इस जानकारी को छोड़ दें

विषय-सूची को छोड़ दें

अध्याय ग्यारह

परमेश्वर ने दुःख-तकलीफें क्यों रहने दी हैं?

परमेश्वर ने दुःख-तकलीफें क्यों रहने दी हैं?
  • क्या दुनिया की सारी दुःख-तकलीफों के लिए परमेश्वर ज़िम्मेदार है?

  • अदन के बाग में कौन-सा मसला उठाया गया था?

  • दुःख-तकलीफों की वजह से इंसान ने जो नुकसान झेला है, उसे परमेश्वर कैसे ठीक करेगा?

1, 2. आज लोग कैसी-कैसी मुसीबतें झेल रहे हैं, और इस वजह से कई लोग कौन-से सवाल पूछते हैं?

युद्ध की चपेट में आए एक देश में एक ज़बरदस्त लड़ाई हुई। इसमें हज़ारों की तादाद में औरतें और मासूम बच्चे मारे गए। उन सभी की लाशों को इकट्ठा करके एक बड़े गड्ढे में दफना दिया गया। उस बड़ी कब्र के ऊपर कई छोटे-छोटे क्रूस लगाए गए। इनमें से हरेक पर लिखा था: “क्यों?” यह एक दर्दनाक सवाल है। लोग अकसर यह सवाल तब पूछते हैं जब युद्ध, बीमारी, कुदरती आफतें या जुर्म उनके बेगुनाह अज़ीज़ों की जान ले लेते हैं, उनके घरों को तहस-नहस कर देते हैं या उन पर दूसरी ढेरों मुसीबतें लाते हैं। वे जानना चाहते हैं कि यह कहर उन पर ही क्यों टूटा।

2 परमेश्वर ने दुःख-तकलीफें क्यों रहने दी हैं? अगर यहोवा परमेश्वर सबसे ज़्यादा ताकतवर और बुद्धिमान है, प्यार करनेवाला और न्यायी परमेश्वर है, तो फिर दुनिया में इतनी नफरत और नाइंसाफी क्यों है? क्या आपके मन में भी कभी ऐसे सवाल आए हैं?

3, 4. (क) क्या दिखाता है कि यह पूछना गलत नहीं कि परमेश्वर दुःख-तकलीफें क्यों आने देता है? (ख) यहोवा, दुष्टता और तकलीफों के बारे में कैसा महसूस करता है?

3 क्या यह पूछना गलत है कि परमेश्वर दुःख-तकलीफें क्यों आने देता है? कुछ लोग डरते हैं कि ऐसा सवाल पूछने का कहीं यह मतलब तो नहीं होगा कि उनमें विश्वास की कमी है या फिर वे परमेश्वर की तौहीन कर रहे हैं। लेकिन आप बाइबल में पाएँगे कि पुराने ज़माने में भी यहोवा का भय माननेवाले कई वफादार लोगों ने ऐसे ही सवाल किए थे। जैसे, हबक्कूक नबी ने यहोवा से पूछा: “तू मुझे अधर्म के काम क्यों दिखाता है और क्यों दुष्टता के काम देखने को विवश करता है? विनाश और उपद्रव तो मेरे सामने होते रहते हैं। झगड़ा होता है और विवाद बढ़ता जाता है।”हबक्कूक 1:3, NHT.

यहोवा सभी दुःख-तकलीफों का अंत करेगा

4 क्या यहोवा ने ऐसे सवाल पूछने के लिए वफादार नबी हबक्कूक को डाँटा? बिलकुल नहीं। इसके बजाय, परमेश्वर ने अपनी आत्मा की प्रेरणा से ये सवाल बाइबल में दर्ज़ करवाए, क्योंकि हबक्कूक ने ये सवाल नेक इरादे से पूछे थे। इतना ही नहीं, यहोवा ने हबक्कूक की मदद की ताकि वह मामलों को अच्छी तरह समझ सके और अपना विश्वास बढ़ा सके। यहोवा आपकी भी इसी तरह मदद करना चाहता है। याद कीजिए, बाइबल कहती है कि “उस को तुम्हारी फिक्र है।” (1 पतरस 5:7, हिन्दुस्तानी बाइबल) यह सच है कि इंसान दुष्टता से नफरत करता है। मगर इंसान से कहीं ज़्यादा, परमेश्वर को दुष्टता से और इसकी वजह से आनेवाली तकलीफों से नफरत है। (यशायाह 55:8, 9) तो फिर आज दुनिया में इतनी तकलीफें क्यों हैं?

