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पाठ 45

परमेश्वर का राज क्या है? कैसे दिखाएँ कि हमें इसकी ज़रूरत है

परमेश्वर का राज क्या है? कैसे दिखाएँ कि हमें इसकी ज़रूरत है

यीशु ने अपने चेलों को जो प्रार्थना सिखायी थी, क्या आप वह जानते हो?— अगर नहीं तो चलो हम साथ मिलकर बाइबल से मत्ती 6:9-13 पढ़ें। इस प्रार्थना को बहुत-से लोग प्रभु की प्रार्थना कहते हैं। इसमें लिखा है: “तेरा राज आए।” क्या आपको पता है कि परमेश्वर का राज क्या है?—

राज एक तरह की सरकार होती है। सरकारें कई तरह की होती हैं, कुछ देशों में सरकार के सबसे बड़े अधिकारी को राष्ट्रपति कहा जाता है। लेकिन परमेश्वर ने जिस सरकार के बारे में वादा किया है, उसे राज कहा गया है और उसके सबसे बड़े अधिकारी को राजा।

क्या आपको पता है यहोवा परमेश्वर ने किसे अपनी सरकार का राजा चुना है?— अपने बेटे, यीशु मसीह को। इंसान अपने लिए जो नेता या राजा चुनते हैं, यीशु उन सबसे कहीं बढ़कर है। क्यों?— क्योंकि वह अपने पिता यहोवा से बहुत प्यार करता है। इसलिए वह हमेशा वही करता है जो सही है।

धरती पर यीशु के पैदा होने से कई साल पहले बाइबल में उसके जन्म के बारे में बता दिया गया था। उसमें लिखा था कि वह परमेश्वर का चुना हुआ राजा बनेगा। इसके बारे में आओ हम यशायाह 9:6, 7 में पढ़ें। वहाँ लिखा है: “हमारे लिये एक बालक उत्पन्न हुआ, हमें एक पुत्र दिया गया है; और प्रभुता [यानी राज] उसके कांधे पर होगी, और उसका नाम . . . शान्ति का राजकुमार रखा जाएगा। उसकी प्रभुता [यानी राज] सर्वदा बढ़ती रहेगी, और उसकी शान्ति का अन्त न होगा।”

क्या आपको पता है परमेश्वर के राज के राजा को ‘शांति का राजकुमार’ क्यों कहा गया है?— राजा के बेटे को राजकुमार कहा जाता है। और यीशु, महान राजा यहोवा का बेटा है, इसलिए उसे राजकुमार कहा गया है। लेकिन यहोवा ने यीशु को अपनी सरकार का राजा भी बनाया है जो हज़ार साल तक इस धरती पर राज करेगा। (प्रकाशितवाक्य 20:6) यीशु ने अपने बपतिस्मे के बाद “प्रचार करना और यह कहना शुरू किया: ‘पश्‍चाताप करो, क्योंकि स्वर्ग का राज पास आ गया है।’”—मत्ती 4:17.

आपको क्या लगता है यीशु ने यह क्यों कहा कि परमेश्वर का राज पास आ गया है?— क्योंकि परमेश्वर के राज का राजा जो आगे चलकर स्वर्ग से राज करनेवाला था, वह उन लोगों के सामने था! इसलिए उसने लोगों से कहा: “परमेश्वर का राज तुम्हारे ही बीच है।” (लूका 17:21) ज़रा सोचो, अगर आपको किसी राजा वह भी यहोवा के ठहराए राजा के पास जाने, उससे बात करने का मौका मिले तो आपको कैसा लगेगा?—

अच्छा बताओ यीशु इस धरती पर कौन-सा खास काम करने आया था?— इस सवाल का जवाब यीशु ने खुद दिया। उसने कहा: “मुझे दूसरे शहरों में भी परमेश्वर के राज की खुशखबरी सुनानी है, क्योंकि मुझे इसीलिए भेजा गया है।” (लूका 4:43) यीशु जानता था कि इस काम को वह अकेले नहीं कर सकता। इसलिए पता है उसने क्या किया?—

यीशु धरती पर क्या काम करने आया था?

