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पाठ 2

प्यार करनेवाले परमेश्वर की चिट्ठी

प्यार करनेवाले परमेश्वर की चिट्ठी

अच्छा बताओ आपको कौन-सी किताब सबसे अच्छी लगती है?— कुछ बच्चों को जानवरों की किताबें पसंद हैं, तो कुछ को ऐसी किताबें जिनमें ढेर सारी तसवीरें होती हैं। ऐसी किताबें पढ़ने में खूब मज़ा आता है।

लेकिन दुनिया की सबसे अच्छी किताबें वही हैं जो हमें परमेश्वर के बारे में सच्चाई बताती हैं। उनमें से एक किताब बाकी सभी किताबों से बढ़कर है। क्या आपको उस किताब का नाम मालूम है?— वह है बाइबल।

आखिर बाइबल क्यों इतनी खास है?— क्योंकि यह परमेश्वर ने दी है। यह हमें परमेश्वर के बारे में बताती है। बाइबल से हमें यह भी पता चलता है कि आगे आनेवाले समय में परमेश्वर हमारे लिए क्या-क्या अच्छे काम करेगा। यह बताती है कि परमेश्वर को खुश करने के लिए हमें क्या करना चाहिए। यह परमेश्वर की तरफ से मिली एक चिट्ठी की तरह है।

अगर परमेश्वर चाहता तो वह पूरी बाइबल स्वर्ग में ही लिख सकता था और इंसानों को दे सकता था। लेकिन उसने ऐसा नहीं किया। उसने बाइबल की ज़्यादातर बातें इंसानों से लिखवायीं। मगर उन इंसानों ने अपने मन से कुछ नहीं लिखा। उन्होंने वही बातें लिखीं जो परमेश्वर ने उन्हें बतायीं।

परमेश्वर ने यह कैसे किया?— इसे समझने के लिए ज़रा सोचो, जब हम रेडियो सुनते हैं, तो हमें किनकी आवाज़ सुनायी देती है? उन लोगों की जो हमसे बहुत दूर होते हैं। और टी.वी. में तो हम उन लोगों को देख और सुन पाते हैं जो दुनिया के दूसरे देशों में रहते हैं।

इसके अलावा, लोग अंतरिक्ष यान से चाँद तक गए हैं और वहाँ से धरती पर संदेश भेजे हैं। क्या आपको यह बात पता थी?— सोचो, अगर इंसान ऐसा कर सकता है, तो क्या परमेश्वर स्वर्ग से संदेश नहीं भेज सकता?— ज़रूर भेज सकता है! और ऐसा उसने उस ज़माने में किया जब रेडियो और टी.वी. का नाम तक किसी ने नहीं सुना था।

हम कैसे जानते हैं कि परमेश्वर दूर से भी हमसे बात कर सकता है?

मूसा नाम के एक आदमी ने परमेश्वर को बात करते सुना था। वह परमेश्वर को देख नहीं सकता था, लेकिन उसकी आवाज़ ज़रूर सुन सकता था। एक बार परमेश्वर ने लाखों लोगों के सामने मूसा से बात की। उस दिन परमेश्वर ने पूरे-के-पूरे पहाड़ को हिला दिया, बादल गरजने लगे और बिजली कड़कने लगी। लोगों को पता था कि परमेश्वर बात कर रहा है। मगर यह सब देखकर वे इतने डर गए कि उन्होंने मूसा से कहा: “परमेश्वर हम से बातें न करे, ऐसा न हो कि हम मर जाएं।” बाद में मूसा ने वे सारी बातें लिखीं, जो परमेश्वर ने उसे बतायी थीं। उन बातों को हम बाइबल में पढ़ सकते हैं।—निर्गमन 20:18-21.

मूसा ने अकेले ही पूरी बाइबल नहीं लिखी, उसने बाइबल की पहली पाँच किताबें लिखीं। बाइबल की अलग-अलग किताबें परमेश्वर ने करीब 40 लोगों से लिखवायीं। ये लोग आज से हज़ारों साल पहले जीए थे। पूरी बाइबल लिखने में बहुत साल लगे। करीब 1,600 साल! और चौंका देनेवाली बात यह है कि बाइबल लिखनेवाले कुछ लोग कभी एक-दूसरे से नहीं मिले थे। फिर भी उन्होंने बाइबल में जो लिखा, वह एक-दूसरे से पूरी तरह मेल खाता है।

इन बाइबल लेखकों के नाम क्या हैं?

परमेश्वर ने जिन लोगों से बाइबल लिखवायी उनमें से कुछ लोग बहुत मशहूर थे। जैसे मूसा, वह पहले एक चरवाहा था मगर आगे चलकर वह इसराएल देश का अगुवा बना। बाइबल का एक लेखक था राजा सुलैमान। वह दुनिया का सबसे बुद्धिमान और अमीर आदमी था। लेकिन सभी लेखक इतने मशहूर नहीं थे। उनमें से एक था आमोस। वह अंजीर के पेड़ों की देखभाल करता था।

बाइबल का एक लेखक डॉक्टर था। क्या आप उसका नाम जानते हो?— उसका नाम है लूका। एक और लेखक था मत्ती, जो पहले टैक्स वसूल करता था। इसके अलावा एक और लेखक था जो पहले वकील था और यहूदी धर्म के कानून का बहुत बड़ा ज्ञानी था। बाइबल की सबसे ज़्यादा किताबें उसी ने लिखीं। क्या आप उसका नाम जानते हो?— उसका नाम है पौलुस। और यीशु के दो चेलों पतरस और यूहन्ना ने भी बाइबल की किताबें लिखीं। वे दोनों पहले मछुवारे थे।