इतनी दुःख-तकलीफें क्यों?

5. कभी-कभी इंसान की दुःख-तकलीफों की क्या वजह बतायी जाती है, मगर बाइबल क्या सिखाती है?

5 अलग-अलग धर्म के लोगों ने अपने धर्म-गुरुओं और ज्ञानियों से यह सवाल पूछा है कि आज दुनिया में इतनी तकलीफें क्यों हैं। अकसर उन्हें जवाब मिलता है, यह सब ऊपरवाले की मरज़ी है। दुनिया में जो कुछ होना है, वह सब उसने बहुत पहले से लिख दिया है। यहाँ तक कि बुरे-से-बुरा हादसा भी उसी की मरज़ी से होता है। कइयों को बताया जाता है कि ईश्वर की लीला को कोई नहीं समझ सकता। और इंसान पर मौत भी वही लाता है। उसे जब ज़रूरत होती है तब वह लोगों को अपने पास बुला लेता है, फिर चाहे वे बूढ़े हों या बच्चे। लेकिन जैसा आपने पहले सीखा, यहोवा परमेश्वर किसी भी बुराई के लिए ज़िम्मेदार नहीं है। बाइबल कहती है: “यह कदापि सम्भव नहीं कि परमेश्वर दुष्टता करे, और सर्वशक्‍तिमान अन्याय करे।”अय्यूब 34:10, NHT.

6. बहुत-से लोग दुनिया के तमाम दुःखों के लिए परमेश्वर को कसूरवार ठहराने की गलती क्यों करते हैं?

6 क्या आप जानते हैं कि लोग दुनिया के तमाम दुःखों के लिए परमेश्वर को कसूरवार ठहराने की गलती क्यों करते हैं? ज़्यादातर लोगों को लगता है कि दुनिया का मालिक तो परमेश्वर ही है और वही दुनिया पर राज कर रहा है, इसलिए दुनिया में जो कुछ हो रहा है, उसके लिए और कौन कसूरवार हो सकता है। मगर वे बाइबल की एक बहुत बड़ी और सीधी-सी सच्चाई से बेखबर हैं। आपने इस किताब के तीसरे अध्याय में यह सच्चाई सीखी थी कि आज इस दुनिया पर असल में शैतान इब्लीस की हुकूमत है।

7, 8. (क) इस दुनिया में कैसे शैतान के लक्षण कूट-कूटकर भरे हैं? (ख) इंसान की असिद्धता और “समय और संयोग” की वजह से कैसे उस पर दुःख-तकलीफें आयी हैं?

7 बाइबल साफ-साफ बताती है: “सारा संसार उस दुष्ट के वश में पड़ा है।” (1 यूहन्ना 5:19) क्या आपको नहीं लगता कि इस आयत में जो लिखा है, वह सच है? वाकई इस दुनिया में शैतान के लक्षण कूट-कूटकर भरे हैं जो भले ही दिखायी नहीं देता मगर ‘सारे संसार को भरमा रहा’ है। (प्रकाशितवाक्य 12:9) शैतान की रग-रग में नफरत है, वह बड़ा मक्कार और बेरहम है। इसलिए जो दुनिया उसकी मुट्ठी में है, वह भी नफरत और मक्कारी से भरी एक बेरहम दुनिया है। यह पहली वजह है कि क्यों दुनिया में इतनी दुःख-तकलीफें हैं।

8 इंसान की दुःख-तकलीफों की दूसरी वजह के बारे में हमने अध्याय 3 में चर्चा की थी। वह यह कि अदन के बाग में जब इंसान ने बगावत की, तब से वह असिद्ध और पापी हो गया है। पापी इंसान अकसर दूसरों पर हुकूमत करने के लिए आपस में लड़ते-झगड़ते रहते हैं। इसकी वजह से न जाने कितने युद्ध लड़े गए, ज़ुल्म ढाए गए और लोगों को कितने ही आँसू बहाने पड़े। (सभोपदेशक 4:1; 8:9) इंसान की दुःख-तकलीफों की तीसरी वजह है, “समय और संयोग।” (सभोपदेशक 9:11) जिस दुनिया पर यहोवा की हुकूमत और उसका साया न हो और अगर लोग गलत समय पर गलत जगह मौजूद हों, तो उन्हें अचानक आनेवाली आफतों से कौन बचा सकता है?

