगभग 1,00,000 प्रकाश-वर्ष लगेंगे। कल्पना कीजिए कि प्रकाश की एक किरण, हमारी आकाशगंगा के एक सिरे से 3,00,000 किलोमीटर प्रति सेकंड की ज़बरदस्त रफ्तार से चले, तो वह दूसरे सिरे तक 1,00,000 वर्ष बाद पहुँचेगी! और कुछ मंदाकिनियाँ तो हमारी आकाशगंगा से कई गुना ज़्यादा बड़ी और विशाल हैं। बाइबल कहती है कि यहोवा इस विशाल आकाश को ऐसे ‘तान देता’ है मानो यह कोई कपड़ा हो। (भजन 104:2) वही अपनी सृष्टि के लिए नियम बनाता है और उनकी गति तय करता है। अंतरिक्ष में तैर रही धूल के एक छोटे-से कण से लेकर विशालकाय मंदाकिनियों तक, हर चीज़ परमेश्वर के ठहराए इन नियमों से गतिमान है। (अय्यूब 38:31-33) इसलिए, वैज्ञानिक आकाश के पिंडों की गति में नज़र आनेवाले ताल-मेल की तुलना नर्तकों के समूह से करते हैं, जो अलग-अलग मुद्राओं में नाचते हैं मगर एक ही नृत्य-नाटक का भाग होते हैं! तो फिर, उसके बारे में सोचिए जिसने इनकी रचना की है। सृजने की ऐसी लाजवाब शक्ति रखनेवाले परमेश्वर के बारे में सोचकर, क्या आपका दिल श्रद्धा और विस्मय से नहीं भर जाता?

‘अपनी शक्ति से पृथ्वी को बनानेवाला’

9, 10. हमारा सौर-मंडल, बृहस्पति, पृथ्वी और चंद्रमा जिस जगह पर हैं, उससे यहोवा की शक्ति कैसे ज़ाहिर होती है?

9 यहोवा की सृजने की शक्ति हमारे घर, यानी हमारी पृथ्वी के मामले में साफ-साफ दिखायी देती है। इस विशाल अंतरिक्ष में उसने बहुत सोच-समझकर और बारीकी से पृथ्वी की जगह ठहरायी है। कुछ वैज्ञानिकों का मानना है कि बहुत-सी मंदाकिनियाँ पृथ्वी जैसे ग्रह के लिए जिसमें जीवन पाया जाता है, खतरनाक हो सकती हैं। यहाँ तक कि हमारी आकाशगंगा का ज़्यादातर हिस्सा जीवन को कायम रखने के लिए नहीं बनाया गया। इसके केंद्र में तारों का झुरमुट है, इसलिए वहाँ भारी मात्रा में रेडिएशन निकलता है और अकसर चक्कर काटते तारे करीब-करीब टकराने की स्थिति में आ जाते हैं। दूसरी तरफ, आकाशगंगा के बाहरी किनारे पर ऐसे कई तत्त्व मौजूद नहीं हैं, जो ज़िंदगी के लिए बेहद ज़रूरी हैं। हमारा सौर-मंडल न तो आकाशगंगा के केंद्र में है, ना ही इसके बाहरी किनारे पर। इसे बिलकुल ठीक जगह पर रखा गया है।

10 हमारी पृथ्वी की रक्षा विशालकाय बृहस्पति ग्रह से होती है। यह पृथ्वी से दूर है, लेकिन इससे एक हज़ार गुना से भी ज़्यादा बड़ा है। इसलिए इसका गुरुत्वाकर्षण बल बहुत ज़बरदस्त है। इसका नतीजा? अंतरिक्ष में तेज़ी से उड़नेवाले पिंडों को यह अपने बल से अपनी तरफ खींच लेता है या फिर उनकी दिशा बदल देता है। वैज्ञानिकों ने अनुमान लगाया है कि अगर बृहस्पति ग्रह न होता, तो आज के मुकाबले 10,000 गुना ज़्यादा पिंड धरती से आ टकराते। इसके अलावा, पृथ्वी के पास ही एक अनोखा उपग्रह है जिससे पृथ्वी को फायदा होता है। जी हाँ, यह है चंद्रमा। चंद्रमा न सिर्फ देखने में खूबसूरत है और हमें “चाँदनी” देता है बल्कि यह पृथ्वी को एक खास कोण पर लगातार झुकाए रखता है। इस कोण पर रहने की वजह से पृथ्वी पर हर साल निश्‍चित समय पर मौसम आते हैं, और अपने साथ-साथ धरती के प्राणियों के लिए सही वक्‍त पर ढेरों आशीषें लाते हैं।

11. पृथ्वी के वायुमंडल को कैसे एक रक्षा करनेवाली छतरी की तरह बनाया गया है?

