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अध्याय 27

“अहा, उसकी भलाई कितनी अपार है!”

“अहा, उसकी भलाई कितनी अपार है!”

1, 2. परमेश्वर की भलाई का फायदा किस-किस को होता है, और इस गुण पर बाइबल कितना ज़ोर देती है?

ढलते सूरज की लाली में नहायी एक शाम को, कुछ पुराने दोस्त खुली हवा में साथ मिलकर खाना खा रहे हैं। वे बातें करते, ठहाके लगाते आस-पास के खूबसूरत नज़ारों का मज़ा ले रहे हैं। कहीं दूर, एक किसान अपने खेतों पर नज़र डालता है और राहत की साँस लेकर मुस्कराता है। काले बादल घिर आए हैं और टप-टप गिरती बारिश की पहली बूँदें उसके प्यासे खेतों पर पड़ने लगी हैं। कहीं और, एक जोड़ा अपने नन्हे-मुन्ने को पहली बार लड़खड़ाते कदमों से चलता हुआ देखकर खुशी से उछल पड़ता है।

2 चाहे इन लोगों को इसका एहसास हो या न हो, ये सभी एक ही चीज़ से फायदा पा रहे हैं। वह है, यहोवा परमेश्वर की भलाई। परमेश्वर पर आस्था रखनेवाले बहुत-से लोग अकसर ये शब्द दोहराते हैं: “ईश्वर भला है।” बाइबल इससे भी ज़ोरदार तरीके से यह कहती है: “अहा, उसकी भलाई कितनी अपार है!” (जकर्याह 9:17, NW) मगर ऐसा लगता है कि बहुत कम लोग सही मायने में इन शब्दों का मतलब जानते हैं। यहोवा परमेश्वर की भलाई में दरअसल क्या शामिल है, और परमेश्वर का यह गुण हममें से हरेक पर क्या असर करता है?

परमेश्वर के प्रेम का एक लाजवाब पहलू

3, 4. भलाई क्या है, और यह कहना सबसे सही क्यों होगा कि यहोवा की भलाई उसके प्रेम से ज़ाहिर होती है?

3 बाइबल के मुताबिक भला इंसान वह होता है जिसमें अच्छे गुण हों और जो ऊँचे आदर्शों पर चलता हो। तो फिर, एक तरह से हम कह सकते हैं कि भलाई यहोवा के स्वभाव में है। उसके सारे गुण—उसकी शक्ति, बुद्धि और उसका न्याय भी—हर तरह से भले हैं। फिर भी, भलाई के बारे में सबसे ज़्यादा यह कहना सही होगा कि इससे यहोवा का प्रेम ज़ाहिर होता है। ऐसा क्यों?

4 भलाई उकसानेवाला गुण है, जो दूसरों की खातिर किए गए कामों से ज़ाहिर होता है। प्रेरित पौलुस ने दिखाया कि इंसान धार्मिकता से ज़्यादा भलाई की तरफ आकर्षित होते हैं। (रोमियों 5:7) इसमें कोई शक नहीं कि एक धर्मी इंसान व्यवस्था की माँगों का वफादारी से पालन करेगा, मगर एक भला इंसान उससे दो कदम आगे रहेगा। वह पहल करता है, और मौके तलाशकर दूसरों के फायदे के लिए काम करता है। जैसा हम आगे देखेंगे, यहोवा इस मायने में वाकई बहुत भला है। ज़ाहिर है कि ऐसी भलाई यहोवा के असीम प्यार से उमड़कर आती है।

5-7. यीशु ने “भला गुरु” कहलाने से इनकार क्यों किया, और ऐसा करके वह किस अहम सच्चाई को पुख्ता कर रहा था?