बाइबल के कई लेखकों ने ऐसी बहुत-सी बातें लिखीं जिन्हें परमेश्वर आनेवाले समय में पूरा करता। आखिर उन्हें इन सब बातों के बारे में कैसे पता चला, जबकि ये तो उनके वक्‍त में पूरी भी नहीं हुई थीं?— ये सारी जानकारी परमेश्वर ने ही उन्हें दी थी। उसी ने उन्हें बताया कि आगे क्या होनेवाला है।

जब महान शिक्षक यीशु इस धरती पर था, तब तक बाइबल की आधी से ज़्यादा किताबें लिखी जा चुकी थीं। आपको याद है न, धरती पर आने से पहले यीशु स्वर्ग में था। उसे सारी बातें पता थीं। क्या वह मानता था कि बाइबल परमेश्वर की तरफ से है?— हाँ मानता था।

जब यीशु लोगों को परमेश्वर के कामों के बारे में बताता था तो वह उन्हें बाइबल से पढ़कर सुनाता था। बाइबल में लिखी बातें उसे याद थीं, इसलिए कभी-कभी वह बोलकर ही उन्हें वे बातें बताया करता था। बाइबल में लिखी बातों के अलावा यीशु ने हमें परमेश्वर के बारे में और भी ढेर सारी जानकारी दी। उसने कहा: “जो बातें मैंने [परमेश्वर से] सुनीं, वही मैं दुनिया में बता रहा हूँ।” (यूहन्ना 8:26) यीशु ने परमेश्वर से बहुत-सी बातें सुनी थीं, क्योंकि वह परमेश्वर के साथ काफी लंबे समय तक रहा था। यीशु ने जो बातें बतायीं, उन्हें हम कहाँ पढ़ सकते हैं?— बाइबल में। वे सारी बातें हमारे लिए लिखी गयी हैं, ताकि हम उन्हें पढ़ें।

जब परमेश्वर ने बाइबल लिखवायी, तो इंसानों ने उसे उस भाषा में लिखा जो उस समय बोली जाती थी। इसलिए बाइबल की ज़्यादातर किताबें इब्रानी भाषा में, तो कुछ अरामी भाषा में और बहुत-सी किताबें यूनानी भाषा में लिखी गयीं। आज बहुत सारे लोग इन भाषाओं को नहीं पढ़ सकते। इसलिए बाइबल का अनुवाद दूसरी भाषाओं में किया गया है। आज पूरी बाइबल या उसके कुछ भाग 2,260 से ज़्यादा भाषाओं में पढ़े जा सकते हैं। बाप रे! इतनी सारी भाषाएँ! बाइबल परमेश्वर की चिट्ठी है, जो उसने सब लोगों के लिए लिखवायी है। भले ही बाइबल का कई भाषाओं में अनुवाद किया गया है, मगर इसका संदेश बदला नहीं है। यह परमेश्वर की तरफ से ही है।

बाइबल में जो भी बातें लिखी गयी हैं उन्हें जानना हमारे लिए बहुत ज़रूरी है। माना कि इसे सालों पहले लिखा गया था, मगर इसमें आज हो रही बातों के बारे में सही-सही जानकारी दी गयी है। और यह भी बताया गया है कि आनेवाले दिनों में परमेश्वर क्या करनेवाला है। बाइबल पढ़ने से हमारे अंदर जोश भर आता है। इससे हमें बेहतरीन आशा मिलती है।

बाइबल पढ़ने से आप क्या बातें सीख सकते हो?

बाइबल यह भी बताती है कि परमेश्वर की इच्छा के मुताबिक हमें कैसे जीना चाहिए। यह बताती है कि सही क्या है और गलत क्या है। ये सारी बातें आपको और मुझे, दोनों को जानने की ज़रूरत है। यह ऐसे लोगों के बारे में बताती है जिन्होंने बुरे काम किए और उन्हें उसकी क्या सज़ा मिली। उनके बारे में जानने से हम उनकी तरह मुसीबत में फँसने से बच सकते हैं। यह उन लोगों के बारे में भी बताती है जिन्होंने अच्छे काम किए और जिसकी वजह से उनका भला हुआ। ये सारी बातें हमारे फायदे के लिए लिखी गयी हैं।

लेकिन बाइबल से ज़्यादा-से-ज़्यादा फायदा पाने के लिए हमें एक बात हमेशा याद रखनी चाहिए। अच्छा बताइए बाइबल हमें किसने दी है?— जी हाँ, पूरी बाइबल परमेश्वर ने हमें दी है। तो फिर इससे फायदा पाने के लिए हमें क्या करना होगा?— हमें परमेश्वर की बात सुननी होगी और उसका कहा मानना होगा। ऐसा करने से हम दिखाएँगे कि हम बुद्धिमान हैं।

इसलिए हमें साथ मिलकर बाइबल पढ़ने के लिए समय ज़रूर निकालना चाहिए। जब हमें कोई ऐसा इंसान चिट्ठी भेजता है जिससे हम बहुत प्यार करते हैं तो हम उसकी चिट्ठी बार-बार पढ़ते हैं। और उसे हमेशा सँभालकर रखते हैं। बाइबल को भी हमें वैसा ही समझना चाहिए। क्योंकि यह चिट्ठी उसकी तरफ से है जो हमें सबसे ज़्यादा प्यार करता है। यह चिट्ठी हमारे प्यारे परमेश्वर की तरफ से है।

थोड़ा समय निकालकर इन आयतों को पढ़िए जो दिखाती हैं कि बाइबल सचमुच परमेश्वर का वचन है और इसे हमारे फायदे के लिए लिखा गया है: रोमियों 15:4; 2 तीमुथियुस 3:16, 17 और 2 पतरस 1:20, 21.