11 यहोवा की सृजने की शक्ति पृथ्वी की बनावट के हर पहलू से ज़ाहिर होती है। इसके वायुमंडल पर ध्यान दीजिए, जो रक्षा करनेवाली ढाल की तरह धरती को चारों तरफ से घेरे हुए है। सूरज से निकलनेवाली कई किरणें हमारे लिए फायदेमंद होती हैं, तो कई जानलेवा। जब जानलेवा किरणें पृथ्वी के वायुमंडल के ऊपरी हिस्से से टकराती हैं, तो ये साधारण ऑक्सीजन को ओज़ोन में बदल देती हैं, और इस तरह ओज़ोन गैस की एक परत बन जाती है। फिर यही परत इन खतरनाक किरणों में से ज़्यादातर को पूरी तरह सोख लेती है। तो फिर, हमारा ग्रह एक ऐसी छतरी यानी वायुमंडल के साथ बनाया गया है, जो इसकी रक्षा करता है!

12. वायुमंडल में जल-चक्र कैसे यहोवा की शक्ति का सबूत देता है?

12 यह हमारे वायुमंडल का सिर्फ एक पहलू है। हमारा वायुमंडल गैसों का ऐसा मिश्रण है, जो ज़मीन पर या हवा में रहनेवाले जीवों के फलने-फूलने के लिए बेहद ज़रूरी है। हमारे वायुमंडल का एक लाजवाब पहलू है, इसका जल-चक्र। हर साल सूरज, सागर से 4,00,000 से ज़्यादा क्यूबिक किलोमीटर पानी भाप बनाकर उठाता है। इसी भाप से बादल बनते हैं और वायुमंडल की हवाएँ इन बादलों को दूर-दूर तक उड़ाकर ले जाती हैं। अब यह पानी साफ और शुद्ध होकर, बारिश की बूंदों, हिम या बर्फ के रूप में धरती पर गिरता है जिससे जल के भंडार फिर से भर जाते हैं। यह वही चक्र है जिसके बारे में सभोपदेशक 1:7 बताता है: “सब नदियां समुद्र में जा मिलती हैं, तौभी समुद्र भर नहीं जाता; जिस स्थान से नदियां निकलती हैं, उधर ही को वे फिर जाती हैं।” सिर्फ यहोवा ऐसे चक्र की रचना कर सकता है।

13. धरती के पेड़-पौधों और इसकी मिट्टी में हम सिरजनहार की शक्ति का क्या सबूत देख पाते हैं?

13 हम जहाँ कहीं जीवन देखते हैं, वहाँ हमें सिरजनहार की शक्ति का सबूत मिलता है। चाहे 30-मंज़िला इमारतों जितने ऊँचे, विशाल सिकोया पेड़ हों या फिर सागर में फलने-फूलनेवाले सूक्ष्म पौधे, जिनसे हमें साँस लेने के लिए ज़्यादातर ऑक्सीजन मिलती है, हर चीज़ में हम यहोवा की सृजने की शक्ति का सबूत देख सकते हैं। इस धरती की मिट्टी ही न जाने कितने किस्म के कीड़ों, फफूँद और सूक्ष्म जीवियों से भरी पड़ी है। ये सभी मिलकर ऐसे जटिल तरीकों से काम करते हैं कि पौधों को बढ़ने में मदद मिलती है। इसलिए बाइबल का यह कहना एकदम सही है कि मिट्टी में उपजाने का बल है।—उत्पत्ति 4:12, फुटनोट।

14. एक छोटे-से परमाणु में भी कितनी शक्ति कैद है?