5 यहोवा ने जैसे भलाई दिखायी है, वैसे और किसी ने नहीं दिखायी। यीशु की मौत से कुछ ही समय पहले एक आदमी उसके पास आया और उसे “भले गुरु” कहकर एक सवाल पूछा। यीशु ने जवाब दिया: “मुझे भला क्यों कहते हो? ईश्वर को छोड़ कोई भला नहीं।” (मरकुस 10:17, 18, बुल्के बाइबल) यह जवाब सुनकर शायद आप उलझन में पड़ जाएँ। यीशु ने उस आदमी की बात को गलत क्यों बताया? क्या वह असल में “भला गुरु” नहीं था?

6 ज़ाहिर है कि यह आदमी यीशु की चापलूसी करते हुए इन शब्दों यानी ‘भले गुरु’ को एक उपाधि की तरह इस्तेमाल कर रहा था। यीशु ने अपनी मर्यादा में रहकर ऐसी महिमा अपने स्वर्गीय पिता को दी जो भलाई करने में सबसे महान, सबसे श्रेष्ठ है। (नीतिवचन 11:2) इसके अलावा, यीशु यहाँ एक बहुत ही अहम सच्चाई को पुख्ता कर रहा था। वह यह कि भलाई का सर्वोत्तम स्तर अकेला यहोवा है। सारे जहान में सिर्फ उसी को यह तय करने का हक है कि भला क्या है और बुरा क्या। आदम और हव्वा ने बगावत करके भले और बुरे के ज्ञान के वृक्ष का फल खाया, और परमेश्वर के इस हक को हथियाना चाहा। मगर यीशु उनके जैसा नहीं है। वह बड़ी नम्रता से, अपने पिता के स्तर ठहराने के इस हक की इज़्ज़त करता है।

7 इसके अलावा, यीशु जानता था कि जो कुछ भला है, अच्छा है वह यहोवा की तरफ से आता है। वही ‘हर एक अच्छे वरदान और हर एक उत्तम दान’ का दाता है। (याकूब 1:17) आइए अब देखें कि यहोवा की भलाई उसकी उदारता से कैसे ज़ाहिर होती है।

यहोवा की अपार भलाई का सबूत

8. यहोवा ने सब इंसानों के साथ कैसे भलाई की है?

8 इस धरती पर पैदा होनेवाले हर इंसान ने यहोवा की भलाई से फायदा उठाया है। भजन 145:9 कहता है: “यहोवा सभों के लिये भला है।” (तिरछे टाइप हमारे।) यहोवा सभी के साथ भलाई करता है, इसकी कुछ मिसालें क्या हैं? बाइबल कहती है: “उस ने अपने आप को बे-गवाह न छोड़ा; किन्तु वह भलाई करता रहा, और आकाश से वर्षा और फलवन्त ऋतु देकर, तुम्हारे मन को भोजन और आनन्द से भरता रहा।” (प्रेरितों 14:17) क्या कभी लज़ीज़ खाना खाकर आपका मन खुश हुआ है? अगर यहोवा ने भलाई दिखाते हुए इस धरती पर पानी को हमेशा साफ और ताज़ा करने का जल-चक्र और ‘फलवन्त ऋतुएं’ न बनायी होतीं जिसकी वजह से ढेर सारा भोजन पैदा होता है, तो हमें एक वक्‍त की रोटी भी नहीं मिलती। यहोवा ने ऐसी भलाई सिर्फ उन लोगों के साथ नहीं की जो उससे प्यार करते हैं, बल्कि सभी के साथ की है। यीशु ने कहा: “वह भलों और बुरों दोनों पर अपना सूर्य उदय करता है, और धर्मियों और अधर्मियों दोनों पर मेंह बरसाता है।”—मत्ती 5:45.

यहोवा तुम्हें ‘आकाश से वर्षा और फलवन्त ऋतुएं देता है’

9. सेब की मिसाल से यहोवा की भलाई कैसे नज़र आती है?