वह लोगों को अपने साथ ले जाता था और उन्हें प्रचार करना सिखाता था। जिन लोगों को उसने सबसे पहले सिखाया, वे थे उसके 12 प्रेषित। (मत्ती 10:5, 7) लेकिन क्या उसने सिर्फ अपने प्रेषितों को यह काम सिखाया? नहीं, बाइबल कहती है यीशु ने दूसरे कई लोगों को भी प्रचार करना सिखाया। कुछ समय बाद, उसने 70 चेलों को अपने आगे दो-दो करके प्रचार काम के लिए भेजा। उन्होंने लोगों को क्या सिखाया?— यीशु ने उनसे कहा था: “प्रचार करो कि ‘परमेश्वर का राज तुम्हारे पास आ गया है।’” (लूका 10:9) इस तरह लोगों ने परमेश्वर की सरकार के बारे में सीखा।

कई साल पहले, इसराएल में यह चलन था कि जब कोई नया राजा बनता तो वह लोगों के सामने गधी के बच्चे पर बैठकर यरूशलेम आता था। यीशु भी जब आखिरी बार यरूशलेम आया तो गधी के बच्चे पर बैठकर आया। यीशु परमेश्वर के राज का राजा बननेवाला था। लेकिन क्या लोग चाहते थे कि यीशु उनका राजा बने?—

जब वह नगर में आया तो लोगों ने अपने चोगे उतारकर उसके रास्ते में बिछा दिए। दूसरे लोगों ने पेड़ों की डालियाँ काटकर उसके सामने सड़क पर डाल दीं। ऐसा करके उन्होंने दिखाया कि वे यीशु को अपना राजा बनाना चाहते हैं। वे खुशी के मारे चिल्लाने लगे: “धन्य है वह जो यहोवा के नाम से राजा बनकर आ रहा है!” लेकिन सभी लोग खुश नहीं थे। कुछ धार्मिक अगुवे यीशु से कहने लगे: ‘अपने चेलों से कह कि वे चुप हो जाएँ।’—लूका 19:28-40.

पहले तो लोग यीशु को अपना राजा बनाना चाहते थे, फिर उन्होंने अपना मन क्यों बदल दिया?

पाँच दिन बाद यीशु को गिरफ्तार करके गवर्नर पुन्तियुस पीलातुस के महल में ले जाया गया। यीशु के दुश्मनों ने यीशु पर इलज़ाम लगाया कि वह राजा होने का दावा करता है और वह रोमी सरकार के खिलाफ है। तब पीलातुस ने यीशु से पूछा कि क्या उस पर लगाए सारे इलज़ाम सच हैं। यीशु ने बताया कि वह सरकार को गिराकर खुद राजा बनने की कोशिश नहीं कर रहा है। उसने पीलातुस से कहा: “मेरा राज इस दुनिया का नहीं है।”—यूहन्ना 18:36.

इसके बाद पीलातुस उठकर बाहर गया और उसने लोगों से कहा कि उसने यीशु में कोई कसूर नहीं पाया। लेकिन अब लोग बिलकुल नहीं चाहते थे कि यीशु उनका राजा बने। वे नहीं चाहते थे कि यीशु को आज़ाद किया जाए। (यूहन्ना 18:37-40) पीलातुस ने दोबारा यीशु से बात की, उसे यकीन हो गया कि यीशु ने कोई गलत काम नहीं किया है। इसलिए वह आखिरी बार यीशु को बाहर लोगों के सामने लाया और उनसे कहा: “देखो! तुम्हारा राजा!” लेकिन लोग चिल्लाने लगे: ‘इसे ले जाओ! इसे ले जाओ! इसे सूली पर चढ़ा दो!’

पीलातुस ने उनसे पूछा: “क्या मैं तुम्हारे राजा को सूली पर चढ़ा दूँ?” तब प्रधान याजकों ने जवाब दिया: “सम्राट को छोड़ हमारा कोई राजा नहीं।” वे याजक कितने दुष्ट थे! उन्होंने बाकी लोगों को भी यीशु के खिलाफ कर दिया था।—यूहन्ना 19:1-16.

