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पाठ 38

हमें यीशु से क्यों प्यार करना चाहिए

हमें यीशु से क्यों प्यार करना चाहिए

सोचिए कि आप एक नाव में बैठे हो और वह डूब रही है। क्या आप चाहोगे कि कोई आकर आपको बचाए?— अगर कोई आपको बचाने के लिए अपनी जान दे देता है, तो आपको कैसा लगेगा?— यीशु ने यही किया। हमने पाठ 37 में सीखा था कि हमें बचाने के लिए यीशु ने फिरौती के रूप में अपनी ज़िंदगी दी।

ऐसा नहीं है कि हम कहीं डूब रहे थे और यीशु ने आकर हमें बचा लिया। तो फिर उसने हमें किससे बचाया? क्या आपको याद है?— उसने हमें आदम से मिले पाप और मौत से बचाया। यीशु ने उन लोगों के लिए भी अपनी जान दी जिन्होंने बहुत बुरे काम किए। क्या ऐसे लोगों को बचाने के लिए आप अपनी ज़िंदगी खतरे में डालेंगे?—

बाइबल कहती है: “शायद ही कोई किसी धर्मी इंसान के लिए अपनी जान देगा। हाँ, हो सकता है कि एक अच्छे इंसान के लिए कोई अपनी जान देने की हिम्मत करे।” लेकिन बाइबल बताती है कि यीशु “भक्‍तिहीन इंसानों के लिए मरा।” इसमें वे लोग शामिल हैं जो परमेश्वर की सेवा तक नहीं करते! बाइबल में आगे लिखा है: “जब हम पापी ही [बुरे काम करते] थे, तब मसीह हमारे लिए मरा।”—रोमियों 5:6-8.

क्या आप उस प्रेषित का नाम बता सकते हैं जो एक ज़माने में बुरे-बुरे काम करता था?— उस प्रेषित ने लिखा: “मसीह यीशु पापियों का उद्धार करने के लिए दुनिया में आया। और इन पापियों में सबसे बड़ा मैं हूँ।” जिस प्रेषित ने यह बात कही वह पौलुस था। उसने कहा कि वह पहले “नासमझ” था और “बुराई में” लगा हुआ था।—1 तीमुथियुस 1:15; तीतुस 3:3.

सोचिए परमेश्वर ने ऐसे लोगों की खातिर अपने बेटे को मरने के लिए भेजा! इसी से आप अंदाज़ा लगा सकते हैं कि परमेश्वर इंसानों से कितना प्यार करता है। क्यों न आप इस बात को अपनी बाइबल में पढ़ें। यह बात यूहन्ना के तीसरे अध्याय की 16वीं आयत में लिखी है। वहाँ लिखा है: “परमेश्वर ने दुनिया [यानी, धरती पर रहनेवाले इंसानों] से इतना ज़्यादा प्यार किया कि उसने अपना इकलौता बेटा दे दिया, ताकि जो कोई उस पर विश्वास दिखाता है, वह नाश न किया जाए बल्कि हमेशा की ज़िंदगी पाए।”

जब यीशु ने हमारे लिए अपनी ज़िंदगी दी तो उसे क्या-क्या सहना पड़ा?

यीशु ने दिखाया कि वह भी हमसे उतना ही प्यार करता है जितना उसका पिता। आपको याद होगा इस किताब के पाठ 30 में हमने थोड़ा-बहुत पढ़ा था कि जिस रात यीशु को गिरफ्तार किया गया उस रात उसे कितनी परेशानी उठानी पड़ी। उसे प्रधान याजक कैफा के घर ले जाया गया जहाँ उस पर मुकद्दमा चलाया गया। झूठे गवाह खड़े किए गए जिन्होंने यीशु के खिलाफ झूठी बातें कहीं। और लोगों ने उसे घूँसें मारे। तभी पतरस ने यीशु को पहचानने से इनकार कर दिया था। चलो हम कल्पना करते हैं कि हम वहीं हैं और देख सकते हैं कि वहाँ क्या हो रहा है।