9. हम क्यों यकीन रख सकते हैं कि यहोवा ने किसी वाजिब कारण से दुःख-तकलीफें रहने दी हैं?

9 यह जानकर हमें कितनी राहत मिलती है कि परमेश्वर इंसान पर तकलीफें नहीं लाता। दुनिया में जो युद्ध और अपराध होते हैं और लोगों पर जो ज़ुल्म ढाए जाते हैं, उनके लिए परमेश्वर ज़िम्मेदार नहीं है। यहाँ तक कि लोगों पर आनेवाली आफतों के लिए भी वह ज़िम्मेदार नहीं। तो अब हमें यह जानने की ज़रूरत है कि यहोवा चाहे दुःखों के लिए ज़िम्मेदार न हो, फिर भी वह इन्हें रहने क्यों देता है? अगर वह सर्वशक्तिमान है, तो इसका मतलब है कि उसके पास दुःखों का अंत करने की ताकत है। फिर वह ऐसा करता क्यों नहीं? हम सीख चुके हैं कि यहोवा प्यार करनेवाला परमेश्वर है, इसलिए अगर उसने दुःख-तकलीफों को रहने दिया है तो ज़रूर इसका कोई वाजिब कारण होगा।1 यूहन्ना 4:8.

एक अहम मसला उठाया गया

10. शैतान ने किस बारे में सवाल उठाया, और कैसे?

10 परमेश्वर ने दुःखों को क्यों रहने दिया है, यह पता लगाने के लिए आइए हम उस वक्‍त में चलें जब दुःख-तकलीफों की शुरूआत हुई थी। जब शैतान ने आदम और हव्वा को यहोवा की आज्ञा तोड़ने के लिए बहकाया, तो एक बहुत बड़ा सवाल खड़ा हुआ। गौर कीजिए कि शैतान ने यह सवाल नहीं उठाया कि यहोवा के पास हुकूमत करने की शक्ति है या नहीं। क्योंकि वह अच्छी तरह जानता था कि यहोवा के पास अपार शक्ति है। इसके बजाय, शैतान ने यह सवाल उठाया कि यहोवा को इंसान पर हुकूमत करने का हक है या नहीं। कैसे? उसने कहा कि यहोवा झूठा है और वह अपनी प्रजा को ऐसी चीज़ें नहीं देना चाहता जिनसे उनका भला होगा। एक तरह से शैतान ने यहोवा पर इलज़ाम लगाया कि वह इंसान पर सही तरीके से राज नहीं कर रहा। (उत्पत्ति 3:2-5) शैतान ने यह भी कहा कि इंसान परमेश्वर की हुकूमत के बिना खुश रह सकता है। इस तरह उसने यहोवा के हुकूमत करने के हक पर हमला किया।

11. यहोवा ने अदन में ही उन बागियों को खत्म क्यों नहीं कर दिया?

11 शैतान के बहकावे में आकर आदम और हव्वा ने यहोवा के खिलाफ बगावत की। ऐसा करके वे मानो कह रहे थे: “हमें यहोवा की हुकूमत नहीं चाहिए। हम अपने अच्छे-बुरे का फैसला खुद कर सकते हैं।” यहोवा इस मसले को कैसे निपटाता? वह अपनी सृष्टि में समझ रखनेवाले सभी प्राणियों को कैसे सिखा सकता था कि हुकूमत करने का उसका तरीका ही सबसे बेहतरीन है, और बागियों का दावा गलत है? कुछ लोग शायद कहें कि परमेश्वर को उसी वक्‍त उन बागियों को खत्म कर देना चाहिए था और नए सिरे से इंसान की सृष्टि करनी चाहिए थी। लेकिन ऐसा करने से यहोवा का यह मकसद अधूरा रह जाता कि धरती एक खूबसूरत फिरदौस बने और आदम और हव्वा की संतानों से आबाद हो। (उत्पत्ति 1:28) और यहोवा हर हाल में अपना मकसद पूरा करता है। (यशायाह 55:10, 11) इसके अलावा, अगर परमेश्वर अदन में ही उन बागियों को खत्म कर देता, तो अपनी हुकूमत पर लगाए इलज़ाम को वह झूठा साबित नहीं कर पाता।

12, 13. उदाहरण देकर समझाइए कि यहोवा ने शैतान को दुनिया पर राज करने और इंसानों को खुद पर हुकूमत करने की इजाज़त क्यों दी।