9 सूरज, बारिश और फलवंत ऋतुओं से, इंसानों को लगातार इतने बढ़िया वरदान इतनी उदारता से दिए जाते हैं कि वे कई बार इसकी कदर ही नहीं करते। ज़रा सेब की मिसाल लीजिए। धरती के सभी हलके ठंडे इलाकों में पाया जानेवाला यह एक आम फल है। मगर इसकी खूबसूरती देखने लायक है, खाने में यह फल लज़ीज़ होता है और इसमें ताज़गी देनेवाले रस के साथ ज़रूरी पौष्टिक तत्त्व पाए जाते हैं। क्या आप जानते हैं कि सारी दुनिया में सेबों की करीब 7,500 किस्में पायी जाती हैं, जिनका रंग लाल, सुनहरा, पीला और हरा होता है और इसका आकार अंगूर के बड़े दाने से लेकर, बड़े संतरे जितना हो सकता है। अगर आप सेब का बीज हाथ में लें, तो बेहद छोटा दिखता है। मगर इसी में से दुनिया का एक सबसे खूबसूरत पेड़ उगता है। (श्रेष्ठगीत 2:3) हर वसंत में सेब के पेड़ पर फूलों का एक सुंदर ताज सजता है; और हर पतझड़ में इसमें फल आता है। हर साल, 75 सालों तक, सेब का एक आम पेड़ इतने फल देता है कि उससे 19 किलो वज़न के 20 बक्से भरे जा सकते हैं!

इस छोटे से बीज से एक ऐसा पेड़ उगता है, जो बरसों तक फल देता है और लोगों के दिलों को खुश करता है

10, 11. हमारी इंद्रियाँ परमेश्वर की भलाई कैसे ज़ाहिर करती हैं?

10 अपनी असीम भलाई की वजह से, यहोवा ने हमें “अद्‌भुत रीति से रचा” शरीर दिया है, जिसमें ऐसी इंद्रियाँ हैं जो हमें उसकी रचनाओं को समझने और उनसे खुशी पाने में मदद देती हैं। (भजन 139:14) इस अध्याय की शुरूआत में बताए गए नज़ारों के बारे में एक बार फिर से सोचिए। ऐसे मौकों पर कौन-से नज़ारे हमें खुशियों के पल दे जाते हैं? किलकारियाँ मारते बच्चे के सुर्ख गाल। खेतों पर बरसती मूसलाधार बारिश। ढलते सूरज की किरणों की लाल, सुनहरी और नीली आभा। इंसान की आँख को 3,00,000 अलग-अलग रंगों की पहचान करने के काबिल बनाया गया है! और सुनने की शक्ति से हम यह जान सकते हैं कि हमारे किसी अज़ीज़ की आवाज़ है, या पेड़ों की पत्तियों से निकलनेवाली सरसराती हवा की या नन्हे से बच्चे की खुशी से भरी किलकारी की। ऐसे नज़ारे और ऐसी आवाज़ें हमें क्यों अच्छी लगती हैं? बाइबल कहती है: “सुनने के लिये कान और देखने के लिये जो आंखें हैं, उन दोनों को यहोवा ने बनाया है।” (नीतिवचन 20:12) मगर यह तो हमारी इंद्रियों में से बस दो की बात हुई।

11 सूंघने की शक्ति यहोवा की भलाई का एक और सबूत है। इंसान की नाक लगभग 10,000 अलग-अलग किस्म की गंध पहचान सकती है। सिर्फ चंद मिसालों पर ही गौर कीजिए: आपके मनपसंद खाने के पकने की, फूलों की, गिरी हुई पत्तियों की, आग से निकलते हलके धुएं की खुशबू। और स्पर्श के एहसास की वजह से आप हवा के हलके झोंकों को अपने चेहरे को सहलाता हुआ महसूस कर सकते हैं, अपने किसी अज़ीज़ को गले लगाकर प्यार का एहसास पा सकते हैं, अपने हाथ में किसी ताज़े फल की चिकनाहट महसूस कर सकते हैं। जब आप उसमें चख मारते हैं, तो आपकी स्वाद की इंद्री काम करने लगती है। आपकी जीभ फल में मौजूद रसायनों के मिश्रण से पैदा होनेवाले तरह-तरह के स्वाद का मज़ा लेती है। जी हाँ, यहोवा के बारे में यह कहने की हमारी पास हर वजह है: “तेरी भलाई क्या ही बड़ी है जो तू ने अपने डरवैयों के लिये रख छोड़ी है!” (भजन 31:19) मगर यहोवा ने अपने डरवैयों के लिए भलाई कैसे “रख छोड़ी” है?