14 इसमें दो राय नहीं कि यहोवा ने “अपनी शक्ति से पृथ्वी बनाई” है। (यिर्मयाह 10:12, ईज़ी-टू-रीड वर्शन) यहोवा की छोटी-से-छोटी सृष्टि में भी उसकी शक्ति ज़ाहिर होती है। मिसाल के लिए, अगर दस लाख परमाणुओं को एक-दूसरे के पास-पास रखा जाए तो वे कुल मिलाकर उतनी जगह में समा जाएँगे जितना इंसान के एक बाल की मोटाई होती है। और अगर एक परमाणु को इतना बड़ा किया जाए कि वह 14-मंज़िलोंवाली इमारत जितना बड़ा हो जाए, तो भी इसकी नाभि या न्यूक्लियस का आकार नमक के एक कण जितना होगा जो इसकी सातवीं मंज़िल पर होगा। मगर इसी सूक्ष्म न्यूक्लियस से परमाणु विस्फोट के दौरान ऐसी विनाशकारी शक्ति निकलती है जिसमें सबकुछ भस्म हो जाता है!

‘सब के सब प्राणी’

15. तरह-तरह के जंगली जानवरों के बारे में बताकर, यहोवा ने अय्यूब को क्या सबक सिखाया?

15 पृथ्वी पर मौजूद तरह-तरह के जीव-जंतु भी, यहोवा की सृजने की शक्ति का जीता-जागता सबूत हैं। भजन 148 में ऐसी कई चीज़ें बतायी गयी हैं जो यहोवा की स्तुति करती हैं और आयत 10 के मुताबिक इनमें ‘वन-पशु और सब घरैलू पशु’ भी शामिल हैं। यह समझाने के लिए कि इंसान के मन में सिरजनहार के लिए विस्मय क्यों होना चाहिए, यहोवा ने एक बार अय्यूब को सिंह, जंगली गधे, साँड़, जलगज (या, दरियाई घोड़े) और लिब्यातान (शायद मगरमच्छ) के बारे में बताया था। असल में, यहोवा उसे क्या बताना चाहता था? यही कि अगर इंसान इन शक्तिशाली, डरावने और जंगली जानवरों को देखकर इतना विस्मित होता है, तो इन्हें बनानेवाले के बारे में उसे कैसा महसूस करना चाहिए?—अय्यूब, अध्याय 38-41.

16. यहोवा के बनाए हुए कुछ पक्षियों की कौन-सी खासियतें आपको अच्छी लगती हैं?

16 भजन 148:10 में “पक्षियों” के बारे में भी बताया गया है। ज़रा सोचिए कि पक्षियों में ही कितनी किस्में पायी जाती हैं! यहोवा ने अय्यूब को शुतुरमुर्ग के बारे में बताया, जो “घोड़े और उसके सवार दोनों को कुछ नहीं” समझता। जी हाँ, यह आठ फुट ऊँचा पक्षी भले ही उड़ने के काबिल न हो, मगर यह 65 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से दौड़ सकता है और एक ही डग में साढ़े चार मीटर की दूरी तय कर सकता है! (अय्यूब 39:13, 18) दूसरी तरफ, अल्बाट्रॉस पक्षी है जिसकी ज़्यादातर ज़िंदगी समुद्र के ऊपर उड़ते हुए बीतती है। ग्लाइडर की तरह हवा में तैरनेवाले, इस पक्षी के पंखों का फैलाव 3 मीटर तक होता है। यह बिना पंख फड़फड़ाए हवा में घंटों उड़ सकता है। मगर इन सबसे अलग, बी हमिंगबर्ड है जो दुनिया का सबसे छोटा पक्षी है और जिसकी लंबाई सिर्फ दो इंच होती है। यह पक्षी एक सेकंड में 80 बार अपने पंख फड़फड़ाता है! हमिंगबर्ड उड़ते हुए जगमगाते रत्नों जैसे लगते हैं और ये हेलीकॉप्टर की तरह हवा में मंडराते हैं और पीछे की तरफ भी उड़ सकते हैं।

17. ब्लू व्हेल मछली कितनी बड़ी होती है, और यहोवा ने जिन जंतुओं की सृष्टि की है, उन पर ध्यान देने के बाद हमें किस नतीजे पर पहुँचना चाहिए?