12 इस मसले को और अच्छी तरह समझने के लिए आइए एक उदाहरण लें। मान लीजिए, एक टीचर अपने विद्यार्थियों को एक मुश्किल सवाल हल करने का तरीका सिखा रहा है। अचानक बीच में, एक लड़का उठ खड़ा होता है जो खुद को बहुत होशियार समझता है, मगर उसके दिल में टीचर के लिए ज़रा भी इज़्ज़त नहीं है और वह बागी है। वह साबित करना चाहता है कि टीचर को कुछ नहीं आता इसलिए वह बड़ी ढिठाई से कहता है, इस सवाल को हल करने का आपका तरीका एकदम गलत है। इससे भी अच्छा तरीका मैं जानता हूँ। मैं इसे चुटकियों में हल कर सकता हूँ। कुछ विद्यार्थियों को लगता है कि वह लड़का सही कह रहा है और वे भी उस बागी के साथ मिल जाते हैं। अब टीचर को क्या करना चाहिए? अगर वह इन बागियों को क्लास से बाहर निकाल दे, तो दूसरे विद्यार्थियों पर इसका कैसा असर पड़ेगा? क्या उनको भी ऐसा नहीं लगेगा कि वह लड़का और उसके साथी सही कह रहे हैं? और हो सकता है कि बाकी विद्यार्थियों की नज़रों में भी उस टीचर की इज़्ज़त घट जाए, क्योंकि उनके हिसाब से टीचर ने इस डर से लड़के को क्लास से बाहर निकाल दिया है कि कहीं वह उसे गलत साबित न कर दे। लेकिन टीचर ऐसा नहीं करता। इसके बजाय, वह लड़के से कहता है, ठीक है, अब तुम क्लास को दिखाओ कि यह सवाल कैसे हल किया जा सकता है।

क्या यह विद्यार्थी अपने इस टीचर से ज़्यादा काबिल है?

13 यहोवा ने भी वही किया जो इस टीचर ने किया। यह मत भूलिए कि जब अदन के बाग में बगावत हुई, तब वहाँ सिर्फ आदम, हव्वा और शैतान ही मौजूद नहीं थे। जो कुछ हुआ उसे करोड़ों स्वर्गदूत भी देख रहे थे। (अय्यूब 38:7; दानिय्येल 7:10) यहोवा इस बगावत से उठनेवाले सवालों का हल कैसे करता, इसका न सिर्फ स्वर्गदूतों पर बल्कि आगे चलकर समझ रखनेवाले हर प्राणी पर बहुत ज़बरदस्त असर होता। तो फिर यहोवा ने क्या किया? उसने शैतान से मानो कहा, ठीक है, अब तुम दिखाओ कि इंसानों पर राज कैसे किया जाना चाहिए। यही नहीं, परमेश्वर ने मानो इंसान से भी कहा, शैतान के इशारों पर चलकर तुम खुद पर हुकूमत करके देख लो कि क्या होता है।

14. यहोवा ने इंसानों को खुद पर हुकूमत करने की इजाज़त देने का जो फैसला किया, उससे क्या फायदा होगा?

14 हमारे उदाहरण में बताया टीचर यह अच्छी तरह जानता है कि वह बागी लड़का और उसके साथी गलत हैं। मगर उसे यह भी पता है कि पूरी क्लास के फायदे के लिए ज़रूरी है कि उन लड़कों को अपनी बात साबित करने का एक मौका दिया जाए। जब बगावत करनेवाले झूठे साबित हो जाएँगे, तो टीचर का लिहाज़ करनेवाले नेकदिल विद्यार्थी साफ देख सकेंगे कि केवल टीचर ही क्लास को सिखाने के काबिल है। इसके बाद अगर टीचर बागियों को क्लास से निकाल भी दे, तो विद्यार्थी समझ पाएँगे कि उसने ऐसा क्यों किया। उसी तरह, यहोवा जानता है कि सभी नेकदिल इंसान और स्वर्गदूतों के फायदे के लिए यह ज़रूरी है कि वे खुद देखें कि किस तरह शैतान और उसके साथियों के दावे झूठे हैं और इंसान खुद पर हुकूमत करने के काबिल नहीं है। वे भी पुराने ज़माने के यिर्मयाह नबी की तरह यह अहम सच्चाई सीख पाएँगे: “हे यहोवा, मैं जान गया हूं, कि मनुष्य का मार्ग उसके वश में नहीं है, मनुष्य चलता तो है, परन्तु उसके डग उसके अधीन नहीं हैं।”यिर्मयाह 10:23.

इतनी देर क्यों?