भलाई जिसके फायदे सदा तक मिलते रहेंगे

12. यहोवा के कौन-से इंतज़ाम सबसे ज़्यादा ज़रूरी हैं, और क्यों?

12 यीशु ने कहा: “लिखा है कि मनुष्य केवल रोटी ही से नहीं, परन्तु हर एक वचन से जो परमेश्वर के मुख से निकलता है जीवित रहेगा।” (मत्ती 4:4) वाकई, हमारे लिए यहोवा के आध्यात्मिक इंतज़ाम उसके भौतिक इंतज़ामों से ज़्यादा फायदेमंद हैं, क्योंकि इनसे अनंत जीवन हासिल होता है। इस किताब के अध्याय 8 में, हमने देखा कि यहोवा ने इन अंतिम दिनों में अपनी बहाल करने की शक्ति का इस्तेमाल करके आध्यात्मिक फिरदौस को बसाया है। उस फिरदौस की एक बड़ी खासियत है, उसमें भरपूर आध्यात्मिक भोजन का मिलना।

13, 14. (क) भविष्यवक्ता यहेजकेल ने दर्शन में क्या देखा, और इसका आज हमारे लिए क्या अर्थ है? (ख) यहोवा ने अपने वफादार सेवकों के लिए कौन-से जीवनदायी आध्यात्मिक इंतज़ाम किए हैं?

13 बाइबल में बहाली की खास भविष्यवाणियों में से एक यहेजकेल की भविष्यवाणी है जिसमें उसे बहाल किए गए आलीशान मंदिर का दर्शन दिखाया गया। उस मंदिर में से पानी की एक धारा बहती थी, जो इतनी चौड़ी और गहरी होती गयी कि आखिरकार एक “नदी” बन गयी। जहाँ कहीं से यह नदी गुज़रती थी, ढेरों फायदे पहुँचाती थी। नदी के किनारों पर ऐसे पेड़ फलते-फूलते थे जिनसे लोगों को खाना मिलता था और जिनसे वे चंगे होते थे। और यह नदी, मृत सागर में भी जो पहले बेजान और नमक से भरा था, जीवन ले आयी और इसमें जीव-जंतु फलने-फूलने लगे! (यहेजकेल 47:1-12) मगर इस सबका मतलब क्या था?

14 इस दर्शन का मतलब था कि यहोवा शुद्ध उपासना का अपना इंतज़ाम फिर से शुरू करेगा, और यहेजकेल के दर्शन में इसे एक मंदिर से दर्शाया गया था। दर्शन की उस नदी की तरह, जीवन के लिए परमेश्वर के इंतज़ाम उसके लोगों तक पहुँचेंगे और दिनोंदिन इनकी मात्रा बढ़ती चली जाएगी। सन्‌ 1919 में शुद्ध उपासना के बहाल होने के समय से, यहोवा ने अपने लोगों को जीवनदायी इंतज़ामों की आशीष दी है। कैसे? बाइबलें, बाइबल की समझ देनेवाली किताबें, सभाएँ और अधिवेशन, इन सभी के ज़रिए लाखों-करोड़ों लोगों तक अहम सच्चाइयाँ पहुँचायी गयी हैं। इनके ज़रिए यहोवा ने जीवन के लिए अपने सबसे अहम इंतज़ाम के बारे में लोगों को सिखाया है—यानी मसीह का छुड़ौती बलिदान, जो इंसानों के लिए यहोवा के आगे शुद्ध ठहराया जाना मुमकिन बनाता है और ऐसे सभी लोगों को अनंत जीवन की आशा देता है जो सही मायनों में परमेश्वर से प्रेम करते हैं और उसका भय मानते हैं। * इसलिए, इन अंतिम दिनों के दौरान जहाँ दुनिया में हर तरफ आध्यात्मिक अकाल पड़ा हुआ है, यहोवा के लोग आध्यात्मिक दावत का लुत्फ उठाते हैं।—यशायाह 65:13.