17 भजन 148:7 (ईज़ी-टू-रीड वर्शन) कहता है कि ‘विशालकाय जल जन्तु’ भी यहोवा की स्तुति करते हैं। आइए एक ऐसे ही जीव पर गौर करें जिसके बारे में कहा जाता है कि यह इस धरती पर रहनेवाला सबसे बड़ा जंतु है, यानी ब्लू व्हेल। गहरे सागर की यह “विशालकाय” मछली लंबाई में 30 मीटर या उससे भी ज़्यादा हो सकती है। अकेली मछली का वज़न, तीस बड़े हाथियों के झुंड के कुल वज़न जितना होता है। सिर्फ इसकी जीभ का वज़न ही एक हाथी के बराबर होगा। इसका दिल एक छोटी कार जितना बड़ा होता है और यह एक मिनट में सिर्फ 9 बार धड़कता है, जबकि हमिंगबर्ड का दिल एक मिनट में करीब 1,200 बार धड़कता है। ब्लू व्हेल की कम-से-कम एक रक्त-धमनी इतनी बड़ी होती है कि एक बच्चा बड़ी आसानी से उसके अंदर घुटनों के बल चलता हुआ जा सकता है। बेशक यह सब जानकर हमारा दिल भी वही करने को उमड़ता है जिसके लिए हमें भजन की किताब के अंत में उकसाया गया है: “जितने प्राणी हैं सब के सब याह की स्तुति करें!”—भजन 150:6.

आइए यहोवा की सृजने की शक्ति से सीखें

18, 19. यहोवा ने इस धरती पर कितने अलग-अलग किस्म के जीव बनाए हैं, और सृष्टि से हम उसकी हुकूमत के बारे में क्या सीखते हैं?

18 यहोवा ने सृजने की शक्ति को जिस तरह इस्तेमाल किया है, उससे हम क्या सीखते हैं? सृष्टि में जीवों की अलग-अलग किस्म देखकर हम दंग रह जाते हैं। एक भजनहार ने ताज्जुब करते हुए कहा: “हे यहोवा तेरे काम अनगिनित हैं! . . . पृथ्वी तेरी सम्पत्ति से परिपूर्ण है।” (भजन 104:24) यह कितना सच है! जीव-विज्ञानियों ने कहा है कि इस धरती पर दस लाख से ज़्यादा अलग-अलग किस्म के प्राणी रहते हैं; लेकिन, कई यह भी कहते हैं कि धरती पर शायद प्राणियों की एक या तीन करोड़ या शायद उससे ज़्यादा किस्में मौजूद हैं। कभी-कभी एक कलाकार को लगता है कि उसकी कला एक ढर्रा बनकर रह गयी है, और उसमें कोई ताज़गी और नयापन नहीं है। मगर, यहोवा की रचना-शक्ति—नयी और अलग-अलग चीज़ों की ईजाद करने और बनाने की काबिलीयत से कभी खाली नहीं हो सकती।

19 यहोवा अपनी सृजने की शक्ति जिस तरह इस्तेमाल करता है, उससे हम उसकी हुकूमत के बारे में कुछ सीखते हैं। शब्द “सिरजनहार” ही यहोवा को इस विश्व की बाकी तमाम चीज़ों से अलग करता है, क्योंकि वे सब उसकी “सृष्टि” हैं। यहोवा के एकलौते बेटे ने सृष्टि के दौरान “कुशल कारीगर” की तरह काम किया था। मगर उसे भी बाइबल में सिरजनहार या सहायक सिरजनहार नहीं कहा गया। (नीतिवचन 8:30; मत्ती 19:4) इसके बजाय, वह “सारी सृष्टि में पहिलौठा है।” (तिरछे टाइप हमारे; कुलुस्सियों 1:15) सिरजनहार की हैसियत से अकेले यहोवा को ही सारे जहान पर हुकूमत करने का हक है।—रोमियों 1:20; प्रकाशितवाक्य 4:11.

