इस जानकारी को छोड़ दें

विषय-सूची को छोड़ दें

भाग 4

“परमेश्वर प्रेम है”

“परमेश्वर प्रेम है”

यहोवा में जितने भी गुण पाए जाते हैं, उनमें सबसे श्रेष्ठ है, प्रेम। उसका यही गुण हमें सबसे ज़्यादा उसकी तरफ खींचता है। यह गुण एक रत्न जैसा है, जिसे हम किसी भी तरफ से देखें इसकी खूबसूरती का एक अलग ही नज़ारा सामने आता है। जब हम इस गुण के अलग-अलग पहलुओं की जाँच करेंगे, तो हम जान पाएँगे कि क्यों बाइबल यह कहती है कि “परमेश्वर प्रेम है।” —1 यूहन्ना 4:8.

इस भाग में

अध्याय 23

“पहिले उस ने हम से प्रेम किया”

“परमेश्वर प्रेम है,” इस बात का असल मतलब क्या है?

अध्याय 24

कोई भी चीज़ ‘हमें परमेश्वर के प्रेम से अलग न कर सकेगी’

अपने दिल से यह झूठ उखाड़ फेंकिए कि परमेश्वर आपसे प्यार नहीं करता या उसकी नज़र में आपका कोई मोल नहीं।

अध्याय 25

“हमारे परमेश्वर की कोमल करुणा”

परमेश्वर आपके बारे में जो भावनाएँ रखता है, वे कैसे एक माँ की भावनाओं से मिलती-जुलती हैं जो वह अपने छोटे बच्चे के लिए रखती है?

अध्याय 26

परमेश्वर जो “क्षमा करने को तत्पर” रहता है

अगर परमेश्वर सबकुछ याद रखता है, तो यह कैसे कहा जा सकता है कि वह पाप माफ करने के बाद उसे भुला देता है?

अध्याय 27

“अहा, उसकी भलाई कितनी अपार है!”

परमेश्वर की भलाई है क्या?

अध्याय 28

“केवल तू ही वफादार है”

परमेश्वर की वफादारी, उसके विश्वासयोग्य होने से कई गुना बढ़कर क्यों है?

अध्याय 29

‘मसीह के प्रेम को जानो’

यीशु ने प्रेम के तीन पहलुओं में यहोवा के जैसा ही प्यार दिखाया।

अध्याय 30

‘प्रेम में चलते’ जाओ

पहला कुरिन्थियों में 14 तरीके बताए गए हैं जिनसे हम प्यार दिखा सकते हैं।