सुबह हो रही है। यीशु पूरी रात सोया नहीं। क्योंकि रात-भर उस पर मुकद्दमा चलता रहा जो कि कानूनी तौर पर सही नहीं था। सुबह याजक जल्द ही महासभा यानी यहूदियों की बड़ी अदालत को इकट्ठा करते हैं और यीशु पर एक और मुकद्दमा चलाते हैं। इस बार भी वे उस पर परमेश्वर के खिलाफ काम करने का दोष लगाते हैं।

फिर याजक यीशु को बाँधकर रोमी गवर्नर पीलातुस के पास ले जाते हैं। वे पीलातुस से कहते हैं: ‘यीशु सरकार के खिलाफ काम करता है। इसे मौत के घाट उतार देना चाहिए।’ लेकिन पीलातुस समझ गया कि याजक झूठ बोल रहे हैं। इसलिए पीलातुस उनसे कहता है: ‘मुझे इस इंसान में कोई गलती नज़र नहीं आती। मैं इसे छोड़ दूँगा।’ यह सुनकर याजक और दूसरे लोग चिल्लाने लगते हैं: ‘नहीं! इसे मार डालो!’

कुछ समय बाद पीलातुस फिर लोगों से कहता है, मैं यीशु को छोड़ दूँगा। लेकिन याजकों के भड़काने पर भीड़ और ज़ोर से चिल्लाने लगती है: ‘अगर तुम इसे छोड़ दोगे तो तुम सरकार के खिलाफ काम कर रहे होगे! इसे मार डालो!’ भीड़ बहुत शोर मचाने लगती है। फिर जानते हो पीलातुस ने क्या किया?—

लोगों की मरज़ी के आगे उसने सिर झुका लिया। पहले तो उसने यीशु को कोड़े लगवाए। उसके बाद उसने यीशु को सिपाहियों के हवाले कर दिया ताकि वे उसे मार डालें। फिर सिपाहियों ने यीशु को काँटों का ताज़ पहनाया और उसके सामने झुककर उसका मज़ाक उड़ाने लगे। उसके बाद उन्होंने यीशु को एक बहुत बड़ा लट्ठा दिया, ताकि वह उसे उठाकर शहर से बाहर उस जगह ले जाए जिसे खोपड़ी स्थान कहा जाता था। वहाँ पहुँचने पर उन्होंने यीशु के हाथ और पैरों को बड़े-बड़े कीलों से उस लट्ठे पर ठोक दिया। उसके बाद उन्होंने लट्ठा खड़ा कर दिया। उसके ज़ख्मों से खून बह रहा था। उसका दर्द बरदाश्त के बाहर था, वह बुरी तरह तड़प रहा था।

यीशु की मौत उसी वक्‍त नहीं हुई। वह उसी हाल में लट्ठे पर लटका रहा। प्रधान याजक उसका मज़ाक उड़ा रहे थे। और रास्ते से आने-जानेवाले लोग कहते: “अगर तू परमेश्वर का बेटा है, तो यातना की सूली से नीचे उतर आ!” लेकिन यीशु जानता था कि उसके पिता ने उसे किस काम के लिए भेजा है। वह जानता था कि उसे अपना सिद्ध जीवन बलिदान करना है, ताकि हमें हमेशा की ज़िंदगी पाने का मौका मिले। आखिर में दोपहर करीब 3 बजे यीशु ने ज़ोर से अपने पिता को पुकारा और दम तोड़ दिया।—मत्ती 26:36–27:50; मरकुस 15:1; लूका 22:39–23:46; यूहन्ना 18:1–19:30.