15. मसीह के हज़ार साल के राज्य के दौरान, किस मायने में वफादार इंसानों की ओर यहोवा की भलाई की धारा बहती चली आएगी?

15 मगर यहेजकेल के दर्शन में दिखायी गयी नदी, इस पुरानी दुनिया का अंत होने पर बहना बंद नहीं कर देती। इसके उलटे, मसीह के हज़ार साल के राज्य के दौरान यह बहुतायत में और भी बड़ी महाधारा बनकर बहेगी। फिर, मसीहाई राज्य के ज़रिए यहोवा, यीशु के बलिदान की पूरी कीमत को लागू करते हुए, धीरे-धीरे वफादार इंसानों को सिद्ध बनाएगा। तब हम यहोवा की भलाई देखकर कैसा आनंद मनाएँगे!

यहोवा की भलाई के कुछ और पहलू

16. बाइबल कैसे दिखाती है कि यहोवा की भलाई में दूसरे गुण भी शामिल हैं, और इनमें से कुछ गुण कौन-से हैं?

16 यहोवा की भलाई में सिर्फ उदारता का गुण शामिल नहीं। परमेश्वर ने मूसा को बताया था: “मैं तेरे सम्मुख होकर चलते हुए तुझे अपनी सारी भलाई दिखाऊंगा, और तेरे सम्मुख यहोवा नाम का प्रचार करूंगा।” इसी में वृत्तांत आगे कहता है: “यहोवा उसके साम्हने होकर यों प्रचार करता हुआ चला, कि यहोवा, यहोवा, ईश्वर दयालु और अनुग्रहकारी [“सज्जन,” NW], कोप करने में धीरजवन्त, और अति करुणामय और सत्य।” (निर्गमन 33:19; 34:6) तो फिर, यहोवा की भलाई में बहुत-से बढ़िया गुण शामिल हैं। आइए इनमें से सिर्फ दो पर गौर करें।

17. सज्जनता क्या है, और यहोवा ने इसे अदना इंसानों से पेश आते वक्‍त कैसे दिखाया है?

17 “सज्जन।” यह गुण हमें बताता है कि यहोवा अपने बनाए हुए प्राणियों के साथ किस तरह अदब से और एक दोस्त की तरह पेश आता है। अकसर ताकतवर लोग तानाशाह होते हैं, वे रूखे और बेरहम होते हैं और दूसरों पर ज़ुल्म ढाते हैं। मगर यहोवा ऐसा बिलकुल नहीं है, बल्कि वह कोमलता और प्यार के साथ हमसे पेश आता है। मिसाल के लिए, यहोवा ने अब्राम से कहा: “आंख उठाकर जिस स्थान पर तू है वहां से उत्तर-दक्खिन, पूर्व-पच्छिम, चारों ओर दृष्टि कर।” (उत्पत्ति 13:14) बाइबल विद्वान कहते हैं, मूल इब्रानी में इस आयत के कुछ शब्द ऐसे हैं जो आज्ञा को एक विनम्र गुज़ारिश बना देते हैं। इसके अलावा, ऐसी और भी कई आयतें हैं। (उत्पत्ति 31:12; यहेजकेल 8:5) ज़रा सोचिए तो, सारे जहान का महाराजा अदना इंसानों से बड़ी नम्रता से गुज़ारिश करता है! जिस दुनिया में कठोरता, बदतमीज़ी और दूसरों को कुचलकर खुद आगे बढ़ने की भावना इतनी आम हो गयी है, उसमें हमारे परमेश्वर यहोवा की सज्जनता देखकर क्या हमें ताज़गी नहीं मिलती?