20. पृथ्वी की सृष्टि खत्म करने के बाद किस अर्थ में यहोवा ने विश्राम किया है?

20 क्या यहोवा ने अपनी सृजने की शक्ति का इस्तेमाल करना बंद कर दिया है? बाइबल बताती है कि यहोवा ने सृष्टि के छठे दिन जब सृजने का सारा काम खत्म किया, तब “उस ने अपने किए हुए सारे काम से सातवें दिन विश्राम किया।” (उत्पत्ति 2:2) प्रेरित पौलुस ने संकेत दिया कि यह सातवाँ “दिन” हज़ारों साल लंबा था, क्योंकि यह दिन पौलुस के दिनों में भी चल रहा था। (इब्रानियों 4:3-6) लेकिन, क्या “विश्राम” करने का यह मतलब है कि यहोवा ने काम करना बिलकुल ही बंद कर दिया? जी नहीं, यहोवा कभी-भी काम करना बंद नहीं करता। (भजन 92:4; यूहन्ना 5:17) तो फिर उसका विश्राम करने का मतलब है कि उसने सिर्फ पृथ्वी पर भौतिक सृष्टि करने का काम रोक दिया। मगर, उसके उद्देश्यों को पूरा करने का काम आज तक बिना किसी रुकावट के जारी है। इनमें से एक काम जो उसने किया, वह है पवित्र शास्त्र लिखने के लिए इंसानों को प्रेरित करना। उसने एक “नई सृष्टि” की भी रचना की है, जिसके बारे में हम 19वें अध्याय में चर्चा करेंगे।—2 कुरिन्थियों 5:17.

21. यहोवा की सृजने की शक्ति का वफादार इंसानों पर अनंतकाल तक क्या असर होगा?

21 जब यहोवा का विश्राम दिन आखिरकार खत्म होगा, तब वह इस धरती पर अपने सारे काम के बारे में यह ऐलान कर सकेगा कि “बहुत ही अच्छा है,” ठीक वैसे ही जैसे उसने सृष्टि के छः दिनों के आखिर में कहा था। (उत्पत्ति 1:31) उसके बाद वह सृजने की अपनी असीम शक्ति को किस तरह इस्तेमाल करना चाहेगा यह देखने के लिए हमें इंतज़ार करना होगा। जो भी हो, हम इस बात का यकीन रख सकते हैं कि यहोवा अपनी सृजने की शक्ति का इस्तेमाल करके, हमेशा ही हमें हैरत में डालता रहेगा। अनंतकाल तक, हम यहोवा की सृष्टि के ज़रिए उसके बारे में और ज़्यादा सीखते रहेंगे। (सभोपदेशक 3:11) उसके बारे में हम जितना ज़्यादा सीखेंगे, उसके लिए हमारी विस्मय की भावना और भी गहरी होती जाएगी और इससे हम अपने महान सिरजनहार के और भी करीब आते जाएँगे।

^ पैरा. 2 इतनी बड़ी संख्या को समझने के लिए सोचिए: एक गाड़ी से सूरज तक की दूरी तय करने के लिए, अगर आप 160 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से चौबीसों घंटे गाड़ी चलाएँ, तब भी आपको वहाँ तक पहुँचने में 100 से ज़्यादा साल लगेंगे!

^ पैरा. 6 कुछ लोग कहते हैं कि बाइबल के ज़माने में लोगों के पास पुराने किस्म की कोई दूरबीन रही होगी। वरना, वे कैसे जान सकते थे कि तारों की गिनती इतनी ज़्यादा है कि इंसान उसका हिसाब नहीं लगा सकता? ऐसी बेबुनियाद अटकल लगानेवाले, यह कबूल करने से इनकार कर देते हैं कि बाइबल को यहोवा परमेश्वर ने लिखवाया है, और यह उसी का वचन है।—2 तीमुथियुस 3:16.

^ पैरा. 7 गौर कीजिए कि आपको 100 अरब तारों को सिर्फ गिनने में कितना वक्‍त लगेगा। अगर आप हर सेकंड एक नए तारे को गिनें और चौबीसों घंटे गिनते रहें, तो आपको इसमें 3,171 साल लगेंगे!