15, 16. (क) यहोवा ने इतनी देर तक दुःख-तकलीफें क्यों रहने दी हैं? (ख) यहोवा ने घिनौने अपराधों को रोका क्यों नहीं?

15 मगर अब सवाल यह है कि यहोवा ने दुःख-तकलीफों को इतने लंबे अरसे तक क्यों इजाज़त दी है? वह बुराइयों को रोकता क्यों नहीं? इसका जवाब जानने के लिए आइए उसी टीचर का उदाहरण लें। ध्यान दीजिए कि वह टीचर कौन-से दो काम नहीं करेगा। पहला, जब बगावती लड़का सवाल हल करने का अपना तरीका सिखाएगा, तो टीचर बीच में दखल नहीं देगा। दूसरा, सवाल हल करने में टीचर उस लड़के की मदद नहीं करेगा। इसी तरह, गौर कीजिए कि यहोवा ने कौन-से दो काम करने का फैसला किया है। पहला, उसने शैतान के काम में दखल नहीं दिया है। शैतान और उसके साथियों का दावा सच है या नहीं, यह साबित करने का परमेश्वर ने उन्हें मौका दिया और इसके लिए कुछ वक्‍त की मोहलत भी दी। मोहलत के इन हज़ारों सालों के दौरान, इंसान ने खुद पर हुकूमत करने के लिए हर तरह की सरकार आज़माकर देख ली है। इंसान ने विज्ञान और दूसरे क्षेत्रों में काफी तरक्की भी की है, मगर हालात सुधरने के बजाय बिगड़ते चले गए हैं। नाइंसाफी, गरीबी, अपराध, युद्ध और ऐसी कई समस्याएँ बढ़ती चली जा रही हैं। इससे साबित हो चुका है कि इंसान खुद पर हुकूमत करने में सरासर नाकाम रहा है।

16 दूसरा काम जो यहोवा ने नहीं किया, वह यह कि इस संसार पर हुकूमत करने में उसने शैतान की मदद नहीं की। मिसाल के लिए, अगर परमेश्वर दुनिया में हो रहे घिनौने अपराधों को रोकता, तो क्या वह खुद उस बागी शैतान के झूठे दावे को सच साबित नहीं करता? क्या लोग यह सोचने नहीं लगते कि इंसान खुद पर हुकूमत कर सकता है और इसका अंजाम बुरा नहीं होगा? अगर यहोवा ऐसा करता, तो वह इस झूठ का साझेदार होता। मगर उसने ऐसा नहीं किया क्योंकि “परमेश्वर का झूठा ठहरना अन्होना है।”इब्रानियों 6:18.

17, 18. इंसान के राज और शैतान के असर से जो-जो नुकसान हुए हैं, उसके बारे में यहोवा क्या करेगा?

17 लेकिन जब से परमेश्वर के खिलाफ बगावत हुई तब से शैतान के असर और इंसान के राज से जो-जो नुकसान हुए हैं, उसका क्या? हमें यह याद रखना चाहिए कि यहोवा सर्वशक्तिमान है। इसलिए वह इंसान पर आनेवाली दुःख-तकलीफों के हर बुरे असर को मिटाने की ताकत रखता है और उसने वादा किया है कि वह ऐसा ज़रूर करेगा। जैसा हमने पहले सीखा था, धरती की बिगड़ी हालत को ठीक किया जाएगा और इसे फिरदौस बनाया जाएगा। पाप का हमारे शरीर पर जो बुरा असर हुआ है, उसे यीशु के छुड़ौती बलिदान पर हमारे विश्वास की बिना पर मिटाया जाएगा। मौत के खतरनाक अंजामों को पुनरुत्थान के ज़रिए पलट दिया जाएगा। इस तरह परमेश्वर, यीशु के ज़रिए “शैतान के कामों को नाश करे[गा]।” (1 यूहन्ना 3:8) यहोवा यह सब बिलकुल सही वक्‍त पर करेगा। हम इस बात से खुश हो सकते हैं कि यहोवा ने दुनिया का अंत इससे पहले नहीं किया, क्योंकि उसके सब्र की वजह से ही हमें सच्चाई सीखने और उसकी सेवा करने का मौका मिला है। (2 पतरस 3:9, 10) इस बीच, परमेश्वर ऐसे लोगों को ढूँढ़ने में लगा हुआ है जो सच्चे दिल से उसकी उपासना करना चाहते हैं। साथ ही, वह उन्हें ऐसी हर तकलीफ सहने में मदद दे रहा है, जो मुसीबतों से भरी इस दुनिया में उन्हें झेलनी पड़ती हैं।यूहन्ना 4:23; 1 कुरिन्थियों 10:13.