18. यहोवा किस मायने में ‘अति सत्य’ है, और इन शब्दों से हमारा भरोसा क्यों बढ़ता है?

18 ‘अति सत्य।’ बेईमानी आज दुनिया का दस्तूर बन चुकी है। मगर बाइबल हमें याद दिलाती है: “ईश्वर मनुष्य नहीं, कि झूठ बोले।” (गिनती 23:19) दरअसल, तीतुस 1:2 कहता है कि “परमेश्वर . . . झूठ बोल नहीं सकता।” (तिरछे टाइप हमारे।) यहोवा इतना भला है कि वह ऐसा कभी कर ही नहीं सकता। इसलिए, यहोवा के वादे पूरी तरह भरोसे के लायक हैं; उसके वचन पूरे होकर ही रहते हैं। यहोवा को “सत्यवादी ईश्वर” भी कहा गया है। (भजन 31:5) वह न सिर्फ झूठ से दूर रहता है, बल्कि ढेर सारी सच्चाइयाँ लोगों तक पहुँचाता है। वह सबसे लुक-छिपकर, बिना किसी को कुछ बताए या खुफिया तरीके से काम नहीं करता; इसके बजाय वह बड़ी उदारता से अपने वफादार सेवकों को, अपनी बुद्धि के अथाह भंडार से ज्ञान की रोशनी देता है। * वह उन्हें यह भी सिखाता है कि जो सच्चाइयाँ उसने उन्हें दी हैं उनके मुताबिक कैसे जीएँ, ताकि वे ‘सत्य पर चलते रहें।’ (3 यूहन्ना 3) आम तौर पर, यहोवा की भलाई का हममें से हरेक पर कैसा असर होना चाहिए?

“प्रभु की भलाई के कारण उनके मुख पर रौनक होगी”

19, 20. (क) शैतान ने यहोवा की भलाई पर हव्वा के भरोसे को कैसे कमज़ोर करने की कोशिश की, और इसका नतीजा क्या निकला? (ख) यहोवा की भलाई का हम पर कैसा असर होना चाहिए, और क्यों?

19 जब शैतान ने, अदन के बाग में हव्वा को लुभाया, तो उसने सबसे पहले बड़ी चालाकी से यहोवा की भलाई पर उसके भरोसे को कमज़ोर किया। यहोवा ने आदम से कहा था: “तू बाटिका के सब वृक्षों का फल बिना खटके खा सकता है।” उस बाग में हज़ारों पेड़ थे जिससे वह बाग हरा-भरा और बड़ा सुंदर लगता था, मगर उनमें से सिर्फ एक पेड़ का फल खाने से यहोवा ने उन्हें मना किया। फिर भी, ध्यान दीजिए कि शैतान ने हव्वा से पहला सवाल किन शब्दों में पूछा: “क्या सच है, कि परमेश्वर ने कहा, कि तुम इस बाटिका के किसी वृक्ष का फल न खाना?” (उत्पत्ति 2:9, 16; 3:1) शैतान ने यहोवा के शब्द इस तरह तोड़-मरोड़कर पेश किए ताकि हव्वा यह सोचने लगे कि यहोवा उन्हें किसी चीज़ से दूर रख रहा है। अफसोस, उसकी यह चाल कामयाब हो गयी। हव्वा के पास जो कुछ था वह सब यहोवा का दिया हुआ था। फिर भी, वह परमेश्वर की भलाई पर शक करने लगी और उसी के नक्शे-कदम पर उसकी आनेवाली बहुत-सी संतानें भी चलीं।