यीशु आदम से कितना अलग था! आदम ने परमेश्वर के लिए ज़रा भी प्यार नहीं दिखाया। उसने परमेश्वर की आज्ञा तोड़ दी। आदम ने हमारे लिए भी प्यार नहीं दिखाया। उसके पाप करने की वजह से हम सभी में जन्म से पाप है। लेकिन यीशु ने परमेश्वर और हम सबके लिए प्यार दिखाया। उसने हमेशा परमेश्वर की आज्ञा मानी। उसने अपनी ज़िंदगी दे दी ताकि हमें दुख-मुसीबतों की उस खाई से निकाला जा सके जिसमें आदम ने हमें धकेल दिया।

हम यीशु से प्यार करते हैं, यह दिखाने के लिए हम क्या कर सकते हैं?

यीशु ने हमारे लिए जो शानदार काम किया क्या आप उसके लिए एहसानमंद हो?— जब आप परमेश्वर से प्रार्थना करते हो तब क्या आप उसे धन्यवाद देते हो कि उसने हमें अपना बेटा दिया?— मसीह ने प्रेषित पौलुस के लिए जो किया उसके लिए पौलुस ने कदर दिखायी। उसने लिखा कि परमेश्वर के बेटे ने “मुझसे प्यार किया और खुद को मेरे लिए दे दिया।” (गलातियों 2:20) यीशु आपके और मेरे लिए भी मरा। उसने अपनी सिद्ध ज़िंदगी दे दी ताकि हम हमेशा की ज़िंदगी पा सकें! यीशु से प्यार करने की यह बहुत बड़ी वजह है।

प्रेषित पौलुस ने कुरिंथ शहर के मसीहियों को लिखा: “मसीह का प्यार हमें काम करने के लिए उकसाता है।” यह हमें किस तरह के काम करने के लिए उकसाता है? आप क्या सोचते हो?— पौलुस के जवाब पर गौर कीजिए: “मसीह सबके लिए मरा ताकि जो जीते हैं वे उसके लिए जीएँ। उन्हें खुद को खुश करने के लिए नहीं जीना चाहिए।”2 कुरिंथियों 5:14, 15, न्यू लाइफ वर्शन।

क्या आप ऐसे कुछ तरीके बता सकते हो जिनसे आप दिखा सको कि आप मसीह को खुश करने के लिए जीते हो?— एक तरीका है, आपने यीशु के बारे में जो सीखा है उसे दूसरों को बताना। या इस बारे में सोचिए: आप शायद घर में अकेले हों, इसलिए आपके मम्मी-पापा या कोई और इंसान देख नहीं सकता कि आप क्या कर रहे हो। क्या आप जानबूझकर टी.वी. या इंटरनेट पर ऐसे कार्यक्रम देखेंगे जिनसे यीशु को दुख पहुँचता है?— याद रखिए यीशु आज ज़िंदा है और हम जो भी करते हैं उसे वह देख सकता है!

हम जो भी करते हैं उसे कौन देख सकता है?

यीशु से प्यार करने की एक और वजह यह है कि हम यहोवा के जैसे काम करना चाहते हैं। यीशु ने कहा: “पिता मुझसे प्यार करता है।” क्या आप जानते हो कि यहोवा यीशु से क्यों प्यार करता है और हमें भी यीशु से क्यों प्यार करना चाहिए?— क्योंकि परमेश्वर की इच्छा पूरी करने के लिए यीशु अपनी जान तक देने को तैयार था। (यूहन्ना 10:17) इसलिए आइए हम वही करें जो बाइबल कहती है: ‘परमेश्वर के प्यारे बच्चों की तरह उसकी मिसाल पर चलो, और प्यार की राह पर चलते रहो, ठीक जैसे मसीह ने भी तुमसे प्यार किया और तुम्हारी खातिर खुद को सौंप दिया।’—इफिसियों 5:1, 2.

आइए यूहन्ना 3:35; 15:9, 10 और 1 यूहन्ना 5:11, 12 पढ़कर देखें कि हमें क्यों यीशु के लिए और उसने जो किया उसके लिए अपनी कदरदानी बढ़ानी चाहिए।