18 कुछ लोग शायद सोचें कि परमेश्वर ने आदम और हव्वा को इस तरह क्यों नहीं बनाया कि वे बगावत कर ही न सकें, जिससे हमें ये सारी तकलीफें झेलनी न पड़तीं? इसका जवाब पाने के लिए, आइए एक ऐसे अनमोल तोहफे के बारे में बात करें जो यहोवा ने आपको दिया है।

परमेश्वर से मिले तोहफे का आप क्या करेंगे?

परमेश्वर दुःख-तकलीफें सहने में आपकी मदद करेगा

19. यहोवा ने हमें कौन-सा कीमती तोहफा दिया है, और हमें क्यों इसे कीमती समझना चाहिए?

19 जैसा अध्याय 5 में बताया गया था, परमेश्वर ने जब इंसान को बनाया तो उसे अपनी मरज़ी का मालिक बनाया था। क्या आप समझ सकते हैं कि आज़ाद मरज़ी का यह तोहफा कितना कीमती है? परमेश्वर ने बहुत-से ऐसे जीव-जंतु भी बनाए हैं जो सहज-बुद्धि या स्वभाव से सिर्फ वही करते हैं जिसके लिए उन्हें बनाया गया है। इंसान ने रोबोट जैसी चलती-फिरती मशीनें बनायी हैं जिनका बटन दबाने की देर होती है कि वे वही काम करने लगती हैं जिसके लिए उन्हें बनाया गया है। अब सोचिए कि अगर परमेश्वर ने हमें भी बाकी जीव-जंतुओं की तरह या एक रोबोट की तरह बनाया होता, तो क्या हम खुश रहते? हरगिज़ नहीं। हम खुश हैं कि परमेश्वर ने हमें अपने फैसले खुद करने की आज़ादी दी है। जैसे, हम किस तरह के इंसान बनेंगे, कैसी ज़िंदगी जीएँगे, किन लोगों से दोस्ती करेंगे, वगैरह-वगैरह। जब हमें अपनी ज़िंदगी में कुछ हद तक आज़ादी मिलती है, तब हम खुश होते हैं, और परमेश्वर भी यही चाहता है कि हम इस आज़ादी का मज़ा लें और खुश रहें।

20, 21. हम अपनी आज़ाद मरज़ी के तोहफे का सबसे बेहतरीन इस्तेमाल कैसे कर सकते हैं, और हमें ऐसा क्यों करना चाहिए?

20 यहोवा हमसे ज़ोर-ज़बरदस्ती की सेवा नहीं चाहता, बल्कि यह कि हम प्यार की खातिर खुशी-खुशी उसकी सेवा करें। (2 कुरिन्थियों 9:7) एक उदाहरण लीजिए: माँ-बाप को कब ज़्यादा खुशी होती है—जब उनका बेटा प्यार की खातिर उनकी सेवा करता है या जब सिर्फ नाम के वास्ते खानापूर्ति करता है? तो फिर, क्या आप अपनी मरज़ी से खुद यहोवा की सेवा करने का फैसला करेंगे? अपनी मरज़ी पर चलने की इस आज़ादी का, शैतान, आदम और हव्वा ने अपनी बरबादी के लिए इस्तेमाल किया। उन्होंने यहोवा परमेश्वर को ठुकराने का फैसला किया था। आप क्या करेंगे?

21 आप चाहें तो अपनी आज़ाद मरज़ी के इस लाजवाब तोहफे का सबसे बेहतरीन इस्तेमाल कर सकते हैं। फैसला आपके हाथ में है। आप भी उन लाखों लोगों में एक हो सकते हैं, जिन्होंने यहोवा के साथ होने का चुनाव किया है। यहोवा उन्हें देखकर खुश होता है, क्योंकि वे जी-जान से यह साबित करने में लगे हुए हैं कि शैतान झूठा है और उसने दुनिया पर राज करके इसे तबाह और बरबाद ही किया है। वह हुकूमत करने के बिलकुल भी लायक नहीं है। (नीतिवचन 27:11) आप भी यहोवा का दिल खुश कर सकते हैं, अगर आप सही राह पर चलने का फैसला करें। अगले अध्याय में, इस बारे में और भी अच्छी तरह समझाया जाएगा।