20 हम जानते हैं कि ऐसा शक इंसान पर कितना ज़्यादा दुःख और कितनी विपत्तियाँ लाया है। इसलिए आइए हम यिर्मयाह 31:12 (नयी हिन्दी बाइबिल) के इन शब्दों को अपने दिल में बसा लें: “प्रभु की भलाई के कारण उनके मुख पर रौनक होगी।” वाकई, प्रभु यहोवा की भलाई से सचमुच हमारे चेहरे पर खुशी की रौनक आनी चाहिए। हमें कभी अपने परमेश्वर के इरादों पर शक नहीं करना चाहिए, जो भलाई से पूरी तरह भरपूर है। हम उस पर पूरा-पूरा भरोसा कर सकते हैं, क्योंकि वह उन लोगों के लिए जो उससे प्यार करते हैं, सिर्फ भलाई ही चाहता है।

21, 22. (क) कौन-से कुछ तरीकों से आप यहोवा की भलाई के लिए उसका एहसान मानना चाहेंगे? (ख) अगले अध्याय में हम किस गुण पर चर्चा करेंगे और यह गुण भलाई से कैसे अलग है?

21 इसके अलावा, हमें बेहद खुशी होती है जब हमें परमेश्वर की भलाई के बारे में दूसरों को बताने का मौका मिलता है। यहोवा के लोगों के बारे में भजन 145:7 कहता है: “लोग तेरी बड़ी भलाई का स्मरण करके उसकी चर्चा करेंगे।” ज़िंदगी के हर दिन हम किसी-न-किसी तरह यहोवा की भलाई से फायदा पाते हैं। तो क्यों न हम रोज़ यहोवा को उसकी भलाई के लिए धन्यवाद देने की आदत डाल लें और जहाँ तक मुमकिन हो स्पष्ट शब्दों में बताएँ कि उसकी भलाई के लिए हम उसका कितना एहसान मानते हैं? इस भलाई के गुण के बारे में सोचते रहने, हर दिन यहोवा को इसके लिए धन्यवाद देने, और दूसरों को इसके बारे में बताने से हमें अपने भले परमेश्वर की तरह बनने में मदद मिलेगी। यहोवा की तरह भलाई करने के तरीके ढूँढ़ना, हमें उसके और करीब लाएगा। बुज़ुर्ग प्रेरित यूहन्ना ने लिखा: “हे प्रिय, बुराई के नहीं, पर भलाई के अनुयायी हो, जो भलाई करता है, वह परमेश्वर की ओर से है।”—3 यूहन्ना 11.

22 यहोवा की भलाई दूसरे गुणों से जुड़ी हुई है। मिसाल के लिए, यहोवा “निरन्तर प्रेम-कृपा” या वफादारी से भरपूर है। (निर्गमन 34:6, NW) यहोवा की वफादारी का गुण, उसकी भलाई की तरह सबके लिए नहीं है, बल्कि वह सिर्फ कुछ खास लोगों के लिए है। यहोवा यह गुण खासकर अपने वफादार सेवकों के लिए दिखाता है। अगले अध्याय में हम सीखेंगे कि वह यह कैसे करता है।

^ पैरा. 14 यहोवा की भलाई की सबसे बढ़िया मिसाल, छुड़ौती के अलावा और कोई नहीं हो सकती। क्योंकि अपने करोड़ों आत्मिक प्राणियों में से, यहोवा ने अपने एकलौते पुत्र को हमारी खातिर जान देने के लिए चुना।

^ पैरा. 18 बाइबल, सच्चाई को उजियाले के साथ जोड़ती है और यह सही भी है। भजनहार ने गीत गाया: “अपने प्रकाश और अपनी सच्चाई को भेज।” (भजन 43:3) जो यहोवा से सिखलाए जाना या उससे ज्ञान की रोशनी पाना चाहते हैं, उन पर वह भरपूर आध्यात्मिक रोशनी चमकाता है।—2 कुरिन्थियों 4:6; 1 यूहन्ना 1:5.