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भाग 2

‘न्याय से प्रीति रखनेवाला’

‘न्याय से प्रीति रखनेवाला’

दुनिया में आज जहाँ देखो वहाँ अन्याय है और इसके लिए अकसर परमेश्वर को कसूरवार ठहराया जाता है, जो कि गलत है। फिर भी, बाइबल हमें एक ऐसी सच्चाई सिखाती है जिससे हमारा दिल बाग-बाग हो जाता है—कि “यहोवा न्याय से प्रीति रखता” है। (भजन 37:28) इस भाग में हम सीखेंगे कि यहोवा कैसे इन शब्दों पर खरा उतरा है, और ये कैसे हर इंसान को उम्मीद दिलाते हैं।

इस भाग में

अध्याय 11

“उसके सब मार्ग तो न्यायपूर्ण हैं”

परमेश्वर के न्याय का गुण कैसे एक मनभावना गुण है जो हमें उसके करीब आने के लिए उकसाता है?

अध्याय 12

“क्या परमेश्वर के यहां अन्याय है?”

अगर यहोवा अन्याय से घृणा करता है, तो दुनिया अन्याय से क्यों भरी है?

अध्याय 13

“यहोवा की व्यवस्था सिद्ध है”

एक कानून-व्यवस्था कैसे प्यार का बढ़ावा दे सकती है?

अध्याय 14

यहोवा “बहुतों की छुड़ौती” का इंतज़ाम करता है

एक सीधा-सा मगर अगम शिक्षा की मदद से आप परमेश्वर के करीब आ सकते हैं।

अध्याय 15

यीशु ‘न्याय को पृथ्वी पर स्थिर करता है’

यीशु ने बीते कल में कैसे न्याय का बढ़ावा दिया? वह आज यह कैसे कर रहा है? और वह भविष्य में न्याय कैसे स्थिर करेगा?

अध्याय 16

परमेश्वर के साथ चलते हुए ‘न्याय से काम कर’

यीशु ने यह चेतावनी क्यों दी: “दोष मत लगाओ, कि तुम पर भी दोष न लगाया जाए”?