आज के हालात भी बिलकुल वैसे ही हैं। आज भी ज़्यादातर लोग नहीं चाहते कि यीशु उनका राजा बने। वे शायद कहते हों कि वे परमेश्वर पर विश्वास करते हैं, लेकिन वे परमेश्वर और यीशु की बात नहीं सुनना चाहते, वे अपनी मरज़ी पर चलना चाहते हैं। वे धरती पर अपनी-अपनी सरकार बनाना चाहते हैं।

लेकिन हम क्या चाहते हैं? जब हम परमेश्वर के राज और उसमें मिलनेवाली आशीषों के बारे में सीखते हैं, तो हम परमेश्वर के बारे में कैसा महसूस करते हैं?— हम उससे प्यार करने लगते हैं। सही है ना?— हम परमेश्वर को किस तरह दिखा सकते हैं कि हम उससे प्यार करते हैं और चाहते हैं कि उसका राज हम पर शासन करे?—

यीशु ने बपतिस्मा क्यों लिया और परमेश्वर ने यह कैसे दिखाया कि उसे यीशु का बपतिस्मा मंज़ूर है?

हम यीशु की बतायी राह पर चलकर परमेश्वर को दिखा सकते हैं कि हम उससे प्यार करते हैं। यीशु ने कैसे दिखाया कि वह यहोवा से प्यार करता है?— उसने कहा: “मैं हमेशा वही करता हूँ जिससे [परमेश्वर] खुश होता है।” (यूहन्ना 8:29) यीशु इस धरती पर ‘परमेश्वर की मरज़ी’ पूरी करने और ‘उसका दिया काम पूरा करने’ आया था। (इब्रानियों 10:7; यूहन्ना 4:34) गौर कीजिए कि अपना प्रचार काम शुरू करने से पहले यीशु ने क्या किया।

यीशु यरदन नदी पर यूहन्ना बपतिस्मा देनेवाले के पास गया। वे दोनों पानी में उतरे, फिर यूहन्ना ने यीशु को पानी में पूरी तरह डुबोकर उसे बाहर निकाला। क्या आप जानते हो कि यूहन्ना ने यीशु को बपतिस्मा क्यों दिया?—

हम कहाँ-कहाँ दूसरों को परमेश्वर के राज के बारे में बता सकते हैं?

वह इसलिए क्योंकि यीशु ने यूहन्ना से ऐसा करने को कहा था। लेकिन हमें यह कैसे पता कि परमेश्वर चाहता था कि यीशु बपतिस्मा ले?— बपतिस्मा लेकर जब यीशु पानी से ऊपर आया तो उसने स्वर्ग से परमेश्वर की आवाज़ सुनी: “तू मेरा प्यारा बेटा है, मैंने तुझे मंज़ूर किया है।” उस वक्‍त परमेश्वर ने यीशु पर एक कबूतर के रूप में अपनी पवित्र शक्‍ति भी भेजी। बपतिस्मा लेकर यीशु ने दिखाया कि वह पूरी ज़िंदगी यहोवा की सेवा करेगा, जी हाँ हमेशा-हमेशा तक।—मरकुस 1:9-11.

अभी आप छोटे हो। लेकिन आगे चलकर आप क्या करोगे?— क्या आप यीशु की तरह बनोगे और बपतिस्मा लोगे?— आपको उसके दिखाए रास्ते पर चलना चाहिए क्योंकि बाइबल कहती है कि वह “तुम्हारे लिए एक आदर्श छोड़ गया ताकि तुम उसके नक्शे-कदम पर नज़दीकी से चलो।” (1 पतरस 2:21) बपतिस्मा लेकर आप दिखाओगे कि आप सचमुच परमेश्वर के राज के अधीन रहना चाहते हो। लेकिन सिर्फ बपतिस्मा लेना ही काफी नहीं है।

हमें यीशु की सिखायी सारी बातों पर चलने की ज़रूरत है। यीशु ने कहा कि हमें ‘दुनिया का भाग नहीं’ होना चाहिए। अगर हम दुनिया के कामों में पूरी तरह डूब जाएँगे तो क्या हम यीशु की बात मान रहे होंगे? यीशु और उसके प्रेषित दुनिया के कामों में नहीं उलझे। (यूहन्ना 17:14) तो फिर उन्होंने क्या किया?— उन्होंने दूसरों को परमेश्वर के राज के बारे में बताया। यह उनकी ज़िंदगी का सबसे ज़रूरी काम था। क्या हम भी यह काम कर सकते हैं?— क्यों नहीं, अगर हम दिल से प्रार्थना करें कि परमेश्वर का राज आए तो हम यह काम कर सकते हैं।

इन आयतों को भी देखिए जो बताती हैं कि अगर हम चाहते हैं परमेश्वर का राज आए, तो हमें क्या करना चाहिए: मत्ती 6:24-33; 24:14; 1 यूहन्ना 2:15-17 और 5:3.